प्रदूषण पर 10 वाक्य

प्रदूषण पर 10 वाक्य : 10 Lines on Pollution in Hindi:- आज के इस लेख में हमनें ‘प्रदूषण पर 10 वाक्य’ से सम्बंधित जानकारी प्रदान की है।
यदि आप प्रदूषण पर 10 वाक्य से सम्बंधित जानकारी खोज रहे है? तो इस लेख को शुरुआत से अंत तक अवश्य पढ़े। तो चलिए शुरू करते है:-
प्रदूषण पर 10 वाक्य : 10 Lines on Pollution in Hindi
सेट 1
- आज प्रदूषण हमारी पृथ्वी को लगातार दूषित कर रहा है।
- आज प्रदूषण की वजह से पृथ्वी की बहुत सी प्रजातियां लुप्त होने की कगार पर है।
- इनमें से एक सबसे खतरनाक प्रदूषण:- मृदा प्रदूषण है।
- मृदा हमारी पृथ्वी के लिए बहुत आवश्यक है। मृदा में से पौधे निकलते हैं, जो इस परिस्थिति तंत्र को संतुलित रखते हैं।
- आज मिट्टी की उर्वरकता लगातार खत्म होती जा रही है।
- आज कृषक अधिक फसल की लालच में गलत पदार्थों का उपयोग कर रहे हैं, जिससे मिट्टी को काफी अधिक नुकसान हो रहा है।
- इसके साथ-साथ औद्योगिक व उद्योग अपने पदार्थों के कचरे को जमीन में ऐसे ही फेंक देते हैं, जिससे जमीन की उर्वरकता खत्म होती जा रही है।
- मृदा प्रदूषण को रोकना बहुत ही आवश्यक है। यदि ऐसा नहीं हुआ तो आने वाले समय में हमारी सम्पूर्ण भूमि बंजर हो जाएगी व पेड़-पौधों की अनेकों प्रजातियां नष्ट हो जाएगी।
- इसके लिए किसानों को प्राकृतिक खाद का उपयोग करना चाहिए, जैसे:- गोबर, आदि।
- उद्योगी को भी अपना कचरा कहीं ऐसी जगह फेंकना चाहिए, जहां से उपजाऊ भूमि काफी दूर हो।
सेट 2
- प्रदूषण मुख्यतः 4 प्रकार के होते है, जो कि वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, भूमि प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण है।
- प्रदूषण से हरियाली, शुद्ध हवा, शुद्ध भोजन, शुद्ध जल, आदि सभी चीज़ें अशुद्ध होती जा रही है।
- प्रदूषण के कारण नदियों व समुद्रों मे जीव-जंतुओं में ऑक्सीजन की कमी होने व जहरीला पानी होने के कारण मृत्यु हो रही है।
- अधिक से अधिक पेड़ लगाकर, वाहनों के उपयोग पर कमी और अपने आस-पास स्वच्छता रखकर प्रदूषण को कम किया जा सकता है।
- मनुष्य प्रदूषण के कारण आज मनुष्य को शुद्ध सांस भी नहीं मिल पा रही है।
- प्रदूषण से बचने के लिए हमें अधिक से अधिक पेड़-पौधे लगाने चाहिए।
- प्रदूषण इस प्रकृति के लिए काफी खतरनाक है, जो इस धरती के अस्तित्व को समाप्त कर सकता है।
- हमें अपनी आने वाली पीढ़ी को यदि एक साफ व सुरक्षित पर्यावरण देना है, तो हमें आज से ही इस पर ध्यान देना होगा।
- इस प्रदूषण के कम होने से प्राकृतिक असंतुलन फिर से सही हो जाएगा।
- हमें अपने परिस्थितिकरण तंत्र को सही करने के लिए प्रदूषण को कम करना होगा।
अंतिम शब्द
अंत में आशा करता हूँ कि यह लेख आपको पसंद आया होगा और आपको हमारे द्वारा इस लेख में प्रदान की गई अमूल्य जानकारी फायदेमंद साबित हुई होगी।
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नमस्कार, मेरा नाम सूरज सिंह रावत है। मैं जयपुर, राजस्थान में रहता हूँ। मैंने बी.ए. में स्न्नातक की डिग्री प्राप्त की है। इसके अलावा मैं एक सर्वर विशेषज्ञ हूँ। मुझे लिखने का बहुत शौक है। इसलिए, मैंने सोचदुनिया पर लिखना शुरू किया। आशा करता हूँ कि आपको भी मेरे लेख जरुर पसंद आएंगे।