अनुच्छेद लेखन की परिभाषा, प्रारूप और उदाहरण

अनुच्छेद लेखन की परिभाषा : Anuched Lekhan in Hindi:- आज के इस लेख में हमनें ‘अनुच्छेद लेखन की परिभाषा’ से सम्बंधित जानकारी प्रदान की है।
यदि आप अनुच्छेद लेखन से सम्बंधित जानकारी खोज रहे है? तो इस लेख को शुरुआत से अंत तक अवश्य पढ़े। तो चलिए शुरू करते है:-
अनुच्छेद लेखन की परिभाषा : Anuched Lekhan in Hindi
किसी एक भाव अथवा विचार को व्यक्त करने के लिए लिखे गए सम्बद्ध तथा लघु वाक्य-समूह को ‘अनुच्छेद-लेखन’ कहते है।
अन्य शब्दों में:- किसी घटना, दृश्य एवं विषय को संक्षिप्त लेकिन सारगर्भित रूप से जिस लेखन-शैली में प्रस्तुत किया जाता है, उसे ‘अनुच्छेद-लेखन’ कहते है।
साधारण शब्दों में:- किसी भी विषय को संक्षिप्त तथा प्रभावपूर्ण ढंग से प्रस्तुत करने की कला को ‘अनुच्छेद लेखन’ कहा जाता है।
‘अनुच्छेद’ शब्द अंग्रेजी भाषा के ‘Paragraph’ शब्द का हिंदी पर्याय है। अनुच्छेद ‘निबंध’ का संक्षिप्त रूप होता है, जिसमें किसी विषय के किसी एक पक्ष पर 80 से 100 शब्दों में अपने विचार व्यक्त किए जाते है।
अनुच्छेद में प्रत्येक वाक्य मूल विषय से जुड़ा होता है। अनावश्यक विस्तार के लिए उसमें कोई स्थान नहीं होता है। अनुच्छेद में घटना एवं विषय से सम्बद्ध वर्णन संतुलित और अपने आप में पूर्ण होना चाहिए।
अनुच्छेद की भाषा-शैली सजीव एवं प्रभावशाली होनी चाहिए। शब्दों के सही चयन के साथ लोकोक्तियों तथा मुहावरों के समुचित प्रयोग से ही भाषा-शैली में उपर्युक्त गुण आ सकते है।
अनुच्छेद का मुख्य कार्य किसी एक विचार को इस प्रकार से लिखना होता है, जिसके सभी वाक्य एक-दूसरे से बंधे होते है। एक भी वाक्य अनावश्यक तथा व्यर्थ नहीं होना चाहिए।
अनुच्छेद लेखन को ‘लघु निबंध’ भी कहा जाता है। इसमें सीमित सुगठित तथा समग्र दृष्टिकोण से किया जाता है। अनुच्छेद लिखते समय शब्द संख्या सीमित होने के कारण सावधानी बरतनी चाहिए।
निबंध और अनुच्छेद लेखन में मुख्य अंतर यह है कि जहाँ निबंध में प्रत्येक बिंदु को अलग-अलग अनुच्छेद में लिखा जाता है, वहीं अनुच्छेद लेखन में एक ही परिच्छेद (पैराग्राफ) में प्रस्तुत विषय को सीमित शब्दों में प्रस्तुत किया जाता है।
इसके अतिरिक्त, अनुच्छेद में निबंध की भांति भूमिका, मध्य भाग एवं उपसंहार जैसा विभाजन करने की आवश्यकता नहीं होती है।
कार्य:- अनुच्छेद स्वयं में स्वतंत्र व पूर्ण होते है। अनुच्छेद का मुख्य विचार अथवा भाव की कुंजी या तो शुरुआत में रहती है या फिर अन्त में रहती है। उच्च कोटि के अनुच्छेद-लेखन में मुख्य विचार अंत में दिया जाता है।
अनुच्छेद लेखन करते समय ध्यान रखने योग्य महत्वपूर्ण बातें
अनुच्छेद लेखन करते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना अत्यंत आवश्यक है:-
- अनुच्छेद लेखन करने से पहले रूपरेखा, संकेत-बिंदु, आदि तैयार करने चाहिए।
- अनुच्छेद में विषय के किसी एक ही पक्ष का वर्णन करना चाहिए।
- अनुच्छेद लेखन की भाषा सरल, स्पष्ट एवं प्रभावशाली होनी चाहिए।
- अनुच्छेद लेखन करते समय एक ही बात को बार-बार नहीं दोहराना चाहिए।
- अनुच्छेद लेखन करते समय अनावश्यक विस्तार से बचना चाहिए, लेकिन विषय से नहीं हटना चाहिए।
- अनुच्छेद लेखन करते समय शब्द-सीमा को ध्यान में अवश्य रखना चाहिए।
- सम्पूर्ण अनुच्छेद में एकरूपता होनी चाहिए।
- अनुच्छेद लेखन करते समय विषय से संबंधित सूक्ति एवं कविता की पंक्तियों का प्रयोग भी करना चाहिए।
अनुच्छेद लेखन की प्रमुख विशेषताएँ
अनुच्छेद लेखन की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित है:-
1. पूर्णता
स्वतंत्र अनुच्छेद की रचना करते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि उसमें संबंधित विषय के सभी पक्षों का समावेश हो जाए। विषय सीमित आयामों वाला होना चाहिए, जिसके सभी पक्षों को अनुच्छेद के सीमित आकार में संयोजित किया जा सके।
2. क्रमबद्धता
अनुच्छेद लेखन में विचारों को क्रमबद्ध तथा तर्कसंगत विधि से प्रकट करना चाहिए। अनुच्छेद के लिए आवश्यक है कि वह सुगठित हो और उसमें विचारों एवं तर्कों का ऐसा सुविचारित पूर्वापर क्रम हो कि वाक्य एक-दूसरे से जुड़ते चले जाए और विषय को विकसित कर सके।
3. विषय-केन्द्रिता
अनुच्छेद की शुरुआत से अंत तक उसका एकसूत्र में बंधा होना अत्यंत आवश्यक है। अनुच्छेद मूल विषय से इस प्रकार बंधा होना चाहिए कि सम्पूर्ण अनुच्छेद को पढ़ने के बाद पाठक सारांश में उसके शीर्षक को नितांत संगत एवं उपयुक्त स्वीकार करें।
4. सामासिकता
सीमित शब्दों में यथासंभव पूरी बात कहने का प्रयास रहता है। यह गागर में सागर भरने के समान है। अनुच्छेद में अनावश्यक बातें नहीं करके सिर्फ विषय से संबद्ध वर्णन-विवेचन किया जाना चाहिए।
5. विषयानुकूल भाषा-शैली
अनुच्छेद की भाषा-शैली विषय के अनुकूल होनी चाहिए। आमतौर पर अनुच्छेद शाश्वत महत्त्व के विषयों पर लिखे जाते है। इसलिए, उसकी भाषा भी विषय के अनुरूप गंभीर तथा परिमार्जित होनी चाहिए।
अनुच्छेद लेखन में अप्रचलित शब्द-प्रयोग से बचना चाहिए। अनुच्छेद की भाषा यथासंभव सरल, सरस तथा सुबोध होनी चाहिए। आवश्यकता के अनुसार अनुच्छेद में मुहावरे, लोकोक्तियाँ, सूक्तियां, आदि का भी प्रयोग किया जा सकता है।
अनुच्छेद की भाषा गत्यात्मक होनी चाहिए। अनुच्छेद के वाक्यों के क्रम में तारतम्यता होनी चाहिए। शैली भी एक कथन भंगिमा है।
कभी लेखक विशेष को सामान्य रूप प्रदान करता है, तो कभी सामान्य को विशेष रूप में प्रस्तुत करता है। इन्हीं को आगमन-निगमन शैली कहा जाता है।
6. सीमित/संतुलित आकार
सामान्यतः अनुच्छेद 80 से 100 शब्दों के मध्य होना चाहिए। संतुलित वर्णन के लिए आकार-प्रकार भी संतुलित अपनाना चाहिए।
विषय के अनुसार यह शब्द सीमा कुछ कम तथा अधिक भी हो सकती है। अनुच्छेद लेखन करने से पहले अनुच्छेद का एक प्रारूप तैयार कर लेना चाहिए।
शब्द-संख्या, मुहावरे तथा लोकोक्तियों से संबंधी सभी बातों का ध्यान रखते हुए अनावश्यक बातों को हटा देना चाहिए। किसी भी स्थिति में अनुच्छेद लघु निबंध का आकार न ग्रहण करें, इस बात का ध्यान भी रखना चाहिए।
7. स्वतंत्र लेखन कला
प्रत्येक अनुच्छेद स्वयं में स्वतंत्र होता है। कुछ अर्थों में समानता रखते हुए भी वह निबंध तथा पल्लवन से भिन्न है। विषय के अनुरूप ही शैली का भी चयन हो जाता है।
अनुच्छेद लेखन के प्रकार
अनुच्छेद लेखन को मुख्य रूप से कुल 4 प्रकार होते है, जो कि निम्नलिखित है:-
अनुच्छेद लेखन के प्रकार |
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विचार प्रधान अनुच्छेद |
वर्णन प्रधान अनुच्छेद |
भाव प्रधान अनुच्छेद |
कल्पना आधारित अनुच्छेद |
अनुच्छेद लेखन कैसे करें?
सही प्रकार से अनुच्छेद लेखन करने के लिए निम्नलिखित महत्वपूर्ण बिंदुओं की जानकारी होना अत्यंत आवश्यक है:-
- अनुच्छेद का विषय प्रथम पृष्ठ के बीच में लिखना चाहिए।
- उसके बाद एक लाइन का अंतर रखकर हाशिए के पास से अनुच्छेद लेखन की शुरूआत करनी चाहिए। शुरूआत के कुछ वाक्य विषय के परिचय के रूप में लिखने चाहिए। बीच के कुछ वाक्य विषय के विकास के लिए लिखने चाहिए। इसमें तथ्य, आंकडें, तुलनाएं, तर्क, आदि सम्मिलित करने चाहिए। अंत के कुछ वाक्य निष्कर्ष, चेतावनी, सुझाव, आदि के देने चाहिए। अनुच्छेद एक माला की भांति होता है, जिसमें अनेक फूल होते है।
- अनुच्छेद के वाक्य छोटे तथा ठीक बनाना चाहिए।
- अनुच्छेद लेखन करते समय शब्दों को सही प्रकार से लिखने का ध्यान रखना चाहिए।
- अनुच्छेद लेखन करते समय शब्दों तथा लाइनों के बीच उचित रिक्त स्थान रखना चाहिए और सुन्दर लिखावट में लिखना चाहिए।
- परीक्षा में अनुच्छेद का प्रश्न सम्बन्धित विषय पर सहायता के लिए कुछ शब्द देकर अथवा कुछ प्रश्न देकर उनके उत्तरों की सहायता से पूछा जा सकता है। अनुच्छेद लिखते समय उन शब्दों का प्रयोग अवश्य करना चाहिए।
- कभी-कभी कोई चित्र के माध्यम से भी अनुच्छेद लिखने को कहा जा सकता है। इस स्थिति में चित्र को सही से देखकर विषय का अनुमान लगाकर अनुच्छेद लेखन करना चाहिए। यदि साथ में कुछ संकेत अथवा शब्द दिए गए है, तो उनका उपयोग भी अवश्य करना चाहिए।
अनुच्छेद तथा निबंध में अंतर
अनुच्छेद तथा निबंध दोनों में लेखक अपने भावों व विचारों को विकसित करता है। उसके बावजूद भी इन दोनों में पर्याप्त अन्तर है, जो कि निम्नलिखित है:-
अनुच्छेद | निबंध |
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अनुच्छेद में लघु रचना होने के कारण लेखक प्रथम वाक्य से ही विषय का प्रतिपादन शुरू कर देता है। | निबंध में भूमिका, विकास एवं उपसंहार होते है। |
अनुच्छेद में एक ही विचार बिंदु का प्रतिपादन होता है। | निबंध में मूल विचार का विस्तार उसके सभी आयामों के साथ होता है। |
अनुच्छेद में लेखक मूल विषय के साथ ही जुड़ा रहता है और संक्षेप में अपनी बात प्रस्तुत करता है। | निबंध में विषय के सभी पहलुओं को प्रस्तुत किया जाता है। |
अनुच्छेद तथा पल्लवन में अंतर
सतही रूप में तो अनुच्छेद तथा पल्लवन दोनों समान दिखाई देते है, क्योंकि दोनों का आकार छोटा होता है। लेकिन, आंतरिक रूप में दोनों में पर्याप्त अंतर है, जो कि निम्नलिखित है:-
अनुच्छेद | पल्लवन |
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अनुच्छेद किसी भी रचना का एक भाग होता है, जिसमें मुख्य विषय को पुष्ट करने हेतु तथ्य दिए जाते है। | पल्लवन प्रायः किसी लेखक की प्रसिद्ध पंक्ति, लोकोक्ति, सूक्ति अथवा सूत्र वाक्य, आदि पर लिखा जाता है। |
अनुच्छेद लेखन में आत्मकथात्मक शैली का प्रयोग भी किया जा सकता है। | पल्लवन में आत्मकथात्मक शैली (‘मैं’ शैली) का प्रयोग नहीं किया जाता है। |
अनुछेद लेखन में किसी भी काल का प्रयोग किया जा सकता है। | पल्लवन में सिर्फ वर्तमान काल का प्रयोग किया जाता है। |
अनुच्छेद एक ही पैराग्राफ़ में लिखा जाता है। | पल्लवन में एक से अधिक अनुच्छेद हो सकते है, क्योंकि पल्लवन का आकार अनुच्छेद से अपेक्षाकृत बड़ा होता है। |
अनुच्छेद लेखन की शैली
भाषा तथा साहित्य को जोड़ने वाली संकल्पना को ‘शैली’ कहते है। शैली को सहेतुक भाषा-पद्धति भी कहा जाता है।
भाषा की प्रयुक्ति विशेष, विधा विशेष तथा प्रयोक्ता विशेष के अनुसार भाषा में जो विभिन्नताएं दिखाई देती है, उन्हें ‘भाषा की शैलियाँ’ कहा जाता है। अनुच्छेद लेखन मे प्रायः निम्नलिखित शैलियों का प्रयोग किया जाता है:-
अनुच्छेद लेखन की शैली |
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भावात्मक शैली |
समास शैली |
व्यंग्य शैली |
तरंग शैली |
चित्र शैली |
व्यास-शैली |
उपर्युक्त शैलियों के अतिरिक्त लेखक अन्य शैलियों जैसे:- वर्णनात्मक शैली, विवरणात्मक शैली, विचारात्मक शैली, सामान्य बोलचाल की शैली, आदि का प्रयोग भी कर सकता है।
अपनी रूचि तथा विषय के अनुकूल शैली के प्रयोग से अनुच्छेद में सजीवता आ जाती है। वर्णन, विचार तथा भाव के अनुकूल शैली का प्रयोग करना चाहिए, जिससे अनुच्छेद में यथेष्ट प्रवाह, रमणीयता, आदि गुण समाविष्ट हो जाते है।
अनुच्छेद लेखन के उदाहरण
अनुच्छेद लेखन के उदाहरण निम्न प्रकार है:-
1. हमारी वन-संपदा
संकेत बिंदु:-
- वन प्रकृति की देन
- वनों से हमारी दूरी
- वन पर्यावरण को संतुलित करते है
- वर्तमान युग का वनों पर प्रभाव
अनुच्छेद:-
प्रकृति जीवनदायिनी है। प्रकृति में भी वृक्षों एवं वनों का बहुत महत्त्व है। वन हमें वर्षा, प्राकृतिक पदार्थ, लकड़ी, कोयला, गोंद, कागज, आदि प्रदान करते है और हमारी पशुराशि को सुरक्षित करते है। वनों से भूमि का कटाव समाप्त होता है तथा भूमि का उपजाऊपन बना रहता है। वन प्रत्येक प्रकार से मानव-जीवन का संरक्षण करते है। वनों का सबसे महत्वपूर्ण कार्य वर्षा लाना, बाढ़ रोकना तथा वातावरण को शुद्ध करना है। वृक्ष जल के वेग को रोककर बाढ़ को नियंत्रित करते है। वन भूमि को मरुस्थल बनने से रोकते है। वन नमी को सोखकर पृथ्वी की निचली परत तक पहुँचा देते है, जिससे भूमि का उपजाऊपन बना भी बना रहता है। वनों के अभाव से पृथ्वी के ऊसर बनने का खतरा बनता है। वन अत्यधिक मात्रा में ऑक्सीजन प्रदान करते है। इसी ऑक्सीजन के द्वारा मानव जीवन का अस्तित्व है। प्राण-वायु के स्रोत वन ही है। आज शहरों में जो बढ़ते हुए प्रदूषण की स्थिति है, वह वृक्षारोपण से ही सही हो सकती है। वनों में हमारी पशु-राशि भी सुरक्षित रहती है। यदि वन नहीं हो, तो न जाने कितने ही जीवों की जातियाँ समाप्त हो जाएगी। वन सच्चे जीवनदायक है।
2. राष्ट्र के प्रति विद्यार्थियों का कर्तव्य
संकेत बिंदु:-
- सुरक्षित राष्ट्र की कामना
- विद्यार्थी का कर्तव्य
- कर्तव्यनिष्ठा
- संकटों में सहायक
- राष्ट्रप्रेमी विद्यार्थी
अनुच्छेद:-
राष्ट्र सभी राष्ट्रवासियों को जन्म, अन्न, धन-धान्य, आवास तथा सुरक्षा प्रदान करता है। इसलिए प्रत्येक राष्ट्रवासी का कर्तव्य बनता है कि वह राष्ट्रहित का ध्यान रखें। राष्ट्र सुरक्षित होगा, तो उसके निवासी भी सुरक्षित होंगे। 'विद्यार्थी' का कार्य 'अध्ययन' करना है। उसे शिक्षा के साथ-साथ ऐसी विद्या भी ग्रहण करनी चाहिए, जिससे राष्ट्रीय भावनाओं का विकास हो। विद्यालयों में एन.एस.एस., एन.सी.सी., स्काउट्स, आदि संस्थाओं का निर्माण इन भावनाओं में योगदान देने के लिए हुआ है। विद्यार्थियों को इनमें बढ़-चढ़कर भाग लेना चाहिए। विद्यार्थी को एक कर्तव्यनिष्ठ नागरिक की भांति व्यवहार करना चाहिए। जब देश पर किसी प्रकार का संकट आ जाए, तो उसे राष्ट्रवाणी से अपनी वाणी मिला देनी चाहिए। राष्ट्र के सामने अनेक प्रकार के संकट आ सकते है, जैसे:- बाढ़, सूखा, युद्ध, महामारी, दुर्घटनाएं, आदि। विद्यार्थियों को प्रत्येक संकट में कमर कसकर तैयार रहना चाहिए। किसी भी देश की क्रांति में नवयुवकों का महत्त्वपूर्ण योगदान होता है। जो विद्यार्थी पढ़ाई करते समय राष्ट्र-विकास का स्वप्न अपनी आँखों में भर लेगा, वह जिस भी क्षेत्र में जाएगा, वहाँ राष्ट्रहित का कार्य करेगा।
3. आदर्श विद्यार्थी
संकेत बिंदु:-
- सच्चे विद्यार्थी का लक्षण
- जिज्ञासा और श्रद्धा – आवश्यक गुण
- तपस्वी जीवन
- अनुशासन आवश्यक
- सादा जीवन, उच्च विचार
- उपसंहार
अनुच्छेद:-
विद्यार्थी का अर्थ 'विद्या प्राप्त करने वाला' होता है। एक आदर्श विद्यार्थी वही होता है, जो सीखने की इच्छा से ओतप्रोत होता है, जिसमें ज्ञान प्राप्त करने की कचहरी ललक होती है। विद्यार्थी का सबसे पहला गुण 'जिज्ञासा' है। वह नए-नए विषयों के बारे में रोजाना नई जानकारी चाहता है। वह सिर्फ पुस्तकों तथा अध्यापकों के भरोसे ही नहीं रहता है, बल्कि स्वयं मेहनत करके ज्ञान प्राप्त करता है। एक आदर्श विद्यार्थी श्रद्धावान होता है। आदर्श विद्यार्थी कठोर जीवनयापन कर तपस्या का आनंद प्राप्त करता है। आदर्श विद्यार्थी अपनी निश्चित दिनचर्या तैयार करता है और उसका कठोरता से पालन करता है। वह अपनी पढ़ाई, खेलकूद, व्यायाम, मनोरंजन तथा अन्य गतिविधियों में तालमेल बैठाता है। एक आदर्श विद्यार्थी पहनावे और ठाठ-बाट की दुनिया से दूर रहता है। वह सादा जीवन जीता है और उच्च विचार मन में धारण करता है। वह सिर्फ पाठ्यक्रम तक ही सीमित नहीं रहता है। वह विद्यालय में होने वाली अन्य सभी गतिविधियों में भी बढ़-चढ़कर भाग लेता है। गाना, अभिनय, एन.सी.सी., स्काउट, खेलकूद, भाषण, आदि में से किसी न किसी क्षेत्र में वह अवश्य भाग लेता है।
4. इंटरनेट: एक संचार क्रांति
संकेत बिंदु:-
- अर्थ
- संचार-जगत में क्रांति
- ज्ञान का भंडार
- शिक्षा में सहायक
- दोष एवं प्रभाव
अनुच्छेद:-
इंटरनेट उस ताने-बाने को कहते है, जो विश्वभर के कंप्यूटरों को आपस में जोड़ता है। इंटरनेट से सभी कंप्यूटरों की जानकारी सभी को उपलब्ध हो जाती है। इस संचार-तंत्र से संचार जगत में सचमुच एक क्रांति घटित हो गई है। लोगों के सामने जानकारियों का अंबार लग गया है। एक प्रकार से यह ज्ञान का विस्फोट है। इंटरनेट पर ज्ञान की अनंत सामग्री उपलब्ध हो गई है। जितनी ताजा खबरें और आधुनिक लेख इंटरनेट पर उपलब्ध हो जाते है, उतने तो रोजाना छपने वाले अखबारों में भी नहीं मिल पाते है। वास्तव में इंटरनेट पल-पल बदलता रहता है। इंटरनेट के सहारे रेलवे तथा हवाई जहाज की टिकटें मिल सकती हैं। बुकिंग की स्थिति का ज्ञान हो सकता है। बच्चों को अपने पाठ्यक्रम की सभी जानकारी इंटरनेट के माध्यम से मिल सकती है। इंटरनेट एक प्रकार से शिक्षक की भूमिका भी अदा करता है। इंटरनेट में उपलब्ध पाठ्य-सामग्री को बार-बार पढ़ा जा सकता है। घर बैठकर विश्वभर के समाचार-पत्र पढ़े जा सकते है। इंटरनेट की इतनी खूबियां होते हुए भी इसकी अनेक कठिनाइयां है। इसका ज्ञान भंडार इतना विपुल है कि सही जानकारी उपलब्ध करने होने में काफी अधिक समय, ऊर्जा तथा बिजली खर्च करनी पड़ती है। बिजली नहीं हो, तो मनुष्य पंगु हो जाता है। इंटरनेट शातिर अपराधियों के लिए स्वर्ग बन गया है। कुशल अपराधी लोगों के बैंक खातों तथा अन्य कागजातों में छेड़छाड़ करके उन्हें घर बैठे ही लूट लेते है। अभी इन साइबर अपराधों से बचने के उपाय लोकप्रिय नहीं है, लेकिन धीरे-धीरे लोग इन्हें जान जायेंगे। तभी इसके दुष्प्रभावों से बचा जा सकेगा।
5. संघर्ष का नाम ही जीवन है
संकेत बिंदु:-
- संघर्ष और चुनौतियाँ
- संघर्ष करने से ही व्यक्ति बनता है
- कर्तव्य
अनुच्छेद:-
संघर्ष का अर्थ 'टकराकर आने वाली बाधा को पार करना' होता है। जीवन में संघर्ष ही संघर्ष है। जन्म लेते ही संघर्ष शुरू जाते है। शिशु को भोजन तथा सुरक्षा का संघर्ष करना पड़ता है। वह रोकर तथा चीखकर बताता है कि उसे दूध तथा सुरक्षा चाहिए। बड़ा होने पर संकटों के रूप बदल जाते है, लेकिन चुनौतियाँ बनी रहती है। वास्तव में संघर्षों को झेलने और पार करने पर ही व्यक्ति के व्यक्तित्व का निर्माण होता है। यदि गाँधीजी ने दक्षिण अफ्रीका में अपमान की घटनाएं नहीं झेली होती, तो वह महान व्यक्ति नहीं बन पाते। यदि सुभाष चंद्र बोस या सावरकर संघर्षों की चक्की में नहीं पिसे होते, तो इतने महान नहीं हो पाते। सुभाष चंद्र बोस ने देश से बाहर जाकर भी अंग्रेजों को बाहर खदेड़ने का दुस्साहस किया। सावरकर ने काले पानी की सज़ा पाकर भी अंग्रेजी शासन को चुनौती दी। वास्तव में अपने जीवन में आने वाले प्रत्येक संघर्ष एवं चुनौती का सामना करना हमारा कर्तव्य है। इसी से जीवन में रस भी आता है और जीवन सार्थक बनता है।
6. अभ्यास का महत्व
यदि किसी कार्य को करने का निरंतर अभ्यास किया जाए, तो मुश्किल से मुश्किल कार्य को भी आसानी से किया जा सकता है। भगवान ने हम सभी को ऐसी बुद्धि प्रदान की है, जिसका इस्तेमाल करके हम कुछ भी नया और कुछ ऐसा विकसित कर सकते है। 'करत-करत अभ्यास के, जड़मति होत सुजान। रसरि आवत जात तें, सिल पर परत निसान।।' अर्थात जिस प्रकार रस्सी की रगड़ से कठोर पत्थर पर भी निशान बन जाते है, ठीक उसी प्रकार निरंतर अभ्यास करने से मूर्ख व्यक्ति भी विद्वान बन सकता है। यदि विद्यार्थी प्रत्येक विषय का निरंतर अभ्यास करें, तो उन्हें कोई भी विषय कठिन नहीं लगेगा और वह सरलता से उस विषय में कुशलता प्राप्त कर सकेगा।
7. मित्र का जन्मदिन
मेरे मित्र विकास का जन्मदिन था। उसने सभी मित्रों के साथ मुझे भी अपने घर बुलाया। विकास के कुछ रिश्तेदार भी आए हुए थे, लेकिन अधिकतर मेरे ही मित्र आए थे। घर के आँगन में ही समारोह का आयोजन किया गया था। उस स्थान को बहुत ही सुंदर ढंग से सजाया गया था। हर जगह झंडियाँ और गुब्बारे थे। आँगन में लगे एक पेड़ पर रंग-बिरंगे बल्ब जगमगा रहे थे। जब मैं वहाँ पहुँचा, तो मेहमान आने शुरू हुए ही थे। मेहमान विकास के लिए कोई न कोई उपहार लेकर आते, उसके निकट जाकर बधाई देते और विकास उनका धन्यवाद करता। क्रमशः लोग छोटी-छोटी टोलियों में बैठकर गपशप करने लगे। संगीत की मधुर ध्वनियां गूँज रही थी। एक-दो मित्र उठकर नृत्य करने लगे। कुछ मित्र तालियाँ बजाकर अपना योगदान देने लगे। चारों और उल्लास का वातावरण था। लगभग 7 बजे केक काटा गया। सभी मित्रों ने तालियाँ बजाई और मिलकर जन्मदिन की बधाई का गीत गाया। विकास की माँ ने विकास को केक खिलाया। अन्य लोगों ने भी केक खाया। फिर सभी खाना खाने लगे। खाने में अनेक प्रकार की मिठाइयाँ थी। तब हमने विकास को एक बार फिर बधाई दी और उसकी दीर्घायु की कामना की। उसके बाद हम सभी अपने-अपने घर को चल दिए। वह कार्यक्रम इतना अच्छा था कि अभी भी स्मरण हो आता है।
8. कंप्यूटर एक जादुई पिटारा
वर्तमान युग विज्ञान का युग है। वर्तमान समय में विज्ञान ने हमें कम्प्यूटर के रूप में एक अनमोल उपहार दिया है। आज जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में कम्प्यूटर का उपयोग हो रहा है। मानव द्वारा जो कार्य पहले बड़ी कठिनाई के साथ किया जाता था, आज वह कार्य कम्प्यूटर द्वारा बड़े ही आराम से किया जा रहा है। कंप्यूटर का उपयोग दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। कम्प्यूटर ने दुनिया को काफी छोटा कर दिया है। इंटरनेट द्वारा गूगल, याहू, बिंग, आदि वेबसाइट पर दुनियाभर की जानकारी घर बैठकर ही प्राप्त की जा सकती है। इंटरनेट पर ई-मेल के द्वारा विश्व में किसी भी स्थान पर बैठे व्यक्ति से संपर्क किया जा सकता है। इसके लिए सिर्फ ई-मेल खाता और पासवर्ड का होना आवश्यक होता है। कम्प्यूटर मनोरंजन का भी एक महत्वपूर्ण साधन है। कंप्यूटर पर अनेक खेल भी खेले जा सकते है। कुल मिलकर कहें तो कम्प्यूटर ने मानव जीवन को काफी आसान बना दिया है। कम्प्यूटर सचमुच एक जादुई पिटारा है।
अनुच्छेद लेखन के विषय
अनुच्छेद लेखन के विषय निम्नलिखित है:-
मेरे सपनों का भारत | भारतीय समाज में नारी का स्थान |
राष्ट्र के प्रति विद्यार्थियों का कर्तव्य | भारत की छ: ऋतु |
देश प्रेम | शहरी जीवन |
राष्ट्रीय एकता की आवश्यकता | जीव जंतु और मानव |
भारत शांति प्रिय देश | संयुक्त परिवार |
हमारे त्यौहार और उनका महत्व | बुजुर्गों की समस्या |
भारत के राष्ट्रीय पर्व | प्रदूषण की समस्या |
गणतंत्र दिवस | बेचारा बचपन |
कक्षा 1 के लिए अनुच्छेद लेखन के विषय
कक्षा 1 के लिए अनुच्छेद लेखन के विषय निम्नलिखित है:-
मेरा विद्यालय | मेरा प्रिय मित्र |
मेरे पिता | मेरी माँ |
गाय | मेरा सपनों का घर |
कक्षा 2 के लिए अनुच्छेद लेखन के विषय
कक्षा 2 के लिए अनुच्छेद लेखन के विषय निम्नलिखित है:-
मेरा देश | मेरे प्रिय खेल |
भारत के गाँव | प्रदूषण पर निबंध |
मेरा विद्यालय | मेरा घर |
कक्षा 3 के लिए अनुच्छेद लेखन के विषय
कक्षा 3 के लिए अनुच्छेद लेखन के विषय निम्नलिखित है:-
हाथी | मेरा प्रिय खेल |
मेरा परिवार | महात्मा गाँधी |
अमिताभ बच्चन | नेताजी सुभाष चंद्र बोस |
कक्षा 4 के लिए अनुच्छेद लेखन के विषय
कक्षा 4 के लिए अनुच्छेद लेखन के विषय निम्नलिखित है:-
छुट्टी | वर्षा ऋतु |
शीत ऋतु | डाकिया |
ग्वाला | ग्रीष्म ऋतु |
कक्षा 5 के लिए अनुच्छेद लेखन के विषय
कक्षा 5 के लिए अनुच्छेद लेखन के विषय निम्नलिखित है:-
अस्पताल में आधा घंटा | परीक्षा शुरू होने के आधा घंटा पहले का दृश्य |
रेलवे स्टेशन पर एक घंटा | खेल के मैदान पर एक घंटा |
प्रदर्शनी में एक घंटा | संगीत कक्षा में एक घंटा |
कक्षा 6 के लिए अनुच्छेद लेखन के विषय
कक्षा 6 के लिए अनुच्छेद लेखन के विषय निम्नलिखित है:-
मेले में दो घंटे | बगीचे में दो घंटे |
नदी किनारे की एक शाम | बरसात का पहला दिन |
एक रेल-दुर्घटना | विद्यालय का पहला दिन |
कक्षा 7 के लिए अनुच्छेद लेखन के विषय
कक्षा 7 के लिए अनुच्छेद लेखन के विषय निम्नलिखित है:-
दशहरा | एक ऐतिहासिक स्थान की यात्रा |
एक पहाड़ी स्थान की यात्रा | दिवाली |
हमारा गणतंत्र दिवस | हमारा स्वतंत्रता दिवस |
कक्षा 8 के लिए अनुच्छेद लेखन के विषय
कक्षा 8 के लिए अनुच्छेद लेखन के विषय निम्नलिखित है:-
मेरा प्रिय नेता | मेरे प्रिय शिक्षक |
मेरा प्रिय संगीतकार | मेरा प्रिय त्यौहार |
मेरी प्रिय पुस्तक | मेरा प्रिय घर |
कक्षा 9 के लिए अनुच्छेद लेखन के विषय
कक्षा 9 के लिए अनुच्छेद लेखन के विषय निम्नलिखित है:-
स्वतंत्रता दिवस | रक्षाबंधन |
मेरी महत्वाकांक्षा | मेरे विद्यार्थी जीवन |
गणतंत्र दिवस | शहीद दिवस |
कक्षा 10 के लिए अनुच्छेद लेखन के विषय
कक्षा 10 के लिए अनुच्छेद लेखन के विषय निम्नलिखित है:-
जैसी संगति बैठिए तैसो फल दीन | सतत अभ्यास के लाभ |
विद्यालय में मेरा पहला दिन | मेरे नगर में भी हुआ विकास |
आकाश की ऊंचाइयों को छूता मानव | मौहल्ले की सफाई |
अनुच्छेद लेखन से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न
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अनुच्छेद लेखन की परिभाषा क्या है?
किसी एक भाव अथवा विचार को व्यक्त करने के लिए लिखे गए सम्बद्ध तथा लघु वाक्य-समूह को ‘अनुच्छेद-लेखन’ कहते है।
अन्य शब्दों में:- किसी घटना, दृश्य एवं विषय को संक्षिप्त लेकिन सारगर्भित रूप से जिस लेखन-शैली में प्रस्तुत किया जाता है, उसे ‘अनुच्छेद-लेखन’ कहते है।
साधारण शब्दों में:- किसी भी विषय को संक्षिप्त तथा प्रभावपूर्ण ढंग से प्रस्तुत करने की कला को ‘अनुच्छेद लेखन’ कहा जाता है। -
एक अनुच्छेद में कितने शब्द होते है?
एक अनुच्छेद में कम से कम 80 से 100 शब्द होते है।
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अनुच्छेद लेखन के कितने प्रकार है?
अनुच्छेद लेखन के कुल 4 प्रकार है, जो कि निम्नलिखित है:-
1. विचार प्रधान अनुच्छेद
2. वर्णन प्रधान अनुच्छेद
3. भाव प्रधान अनुच्छेद
4. कल्पना आधारित अनुच्छेद
अंतिम शब्द
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