अन्योक्ति अलंकार की परिभाषा, भेद और उदाहरण

Anyokti Alankar Ki Paribhasha in Hindi

अन्योक्ति अलंकार की परिभाषा : Anyokti Alankar in Hindi:- आज के इस लेख में हमनें ‘अन्योक्ति अलंकार की परिभाषा’ से सम्बंधित जानकारी प्रदान की है।

यदि आप अन्योक्ति अलंकार से सम्बंधित जानकारी खोज रहे है? तो इस लेख को शुरुआत से अंत तक अवश्य पढ़े। तो चलिए शुरू करते है:-

अन्योक्ति अलंकार की परिभाषा : Anyokti Alankar in Hindi

जब किसी अप्रस्तुत माध्यम से किसी प्रस्तुत (सच्चाई) का बोध कराया जाता है, तो वहाँ पर ‘अन्योक्ति अलंकार’ होता है। अर्थात अन्योक्ति = अन्य + उक्ति (अन्य = अन्य (दूसरे) के लिए। उक्ति = कथन। अर्थात अन्य (दूसरे) के लिए कथन।

जहाँ पर किसी उक्ति के माध्यम से किसी अन्य को कोई बात कही जाती है, तो वहाँ पर ‘अन्योक्ति अलंकार’ होता है।

साधारण शब्दों में:- जिसे कुछ कहना हो, उसे स्पष्ट शब्दों में न कहकर अन्य को संबोधित करके इस प्रकार से कहा जाए कि उसे वास्तविक बात समझ में आ जाए, तो उसे ‘अन्योक्ति अलंकार’ कहते है।

अन्योक्ति अलंकार के उदाहरण

अन्योक्ति अलंकार के उदाहरण निम्न प्रकार है:-

उदाहरण 1

फूलों के आस-पास रहते है,
फिर भी काँटे उदास रहते है।

स्पष्टीकरण:- उपर्युक्त पंक्तियों में फूलों के माध्यम से कांटों की बात कही जा रही है। अतः यह ‘अन्योक्ति अलंकार’ का उदाहरण है।

उदाहरण 2

नहिं पराग नहिं मधुर मधु,
नहीं बिकास यहि काल।
अली कली ही तें बँध्यो,
आगे कौन हवाल।।

स्पष्टीकरण:- उपर्युक्त पंक्तियों के माध्यम से कवि बिहारी ने भौंरे पर निशाना साधकर महाराजा जयसिंह को उनकी यथार्थ स्थिति का आभास कराया। महाराजा जयसिंह अपनी छोटी रानी के प्रेम में इतने व्यस्त हो गए कि उन्होंने अपने राजकाज का ध्यान रखना तक छोड़ दिया। अतः यह ‘अन्योक्ति अलंकार’ का उदाहरण है।

उदाहरण 3

जिन दिन देखे वे कुसुम गई सु बीती बहार।
अब अली रही गुलाब में अपत कंटीली डार।।

स्पष्टीकरण:- उपर्युक्त दोहे में अलि (भंवरे) के माध्यम से कवि ने किसी गुणवान अथवा कवि की और संकेत किया है। जिसका आश्रय दाता अब पतझड़ के गुलाब की भांति पत्र पुष्पहीन (धनहीन) हो गया है। यहाँ गुलाब और भंवरे के माध्यम से आश्रित कवि और आश्रयदाता का वर्णन किया गया है। अतः यह ‘अन्योक्ति अलंकार’ का उदाहरण है।

उदाहरण 4

माली आवत देखकर,
कलियन करि पुकार।
फूले फूले चुनि लिए,
काल हमारि बार।।

उदाहरण 5

करि फुलेल को आचमन,
मीठो कहत सराहि।
ए गंधी मतिमंद तू,
अतर दिखावत काहि।।

अन्योक्ति अलंकार से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न

  1. अन्योक्ति अलंकार की परिभाषा क्या है?

    जब किसी अप्रस्तुत माध्यम से किसी प्रस्तुत (सच्चाई) का बोध कराया जाता है, तो वहाँ पर ‘अन्योक्ति अलंकार’ होता है। अर्थात अन्योक्ति = अन्य + उक्ति (अन्य = अन्य (दूसरे) के लिए। उक्ति = कथन। अर्थात अन्य (दूसरे) के लिए कथन।
    जहाँ पर किसी उक्ति के माध्यम से किसी अन्य को कोई बात कही जाती है, तो वहाँ पर ‘अन्योक्ति अलंकार’ होता है।
    साधारण शब्दों में:- जिसे कुछ कहना हो, उसे स्पष्ट शब्दों में न कहकर अन्य को संबोधित करके इस प्रकार से कहा जाए कि उसे वास्तविक बात समझ में आ जाए, तो उसे ‘अन्योक्ति अलंकार’ कहते है।

अंतिम शब्द

अंत में आशा करता हूँ कि यह लेख आपको पसंद आया होगा और आपको हमारे द्वारा इस लेख में प्रदान की गई अमूल्य जानकारी फायदेमंद साबित हुई होगी।

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