अपादान कारक की परिभाषा, नियम और उदाहरण

अपादान कारक की परिभाषा : Apadan Karak in Hindi:- आज के इस लेख में हमनें ‘अपादान कारक की परिभाषा’ से सम्बंधित जानकारी प्रदान की है।
यदि आप अपादान कारक से सम्बंधित जानकारी खोज रहे है? तो इस लेख को शुरुआत से अंत तक अवश्य पढ़े। तो चलिए शुरू करते है:-
अपादान कारक की परिभाषा : Apadan Karak in Hindi
अपादान का अर्थ ‘अलग होना’ होता है। संज्ञा व सर्वनाम के जिस रूप से किसी वस्तु के अलग होने का बोध होता है, उसे ‘अपादान कारक’ कहते है।
करण कारक की भांति ‘अपादान कारक’ का विभक्ति चिन्ह भी ‘से‘ है, लेकिन करण कारक में इसका अर्थ ‘सहायता’ होता है और अपादान कारक में ‘अलग होना’ होता है। इसकी पहचान ‘किससे’ जैसे प्रश्नवाचक शब्द से भी की जा सकती है।
अपादान कारक के उदाहरण
अपादान कारक के उदाहरण निम्न प्रकार है:-
उदाहरण 1
बच्चा छत से गिर पड़ा। |
स्पष्टीकरण:- उपर्युक्त उदाहरण में ‘गिरने’ की क्रिया ‘छत से’ हुई अथवा गिरकर बच्चा छत से अलग हो गया है। अतः यहाँ पर ‘छत से’ अपादान कारक है। जिस शब्द में अपादान का विभक्ति प्रत्यय प्रयुक्त होता है, उससे किसी दूसरी वस्तु के अलग होने का बोध होता है।
उदाहरण 2
गीता घोड़े से गिर पड़ी। |
स्पष्टीकरण:- उपर्युक्त उदाहरण में ‘गिरने’ की क्रिया ‘घोड़े से’ हुई अथवा गिरकर गीता घोड़े से अलग हो गई है। अतः यहाँ पर ‘घोड़े से’ अपादान कारक है। जिस शब्द में अपादान का विभक्ति प्रत्यय प्रयुक्त होता है, उससे किसी दूसरी वस्तु के अलग होने का बोध होता है।
अपादान कारक के प्रयोग के नियम
अपादान कारक के प्रयोग के सभी नियम निम्न प्रकार है:-
- अनुक्त और प्रेरक कर्ता कारक’ में ‘से’ विभक्ति-चिह्न का प्रयोग किया जाता है।
जैसे:-
मुझसे सेब खाया जाता है। (मेरे द्वारा) |
आपसे पुस्तक पढ़ी गई था। (आपके द्वारा) |
मुझसे चला नहीं जाता। |
वह मुझसे ख़त लिखवाती है। |
- क्रिया करने की रीति अथवा प्रकार बताने में भी ‘से’ विभक्ति-चिह्न का प्रयोग किया जाता है।
जैसे:-
धीरे (से) बोलो, कोई सुन लेगा। |
जहाँ भी रहो, खुशी से रहो। |
- मूल्यवाचक संज्ञा और प्रकृति बोध में ‘से’ विभक्ति-चिह्न का प्रयोग किया जाता है।
जैसे:-
कल्याण कंचन से मोल नहीं ले सकते हो। |
छूने से सर्दी मालूम होती है। |
वह देखने से युवक जान पड़ता है। |
- कारण, साथ, द्वारा, चिह्न, विकार, उत्पत्ति और निषेध में भी ‘से’ विभक्ति-चिह्न का प्रयोग किया जाता है।
जैसे:-
आलस्य से राम समय पर न आ सका। |
दया से अजय का हृदय मोम हो गया। |
गर्मी से विजय का चेहरा तमतमाया हुआ था |
जल में रहकर मगर से बैर रखना अच्छी बात नहीं। |
सुरेश एक आँख से काना और एक पाँव से लँगड़ा जो ठहरा। |
आप-से आप कुछ भी नहीं होता, मेहनत करो, मेहनत। |
दौड़-धूप से नौकरी नहीं मिलती, रिश्वत के लिए भी तैयार रहो। |
- अपवाद (विभाग) में ‘से’ विभक्ति-चिह्न का प्रयोग अपादान के लिए किया जाता है।
जैसे:-
वह ऐसे गिरा मानो आकाश से तारे। |
वह नजरों से ऐसे गिरा, जैसे पेड़ से पत्ते। |
- पूछना, दुहना, जाँचना, कहना, पकाना, आदि क्रियाओं के गौण कर्म में ‘से’ विभक्ति-चिह्न का प्रयोग किया जाता है।
जैसे:-
मैं आपसे पूछता हूँ, वहाँ क्या-क्या देखा है? |
भिखारी धनी से कहीं जाँचता तो नहीं है? |
मैं आपसे कईं बार कह चुकी हूँ। |
बाबर्ची चावल से भात पकाता है। |
- मित्रता, परिचय, अपेक्षा, आरंभ, परे, बाहर, रहित, हीन, दूर, आगे, पीछे, ऊपर, नीचे, अतिरिक्त, लज्जा, बचाव, डर, निकालना, आदि शब्दों के योग में ‘से’ विभक्ति-चिह्न का प्रयोग किया जाता है।
जैसे:-
राम अपने सभी भाईयों से अलग है। |
श्याम को इन सिद्धांतों से अच्छा परिचय है। |
धन से कोई श्रेष्ठ नहीं होता, विद्या से होता है। |
बुद्धिमान शत्रु बुद्धिहीन मित्रों से कहीं अच्छा होता है। |
मानव से तो कुत्ता भला जो कम-से-कम गद्दारी तो नहीं करता। |
घर से बाहर तक खोज डाला, कहीं नहीं मिला। |
विद्या और बुद्धि से हीन मानव पशु से भी बदतर है। |
अभी भी मँझधार से किनारा दूर है। |
यदि मैं पोल खोल दूं तो तुम्हें मित्रों से भी शर्माना पड़ेगा। |
भला मैं तुमसे क्यों डरूँ, तुम कोई बाघ हो जो खा जाओगे। |
अन्य लोगों को मैदान से बाहर निकाल दीजिए, तभी मैच देखने का आनंद मिलेगा। |
- स्थान और समय की दूरी बताने में भी ‘से’ विभक्ति-चिह्न का प्रयोग किया जाता है।
जैसे:-
अभी भी गरीबों से दिल्ली दूर है। |
आज से कितने दिन बाद आपका आगमन होगा? |
- क्रियाविशेषण के साथ भी ‘से’ विभक्ति-चिह्न का प्रयोग किया जाता है।
जैसे:-
आप कहाँ से टपक पड़े भाईजान? |
किधर से आगमन हो रहा है श्रीमान का? |
- पूर्वकालिक क्रिया के अर्थ में भी ‘से’ विभक्ति-चिह्न का प्रयोग किया जाता है।
जैसे:-
अजय ने पेड़ से बंदूक चलाई थी। (पेड़ पर चढ़कर) |
कोठे से देखो तो सब कुछ दिख जाएगा। (कोठे पर चढ़कर) |
- कुछ स्थानों पर ‘से’ विभक्ति-चिह्न लुप्त रहता है।
जैसे:-
बच्चा घुटनों चलता है। |
खिल गई मेरे दिल की कली आप-ही-आप। |
आपके सहारे ही तो मेरे दिन कटते है। |
साँप जैसे प्राणी पेट के बल चलते है। |
दूधो नहाओ, पूतो फलो। |
किसके मुँह खबर भेजी आपने? |
इस बात पर मैं तुम्हें जूते मारता। |
आप हमेशा इस तरह क्यों बोलते है? |
करण कारक तथा अपादान कारक में अंतर
करण कारक और अपादान कारक दोनों कारकों में ‘से‘ विभक्ति-चिह्न का प्रयोग होता है, लेकिन इन दोनों कारकों में मूलभूत अन्तर है, जो कि निम्नलिखित है:-
करण कारक | अपादान कारक |
---|---|
करण कारक क्रिया का साधन अथवा उपकरण है। कार्य सम्पन्न करने के लिए कर्ता जिस उपकरण अथवा साधन का प्रयोग करता है, उसे ‘करण कारक’ कहते है। | अपादान कारक में अलगाव का भाव निहित है। |
जैसे:- ‘मैं कलम से लिखता हूँ।’ वाक्य में कलम ‘लिखने’ का उपकरण है। अतः कलम शब्द का प्रयोग करण कारक में हुआ है। | जैसे:- ‘पेड़ से पत्ता गिरा।’ वाक्य में पत्ते के बजाय पेड़ में ‘अपादान कारक’ है, जो कि अलग हुआ है। उसमें अपादान कारक नहीं माना जाता है, अपितु जहाँ से अलग हुआ है, उसमें अपादान कारक होता है। |
अपादान कारक के अन्य उदाहरण
हिमालय से गंगा निकलती है। |
पेड़ से पत्ता गिरता है। |
अजय के हाथ से फल गिरता है। |
गंगा हिमालय से निकलती है। |
बच्चा छत से गिरा है। |
पेड़ से पत्ते गिरे। |
आसमान से बूँदें गिरी। |
विजय साँप से डरता है। |
दूल्हा घोड़े से गिर पड़ा। |
चूहा बिल से बाहर निकला। |
अपादान कारक से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न
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अपादान कारक की परिभाषा क्या है?
अपादान का अर्थ ‘अलग होना’ होता है। संज्ञा व सर्वनाम के जिस रूप से किसी वस्तु के अलग होने का बोध होता है, उसे ‘अपादान कारक’ कहते है।
करण कारक की भांति ‘अपादान कारक’ का विभक्ति चिन्ह भी ‘से‘ है, लेकिन करण कारक में इसका अर्थ ‘सहायता’ होता है और अपादान कारक में ‘अलग होना’ होता है। इसकी पहचान ‘किससे’ जैसे प्रश्नवाचक शब्द से भी की जा सकती है।
अंतिम शब्द
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नमस्कार, मेरा नाम सूरज सिंह रावत है। मैं जयपुर, राजस्थान में रहता हूँ। मैंने बी.ए. में स्न्नातक की डिग्री प्राप्त की है। इसके अलावा मैं एक सर्वर विशेषज्ञ हूँ। मुझे लिखने का बहुत शौक है। इसलिए, मैंने सोचदुनिया पर लिखना शुरू किया। आशा करता हूँ कि आपको भी मेरे लेख जरुर पसंद आएंगे।