बुडापेस्ट समझौता क्या है? पूरी जानकारी

बुडापेस्ट समझौता क्या है? : Budapest Memorandum in Hindi:- आज के इस लेख में हमनें ‘बुडापेस्ट समझौता’ से सम्बंधित जानकारी प्रदान की है।
यदि आप बुडापेस्ट समझौता से सम्बंधित जानकारी खोज रहे है? तो इस लेख को शुरुआत से अंत तक अवश्य पढ़े। तो चलिए शुरू करते है:-
बुडापेस्ट समझौता क्या है? : Budapest Memorandum in Hindi
आज आप सभी देख रहे होंगे कि किस प्रकार यूक्रेन पूरी दुनिया के देशों से मदद मांग रहा है? चूंकि, रूस की सेना ने यूक्रेन पर आक्रमण कर दिया है।
रूस की सेना यूक्रेन देश की सड़कों पर अपने हथियारों के साथ घूम रही है। आज अमेरिका जैसे देश भी रूस पर प्रतिबंध लगाने के अलावा कुछ नही कर पा रहे है। यूक्रेन के राष्ट्रपति ने पूरी दुनिया के देशों से मदद मांगी है।
अब आप सभी के मन मे एक प्रश्न होगा कि इस परमाणु तकनीक के युग मे जब अधिकांश देश परमाणु संपन्न है।
ऐसे में यूक्रेन इस दौड़ में पीछे कैसे रह गया? उसके पास परमाणु हथियार हथियार क्यों नहीं है? इन सभी का कारण है:- बुडापेस्ट समझौता।
बुडापेस्ट समझौता क्या है? : Budapest Memorandum in Hindi
बुडापेस्ट समझौते का नाम बुडापेस्ट इसलिए रखा गया क्योंकि यह समझौता हंगरी के बुडापेस्ट में हुआ था।
यह बात 1 दिसम्बर 1991 की है, जब सोवियत संघ का विघटन हुआ। उस समय यूक्रेन ने स्वयं को एक स्वतंत्र राष्ट्र घोषित कर दिया।
उस समय यूक्रेन USSR का दूसरा और विश्व का तीसरा सबसे शक्तिशाली देश हुआ करता था।
इसका सबसे बड़ा कारण था कि USSR ने अपने अधिकांश परमाणु हथियार यूक्रेन में ही तैयार किये थे। इसलिए, विघटन के बाद यूक्रेन दुनिया का तीसरा सबसे शक्तिशाली देश बनकर उभरा।
FAS अर्थात फेडरेशन ऑफ अमेरिकन साइंटिस्ट के अनुसार उस समय यूक्रेन के पास 3000 टैक्टिकल परमाणु हथियार मौजूद थे।
इन हथियारों का इस्तेमाल बड़े-बड़े नेवल शिप व सेना की गाड़ियों को उड़ाने के लिए किया जा सकता था।
इसके साथ उनके पास 2000 स्ट्रेटेजिक परमाणु हथियार मौजूद थे। जिनका उपयोग किसी भी शहर को पूरी तरह नष्ट करने के लिए किया जा सकता था।
5 जनवरी 1994 को हंगरी के एक शहर बुडापेस्ट में यह समझौता हुआ। अमेरिका ने ब्रिटेन, रूस, यूक्रेन, बेलारूस और कजाकिस्तान के साथ इस समझौता पर हस्ताक्षर किए।
इस समझौते के अनुसार कोई भी देश किसी भी युद्ध में परमाणु हथियार का इस्तेमाल नही करेगा।
इसके साथ-साथ रूस, अमेरिका और ब्रिटेन मिलकर यूक्रेन को इस बात के लिए मनाने में कामियाब हो जाते है कि वह अपने परमाणु हथियारों को नष्ट कर दे।
जिसके बदले में इन देशों ने यूक्रेन से यह वादा किया कि यूक्रेन पर कोई भी देश हथियारों का उपयोग नही करेगा। इसके साथ-साथ यह तीनों देश हर स्थिति में उसकी मदद करेंगे।
कभी भी उसके ऊपर किसी भी प्रकार का दबाव नहीं बनाया जाएगा। हमेशा उसकी सीमाओं का सम्मान किया जाएगा।
इसके बदले यूक्रेन ने अपने सभी परमाणु हथियारों को नष्ट कर स्वयं को गैर-परमाणु राष्ट्र बनने का वादा किया। 28 वर्ष पहले की गई यह गलती यूक्रेन के इतिहास की सबसे बड़ी गलती बनकर उभर रही है।
आज उसके भविष्य का कोई भी पता नही है। इस समझौते से जुड़े देशों की बात की जाए तो अमेरिका और ब्रिटेन कुछ भी नहीं कर पा रहे है। जबकि, यूक्रेन का पड़ोसी देश रूस आज उसका पूरा भूगोल बदल देना चाहता है।
अंतिम शब्द
अंत में आशा करता हूँ कि यह लेख आपको पसंद आया होगा और आपको हमारे द्वारा इस लेख में प्रदान की गई अमूल्य जानकारी फायदेमंद साबित हुई होगी।
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