अम्ल वर्षा पर निबंध

Essay on Acid Rain in Hindi

अम्ल वर्षा पर निबंध : Essay on Acid Rain in Hindi:- आज के इस लेख में हमनें ‘अम्ल वर्षा पर निबंध’ से सम्बंधित जानकारी प्रदान की है।

यदि आप अम्ल वर्षा पर निबंध से सम्बंधित जानकारी खोज रहे है? तो इस लेख को शुरुआत से अंत तक अवश्य पढ़े। तो चलिए शुरू करते है:-

अम्ल वर्षा पर निबंध : Essay on Acid Rain in Hindi

प्रस्तावना:-

अम्लीय वर्षा वह वर्षा होती है, जिसमें ऐसी गैसें मिली हुई होती है, जो इस प्रकृति को नुकसान पहुँचाती है। यें गैसें मुख्यतः कार्बन-डाई-ऑक्साइड, नाइट्रोजन, ऑक्साइड एवं सल्फर-डाई-ऑक्साइड होती है।

जब वातावरण में इनकी मात्रा अधिक हो जाती है, तो यें वर्षा के जल में मिलकर अम्लीय वर्षा करते है। मनुष्यों द्वारा कईं ऐसी वस्तुओं का उपयोग किया जाता है, जिससे सल्फर व नाइट्रोजन जैसी गैसें निकलती है।

जब यें गैसें वातावरण में ऑक्सीजन के सम्पर्क में आती है, तो यें उससे क्रिया करके नाइट्रोजन, ऑक्साइड एवं सल्फर-डाई-ऑक्साइड बना देती है, जो इस प्रकृति के लिए हानिकारक होती है।

जब वर्षा होती है, तो यें गैसें उस पानी में मिल जाती है, यही अम्लीय वर्षा कहलाती है। अम्लीय वर्षा इस प्रकृति व इसके जीवों के लिए काफी हानिकारक होती है।

अम्लीय वर्षा, बारिश के अतिरिक्त औले, बर्फ व कोहरे के साथ मिलकर भी पृथ्वी पर आ जाते है।

अम्लीय वर्षा के कारण:-

  • प्रदूषण:- अम्लीय वर्षा का मुख्य कारण मनुष्य द्वारा फैलाया जाने वाला प्रदूषण है। आज हर जगह मनुष्य ने अपने छोटे से छोटे स्वार्थ को पूरा करने के लिए इस धरती को प्रदूषण के अंधकार में धकेल दिया है। इसी बढ़ते प्रदूषण के कारण आज वर्षा का जल भी अम्लीय होने लगा है, जो प्रत्येक जीव के लिए हानिकारक है।
  • वाहनों के उपयोग:- आज प्रत्येक घर में व हर किसी व्यक्ति के पास वाहन है। यह वाहन जितनी सुविधा हमें देते है, उतने ही इस प्रकृति के लिए घातक होते है। इससे निकलने वाली गैसें इस प्रकृति में प्रदूषण फैलाती है, जिनके कारण ही अम्लीय वर्षा हो रही है। वाहन इस प्रकृति को सभी प्रकार से नुकसान पहुँचा रहे है।
  • ज्वालामुखी विस्फोट:- दुनिया में कईं ऐसी जगहें मौजूद है, जहाँ बड़े-बड़े ज्वालामुखी है। जिनके फटने से कईं जहरीली गैसें निकलती है, जो इस वातावरण में प्रदूषण फैलाने का कार्य करती है, इससे भी अम्लीय वर्षा होती है।
  • कारखानों से :- आज मनुष्य द्वारा प्रत्येक वस्तु के कारखाने लगाए जा रहे है। जिनमें ऐसे कार्य किये जाते है, जिससे ऐसी गैसें निकलती है, जो इस पर्यावरण को प्रदूषित करती है। प्रदूषण के बढ़ने से भी अम्लीय वर्षा होती है। जो इस प्रकृति को नुकसान पहुंचा रही है।
  • AC व फ्रिज के उपयोग से:- आज मनुष्य सुविधाओं के लिए कईं वस्तुएँ उपयोग कर रहा है, जिनसे विभिन्न प्रकार की हानिकारक गैसें निकलती है, जो जीव-जन्तुओं के लिए हानिकारक होती है। यें गैसे वर्षा के जल से मिलकर अम्लीय वर्षा करती है।

अम्लीय वर्षा के दुष्परिणाम:-

  • अम्लीय वर्षा के जल में भीगने से मनुष्य को विभिन्न प्रकार की शारीरिक बीमारियाँ होती है।
  • अम्लीय वर्षा पेड़-पौधों के लिए हानिकारक होती है। इससे पेड़-पौधे ख़राब और ख़त्म हो जाते है।
  • वर्षा का पानी नदियों में जाने से उसका पानी भी अम्लीय हो जाता है। जिससे वह पीने योग्य नहीं रहता है और उसमें रहने वाले जीव-जंतु भी इससे प्रभावित होते है।
  • अम्लीय वर्षा मकानों व इमारतों को भी नुकसान पहुँचाती है। इससे घर और इमारतें कमजोर होने लगते है और समय से पहले ही झरझराकर गिर जाते है। इससे ताजमहल की सुंदरता भी कम हो रही है।
  • अम्लीय वर्षा से फसलें भी खराब हो जाती है, जिससे किसानों का काफी नुकसान होता है।
  • अम्लीय वर्षा से मनुष्य को श्वास संबंधित बीमारियाँ भी होती है।
  • अम्लीय वर्षा से मृदा प्रदूषण भी बढ़ता है। यह मिट्टी के उपजाऊपन को भी कम करती है।
  • अम्लीय वर्षा इस प्रकृति को विभिन्न प्रकार से नुकसान पहुँचाती है।

अम्लीय वर्षा को रोकने के उपाय:-

  • प्रदूषण कम करना:- यदि हमें अम्लीय वर्षा को रोकना है, तो हमें इस प्रकृति से प्रदूषण को कम करना होगा। यदि प्रदूषण कम होगा तो अम्लीय वर्षा भी नहीं होगी। हमें प्रदूषण को कम करने के लिए आवश्यक कदम उठाने चाहिए। जैसे:- प्लास्टिक का उपयोग कम करना, अधिक वृक्षारोपण करना एवं ऐसी वस्तुओं का उपयोग कम करना जो पर्यारण को प्रदूषित करती है।
  • वाहनों का उपयोग कम करना:- हमें वाहनों का उपयोग तभी करना चाहिए, जब हमें इसकी अधिक आवश्यकता हो। जितना हो सके, इनका उपयोग कम करें। कम दूरी होने पर वाहनों की जगह पैदल ही जाना चाहिए और ज्यादातर सार्वजनिक वाहनों का ही उपयोग करना चाहिए।
  • वृक्षारोपण करना:- पेड़-पौधे इस प्रकृति को जीवन प्रदान करते है। यें पर्यावरण से कार्बन-डाई-ऑक्साइड ग्रहण कर ऑक्सीजन छोड़ते है, जिससे पर्यावरण में संतुलन बना रहता है।

उपसंहार:-

अम्लीय वर्षा से जल प्रदूषण भी बढ़ रहा है। यदि हमें अम्लीय वर्षा को रोकना है, तो हमें इसके लिए सभी आवश्यक कदम उठाने होंगे। हमें इस प्रकृति को बचाने के लिए अम्लीय वर्षा से बचना होगा।

अम्लीय वर्षा नाइट्रोजन, ऑक्साइड एवं सल्फर-डाई-ऑक्साइड की वजह से ही होती है। यदि हम ऐसी वस्तुओं का उपयोग कम कर दें, जिनसे इस तरह की गैसें उत्पन्न होती है, तो अम्लीय वर्षा कम हो जाएगी।

अंतिम शब्द

अंत में आशा करता हूँ कि यह लेख आपको पसंद आया होगा और आपको हमारे द्वारा इस लेख में प्रदान की गई अमूल्य जानकारी फायदेमंद साबित हुई होगी।

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