दहेज़ प्रथा पर निबंध

दहेज़ प्रथा पर निबंध : Essay on Dowry System in Hindi:- आज के इस लेख में हमनें ‘दहेज़ प्रथा पर निबंध’ से सम्बंधित जानकारी प्रदान की है।
यदि आप दहेज़ प्रथा पर निबंध से सम्बंधित जानकारी खोज रहे है? तो इस लेख को शुरुआत से अंत तक अवश्य पढ़े। तो चलिए शुरू करते है:-
दहेज़ प्रथा पर निबंध : Essay on Dowry System in Hindi
प्रस्तावना:-
दहेज़ एक ऐसी प्रथा है, जिसमें विवाह के समय लड़की के परिवार वाले लड़के को धन राशि, जेवर, फर्नीचर और भी कईं कीमती सामान देते है, इसे ही दहेज़ कहा जाता है।
इसे लड़की के नए जीवन के शुरू होने पर उसको दिया जाता है, लेकिन इसे एक प्रथा की तरह बना दिया गया। लड़की के माता-पिता को चाहे अपनी सम्पत्ति बेचनी ही क्यों न पड़े, तब भी उन्हें दहेज़ देना पड़ता है।
यदि एक लड़की के परिवार वाले दहेज़ नहीं दे पाते है, तो कईं बार लड़की के साथ उसके ससुराल वाले बुरा व्यवहार करते है। उसे दहेज़ लाने के लिए मजबूर किया जाता है।
दहेज़ समाज के लिए अभिशाप:-
दहेज़ इस समाज के लिए एक अभिशाप बनकर रह गया है। वर्तमान समय में दहेज़ के कारण समाज में ऐसी घटनाएं हो रही है, जो हमारे लिए शर्म की बात है।
कईं बार जब लड़की के परिवार वाले शादी में दहेज़ नहीं दे पाते है, तो लड़के वाले शादी को ही तोड़ देते है और यदि शादी हो भी जाती है, तो लड़के के परिवार वाले लड़की को दहेज़ के लिए परेशान करते है।
यह समस्या समाज में काफी अधिक बढ़ गई है। इस समाज में एक लड़की को वस्तु की तरह बेचा जाता है और उसकी एक कीमत लगाई जाती है।
यदि एक लड़की के परिवार वाले आर्थिक रूप से कमजोर है, तो उन्हें लड़की की शादी करने में कईं समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
कईं बार लड़की के माँ-बाप अपनी बेटी की शादी के लिए अपने जीवनभर की जमा पूंजी लगाने के साथ-साथ अपने घर को भी बेच देते है, तब जाकर उसकी शादी कर पाते है।
इस समाज में एक लड़की को रीति-रिवाज में बांधकर रख दिया गया है, जिससे उसका बाहर निकलना काफी मुश्किल है।
दहेज प्रथा के दुष्परिणाम:-
- लड़की के साथ अत्याचार:- इस समाज में एक लड़की के साथ कईं तरह के अत्याचार किये जाते है। जब एक लड़की के माता-पिता शादी में दहेज़ नहीं दे पाते है, तो उस लड़की को इसका परिमाण भुगतना पड़ता है। लड़की को शारीरिक व मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जाता है। कईं बार तो लड़की को अपनी जान भी गंवानी पड़ती है और कईं बार लड़की को जिन्दा ही जला दिया जाता है।
- कन्या भ्रूण हत्या:- एक लड़की के विवाह में उसके माता-पिता को काफी दहेज़ देना पड़ता है। जब उसके माता-पिता के पास देने के लिए इतना नहीं होता है, तो वह लड़की के पैदा होने से पहले ही उसे गर्भ में ही मार देते है। कन्या भ्रूण हत्या का मुख्य कारण दहेज प्रथा है। दहेज़ के बिना उस लड़की का विवाह करना काफी मुश्किल होता है।
- अपराध का बढ़ना:- दहेज़ प्रथा कहीं न कहीं अपराध को बढ़ावा देती है। जब लड़के वालों को दहेज़ नहीं मिलता है, तो वह दहेज़ पाने के लिए अपराध का रास्ता चुनने लगते है। ऐसे अपराध में कईं बार लड़की की जान चली जाती है। कईं बार ऐसा भी होता है कि लड़की के माँ-बाप अपनी बेटी को दहेज देने के लिए अपराध का रास्ता चुनते है, जिससे उन्हें पैसे मिल सके और वें अपनी बेटी का विवाह कर सके।
- लड़की के साथ दुर्व्यवहार:- दहेज़ प्रथा के कारण कईं लड़कियों का जीवन दुर्भर हो जाता है। दहेज़ न देने पर उसके साथ जानवरों जैसा व्यवहार किया जाता है, उसे मारा-पीटा जाता है और खाना भी नहीं दिया जाता है। कईं बार लड़कियां इससे परेशान होकर स्वयं ही अपने प्राण त्याग देती है और कईं बार उसके ससुराल वाले ही उसे मार देते है या जिन्दा जला देते है।
दहेज़ प्रथा को रोकने के उपाय:-
- कानून को सख्त करना:- वैसे तो देश में इसके खिलाफ कानून बना हुआ है, लेकिन अभी भी दहेज़ प्रथा बिना किसी डर के चली जा रही है। इसे रोकने लिए बने हुए कानून को और अधिक सख्त करने की आवश्यकता है, ताकि लोग ऐसा अपराध करने से पहले एक बार अवश्य सोचें। कानून को सख्त करके ही इसे रोका जा सकता है।
- लोगों को जागरूक करना:- लोगों को इसके प्रति जागरूक करने की आवश्यकता है। दहेज़ प्रथा एक गैर-कानूनी अपराध है। फिर भी लोग इसे आगे बढ़ा रहे है, इसका मुख्य कारण लोग इसके प्रति जागरूक नहीं है। यदि सभी लोग इसके प्रति जागरूक हो जायेंगे, तो न कोई दहेज़ लेगा और न ही कोई दहेज देगा।
- शिक्षा को बढ़ावा देना:- यदि एक लड़की पढ़ी-लिखी होगी, तो उसे कानून और अपने अधिकारों की जानकारी होगी। वह दहेज़ प्रथा के खिलाफ अपनी आवाज उठा सकती है और यदि उसके साथ किसी भी तरह का अत्याचार होगा, तो वह उसके लिए अपनी आवाज उठाने में सक्षम होगी। शिक्षा से ही इस समाज की सोच में परिवर्तन आएगा।
उपसंहार:-
इस समाज में दहेज प्रथा एक सामान्य घटना बनी हुई है। यह सदियों से हमारे देश में एक प्रथा की तरह चली आ रही है, लेकिन अब यह एक अपराध की श्रेणी में आता है। कुछ लोग दहेज़ प्रथा को सही मानते है।
उनकी नजर में दहेज लेना कोई बड़ी बात नहीं है। उन्होंने अपने बेटे को इतना पाला, पोषा और पढ़ाया है। इसलिए यह उनका अधिकार है, लेकिन वें यह भूल जाते है कि एक लड़की के माँ-बाप ने भी उसे पाला है।
हमें इस सोच को बदलना चाहिए और इसके ख़िलाफ़ आवाज उठानी चाहिए। इसे एक बड़े अपराध की तरह ही माना जाना चाहिए। तभी जाकर हमारा यह समाज दहेज से मुक्त हो पाएगा।
अंतिम शब्द
अंत में आशा करता हूँ कि यह लेख आपको पसंद आया होगा और आपको हमारे द्वारा इस लेख में प्रदान की गई अमूल्य जानकारी फायदेमंद साबित हुई होगी।
अगर इस लेख के द्वारा आपको किसी भी प्रकार की जानकारी पसंद आई हो तो, इस लेख को अपने मित्रों व परिजनों के साथ फेसबुक पर साझा अवश्य करें और हमारे वेबसाइट को सबस्क्राइब कर ले।

नमस्कार, मेरा नाम सूरज सिंह रावत है। मैं जयपुर, राजस्थान में रहता हूँ। मैंने बी.ए. में स्न्नातक की डिग्री प्राप्त की है। इसके अलावा मैं एक सर्वर विशेषज्ञ हूँ। मुझे लिखने का बहुत शौक है। इसलिए, मैंने सोचदुनिया पर लिखना शुरू किया। आशा करता हूँ कि आपको भी मेरे लेख जरुर पसंद आएंगे।