सूखा पर निबंध

Essay on Drought in Hindi

सूखा पर निबंध : Essay on Drought in Hindi:- आज के इस लेख में हमनें ‘सूखा पर निबंध’ से सम्बंधित जानकारी प्रदान की है।

यदि आप सूखा पर निबंध से सम्बंधित जानकारी खोज रहे है? तो इस लेख को शुरुआत से अंत तक अवश्य पढ़े। तो चलिए शुरू करते है:-

सूखा पर निबंध : Essay on Drought in Hindi

प्रस्तावना:-

भारत में कईं ऐसी जगहें है, जहाँ समय-समय पर सूखा पड़ता है। जब किसी जगह पर पानी का स्तर कम हो जाता है या किसी स्थान पर काफी लम्बे समय तक वर्षा नहीं होती है, तो वहाँ पर धीरे-धीरे जल का स्तर कम होता जाता है, फलस्वरूप वहाँ सूखा पड़ने लगता है।

उस जगह मौजूद सभी नदियाँ व तालाब पूरी तरह से सुख जाते है व जमीनी जल का स्तर भी नीचे जाने लगता है। सूखा पड़ने से सभी जीव-जन्तुओं को भी काफी समस्या का सामना करना पड़ता है।

सूखा पड़ने के कारण:-

  • वर्षा का न होना:- जब किसी जगह पर काफी लम्बे समय तक वर्षा नहीं होती है, तो उस जगह पर सूखा पड़ने लगता है। वर्षा का न होना भी सूखा पड़ने का सबसे बड़ा कारण है।
  • वनों की कटाई:- जब वनों को काट दिया जाता है, तो वर्षा का पानी जमीन में नहीं जा पाता है। वह पानी जमीन में न जाकर ऊपर से ही बह जाता है क्योंकि, जमीन में पानी जाने के लिए पेड़-पौधों की आवश्यकता होती है। पेड़ मिट्टी के कटाव को रोककर पानी को रोकते है। पेड़ों के न होने से जल रुक नही पाता है और इससे जमीन में पानी का स्तर कम हो जाता है व वहाँ पर सूखा पड़ने लगता है।
  • तापमान में वृद्धि:- जब कभी तापमान में वृद्धि होती है, तो पानी का वाष्पीकरण बढ़ जाता है और पानी का स्तर कम हो जाता है। इससे वहाँ सूखा पड़ने लगता है।

सूखे के प्रभाव:-

  • पीने के पानी की कमी:- जब किसी स्थान पर सूखा पड़ता है, तो वहाँ पर सबसे पहले पीने के पानी की समस्या उत्पन्न हो जाती है। वहाँ पर लोग पीने के थोड़े से पानी के लिए भी काफी किलोमीटर दूर जाकर पानी को लाना पड़ता है।
  • पेड़-पौधों का सुखना:- जब कभी सूखा पड़ता है, तो वहां के पेड़-पौधे भी सुख जाते है। वहाँ हरियाली भी पूरी तरह से ख़त्म हो जाती है। जिससे शाकाहारी जानवरों के भोजन पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है।
  • जमीन बंजर होना:- बारिश न होने से जमीन पूरी तरह सुख जाती है और इन जमीनों में किसी तरह की खेती नहीं हो पाती है। इसे ही जमीन का बंजर होना कहते है।
  • अकाल पड़ना:- सुखा पड़ने से जमीन में पानी का स्तर बिलकुल ख़त्म हो जाता है, जिससे पानी की समस्या पैदा हो जाती है और भूखमरी फैलने लगती है और उस जगह अकाल पड़ जाता है।
  • कृषि पर सूखे का प्रभाव:- सूखा पड़ने से जमीन में पानी का स्तर बहुत कम हो जाता है, जिससे कृषि पर भी बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। फ़सलें पूरी तरह नष्ट हो जाती है। इससे किसानों को काफी नुकसान होता है और उनकी सारी मेहनत बर्बाद हो जाती है।
  • भूखमरी फैलना:- जब सूखा पड़ जाता है, तो पीने के पानी की समस्या भी बढ़ जाती है और फसलें भी पूरी तरह से सुख जाती है, जिससे लोगों को भूखमरी का सामना करना पड़ता है।

सूखा रोकने के उपाय:-

  • वर्षा के जल को एकत्रित करना:- जब वर्षा होती है, तो उसके जल को एकत्रित करना चाहिए या उसका सही उपयोग करना चाहिए। आज कईं तकनीकी ऐसी आ गई है, जिनके माध्यम से वर्षा के जल को एकत्रित करने के बाद उस पानी को साफ करने के बाद पीने के लिए भी काम में लिया जा सकता है।
  • अधिक वृक्षारोपण करना:- हमें अधिक से अधिक से पेड़-पौधे लगाने चाहिए क्योंकि, जहाँ पेड़-पौधे होते है वहाँ सूखा आसानी से नहीं पड़ता है। पेड़-पौधे जमीन में नमी को बनाए रखते है और जहाँ पेड़-पौधे होते है वहां वर्षा भी अधिक होती है।
  • पेड़-पौधों की कटाई रोकना:- पेड़-पौधों की कटाई से बारिश का पानी ज़मीन के अंदर नहीं जा पाता है, जिससे सूखा पड़ता है। इसलिए, हमें पेड़-पौधों को नहीं काटना चाहिए।

उपसंहार:-

यह एक प्राकृतिक आपदा है। सूखा हर जीव को नुकसान पहुँचाता है। इससे जीवों में भूखमरी भी फैल जाती है। यें जीव-जन्तुओं के साथ-साथ इस प्रकृति को भी काफी नुकसान पहुँचाती है।

हम सभी को सूखे को रोकने के लिए मजबूत कदम उठाने होंगे। हमें बारिश के पानी का सही उपयोग करना चाहिए।

इसके साथ ही हमें अधिक से अधिक पेड़-पौधे लगाने चाहिए और उनकी देखभाल भी करनी चाहिए। इसी से यह प्रकृति अपनी सुंदरता बनाए रखेगी और जीवों का अस्तित्व भी बना रहेगा।

अंतिम शब्द

अंत में आशा करता हूँ कि यह लेख आपको पसंद आया होगा और आपको हमारे द्वारा इस लेख में प्रदान की गई अमूल्य जानकारी फायदेमंद साबित हुई होगी।

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