ख़ुशी पर निबंध

ख़ुशी पर निबंध : Essay on Happiness in Hindi:- आज के इस लेख में हमनें ‘ख़ुशी पर निबंध’ से सम्बंधित जानकारी प्रदान की है।
यदि आप ख़ुशी पर निबंध से सम्बंधित जानकारी खोज रहे है? तो इस लेख को शुरुआत से अंत तक अवश्य पढ़े। तो चलिए शुरू करते है:-
ख़ुशी पर निबंध : Essay on Happiness in Hindi
प्रस्तावना:-
ख़ुशी एक भावना है, जिसे सिर्फ महसूस ही किया जा सकता है। जब व्यक्ति आनंद में होता है, तो उसे ही ख़ुशी की संज्ञा दी जाती है। जब व्यक्ति किसी बात अथवा वस्तु से संतुष्ट होता है, तो व्यक्ति खुश महसूस करता है।
ख़ुशी जीवन का एक हिस्सा है। ख़ुशी और दुःख तो आते-जाते रहते है। इनके बिना जीवन सम्भव ही नहीं है। कभी व्यक्ति खुश रहता है तो कभी दुखी रहता है।
जीवन में ख़ुशी का महत्व:-
ख़ुशी का व्यक्ति के जीवन में काफी महत्व है। ख़ुशी के बिना जीवन अधूरा होता है। खुश व्यक्ति एक स्वस्थ जीवन जीता है। दुःख से व्यक्ति का स्वास्थ्य भी खराब हो जाता है।
दुःख में व्यक्ति जीवन का असली मजा नहीं ले पाता है, क्योंकि वह हमेशा अपने दुःख के बारे में ही सोचता रहता है।
ख़ुशी के लिए आवश्यक:-
1. सकारात्मकता:-
मनुष्य को यदि जीवन मे खुश रहना है, तो उसे हमेशा सकारात्मक रहना चाहिए। उसके विचार व मन हमेशा सकारात्मक होने चाहिए।
सकारात्मकता से जीवन मे ख़ुशी का अनुभव रहता है और नकारात्मकता से जीवन मे दुःख रहता है। मनुष्य को अपने आप को नकारात्मकता से दूर रखना चाहिए। ख़ुशी के लिए आवश्यक है कि आप अपने आसपास कि प्रत्येक वस्तु के बारे मे अच्छा सोंचे।
2. वर्तमान मे रहना:-
खुश रहने के लिए आवश्यक है कि हम वर्तमान मे अपना जीवन जीये। आज मनुष्य भूत अथवा भविष्य के लिए ही परेशान रहता है। वह हमेशा या तो भूतकाल मे हुई किसी घटना के बारे मे सोचता रहता है या फिर भविष्य मे होने वाले किसी कार्य के बारे मे ही चिन्तित रहता है।
इन सभी चिन्ताओं में वह अपना वर्तमान ही नहीं जी पाता है। इसलिए यदि हमें खुश रहना है, तो हमें भूत व भविष्य की चिन्ताओं को छोड़कर अपने वर्तमान को जीना चाहिए।
3. संतुष्ट होना:-
मनुष्य सबसे ज्यादा दुःखी इसलिए रहता है, क्योंकि उसमें संतुष्टि नहीं है। उसके पास जो भी होता है, वह उनमें संतुष्ट नहीं होकर अधिक की कामना करता है और जब उसे अधिक नहीं मिलता है, तो वह दुःखी हो जाता है।
पैसे से ख़ुशी नहीं मिलती:-
हम काफी अधिक धन कमाकर भी ख़ुशी प्राप्त नहीं कर सकते है, क्योंकि धन से ख़ुशी नहीं मिलती है। मनुष्य को ख़ुशी तब मिलती है, जब उसकी मन की इच्छाएं पूरी होती है।
आज व्यक्ति धन के पीछे भागता रहता है और सोचता है कि उसे धन प्राप्त करके ख़ुशी मिल जाएगी। इस दौड़ में व्यक्ति अपने परिवार व भला चाहने वाले लोगों को पीछे छोड़ देता है और उनसे दूर हो जाता है।
लेकिन, उसे वह धन प्राप्त करने के बाद भी खुशी नहीं मिल पाती है। हमें असली ख़ुशी अपने परिवार के साथ समय बिताने से मिलती है।
उपसंहार:-
ख़ुशी व दुःख इस जीवन के दो पहलू है। यह दोनों जीवन मे आते-जाते रहते है। खुश रहने के लिए हमें हमेशा ही सकारात्मक माहौल मे रहना चाहिए और स्वयं भी सकारात्मक ही रहना चाहिए।
अंतिम शब्द
अंत में आशा करता हूँ कि यह लेख आपको पसंद आया होगा और आपको हमारे द्वारा इस लेख में प्रदान की गई अमूल्य जानकारी फायदेमंद साबित हुई होगी।
अगर इस लेख के द्वारा आपको किसी भी प्रकार की जानकारी पसंद आई हो तो, इस लेख को अपने मित्रों व परिजनों के साथ फेसबुक पर साझा अवश्य करें और हमारे वेबसाइट को सबस्क्राइब कर ले।

नमस्कार, मेरा नाम सूरज सिंह रावत है। मैं जयपुर, राजस्थान में रहता हूँ। मैंने बी.ए. में स्न्नातक की डिग्री प्राप्त की है। इसके अलावा मैं एक सर्वर विशेषज्ञ हूँ। मुझे लिखने का बहुत शौक है। इसलिए, मैंने सोचदुनिया पर लिखना शुरू किया। आशा करता हूँ कि आपको भी मेरे लेख जरुर पसंद आएंगे।