लाल बहादुर शास्त्री पर निबंध

लाल बहादुर शास्त्री पर निबंध : Essay on Lal Bahadur Shastri in Hindi:- आज के इस लेख में हमनें ‘लाल बहादुर शास्त्री पर निबंध’ से सम्बंधित जानकारी प्रदान की है।
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लाल बहादुर शास्त्री पर निबंध : Essay on Lal Bahadur Shastri in Hindi
प्रस्तावना:-
भारत में ऐसे कईं महापुरुषों का जन्म हुआ है, जिन्होंने देश को आजाद करवाने में अपना बहुत महत्वपूर्ण योगदान दिया। इनमें से कुछ लोग ऐसे भी थे, जिन्होंने देश को आजाद करवाने में अपने प्राणों की कुर्बानी भी दे दी।
जबकि, कुछ महापुरुष ऐसे भी थे, जिन्होंने आज़ाद भारत को नई राह दिखाई। जिस राह पर चलकर हमारा देश आज इतनी ऊँचाइयों पर है।
उन्हीं में से एक व्यक्ति लाल बहादुर शास्त्री जी थे। लाल बहादुर शास्त्री जी ने पंडित जवाहरलाल नेहरु के बाद देश को संभाला। जिन्होंने अपने कुशल नेतृत्व में सिर्फ 18 वर्ष पहले आजाद देश को युद्ध के लिए तैयार कर दिया।
लाल बहादुर शास्त्री का शुरुआती जीवन:-
आप सभी जानते है कि 2 अक्टूबर को गांधी जयंती मनाई जाती है। इसी दिन एक और महापुरुष का जन्म हुआ था, जिनका नाम लाल बहादुर शास्त्री था।
लाल बहादुर शास्त्री का जन्म 2 अक्टूबर 1904 में वाराणसी के मुगलसराय में हुआ था। उनका जन्म एक कायस्थ परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम मुंशी शारदा प्रसाद श्रीवास्तव था। वह पेशे से एक वकील थे।
लोग उन्हें सम्मान से मुंशी भी कहते थे। उनकी माता का नाम रामदुलारी था। जब वह मात्र 18 माह के थे, तो उनके पिता का निधन हो गया।
उसके बाद उनकी माता उन्हें लेकर अपने पिता के घर मिर्जापुर चली गई। थोड़े समय बाद उनके नाना का भी निधन हो गया। नन्हें बच्चे के पालन-पोषण में उनके मौसा ने उनकी काफी मदद की।
शिक्षा, विवाह व परिवार:-
उन्होंने अपनी शुरुआती शिक्षा अपने ननिहाल से ही पूरी की। उसके बाद उन्होंने आगे की शिक्षा हरिश्चन्द्र हाई स्कूल और काशी विद्यापीठ से की।
काशी विद्यापीठ ही वह जगह थी, जहाँ उन्हें शास्त्री उपनाम मिला। जिसके बाद उन्होंने अपने पारिवारिक उपनाम श्रीवास्तव को हटा दिया।
उन्होंने संस्कृत भाषा में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। उसके बाद सन 1928 में उनका विवाह मिर्जापुर निवासी गणेश प्रसाद जी की पुत्री ललिता से हो गया, जिनसे उनकी 6 संतानें हुई।
राजनैतिक जीवन:-
वह गांधी जी से बहुत प्रभावित थे। उन्होंने प्रमुख आंदोलन, जो कि सन 1921 का असहयोग आंदोलन, सन 1930 का दांडी मार्च तथा सन 1942 का भारत छोड़ो आन्दोलन में अपनी अहम भूमिका निभाई थी।
वह राजनीति में पुरुषोत्तमदास टंडन और पण्डित गोविंद वल्लभ पंत के अतिरिक्त पंडित जवाहरलाल नेहरू से काफी अधिक प्रभावित हुए।
वह कांग्रेस में काम करते हुए एक के बाद एक सीढियाँ चढ़ते रहे और पंडित जवाहरलाल नेहरु के मंत्रिमंडल में गृहमंत्री बन गए। नेहरु जी के निधन के बाद वह भारत के दूसरे प्रधानमंत्री भी बने।
प्रधानमंत्री का कार्यालय:-
नेहरूजी के निधन के बाद सन 1964 में उन्हें भारत का प्रधानमंत्री बना दिया गया। उन्होंने देश के विकास में कुछ अहम कदम उठाए।
सन 1965 में पाकिस्तान ने भारत पर आक्रमण कर दिया। इस युद्ध में उन्होंने जय जवान जय किसान का नारा दिया। इस आक्रमण ने भारत की अर्थव्यवस्था को काफी नुकसान पहुँचाया।
इस पर शास्त्री जी ने पूरे देश को संबोधित करते हुए कहा कि मेरे देशवासियों हमें कुछ दिन सिर्फ एक समय का खाना ही खाना होगा। इस युद्ध में भारत ने बड़ी वीरता से पाकिस्तान के लाहौर तक कब्जा कर लिया।
उपसंहार:-
शास्त्री जी एक बहुत ही सभ्य व्यक्ति थे। उनमें देशप्रेम की भावना कूट-कूटकर भरी हुई थी। वह गांधीवादी विचारधारा के व्यक्ति थे।
उनकी मृत्यु 11 जनवरी 1966 को उज्बेकिस्तान की राजधानी ताशकंद में हुई, जब वह भारत-पाकिस्तान युद्ध-विराम समझौते के लिए गए हुए थे।
माना जाता है कि वह कईं मुद्दों पर अड़े हुए थे, लेकिन रूस व अमेरिका के दबाव में आकर उन्होंने ताशकंद समझौते पर हस्ताक्षर कर दिए।
उसी रात उनकी मृत्यु हो गई। कईं लोग उनकी मृत्यु को हत्या बताते है, तो कुछ आकस्मिक बताते है। 2 अक्टूबर को उनके जन्मदिवस के मौके पर शास्त्री जयंती मनाई जाती है। वहीं 11 जनवरी को लाल बहादुर शास्त्री स्मृति दिवस मनाया जाता है।
अंतिम शब्द
अंत में आशा करता हूँ कि यह लेख आपको पसंद आया होगा और आपको हमारे द्वारा इस लेख में प्रदान की गई अमूल्य जानकारी फायदेमंद साबित हुई होगी।
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नमस्कार, मेरा नाम सूरज सिंह रावत है। मैं जयपुर, राजस्थान में रहता हूँ। मैंने बी.ए. में स्न्नातक की डिग्री प्राप्त की है। इसके अलावा मैं एक सर्वर विशेषज्ञ हूँ। मुझे लिखने का बहुत शौक है। इसलिए, मैंने सोचदुनिया पर लिखना शुरू किया। आशा करता हूँ कि आपको भी मेरे लेख जरुर पसंद आएंगे।