ध्वनि प्रदूषण पर निबंध

Essay on Noise Pollution in Hindi

ध्वनि प्रदूषण पर निबंध : Essay on Noise Pollution in Hindi:- आज के इस लेख में हमनें ‘ध्वनि प्रदूषण पर निबंध’ से सम्बंधित जानकारी प्रदान की है।

यदि आप ध्वनि प्रदूषण पर निबंध से सम्बंधित जानकारी खोज रहे है? तो इस लेख को शुरुआत से अंत तक अवश्य पढ़े। तो चलिए शुरू करते है:-

ध्वनि प्रदूषण पर निबंध : Essay on Noise Pollution in Hindi

प्रस्तावना:-

जब हम किसी व्यक्ति से बात करते है, तो हमें जो उसकी आवाज सुनाई देती है, वही ध्वनि है। इस संसार की प्रत्येक वस्तु से किसी न किसी प्रकार की ध्वनि अवश्य निकलती है।

इन ध्वनियों के कारण ही हम एक-दूसरे की बातें समझ पाते है। ध्वनि हमारे विचारों के आदान-प्रदान को काफी सरल बना देती है।

कुछ ध्वनियां ऐसी होती है, जो हमारे कानों को काफी अच्छी लगती है। लेकिन, कुछ ध्वनियां ऐसी होती है, जो हमारे कानों को अच्छी नहीं लगती है, इन्हीं ध्वनियों को ध्वनि प्रदूषण कहते है।

आज इस विकास के दौर में ध्वनि प्रदूषण बढ़ता ही चला जा रहा है। लोग बिना जरूरत के ही हॉर्न का प्रयोग करते रहते है, जिससे ध्वनि प्रदूषण बढ़ता है।

ध्वनि प्रदूषण के कारण:

ध्वनि प्रदूषण के सभी प्रमुख कारण निम्नलिखित है:-

  • लोग सडकों पर वाहन चलाते समय बिना मतलब या बिना आवश्यकता के वाहन का हॉर्न बजाते रहते है, जो ध्वनि प्रदूषण बढ़ने का सबसे बड़ा कारण है।
  • कईं बार शादियों एवं त्योहारों में लोग तेज आवाज में गाने बजाते रहते है, जिससे ध्वनि प्रदूषण होता है।
  • लोगों द्वारा उपयोग किये जाने वाले लाउडस्पीकर से भी ध्वनि प्रदूषण बढ़ता है।
  • आज मनुष्यों द्वारा कल-कारखानों में ऐसी मशीनों का प्रयोग किया जाता है, जो काफी तेज आवाजें करती है, जिनसे भी ध्वनि प्रदूषण बढ़ता है।
  • कईं बार प्राकृतिक रूप से भी ध्वनि प्रदूषण होता है। जैसे:- बादलों के गरजने, सुनामी, ज्वालामुखी फटने, तूफान आने या भयंकर बाढ़ आने से, आदि।
  • जब चुनाव होते है, तो हर पक्षकार द्वारा चुनाव के लिए रैलियां निकाली जाती है। उन रैलियों में काफी शोर-शराबा होता है, इससे भी ध्वनि प्रदूषण बढ़ता है।

ध्वनि प्रदूषण के दुष्परिणाम:-

ध्वनि प्रदूषण के काफी अधिक दुष्परिणाम होते है, जो कि निम्नलिखित है:-

  • ध्वनि प्रदूषण से मनुष्य में बहरेपन की समस्या हो जाती है। इस शोर-शराबे से सरदर्द भी काफी होता है।
  • ध्वनि प्रदूषण से न सिर्फ मनुष्यों को फर्क पड़ता है बल्कि, यह वन्य जीव-जन्तुओं को भी काफी प्रभावित करता है।
  • रोज शोर-शराबे में रहने से व्यक्तियों के सुनने की क्षमता काफी कमजोर हो जाती है।
  • ध्वनि प्रदूषण से मनुष्यों को विभिन्न प्रकार की कान से संबंधित बीमारियाँ हो जाती है।
  • ध्वनि प्रदूषण के कारण मनुष्य में चीड़चिड़ापन आ जाता है। जिससे उनमें सहन करने की क्षमता भी काफी कम हो जाती है।
  • ध्वनि प्रदूषण से मनुष्यों को माइग्रेशन जैसी बीमारियाँ भी होती है।
  • ध्वनि प्रदूषण से दिल का दोरा भी पड़ सकता है।
  • ध्वनि प्रदूषण से नींद न आने की समस्या भी होती है।

ध्वनि प्रदूषण के उपाय:-

ध्वनि प्रदूषण के सभी उपाय निम्नलिखित है:-

  • हमें सड़क पर वाहन चलाते हुए बिना मतलब के हॉर्न नहीं मारने चाहिए।
  • हमें लाऊडस्पीकर का प्रयोग कम से कम करना चाहिए।
  • शादियों में गाने एक निश्चित समय बाद बंद कर देने चाहिए।
  • कारखानों को इंसानी बस्ती से दूर ही लगाना चाहिए।
  • हमें शोर-शराबे वाली जगहों से दूर रहना चाहिए।
  • हमें अधिक से अधिक पेड़-पौधे लगाने चाहिए।

उपसंहार:-

ध्वनि प्रदूषण का प्रभाव आज शहरों में ही नहीं बल्कि गाँवों में भी दिख रहा है। आजकल छोटी उम्र में ही बच्चों को कान से संबंधित समस्या होने लगी है। यह हमारे पर्यावरण के लिए भी काफी घातक है।

यदि ध्वनि प्रदूषण को जल्द ही कम नहीं किया गया तो आने वाली पीढ़ी को इसके काफी घातक परिणाम भुगतने होंगे। इसलिए, हमें लोगों को ध्वनि प्रदूषण के प्रति आज से ही जागरूक करना होगा।

हमें लोगों को यातायात के नियमों का पालन करने के लिए भी प्रोत्साहित करना चाहिए और पेड़-पौधे लगाने चाहिए। हमारा यह पर्यावरण काफी सुंदर है। इसे ऐसे ही सुंदर बनाए रखना इस धरती पर रहने वाले प्रत्येक जीव का कर्तव्य है।

अंतिम शब्द

अंत में आशा करता हूँ कि यह लेख आपको पसंद आया होगा और आपको हमारे द्वारा इस लेख में प्रदान की गई अमूल्य जानकारी फायदेमंद साबित हुई होगी।

अगर इस लेख के द्वारा आपको किसी भी प्रकार की जानकारी पसंद आई हो तो, इस लेख को अपने मित्रों व परिजनों के साथ फेसबुक पर साझा अवश्य करें और हमारे वेबसाइट को सबस्क्राइब कर ले।

5/5 - (1 vote)

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *