प्लास्टिक बैग पर निबंध

Essay on Plastic Bag in Hindi

प्लास्टिक बैग पर निबंध : Essay on Plastic Bag in Hindi:- आज के इस लेख में हमनें ‘प्लास्टिक बैग पर निबंध’ से सम्बंधित जानकारी प्रदान की है।

यदि आप प्लास्टिक बैग पर निबंध से सम्बंधित जानकारी खोज रहे है? तो इस लेख को शुरुआत से अंत तक अवश्य पढ़े। तो चलिए शुरू करते है:-

प्लास्टिक बैग पर निबंध : Essay on Plastic Bag in Hindi

प्रस्तावना:-

प्लास्टिक का निर्माण गैर बायो-डिग्रेडेबल सिंथेटिक से होता है।

आजकल आमतौर पर हम सभी अपने छोटे-मोटे सामान या सब्जियों को बाजार से घर ले जाने के लिए प्लास्टिक की थैलियों का उपयोग करते है।

इन थैलियों का उपयोग करने के बाद इन्हें कचरा-पात्र में फेंक देते है। इसका उपयोग दिन-प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है। जो कि इस प्रकृति के लिए घातक है।

यें प्लास्टिक की थैलियाँ आसानी से ख़त्म भी नहीं होती है और हमारे पर्यारण को काफी प्रदूषित भी करती है।

प्लास्टिक की थैलियों के दुष्परिणाम:-

यें प्लास्टिक की थैलियाँ दिखने में चाहे साधरण सी लगती है। लेकिन, इनके दुष्परिणाम बहुत अधिक घातक है।

  • वायु प्रदूषण:- जब हम किसी भी प्रकार का कोई कचरा जलाते है, तो उसमें प्लास्टिक की थैलियाँ भी जल जाती है। इन प्लास्टिक की थैलियों से निकलने वाला धुँआ हमारे वायुमंडल को बहुत अधिक प्रदूषित कर देता है। इन थैलियों को जलाने से कार्बन-डाइ-ऑक्साइड गैस निकलती है, जो हम सभी मनुष्यों के लिए घातक होती है।
  • जल प्रदूषण:- लोग प्लास्टिक की थैलियों को नदियों-तालाबों में फेंक देते है, जिससे यें नदी-तालाब प्रदूषित हो जाते है। नदी-तालाबों में पड़ी थैलियों में कई बार उनमें में रहने वाले जीव फंस जाते है, जिससे कईं बार उनकी मृत्यु भी हो जाती है। यें पानी को गंदा कर देते है। इन थैलियों से छोटे-मोटे नाले भी बंद हो जाते है, जिससे वह पानी एक स्थान पर ही रुक जाता है, जिससे बीमारियाँ फैलती है।
  • मृदा प्रदूषण:- यें प्लास्टिक की थैलियाँ जल व वायु ही नहीं बल्कि, मृदा को भी प्रदूषित कर देते है। जब यें थैलियाँ जमीन में दबा दी जाती है, तो यें उस जमीन के उपजाऊपन को भी ख़त्म कर देती है और इतने समय तक मिट्टी में रहने के बाद भी यें थैलियाँ नष्ट नहीं होती है।
  • जानवरों को नुकसान:- सड़कों पर कईं जानवर घूमते रहते है। यें जानवर कईं बार अपने खाने के साथ-साथ प्लास्टिक की थैलियाँ भी खा जाते है, जिससे यें थैलियाँ उनके पेट में चली जाती है और आँतों में फंस जाती है और जिससे उनकी मृत्यु भी हो जाती है।
  • मनुष्यों के लिए घातक:- जब प्लास्टिक की थैलियों को जलाते है, तो उनसे जहरीली गैसें निकलती है, जो मनुष्य के लिए काफी हानिकारक होती है।

पॉलिथिन के प्रयोग को रोकने का उपाय:-

  • पाबंदी:- सरकार को इन प्लास्टिक की थैलियों के उपयोग पर पूरी तरह से पाबंदी लगा देनी चाहिए और इस पाबंदी को सख्ती से लागू करना चाहिए क्योंकि, बिना सख़्ती के यें पूरी तरह बंद नहीं हो सकती। इनकी पाबंदी होना बहुत आवश्यक है।
  • कपड़े की थैली का उपयोग:- जब हम सब्जियां लेने या कोई छोटा-मोटा सामान लेने बाजार जाए, तो इन्हें लेने के लिए कपडे का थैला लेकर जाए और उसी में अपना सामान लेकर आए। इससे पॉलीथिन का उपयोग भी काम होगा।
  • कचरादान में डालें:- लोग इन पॉलीथिनों को ऐसे ही कहीं पर भी फेंक देते है, जिससे प्रदूषण बढ़ता है। हमें हमेशा ही इन पॉलीथिनों को कचरा पात्र में ही डालना चाहिए। इससे यें जगह-जगह नहीं फैलेगी और एक ही जगह पर रहेगी और इन थैलियों का पुन उपयोग किया जा सकता है।
  • कम उपयोग:- हमें इनके उपयोग को रोकना चाहिए या हो सके तो कम से कम उपयोग करना चाहिए। हमें इन थैलियों का उपयोग तभी करना चाहिए, जब अतिआवश्यक हो। तब तक हमें इसे उपयोग करने से परहेज करना चाहिए।

उपसंहार:-
यें थैलियाँ इस प्रकृति के लिए बिलकुल भी ठीक नही है। यें इस प्रकृति को नुकसान पहुँचाती है।

यदि हमें इस प्रकृति को बचाना है और इसे साफ-सुथरा रखना है, तो हमें इन प्लास्टिक की थैलियों से छुटकारा पाना ही होगा।

यें प्लास्टिक की थैलियाँ न सिर्फ जानवरों और मनुष्यों बल्कि इस पूरी पृथ्वी के लिए ही घातक है। हमें प्रदूषण को रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाने चाहिए।

हमें ज्यादा से ज्यादा पेड़-पौधे लगाने चाहिए। इसी से यह प्रकृति जीवित रहेगी।

अंतिम शब्द

अंत में आशा करता हूँ कि यह लेख आपको पसंद आया होगा और आपको हमारे द्वारा इस लेख में प्रदान की गई अमूल्य जानकारी फायदेमंद साबित हुई होगी।

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