सरदार वल्लभभाई पटेल पर निबंध

सरदार वल्लभभाई पटेल पर निबंध : Essay on Sardar Vallabhbhai Patel in Hindi:- आज के इस लेख में हमनें ‘सरदार वल्लभभाई पटेल पर निबंध’ से सम्बंधित जानकारी प्रदान की है।
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सरदार वल्लभभाई पटेल पर निबंध : Essay on Sardar Vallabhbhai Patel in Hindi
प्रस्तावना:-
भारत 200 वर्षों से अधिक समय तक अंग्रेजों का गुलाम रहा। अंग्रेजों से भारत को 15 अगस्त 1947 को आजादी मिली। आजादी से पहले भारत का क्षेत्रफल काफी बड़ा हुआ करता था।
अंग्रेजों ने आजादी के बाद भारत को 2 भागों में बाँट दिया था और एक तरफ पाकिस्तान बना दिया, तो दूसरी तरफ भारत। उस समय अंग्रेजों ने सभी देशी रियासतों को कहा कि आप किसी भी देश के साथ मिल सकते है।
इसके बाद भारत के एकीकरण की प्रक्रिया शुरू हुई। इस प्रक्रिया में भारत को एकजुट किया गया। कईं जगहों पर बातचीत की गई।
कईं जगहों पर सैन्यशक्ति का सहारा लिया गया व भारत का एकीकरण किया गया। इस एकीकरण में सबसे बड़ी भूमिका निभाने वाले व्यक्ति का नाम सरदार वल्लभभाई पटेल था।
सरदार वल्लभभाई पटेल का शुरुआती जीवन:-
सरदार वल्लभभाई पटेल का जन्म गुजरात के नडियाद में 31 अक्टूबर 1875 को हुआ था। उनका परिवार पाटीदार जाति से आता था। उनके पिता का नाम झवेरभाई पटेल एवं उनकी माता का नाम लाडबा देवी था।
वह अपने माता-पिता की चौथी संतान थे। उनके भाइयों का नाम क्रमशः सोमाभाई, नरसीभाई और विट्टलभाई था। उन्होंने अपनी शिक्षा स्वाध्याय से पूरी की।
वकालत की पढ़ाई करने के लिए वह लंदन चले गए। अपनी वकालत की डिग्री लेने के बाद वह भारत वापस आ गए।
भारत आकर उन्होंने अहमदाबाद में अपनी वकालत शुरू कर दी। वहाँ से वह महात्मा गांधी जी से काफी प्रभावित हुए। इसलिए वह स्वतंत्रता आंदोलनों में हिस्सा लेने लगे।
स्वतन्त्रता आन्दोलन में हिस्सा:-
उन्होंने सबसे पहला हिस्सा सन 1918 में खेडा संघर्ष में लिया, जहाँ उन्होंने किसानों का नेतृत्व किया। जहाँ सूखा पड़ने के बाद किसानों से बहुत भारी कर लिया जा रहा था।
जिसके विरोध में गांधी जी व सरदार पटेल के नेतृत्व में आंदोलन किया व सरकार को झुका दिया। यह उनकी पहली विजय थी। सन 1928 में उन्होंने बारडोली सत्याग्रह में हिस्सा लिया।
यहाँ पर सरदार वल्लभभाई पटेल जी ने किसानों का नेतृत्व किया। उस समय अंग्रेज किसानों के ऊपर 30 प्रतिशत से भी अधिक का कर लगा रहे थे।
इस पर सरकार ने इस आंदोलन को कुचलने के लिए बहुत से प्रयास किए, लेकिन अंत मे उन्हें सरदार वल्लभभाई पटेल के समक्ष हार माननी पड़ी।
एकीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका:-
जब भारत अंग्रेजी शासन से आजाद हुआ, तब भारत में 562 देशी रियासतें थी। उनका सम्पूर्ण क्षेत्रफल भारत का 40 प्रतिशत था। भारत का एकीकरण करने का कार्य सरदार वल्लभभाई पटेल को सौंपा गया।
उन्होंने आजादी से पूर्व ही वी.पी. मेनन के साथ मिलकर सभी देशी रियासतों को भारत मे सम्मिलित करने का कार्य शुरू कर दिया। उन्होंने सभी रियासतों को समझाया।
3 रियासतों को छोड़कर बाकी सभी रियासतें भारत में विलय को तैयार हो गई। जो रियासतें भारत में विलय को तैयार नहीं हुई, उनमें जम्मू एवं कश्मीर, जूनागढ़ व हैदराबाद रियासतें थी।
जूनागढ़ का राजा मुस्लिम था और वहाँ की प्रजा हिन्दू बहुल थी। वहाँ की जनता ने पाकिस्तान में मिलने से इनकार कर दिया। तब अंग्रेज सरकार ने चुनाव करवाए और भारत जीत गया।
इसके बाद जूनागढ़ को भारत में मिला दिया गया। हैदराबाद रियासत ने भी भारत मे मिलने से मना कर दिया था। भारतीय सेना ने हैदराबाद पर धावा बोल दिया और 3 दिन तक चले युद्ध में हैदराबाद रियासत ने आत्मसमर्पण कर दिया।
उपसंहार:-
सरदार वल्लभभाई पटेल बहुत ही अच्छे नेता थे। जब अधिवेशन में सभी उन्हें प्रधानमंत्री बनाना चाहते थे, तब गांधी जी के कहने पर उन्होंने अपना नाम वापस ले लिया और उप-प्रधानमंत्री का पद स्वीकार किया।
उन्होंने एक पत्र में नेहरू जी को चीन की नीति के बारे में भी चेताया था। वह बहुत ही दूरदर्शी व्यक्ति थे। सरदार वल्लभभाई पटेल को सन 1991 में भारत रत्न से समान्नित किया गया था।
उनके सम्मान में भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 31 अक्टूबर 2018 को मूर्ति का शिलान्यास किया गया, इसे स्टेच्यू ऑफ यूनिटी के नाम से भी जाना जाता है।
अंतिम शब्द
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नमस्कार, मेरा नाम सूरज सिंह रावत है। मैं जयपुर, राजस्थान में रहता हूँ। मैंने बी.ए. में स्न्नातक की डिग्री प्राप्त की है। इसके अलावा मैं एक सर्वर विशेषज्ञ हूँ। मुझे लिखने का बहुत शौक है। इसलिए, मैंने सोचदुनिया पर लिखना शुरू किया। आशा करता हूँ कि आपको भी मेरे लेख जरुर पसंद आएंगे।