महात्मा गाँधी के प्रसिद्ध भाषण

Famous Speeches by Mahatma Gandhi in Hindi

महात्मा गाँधी के प्रसिद्ध भाषण : Famous Speeches by Mahatma Gandhi in Hindi:- आज के इस लेख में हमनें ‘महात्मा गाँधी के प्रसिद्ध भाषण’ से सम्बंधित जानकारी प्रदान की है।

यदि आप महात्मा गाँधी के प्रसिद्ध भाषण से सम्बंधित जानकारी खोज रहे है? तो इस लेख को शुरुआत से अंत तक अवश्य पढ़े। तो चलिए शुरू करते है:-

महात्मा गाँधी के प्रसिद्ध भाषण : Famous Speeches By Mahatma Gandhi in Hindi

इस लेख में हमनें महात्मा गाँधी के सभी भाषण आपके साथ साझा किये है, जो कि निम्नलिखित है:-

गाँधी जी द्वारा भारत छोड़ो आंदोलन में भाषण – 8 अगस्त 1942

“हमें ताकत और सत्ता प्राप्त करने की लालसा नहीं है। हमें सिर्फ शांतिपूर्वक भारत के स्वाभिमान की लड़ाई लड़नी है।

एक सफल कप्तान हमेशा एक सैन्य तख्तापलट और तानाशाही रवैये के लिए जाना जाता है। लेकिन कांग्रेस की योजनाओं में केवल अहिंसा का ही स्थान है। तानाशाह के लिए यहाँ कोई जगह मौजूद नहीं है।

आप लोग मुझ पर हसेंगे लेकिन, मेरा यह विश्वास है कि एक समय पर मुझे संघर्ष करना होगा। लेकिन मैं फिर भी इसे किसी के विरुद्ध नहीं रखूँगा। मैंने इस देश की स्वतंत्रता के लिए करो या मरो का संकल्प लिया है।”

गाँधी जी द्वारा दांडी यात्रा के दौरान दिया गया भाषण – 11 मार्च 1930

“आज चाहे हमें गिरफ्तार कर लिया गया है। लेकिन, हम फिर भी शांति के मार्ग से नहीं हटेंगे। हम सभी ने अहिंसा का रिश्ता अपनाया है और हम इस पर चलते रहेंगे।

मैं आप सभी से यहीं उम्मीद करता हूँ कि आप सभी अपने गुस्से में आकर कोई गलत कदम न उठायें।”

गाँधी जी द्वारा बनारस हिन्दू विश्वविधालय में दिया गया भाषण – 4 फरवरी 1916

“यह हमारे लिए बड़े ही अपमान की बात है कि आज मैं एक महान विश्वविद्यालय एवं एक पवित्र स्थान काशी में खड़ा होकर विदेशी भाषा में भाषण दे रहा हूँ।

यदि हमें स्वराज दिया नहीं जाता है तो हमें उसे खुद ही लेना होगा। बिना प्रयास के हमें स्वराज नहीं मिलेगा।”

गोलमेज सम्मेलन में गाँधी जी द्वारा दिया गया भाषण – 30 नवम्बर 1931

“जब अंग्रेज इस देश में आए भी नहीं थे, तब भी हम सभी हिन्दू-मुसलमान आपस में लड़ते रहते थे। लेकिन, कईं महान हिन्दू एवं मुसलमान इतिहासकार बताते है कि पहले लोग भाईचारे के साथ रहते थे।

हिन्दू-मुस्लिम आपस में प्रेमपूर्वक रहते थे। उनके बीच लड़ाई-झगड़ा नहीं होता था। आज भारत को हम सभी को मिलकर सम्मान दिलाना होगा, जिसका यह हक़दार है।

इसके साथ सीमांत प्रान्तों को पूर्ण स्वायत्तता भी मिलनी चाहिए। यह मेरे लिए एक महान पुरुस्कार होगा जो आज मैं यहाँ से लेकर जाऊंगा।

आज मुझे यहाँ से आप सभी का बहुत प्यार मिला। आज मेरा यहाँ पर कईं अंग्रेज सज्जनों से मुलाकात हुई जो मेरे लिए यादगार रहेगी।”

गाँधी जी के द्वारा कश्मीर मुद्दे पर दिया गया भाषण – 4 जनवरी 1948

‘आज सभी लोग यहाँ युद्ध की ही बात कर रहे है। आज हर किसी को इसी बात का डर है कि कहीं भारत और पाकिस्तान में लड़ाई न हो जाए।

यदि दोनों देश के बीच लड़ाई होती है तो यह दोनों देशों के लिए ही हानिकारक है। इसीलिए, आज मैं दोनों देशों से निवेदन करना चाहता हूँ कि चाहे आज हम दोनों अलग देश बन गए है।

फिर भी हम एक-दूसरे के साथ शांतिपूर्वक रह सकते है और मतभेदों को दूर कर सकते है।”

गाँधी जी के द्वारा आख़िरी उपवास से एक दिन पहले दिया गया भाषण – 12 जनवरी 1948

“मेरे उपवास की शुरआत कल मेरे खाना खाने से होगी और तब ख़त्म होगी जब मुझे यह विश्वास हो जाएगा कि सभी जाति और समुदाय बिना किसी दबाव के प्रेम एवं भाईचारे के साथ रहने लगे है।

इस तरह भारत को ख़त्म होते देखने से बढ़िया है कि मैं मृत्यु को सम्मानपूर्वक गले लगा लूँ।”

1922 का ग्रेट ट्रायल – 18 मार्च 1922

“आज मै यहाँ अपनी सजा को कम करने या अपने आप को बचाने के लिए कहने नहीं आया हूँ।

बल्कि मै यहाँ यह कहने आया हूँ कि मैंने जो कानून तोडा है, उसके लिए जो बड़ा से बड़ा दंड हो वह मुझे दिया जाए। क्योंकि यह मेरा एक नागरिक होने के नाते कर्तव्य था।

आज यदि ध्यान से देखा जाए तो अंग्रेजी सरकार ने भारत को आर्थिक और सामाजिक तौर पर इतना कमजोर कर दिया है जितना यह कभी भी नहीं रहा है।”

अंतिम शब्द

अंत में आशा करता हूँ कि यह लेख आपको पसंद आया होगा और आपको हमारे द्वारा इस लेख में प्रदान की गई अमूल्य जानकारी फायदेमंद साबित हुई होगी।

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