गाँधी जयंती क्यों मनाई जाती है? : महात्मा गाँधी से जुड़े महत्वपूर्ण व रोचक तथ्य

गाँधी जयंती क्यों मनाई जाती है? : Gandhi Jayanti 2022:- आज के इस लेख में हमनें गाँधी जयंती से सम्बंधित सम्पूर्ण जानकारी प्रदान की है।
यदि आप भी गाँधी जयंती से सम्बंधित जानकारी प्राप्त करना चाह रहे रहे है तो इस लेख को शुरुआत से अंत तक अवश्य पढ़े। तो चलिए शुरू करते है:-
गाँधी जयंती क्यों मनाई जाती है? : Gandhi Jayanti 2022 in Hindi
हमारा भारत देश 200 वर्षों तक अंग्रेज़ो का गुलाम रहा। आज हम जिस खुली हवा में सांस ले रहे है, उसके लिए हमारें बहुत से क्रांतिकारियों ने अपने जीवन की कुर्बानियां दी है।
जैसे सुभाष चंद्र बोस, महात्मा गाँधी, भगत सिंह, राज गुरु और इनके जैसे न जाने कितने ही और क्रांतिकारियों ने अपना सम्पूर्ण जीवन इस देश को आजाद करवाने में लगा दिया।
आखिरकार उन्हें 15 अगस्त 1947 को भारत को आजादी दिलवाने में सफलता प्राप्त हो ही गयी।
आज हम उन्हीं क्रांतिकारियों में से एक विश्व के सबसे महान नेता महात्मा गाँधी जी के जीवन के बारे में आपको बताने जा रहे है।
उनके द्वारा किये गए कार्यों से देश को आजादी किस प्रकार प्राप्त हुई? क्यों कहा जाता है कि गाँधी जी ने एक चरखा चलाकर अंग्रेजों को भगा दिया?
इस लेख में हम उनके जीवन से जुड़ी सभी बातों पर भी चर्चा करेंगे। क्यों उन्हें भारतीय आंदोलन का सबसे प्रमुख राजनैतिक एवं आध्यात्मिक नेता माना जाता है?
महात्मा गाँधी का शुरूआती जीवन
पश्चिमी भारत में वर्तमान गुजरात के एक तटीय नगर पोरबंदर नामक स्थान पर रह रहे सनातन धर्म की पंसारी जाति के एक व्यक्ति जिनका नाम करमचन्द गाँधी तथा उनकी पत्नी पुतलीबाई गाँधी के घर 2 अक्टूबर सन् 1869 के दिन एक बालक का जन्म हुआ।
इस बालक का नाम उन्होंने मोहनदास रखा। जिसे आगे चलकर महात्मा गाँधी के नाम से जाना गया। गाँधी जी की माता भगवान की पूजा किया करती थी।
वह बहुत ही धार्मिक महिला थी व इसके साथ उस क्षेत्र में जैन धर्म का प्रभाव होने के कारण उनके जीवन में कुछ गुणों का विकास हुआ।
जैसे कि दुर्बलों में उत्साह की भावना जगाना, आत्मशुद्धि के लिए उपवास, शाकाहारी जीवन, मदिरा से दूरी व अलग-अलग जातियों के लोगों के बीच सहिष्णुता की भावना होने जैसे अनेक गुणों का विकास हुआ।
जिनका प्रभाव उनके सम्पूर्ण जीवन पर काफ़ी अधिक पड़ा। जो उन्हें इस कठिन राह पर चलने के लिए बचपन से तैयार करने लगा।
महात्मा गाँधी का विवाह
भारत के इस इलाके में बच्चों का विवाह बहुत छोटी उम्र में ही करा दिया जाता था। इस कारण गाँधी जी का विवाह भी 13 वर्ष की आयु में हो गया।
उनका विवाह सन 1883 के मई माह में 14 वर्ष की आयु वाली एक कन्या जिसका नाम कस्तूरबा बाई मकनजी था, उनसे करवा दिया गया।
बाद में इनका नाम छोटा करवा दिया गया और उन्हें सब कस्तूरबा बाई के नाम से जानने लगे। सभी लोग उन्हें प्यार से ‘बा’ कह कर बुलाते थे।
उन्होंने भी गाँधी जी के कई आंदोलनों में काफ़ी सहयोग दिया। उन्होंने अपने साथ की औरतों को साथ लेकर उनके कई आंदोलनों में हिस्सा लिया।
गाँधी जी के कुल 4 पुत्र थे। जिनका नाम हरीलाल गाँधी, मणिलाल गाँधी, रामदास गाँधी, तथा देवदास गाँधी था। कस्तूरबा बाई की मृत्यु सं 1944 में पुणा जेल में हो गयी थी।
महात्मा गाँधी की शुरूआती शिक्षा
महात्मा गाँधी की शुरुआती शिक्षा गुजरात में ही पूरी हुई। उन्होंने पोरबंदर से अपनी माध्यमिक शिक्षा व राजकोट से अपनी उच्च विद्यालयी शिक्षा को पूर्ण किया।
वह शिक्षा में एक साधारण छात्र ही थे। उनकी आगे की पढ़ाई भावनगर के शामलदास विश्वविद्यालय से पूर्ण हुई। उनका परिवार चाहता था कि वह एक वकील बने। जो उस समय की सबसे अच्छी शिक्षा मानी जाती थी।
महात्मा गाँधी की मुख्य शिक्षा
19 वर्ष की आयु में वकील बनने के लिए महात्मा गाँधी ब्रिटेन चले गए। जहाँ पर उन्होंने लन्दन की लॉ यूनिवर्सिटी में दाखिला ले लिया।
वहाँ पर वे शाकाहारी समाज से जुड़े। उस शाकाहारी समाज में कुछ थियोसोफिकल सोसायटी के लोग भी थे। जिन्होंने उन्हें श्रीभगवत्गीता पढ़ने के लिए प्रेरित किया।
अपनी वकील की शिक्षा पूर्ण करने के बाद गाँधी भारत आ गए और बम्बई में अपनी वकालत शुरू की। बम्बई में उन्हें ज्यादा सफलता प्राप्त नहीं हुई।
जिसके बाद वह राजकोट आ गए। वहाँ आकर उन्होंने जरूरतमंद लोगों के लिए अर्जियां लिखने का काम करने लगे।
लेकिन एक अंग्रेजी अफसर की गलती के कारण उन्हें ये काम भी छोड़ना पड़ा। उसके बाद भारत की फर्म में काम करने के लिए वे नेटाल दक्षिण अफ्रीका चले गए।
जो उस समय ब्रिटिश साम्राज्य का हिस्सा हुआ करता था। कंपनी ने उनके साथ एक वर्ष का करार कर दिया। जहाँ पर उन्हें कंपनी के लिए वकालत करनी थी।
दक्षिण अफ्रीका में जाना उनके जीवन की एक महत्वपूर्ण घटना साबित हुई। वहाँ जाकर उन्हें बहुत सी यातनाएं सहनी पड़ी।
जिसमें से सबसे प्रसिद्ध घटना रेलगाड़ी की है। जब उन्हें प्रथम श्रेणी की टिकट लेने के बाद भी तीसरी श्रेणी में बैठने को कहा गया।
जब उन्होंने इसका विरोध किया, तो उन्हें रेलगाड़ी से नीचे उतार दिया गया। तब उन्होंने कहा कि आज तुमने मुझे इस रेलगाड़ी से निकाला है। मैं तुम्हें अपने देश से निकाल दूंगा।
जब वह वहां पर रह रहे थे, तब उनका वहां के कई होटलों में प्रवेश भी निषेध कर दिया गया। एक बार जब वह एक केस लड़ रहे थे, तो जज ने उन्हें पगड़ी उतारने को कहा।
उन्होंने इसका भी विरोध किया। दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद की नीति के कारण भी उनके साथ बहुत अन्याय हुआ जिसका उन्होंने विरोध किया। इन सभी घटनाओं ने उनके जीवन पर काफ़ी अधिक अधिक प्रभाव डाला।
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के लिए महात्मा गाँधी का संघर्ष
गाँधी जी सन 1915 में 45 वर्ष की आयु में दक्षिण अफ्रीका से भारत आ गए। यहाँ आकर उन्होंने भारत में कई आंदोलनों का संचालन किया। जिनका विस्तारपूर्ण वर्णन निम्नलिखित है:-
1. चम्पारण आंदोलन
गाँधी जी का सबसे पहला आंदोलन चम्पारन और खेड़ा सत्याग्रह था। चम्पारन में अंग्रेज़ नील की खेती करवाया करते थे, जो कि भूमि की उर्वरकता के लिए बहुत ही खतरनाक थी।
वहाँ के लोग उसका विरोध करते थे, तो उन्हें कुचल दिया जाता था। ऐसा ही खेड़ा में भी हो रहा था। जो कि गुजरात में था।
यहाँ उन्होंने एक आश्रम का निर्माण किया और वहीं से गांव के लोगों में समर्थन बनाया। अहिंसा से ही अंग्रेजों को अपनी शर्तें मानने पर मजबूर किया।
2. असहयोग आन्दोलन
इस आंदोलन में गाँधी जी ने सभी लोगों को अंग्रेजी सरकार का सहयोग न करने के लिए प्रेरित किया। यह उनका पहला जन-आंदोलन था।
यह आंदोलन सन 1920 से 1922 तक चला। चोरा-चोरी कांड के बाद गाँधी जी ने इस आंदोलन को बंद कर दिया। दूसरा नागरिक आंदोलन 12 मार्च 1930 को गाँधीजी के दांडी मार्च के साथ शुरू हुआ।
12 मार्च 1930 को गाँधी जी अपने चुने हुए 78 अनुयायियों को लेकर साबरमती आश्रम से 375 किलोमीटर दूर गुजरात के समुद्र तट पर स्थित दांडी गांव पहुंचे।
उन्होंने वहां पर जो यात्राएं की और जो भाषण दिए, उनका जनता पर काफ़ी प्रभाव पड़ा। उसकी रिपोर्ट समाचार पत्रों में छपती रहती थी।
रास्ते में जितने भी गांव पड़ते, उनके अधिकारियों ने अपने पदों को त्यागपत्र दे दिया। 6 अप्रैल को गाँधी जी दांडी पहुंचे और उन्होंने समुन्द्र तट से एक मुट्ठी नमक उठाकर नमक कानून को तोड़ा।
वहाँ से गाँधी जी ने घोषणा की, कि भारत में ब्रिटिश शासन ने देश को नैतिक, भौतिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विनाश के कगार पर पंहुचा दिया है।
मैं इस शासन को अभिशाप मानता हूँ, मैं इस शासन प्रणाली को नष्ट करने पर आमादा हूँ, अब राजद्रोह मेरा धर्म है, हमारा यह जो संघर्ष है, वह अहिंसावादी है।
हम किसी की हत्या नहीं करेंगे, मगर इस शासन को नष्ट करना हमारा धर्म है।
इसके साथ-साथ उन्होंने स्वराज और नमक सत्याग्रह (नमक मार्च), दलित आंदोलन और निश्चय दिवस, भारत छोड़ो आन्दोलन जैसे आंदोलनों की शुरुआत की।
भारत देश को ब्रिटिश शासन से आजादी दिलवाने में महात्मा गाँधी ने काफ़ी महत्वपूर्ण योगदान दिया। गाँधी जी ने सं 1915 में एक आश्रम का निर्माण किया, जिसका नाम साबरमती आश्रम रखा गया।
महात्मा गाँधी की हत्या
महात्मा गाँधी की हत्या नाथूराम गोडसे द्वारा 30 जनवरी सन 1948 के दिन गोली चलाकर की गयी। राजघाट में इनका स्मारक बना हुआ है, जिसमें राम लिखा हुआ है।
मरते समय उनके अंतिम शब्द हे राम थे। उनकी राख को उनके अनुयायियों द्वारा सम्पूर्ण भारत में ले जाया गया।
महात्मा गाँधी जी के सिद्धांत
महात्मा गाँधी की माता बहुत ही धार्मिक महिला थी। इसलिए उनके अंदर बचपन से ही अहिंसा और निर्भीकता के गुण मौजूद थे।
गाँधी जी को सबसे अलग उनके सिद्धांत बनाते थे। जिन पर चलकर ही उन्होंने सभी बड़े कार्य पूर्ण किये।
कई बार लोग उन्हें इसके लिए गलत भी ठहराते थे। लेकिन, गाँधी जी अपने सिद्धांतो से कभी नहीं भटके। उनके प्रमुख सिद्धांत निम्नलिखित है:-
गाँधी जी के सभी सिद्धांत |
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सत्य |
अहिंसा |
विश्वास |
शाकाहारी रवैया |
ब्रह्मचर्य |
सादगी |
गाँधी जयंती की शुभकामनाएँ
सिर्फ एक सत्य और एक अहिंसा,
दो हैं जिनके हथियार,
उन हथियारों से ही तो,
करा दिया हिंदुस्तान आज़ाद।
गांधी जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं।
सत्य अहिंसा का था वो पुजारी
कभी ना जिसने हिम्मत हारी
सांस दी हमें आज़ादी की
जन जन जिसका है बलिहारी
गांधी जयंती पर करें बापू को सब याद।
दे दी हमें आज़ादी
बिना खड़ग, बिना ढाल
साबरमती के संत
तूने कर दिया कमाल
हैप्पी गांधी जयंती।
स्वयं को जानने का सर्वश्रेष्ठ तरीका है
स्वयं को औरों की सेवा में डुबो देना!!
महात्मा गाँधी जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं।
विश्व के सभी धर्म, भले ही और चीजों में अंतर रखते हों।
लेकिन सभी इस बात पर एकमत हैं कि दुनिया में कुछ नहीं बस सत्य जीवित रहता है।
गांधी जयंती की शुभकामनाएं।
बापू ने लड़ी धरती पर अजब लड़ाई दागी ना तोप,
ना कोई बंदूक चलाई दुश्मन के किले पर भी की नहीं चढ़ाई
वाह रे फ़कीर तुमने कैसी करामत दिखाई
गाँधी जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं।
जब महात्मा गांधी का जन्म दिवस आता हैं,
हृदय शत-शत नमन करने को झुक जाता हैं।
अंग्रेजों के सामने झुके नहीं, ख़ुद से उनको
ये आस था, शरीर में ताकत नहीं थी,
पर मन में आजादी का विश्वास था।
देश की हर कठिन समय पर
उन्होंने देश का साथ दिया है।
उनकी लाठी की मार देखकर
अंग्रेजों को हम भगा पाए है।
धोती वाले बापू की ये ऐसी एक लड़ाई थी,
न गोले बरसाये उन्होंने न बन्दूक चलाई थी
सत्य-अहिंसा के बल पर ही दुश्मन को धूल चटाई थी।
महात्मा गाँधी जी के अन्य नाम
महात्मा गाँधी का हमारे भारत देश को आजाद करवाने में बहुत बड़ा योगदान था। इसलिए बहुत से लोगों ने उन्हें अलग-अलग नामों की उपाधि प्रदान की है। गाँधी जी के सभी नामों की सूची निम्नलिखित है:-
गाँधी जी के अन्य नाम | प्रदाता |
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बापू | राजकुमार शुक्ला |
राष्ट्रपिता | सुभाष चंद्रबोस |
महात्मा | रविंद्रनाथ टैगोर |
मंगल बाबा | खान अब्दुल गफ्फर खां |
देशद्रोही फकीर | विस्तान चर्चित |
अर्धनगन फकीर | फ्रेंक मोरेस |
महात्मा गाँधी द्वारा दिए गए महत्वपूर्ण भाषण
गाँधी जी एक उच्च विचार रखने वाले व्यक्ति थे। लोग उनके विचारों को सुनकर उनके साथ जुड़ जाते थे। नीचे हम आपको उनके द्वारा दिए गए कुछ भाषणों को आपके साथ साझा करने जा रहे है:-
एक आंख के बदले आंख ही पूरी दुनिया को अंधा बनाकर समाप्त होता है।
व्यक्ति की पहचान उसके कपड़ों से नहीं, उसके चरित्र से होती है।
अपने आपको को जीवन में ढूंढ़ना है तो लोगों की मदद में खो जाओ।
कमजोर कभी माफ़ी नहीं मांगते, क्षमा करना तो ताकतवर व्यक्ति की विशेषता है।
कुछ ऐसा जीवन जिओ, जैसे कि तुम कल मरने वाले हो,
कुछ ऐसा सीखो जिससे कि तुम हमेशा के जीने वाले हो।
आजादी का कोई मतलब नहीं, अगर इसमें गलती करने की आजादी शामिल न हो।
सन 1920 में अपने साप्ताहिक पत्र ‘यंग इंडिया’ में एक प्रसिद्ध लेख में वह लिखते है कि ‘अहिंसा हमारी प्रजाति का धर्म है, जैसे हिंसा पशु का धर्म है।’
सत्य एवं अहिंसा ही वह अकेला धर्म है, जिसका मैं दावा करना चाहता हूँ। मैं किसी भी परमात्मा शक्ति का दावा नहीं करता, ऐसी कोई शक्ति मुझमे नहीं है।
गाँधी जी एक अच्छे नेता होने के साथ-साथ एक अच्छे लेखक भी थे। उन्होंने कईं किताबें और कईं पत्रिकाएँ भी लिखीं। जो कि निम्नलिखित है:-
गाँधी जी के द्वारा लिखी गई पत्रिकाएँ |
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हरिजन |
नवजीवन |
इण्डियन ओपिनियन |
गाँधी जी के द्वारा लिखी गई किताबें |
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हिन्द स्वराज |
दक्षिण अफ्रीका में सत्याग्रह |
मेरे सपनों का भारत |
ग्राम स्वराज |
एक आत्मकथा या सत्य के साथ मेरे प्रयोग की कहानी |
गाँधी जी का पूरा जीवन देश को आजाद कराने में चला गया। उन्होंने भारत देश का जो सपना देखा था, आज भारत उस प्रगति की और धीरे-धीरे बढ़ रहा है।
महात्मा गाँधी जी ने अपना पूरा जीवन अपने जिन सिद्धांतों के साथ जिया, हमें भी उनसे बहुत कुछ सीखना चाहिए।
अंतिम शब्द
अंत में आशा करता हूँ कि यह लेख आपको पसंद आया होगा और आपको हमारे द्वारा इस लेख में प्रदान कि गई अमूल्य जानकारी फायदेमंद साबित हुई होगी।
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नमस्कार, मेरा नाम सूरज सिंह रावत है। मैं जयपुर, राजस्थान में रहता हूँ। मैंने बी.ए. में स्न्नातक की डिग्री प्राप्त की है। इसके अलावा मैं एक सर्वर विशेषज्ञ हूँ। मुझे लिखने का बहुत शौक है। इसलिए, मैंने सोचदुनिया पर लिखना शुरू किया। आशा करता हूँ कि आपको भी मेरे लेख जरुर पसंद आएंगे।