ग्लोबल वार्मिंग पर भाषण

ग्लोबल वार्मिंग पर भाषण : Global Warming Speech in Hindi:- आज के इस लेख में हमनें ‘ग्लोबल वार्मिंग पर भाषण’ से सम्बंधित जानकारी प्रदान की है।
यदि आप ग्लोबल वार्मिंग पर भाषण से सम्बंधित जानकारी खोज रहे है? तो इस लेख को शुरुआत से अंत तक अवश्य पढ़े। तो चलिए शुरू करते है:-
ग्लोबल वार्मिंग पर भाषण : Global Warming Speech in Hindi
सुप्रभात, आदरणीय प्रधानाचार्य जी, माननीय शिक्षकगण एवं मेरे प्यारे साथियों, आप सभी को मेरा प्यारभरा नमस्कार।
मेरा नाम —– है और मैं इस विद्यालय में 11वीं कक्षा का विद्यार्थी हूँ। आज मैं आप सभी के सामने एक छोटा सा भाषण प्रस्तुत करना चाहता हूँ, जिसका विषय ग्लोबल वार्मिंग है।
सर्वप्रथम मैं आप सभी को धन्यवाद देना चाहता हूँ कि आप सभी ने मुझे इस मंच पर दो शब्द कहने का अवसर प्रदान किया।
आज मैं ग्लोबल वार्मिंग पर दो शब्द कहना चाहता हूँ। आशा करता हूँ कि आपको यह पसंद आए।
ग्लोबल वार्मिंग क्या है?
जब वातावरण में ग्रीन हाउस (कार्बन डाई ऑक्साइड, मीथेन, नाइट्रस ऑक्साइड) गैसों के बढ़ने से पृथ्वी के वातावरण के औसत तापमान में जो भी बढ़ोत्तरी होती है, उसे ही ग्लोबल वार्मिंग कहा जाता है।
जैसा कि आप सभी जानते है कि पर्यावरण हमारे लिए कितना अधिक महत्वपूर्ण है। पर्यावरण के कारण ही इस धरती के सभी जीव जीवित है।
इस पर्यावरण से ही हमें सांस लेने के लिए ऑक्सीजन प्राप्त होती है और हमें इससे कईं अन्य प्रकार की गैसें भी प्राप्त होती है।
इस पर्यारवण के बिना हमारा जीवित रहना संभव नहीं है। सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में पृथ्वी के अलावा और किसी भी ग्रह पर जीवन संभव नहीं है।
आजकल पृथ्वी का तापमान दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। आज ग्लोबल वार्मिंग न केवल भारत की बल्कि सम्पूर्ण विश्व के लिए एक बड़ी समस्या बन गई है।
जो सभी जीव-जन्तुओं के लिए काफ़ी ज्यादा खतरनाक है। ग्रीन हाउस गैसें हमारे रोज के जीवन में कईं वस्तुएँ उपयोग करने से बनती है, जो ग्लोबल वार्मिंग को काफी हद तक बढ़ाती है।
यह लगातार पृथ्वी की ओजोन परत को नुकसान पहुँचा रही है। ग्लोबल वार्मिंग बढ़ने के कईं कारण है। जैसे:- वाहनों का निकला हुआ धुँआ, औद्योगिक इकाइयों की चिमनियों से निकला धुँआ, प्लास्टिक का उपयोग, आदि।
ग्रीन हाउस गैसों के अधिक उपयोग से ग्लोबल वार्मिंग लगातार बढ़ रही है। ग्लोबल वार्मिंग के बढ़ने से पृथ्वी पर कईं हानिकारक प्रभाव पड़ते है।
ग्लोबल वार्मिंग बढ़ने से ग्लेशियर दिन-प्रतिदिन पिघलते जा रहे है। जिससे लगातार समुद्र स्तर बढ़ रहा है, जो भविष्य के लिए एक बड़ी समस्या है।
वैज्ञानिको के अनुसार आने वाले समय में विश्व के कईं बड़े शहर पानी में डूब जायेंगे। ग्लोबल वार्मिंग के बढ़ने से ओजोन परत में धीरे-धीरे छेद बढ़ता जा रहा है।
जिससे सूरज से निकली वाली पराबैंगनी किरणें सीधे पृथ्वी पर आ रही है। जिससे त्वचा सम्बन्धी रोग लगातार बढ़ रहे है।
ग्लोबल वार्मिंग से पृथ्वी का तापमान लगातार बढ़ता जा रहा है। जिससे कईं जगहों पर सूखे की समस्या पैदा हो रही है।
इससे फसलें भी प्रभावित हो रही है। जिससे भुखमरी जैसी समस्या बढ़ रही है। क्योंकि, गर्मी के बढ़ने से फसलें ख़राब हो जाती है।
अब विश्व के सभी देशों का ध्यान इस तरफ खींचा जा रहा है। सयुंक्त राष्ट्र संघ द्वारा इस पर बैठक की गई और इसे कम करने के लिए विभिन्न प्रस्ताव रखे गए।
सभी देश अपने-अपने तरीके से इसे रोकने का प्रयास कर रहे है। अब भारत सरकार भी इसके लिए कईं कदम उठा रही है।
लेकिन सरकार के अकेले प्रयास से यह पूरी तरह संभव नहीं है। हमें भी सरकार के साथ मिलकर प्रयास करना होगा।
हमें निजी वाहनों, रेफ्रिरेजटर, फ्रिज एवं AC का कम से कम उपयोग करना चाहिए। हमें ज्यादा से ज्यादा पेड़-पौधे लगाने चाहिए और पेड़ों की कटाई को कम से कम करना चाहिए।
इतना कहकर मैं अपने भाषण को समाप्त करना चाहता हूँ और आशा करता हूँ कि आप सभी को मेरा यह छोटा सा भाषण पसंद आया होगा।
धन्यवाद!
अंतिम शब्द
अंत में आशा करता हूँ कि यह लेख आपको पसंद आया होगा और आपको हमारे द्वारा इस लेख में प्रदान की गई अमूल्य जानकारी फायदेमंद साबित हुई होगी।
अगर इस लेख के द्वारा आपको किसी भी प्रकार की जानकारी पसंद आई हो तो, इस लेख को अपने मित्रों व परिजनों के साथ फेसबुक पर साझा अवश्य करें और हमारे वेबसाइट को सबस्क्राइब कर ले।

नमस्कार, मेरा नाम सूरज सिंह रावत है। मैं जयपुर, राजस्थान में रहता हूँ। मैंने बी.ए. में स्न्नातक की डिग्री प्राप्त की है। इसके अलावा मैं एक सर्वर विशेषज्ञ हूँ। मुझे लिखने का बहुत शौक है। इसलिए, मैंने सोचदुनिया पर लिखना शुरू किया। आशा करता हूँ कि आपको भी मेरे लेख जरुर पसंद आएंगे।