हरिगीतिका छंद की परिभाषा, भेद और उदाहरण

हरिगीतिका छंद की परिभाषा : Harigitika Chhand in Hindi:- आज के इस लेख में हमनें ‘हरिगीतिका छंद की परिभाषा’ से सम्बंधित जानकारी प्रदान की है।
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हरिगीतिका छंद की परिभाषा : Harigitika Chhand in Hindi
हरिगीतिका छंद एक ‘सममात्रिक छंद’ होता है। इसमें कुल चार चरण होते है। इसके प्रत्येक चरण में 16 और 12 के क्रम से कुल 28 मात्राएँ होती है। इसमें 16वीं व 12वीं मात्राओं पर यति होती है तथा अन्त में लघु व गुरु स्वर का प्रयोग अधिक प्रचलित है।
हरिगीतिका छंद के उदाहरण
हरिगीतिका छंद के उदाहरण निम्नलिखित है:-
उदाहरण 1
मेरे इस जीवन की है तू, सरस साधना कविता।
मेरे तरु की तू कुसुमित , प्रिय कल्पना लतिका।
मधुमय मेरे जीवन की प्रिय,है तू कल कामिनी।
मेरे कुंज कुटीर द्वार की, कोमल चरण-गामिनी।
उदाहरण 2
कहती हुई यों उत्तरा के नेत्र जल से भर गए।
हिम के कणों से पूर्ण मानो हो गए पंकज नए ।।
हरिगीतिका छंद से सम्बंधित कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न
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हरिगीतिका छंद की परिभाषा क्या है?
हरिगीतिका छंद एक ‘सममात्रिक छंद’ होता है। इसमें कुल चार चरण होते है। इसके प्रत्येक चरण में 16 और 12 के क्रम से कुल 28 मात्राएँ होती है। इसमें 16वीं व 12वीं मात्राओं पर यति होती है तथा अन्त में लघु व गुरु स्वर का प्रयोग अधिक प्रचलित है।
अंतिम शब्द
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