कहानी लेखन की परिभाषा, प्रारूप और उदाहरण

Kahani Lekhan in Hindi

कहानी लेखन की परिभाषा : Kahani Lekhan in Hindi:- आज के इस लेख में हमनें ‘कहानी लेखन की परिभाषा’ से सम्बंधित जानकारी प्रदान की है।

यदि आप कहानी लेखन से सम्बंधित जानकारी खोज रहे है? तो इस लेख को शुरुआत से अंत तक अवश्य पढ़े। तो चलिए शुरू करते है:-

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कहानी लेखन की परिभाषा : Kahani Lekhan in Hindi

किसी घटना, पात्र अथवा समस्या का क्रमबद्ध ब्यौरा जिसमें कथा का क्रमिक विकास होता है, उसे ‘कहानी’ कहते है। वास्तव में कहानी हमारे जीवन से इतनी करीब है कि प्रत्येक व्यक्ति किसी रूप में कहानी सुनता तथा सुनाता है।

साधारण शब्दों में:- जीवन की किसी एक घटना का रोचक वर्णन ‘कहानी’ कहलाता है। कहानी सुनने, पढ़ने तथा लिखने का चलन सदियों से मानव जीवन का हिस्सा है और यह मनोरंजन के साथ-साथ ज्ञान भी प्रदान करता है।

वर्तमान समय में प्रत्येक उम्र का व्यक्ति कहानी सुनना तथा पढ़ना चाहता है। यही कारण है कि कहानी का महत्त्व दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। बच्चे बचपन से ही कहानी प्रिय होते है।

बच्चों का स्वभाव कहानियां सुनने और सुनाने का होता है। इसलिए, बच्चे बड़े चाव से अच्छी कहानियां पढ़ते है। बच्चे कहानी लिख भी सकते है। कहानी प्रायः छोटे तथा सरल वाक्यों में लिखी जाती है।

कहानी लेखन कैसे करें?

आप चाहे ढांचे के आधार पर कहानी लिख रहे है अथवा फिर चित्र और किसी विषय पर। कहानी लिखने के लिए यह आवश्यक है कि ढाँचे/चित्र/विषय के बारे में अच्छी तरह से सोचा जाए।

उसके बाद अपनी कहानी को दिलचस्प रूप से लिखना भी आवश्यक है और यदि वह लघु कथा है, तो उसे छोटा ही रखना है। एक कहानी में निम्नलिखित सभी बातों का ध्यान रखना चाहिए:-

  • कहानी की शुरुआत आकर्षक ढंग से होनी चाहिए।
  • कहानी में संवाद छोटे होने चाहिए।
  • कहानी का क्रमिक विकास होना चाहिए।
  • कहानी का अंत स्वाभाविक होना चाहिए।
  • कहानी का शीर्षक मूल कहानी का शीर्षक होना चाहिए।
  • कहानी की भाषा सरल तथा सुबोध होनी चाहिए।

उपर्युक्त आवश्यक बातों के अतिरिक्त भी कुछ और बातें है, जो कहानी लेखन में आपकी सहायता करेगी। वह सभी बातें निम्नलिखित है:-

  • कहानी में विभिन्न घटनाओं तथा प्रसंगों को संतुलित विस्तार देना चाहिए। किसी प्रसंग को न अधिक संस्कृत लेना चाहिए और न आवश्यक रूप से अधिक बढ़ाना चाहिए।
  • कहानी की शुरुआत आकर्षक होनी चाहिए, ताकि कहानी पढ़ने वाले का मन उसे पढ़ने में लगा रहे।
  • कहानी की भाषा सरल, स्वाभाविक तथा प्रभावशाली होनी चाहिए। कहानी में काफी अधिक कठिन शब्द तथा लंबे वाक्य नहीं होने चाहिए।
  • कहानी के माध्यम से उपयुक्त एवं आकर्षक शिक्षा देना चाहिए।
  • कहानी को प्रभावशाली तथा रोचक बनाने के लिए मुहावरों व लोकोक्तियों का प्रयोग भी किया जा सकता है।
  • कहानी सदैव भूतकाल में ही लिखी जानी चाहिए।
  • कहानी का अंत सहज ढंग से होना चाहिए।
  • अंत में कहानी से मिलने वाली सीख स्पष्ट होनी चाहिए।

कहानी लेखन के भाग

कहानी लेखन को मुख्य रूप से कुल 5 भागों में विभाजित किया गया है, जो कि निम्न लिखित है:-

कहानी लेखन के भाग
कहानी के आधार पर कहानी लेखन
ढांचा/रूपरेखा के आधार पर कहानी लेखन
अपूर्ण कहानी को पूर्ण करने के आधार पर कहानी लेखन
चित्र के आधार पर कहानी लेखन

1. कहानी के आधार पर कहानी लेखन

किसी कहानी को पढ़कर उसके आधार पर कहानी लिखने को ही ‘कहानी के आधार पर कहानी लेखन’ कहते है। कहानी लेखन की इस प्रक्रिया में निम्नलिखित आवश्यक बातों को ध्यान में रखना चाहिए:-

  • कहानी की शुरुआत रोमांचक होनी चाहिए।
  • कहानी में संवाद छोटे होने चाहिए।
  • कहानी का क्रमिक विकास होना चाहिए।
  • कहानी की भाषा सरल तथा आसान होनी चाहिए।

2. ढांचा/रूपरेखा के आधार पर कहानी लेखन

कहानी लेखन की इस प्रक्रिया में कुछ संकेत दिए जाते है, जिन्हें आधार मानकर कहानी की रचना करनी होती है।

जैसे:- एक बूढ़ा, बीमार किसान, चार झगड़ने वाले पुत्र, किसान चिंतित, पुत्रों को बुलाया, लकड़ी का गट्ठर दिया, नहीं टूटा, एक लकड़ी टूट गई, एकता में बल है, आदि।

उपर्युक्त संकेतों को आधार मानकर उसे कहानी का रूप देने को ही ‘ढांचा/रूपरेखा के आधार पर कहानी लेखन’ कहते है।

ढांचा/रूपरेखा के आधार पर कहानी लेखन के उदाहरण

ढांचा/रूपरेखा के आधार पर कहानी लेखन के उदाहरण निम्न प्रकार है:-

एक प्यासा कौआ – छत पे मिला मटका – पानी कम – काफी सारे कंकड़

उपर्युक्त ढांचे के आधार पर कहानी लेखन किया जा सकता है।

ढांचे के आधार पर कहानी लेखन कैसे करना है? इस बात की जानकारी तो आपको प्राप्त हो गई होगी। इसलिए, कहानी लेखन के कुछ ढांचे नीचे दिए गए, जिनका इस्तेमाल आप अभ्यास के लिए कर सकते है।

ढांचा 1

एक सिद्ध ऋषि – उनके चार चेले – ऋषि को जाना पढ़ा किसी काम से बहार – उन्हें अपने चेलो में से एक को लेकर जाना – उन्होंने दी एक पहेली – हर एक चेले को दिए 100 रूपये – दुनिया की सबसे कीमती चीज़ लाओ

ढांचा 2

एक किसान – इंतज़ार में बारिश के – लिखा उसने एक पत्र भगवान को – पोस्ट ऑफिस में पोस्टमन को जब वो मिला – तो उसने अपने खर्च से कुछ पैसे भेज दिए – किसान ने खुश होके जवाब भेजा

3. अपूर्ण कहानी को पूर्ण करने आधार पर कहानी लेखन

जो कहानियां अधूरी होती है, उन्हें पूर्ण करके भी कहानी लिखी जा सकती है। इससे कल्पना शक्ति प्रौढ़ होती है। इस प्रकार की कहानी को 2 से 3 बार पढ़कर और उसके क्रमों को समझकर कहानी रचना पूर्ण करनी चाहिए।

4. चित्र के आधार पर कहानी लेखन

किसी चित्र को देखकर उसके बारे में विस्तार से लिखित रूप से विस्तृत रूप देने को ही ‘चित्र के आधार पर कहानी लेखन’ कहते है। इसके लिए चित्र को ध्यान से देखकर तस्वीरों को अपने दिमाग में बैठाना होता है। यह पूरी कहानी चित्र के अनुरूप होनी चाहिए।

चित्र के आधार पर कहानी लेखन के उदाहरण

चित्र के आधार पर कहानी लेखन के उदाहरण निम्न प्रकार है:-

(i). बन्दर और मगरमछ की मित्रता

Monkey and Croc Sitting
Monkey and Croc Sitting
एक नदी के किनारे एक जामुन का पेड़ था उस पेड़ पर मोगली नाम का बंदर रहता था। जामुन के पेड़ पर बहुत सारे मीठे-मीठे जामुन लगते थे।
खाने की तलाश में एक दिन नदी में से मगरमच्छ जामुन के पेड़ के पास आया। फिर मगरमच्छ ने पेड़ के पास आने की वजह बताई, तो मोगली ने उससे कहा कि इस जामुन के पेड़ पर बहुत मीठे-मीठे जामुन लगते है
फिर उसने मगरमच्छ को थोड़े जामुन दे दिए। उसके बाद मगरमच्छ रोजाना जामुन खाने के लिए पेड़ के पास आता और बंदर उसे रोजाना जामुन दे देता धीरे-धीरे दोनों में बहुत अच्छी मित्रता हो गई।
एक दिन मगरमच्छ ने कुछ जामुन अपनी पत्नी को भी खिलाएं तब उसकी पत्नी ने यह सोचा कि जामुन इतने स्वादिष्ट है, तो सोचो कि उसे खिलाने वाले का दिल कितना मीठा होगा।
मगरमच्छ की पत्नी जिद पर आ गई और उसने मगरमच्छ से कहा कि उसे बंदर का दिल चाहिए। फिर मगरमच्छ ने एक तरकीब लगाई उसने मोगली बंदर से कहा कि उसकी भाभी उससे मिलना चाहती है।
अब मोगली बंदर ने मगरमच्छ से कहा कि भला मैं नदी से कैसे जा पाऊंगा? तब मगरमच्छ ने उपाय सुझाया कि उसकी पीठ पर बैठकर जा सकते है।
बंदर को अपनी मित्रता पर भरोसा था, इसलिए वह पेड़ से कूदकर नदी में मगरमच्छ की पीठ पर बैठ गया। जब वह दोनों नदी के बीचों-बीच पहुंचे, तो मगरमच्छ ने बंदर से कहा कि उसकी पत्नी को उसका दिल चाहिए
तब बंदर का दिल टूट सा गया उसे धक्का लगा लेकिन, उसने अपना धैर्य बिल्कुल भी नहीं खोया। तभी अचानक से बंदर बोला कि 'अरे मेरे मित्र, तुमने यह बात मुझे पहले क्यों नहीं बताई? मैंने तो अपना दिल जामुन के पेड़ पर ही संभालकर रखा है।
अब तो मुझे जल्दी-जल्दी वापस नदी के किनारे ले चलो, ताकि मैं अपनी भाभी को अपना दिल देकर खुश कर सकूं। यह सुनकर मगरमच्छ बंदर नदी के किनारे ले गया।
नदी के किनारे पर पहुँचते ही बंदर ने जोर से जामुन के पेड़ पर छलांग लगाई और गुस्से में आकर बोला कि 'मूर्ख मगरमच्छ दिल के बिना क्या जिंदा रह सकते है? आज से तेरी मेरी मित्रता खत्म।
तो बच्चों, इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें मुसीबत के क्षण में धैर्य कभी भी नहीं खोना चाहिए और अनजान लोगों से मित्रता सोच-समझकर करनी चाहिए।

(ii). जहाँ चाह वहाँ राह

Jaha Chah Waha Raah
Jaha Chah Waha Raah
सुबह की कड़कती गर्मी में एक बहुत ही प्यासा कौआ काफी देर से पानी की खोज में था। काफी दूर तक भटकने के बाद वह हार मान ही चुका था तभी उसने देखा कि एक घर की छत पर एक पानी का मटका रखा है।
मटका देखकर वह कौआ ख़ुशी से फुला नहीं समाया और बड़ी ही हिम्मत से उस मटके तक पहुंचा लेकिन, उसने जैसे ही मटके के अंदर झाँका तो देखा कि इसमें तो काफी कम पानी है।
उसने अपनी चोंच से पानी तक पहुँचने की कोशिश की, लेकिन वह पूर्णतया नाकाम रहा काफी देर के बाद उसने आसपास देखा, तो एक कोने में काफी सारे कंकड़ पड़े थे।
उसने दो-तीन कंकड़ मटके के अंदर डाले, तो मटके का पानी थोड़ा से ऊपर आ गया। कौवे को तब धीरे-धीरे समझ आया कि कंकड़ से पानी ऊपर लाने से उसकी चोंच पानी तक पहुँच जाएगी।
उसके बाद तो उसने झट से कंकड़ डालने शुरू कर दिए और जैसे ही पानी ऊपर आया, उसने अपनी प्यास बुझाई।
तो बच्चों, इस कहानी से हमें यही सीख मिलती है कि कोशिश करने से हम अपनी मनचाही चाह पूरी कर सकते है, क्योंकि जहाँ चाह है, वहाँ राह है।

नीचे दिए गए चित्रों के आधार पर आप कहानी लेखन का अभ्यास करें।

Hindi Kahani Lekhan for Children
Hindi Kahani Lekhan for Children
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Kahani
Kahani
Kahani Lekhan
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कहानी कैसी होनी चाहिए?

कहानी लेखन करते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए:-

  • कहानी की घटनाओं का पारस्परिक संबंध होना चाहिए।
  • कहानी रोचक तथा स्वाभाविक होनी चाहिए।
  • कहानी की भाषा सरल तथा समझने योग्य होनी चाहिए।
  • कहानी से कोई न कोई उपदेश अवश्य मिलना चाहिए।
  • अंत में कहानी को एक अच्छा शीर्षक अथवा नाम देना चाहिए।

कहानी लेखन करते समय ध्यान रखने योग्य महत्वपूर्ण बातें

कहानी लेखन करते समय निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखना चाहिए:-

  • कहानी की शुरुआत आकर्षक होनी चाहिए।
  • कहानी की भाषा सरल, सरस तथा मुहावरेदार होनी चाहिए।
  • कहानी की घटनाएं सही क्रम में लिखी जानी चाहिए।
  • कहानी के वाक्य छोटे तथा क्रमबद्ध होने चाहिए।
  • कहानी का उद्देश्य स्पष्ट होना चाहिए।
  • कहानी शिक्षाप्रद होनी चाहिए।

कहानी लेखन का प्रारूप

कहानी लेखन का प्रर्रोप निम्न प्रकार है:-

1. शुरुआत

कहानी को सदैव एक आकर्षक शुरुआत के साथ शुरू करें। जिससे कहानी पढ़ने वाला पाठक उस कहानी से जुड़ जाए।

2. चरित्र परिचय

कहानी के मुख्य पात्रों के साथ अपने पाठकों को परिचित करें। कहानी में उनका हिस्सा और उन्हें कहानी पहेली के टुकड़ों को उपयुक्त करने में मदद करें।

3. प्लॉट

यह तब होता है, जब असली नाटक शुरूआत होती है, क्योंकि मुख्य साजिश सुर्खियों में आती है। कहानी को उजागर करें और अपने पात्रों को प्रतिक्रिया दें, विकसित करें और मुख्य संघर्ष की और पहुंचें।

4. क्लाइमेक्स/एंडिंग/निष्कर्ष

आप एक खुशहाल अथवा एक खुले अंत के लिए जाए। लेकिन यह सुनिश्चित करें कि कम से कम कुछ मुद्दे यदि उनमें से सभी अंत तक हल नहीं होते है, तो आप पाठकों पर एक लंबे समय तक चलने वाली छाप छोड़ते है।

कहानी का इतिहास

कहानी का इतिहास उतना ही अधिक प्राचीन है, जितना कि मानव का इतिहास है। क्योंकि ‘कहानी’ मानव स्वभाव तथा प्रकृति का महत्वपूर्ण भाग है।

मौखिक कहानी की परंपरा प्राचीन है। प्राचीनकाल में मौखिक कहानियां अत्यंत लोकप्रिय हुआ करती थी, क्योंकि यह संचार का सबसे बड़ा माध्यम थी।

धर्म प्रचारक भी अपने सिद्धांतों तथा विचारों को लोगों तक पहुंचाने के लिए कहानी का सहारा लिया करते थे। शिक्षा प्रदान करने के लिए भी पंचतंत्र जैसी जग-प्रसिद्ध कहानियां लिखी गई।

यहाँ तक कि प्राचीनकाल में शिक्षा का माध्यम भी मौखिक हुआ करता था, जो कि कहानियों पर भी आधारित था।

कहानी लेखन के तत्व

नाटक, उपन्यास, आदि की भांति कहानी के तत्व भी होते है। इन्हीं तत्वों के आधार पर एक कहानी की सम्पूर्ण रचना होती है। कहानी लेखन के सभी तत्वों का विस्तारपूर्ण वर्णन निम्न प्रकार है:-

1. कथानक

किसी कहानी का केंद्र बिंदु कथानक होता है। जिसमें शुरुआत से लेकर अंत तक कहानी की सभी घटनाओं तथा पात्रों का उल्लेख होता है।

कथानक को कहानी का प्रारंभिक नक्शा माना जाता है। आमतौर पर कहानीकार के मन में ‘कहानी का कथानक’ किसी घटना, जानकारी, अनुभव तथा कल्पना के कारण आती है।

कहानीकार कल्पना का विकास करते हुए एक परिवेश, पात्र तथा समस्या को आकार देता है।

वह एक ऐसा काल्पनिक ढांचा तैयार करता है, जो कि कोरी कल्पना न होकर संभावित हो और लेखक के उद्देश्य से मेल खाता हो। कहानी में प्रारंभ, मध्य तथा अंत कहानी का पूर्ण स्वरूप होता है।

2. द्वंद्व

कहानी में द्वंद्व के तत्व का होना अत्यंत आवश्यक है। द्वंद्व ‘कथानक’ को आगे बढ़ाता है और कहानी में रोचकता बनाये रखता है।

द्वंद्व के तत्वों से अभिप्राय यह है कि परिस्थितियों के मार्ग में एक अथवा अनेक बाधाएं होती है। उन बाधाओं के समाप्त हो जाने पर किसी निष्कर्ष पर पहुंचकर ‘कथानक’ पूर्ण हो जाता है।

कहानी की यह शर्त है कि वह नाटकीय ढंग से अपने उद्देश्य को पूर्ण करते हुए समाप्त हो जाए। कहानी ‘द्वंद्व’ के कारण ही पूर्ण होती है।

3. देश काल और वातावरण

एक कहानी में प्रत्येक घटना पात्र तथा समस्या का अपना देश काल और वातावरण होता है। कहानी को रोचक तथा प्रमाणिक बनाने के लिए लेखक द्वारा देशकाल और पर्यावरण का सम्पूर्ण ध्यान रखा जाना अत्यंत आवश्यक है।

4. पात्र

पात्रों का अध्ययन कहानी की एक काफी महत्वपूर्ण तथा बुनियादी शर्त है। प्रत्येक पात्र का अपना स्वरूप स्वभाव तथा उद्देश्य होता है।

कहानीकार के सामने पात्रों का स्वरूप जितना अधिक स्पष्ट होता है, उतनी ही आसानी से कहानीकार को पात्रों का चरित्र-चित्रण करने और उसके संवादों को लिखने में आसानी होती है।

कहानी में मुख्य रूप से कुल 2 पात्र होते है, जो कि निम्नलिखित है:-

कहानी के पात्र
प्रमुख पात्र
गौण पात्र

(i). प्रमुख पात्र

कहानी के नायक-नायिका ही ‘प्रमुख पात्र’ कहलाते है।

(ii). गौण पात्र

वह पात्र, जो कहानी के बीच-बीच में उपस्थित होकर कथानक को गति प्रदान करते है, पाठकों का ध्यान आकर्षित करते है और उनका मनोरंजन करते है, वह ‘गौण पात्र’ कहलाते है।

5. चरित्र चित्रण

कहानी में पात्रों का चरित्र-चित्रण उनकी अभिरुचियों के माध्यम से कहानीकार द्वारा गुणों का बखान करके उनके क्रियाकलाप संवादों के माध्यम से किया जाता है।

6. संवाद

कहानी में संवाद का विशेष महत्व है। संवाद के द्वारा ही कहानी तथा पात्रों को स्थापित एवं विकसित किया जाता है।

इसके साथ ही संवाद के द्वारा कहानी को गति प्रदान की जाती है, जिससे कहानी आगे बढ़ती है। जो घटना अथवा प्रतिक्रिया कहानीकार घटती हुई नहीं दिखा सकता है, उन्हें संवादों के माध्यम से उजागर किया जाता है।

‘संवाद’ पात्रों के स्वभाव तथा सम्पूर्ण पृष्ठभूमि के अनुकूल होते है। संवाद लिखते समय कहानीकार को चाहिए कि वह पात्रों के अनुकूल भाषा तथा शब्दावली का चयन करें।

शिक्षित व्यक्ति के लिए उसके अनुकूल शब्दों का प्रयोग किया जाना चाहिए। जबकि, गाँव के व्यक्ति के संवाद गाँव की शब्दावली पर आधारित होने चाहिए।

7. चरमोत्कर्ष (क्लाइमैक्स)

कथा के अनुसार कहानी चरमोत्कर्ष की तरफ बढ़ती है। सबसे अच्छा यह है कि चरमोत्कर्ष पाठक को स्वयं सोचने के लिए प्रेरित करें तथा उसे लगे कि उसे स्वतंत्रता दी गई है। उसने जो निष्कर्ष निकाले है, वह उसके सामने है।

कहानी लेखन की कला

अच्छी कहानियां पढ़ना और उनका विश्लेषण करना ही कहानी लेखन की कला को सीखने का सबसे अच्छा और सरल विकल्प है।

अपनी स्मृति तथा अनुभव के आधार पर लिखने की शैली को विकसित करें। यह आपके अन्दर छिपे हुए कहानीकार को बाहर निकाल सकता है।

कहानी लेखन के लिए मार्गदर्शन

कहानी लेखन के लिए मार्गदर्शन के सभी विकल्प निम्न प्रकार है:-

1. विचार करें

कहानी लेखन के लिए सबसे पहली और महत्वपूर्ण चीज एक विचार है। यह विचार कुछ भी हो सकता है। एक घटना से एक चरित्र अथवा एक साधारण एक-लाइन, जिसे आप कहानी में परिवर्तित करना चाहते है।

इसके अतिरिक्त विचारों में निरंतर विचार-मंथन, पढ़ना और लिखना आता है और अक्सर यदि आपको अपने कथानक को बनाने के लिए सही विचार प्राप्त नहीं हो रहे है, तो आप निश्चित रूप से एक लेखक के अवरोध का सामना कर रहे है।

जितना हो सके उतना पढ़ें, मन में उत्पन्न होने वाले सभी विषयों को लिखें और स्वयं को तथा अन्य लोगों को आकर्षक कहानी के साथ आने के लिए विचार करें।

2. एक सरल रूपरेखा तैयार करें

एक बार जब आप उस कहानी के बारे में निश्चित हो जाते है, जिसे आप सुनाना चाहते है, तो आपका अगला कदम घटनाओं की एक सरल रूपरेखा तैयार करना होता है और कहानीभर में चरित्रों का प्रसार करना होता है।

यह सिर्फ एक-लाइनर भी हो सकता है, जो किसी को भी मूल कहानी के बारे में बता सकता है या फिर यह विभिन्न घटनाओं को सूचीबद्ध करने वाले बिंदुओं में भी हो सकता है।

एक संक्षिप्त रूपरेखा तैयार करने से आपको कहानी लेखन प्रारूप पर समझ रखने में सहायता मिलेगी, क्योंकि आप विभिन्न घटनाओं को समझ पाएंगे और वह कैसे सामने आएंगे।

3. नायक पर ध्यान दें

नायक वह चरित्र है, जिसका भाग्य कहानी के लिए सबसे अधिक मायने रखता है।

जिस प्रकार एक कहानीकार को अपनी कहानी के लिए सही विचार पर कार्य करने के लिए घंटों बिताने पड़ते है, ठीक वैसे ही कहानीकार को सही नायक पर भी कार्य करना होता है, जो उसके कथन के विचार तथा विषय का प्रतिनिधित्व कर सकता है।

जबकि, अधिकांश लेखक अपने नायक के रूप में एक चरित्र रखना पसंद करते है, आमतौर पर ऐसा करने की कोई आवश्यकता नहीं है।

कहानीकार कुछ नया कर सकता है और सोच सकता है तथा किसी भी घटना, विचार अथवा वस्तु को अपना नायक बना सकता है। एक नायक ही कहानी और कथानक को आगे बढ़ाता है। इसलिए, नायक का चयन विवेकपूर्ण रूप से करें।

4. एक गहन प्रथम पंक्ति लिखें

अभी जब आपने दृढ़ निश्चय कर लिया है कि आपकी कहानी का क्या, कहाँ, कैसे और कब होना है? तो प्रथम पंक्ति को ध्यान में रखते हुए कहानी लेखन प्रारूप के उपरोक्त तत्वों को अंतिम रूप देना एक समान संघर्ष है।

आपकी कहानी की प्रथम पंक्ति कथानक के स्वर को निर्धारित करेगी, पाठक को झुकाएगी और आपके कथन की आवाज स्थापित करेगी।

5. चरित्रों का निर्माण

कहानी लेखन प्रारूप का एक अन्य प्रमुख तत्व है, जो कि आपके पात्र कथा को संरचना और प्रवाह देंगे और इस प्रकार सावधानीपूर्वक विकसित करने की आवश्यकता है।

घटनाओं के साथ प्रयोग तथा ये पात्र कैसे उन पर प्रतिक्रिया दे सकते है? ताकि उन्हें कहानी के अंतिम निष्कर्ष की और बढ़ने में मदद मिल सके।

6. लिखें, संपादन करें और दोहराएं

एक बार कहानी लिखने के बाद, अंतिम चरण सदैव कथा को ठीक और सम्पादित करना चाहिए।

कहानी को पढ़ने के लिए किसी मित्र से पूछें, इसकी समीक्षा करें और जब तक आपको अच्छा न लगे, तब तक इसमें संपादन करें। इसे जोड़कर और किसी भी अतिरिक्त खण्ड को हटा भी सकते है।

अपनी कहानी में नियमित अंतराल पर 2 से 3 संघर्षों को अवश्य शामिल करें और उन्हें समय के साथ हल करें, इससे फिर से जुड़ाव बढ़ेगा।

यदि आप वास्तव में इसके बारे में सुनना चाहते है, तो पहली बात जो आप शायद जानना चाहते है कि मैं कहाँ पैदा हुआ था?, मेरा बचपन कैसा था?, मेरे माता-पिता कैसे थे? और इससे पहले क्या वे मेरे पास थे? और यह सब डेविड कॉपरफील्ड एक प्रकार का बकवास है, लेकिन यदि आप सच्चाई जानना चाहते है, तो मुझे इसमें जाने का मन नहीं है। – कैच इन द राई, जेडी सालिंगर

सभी खुश परिवार एक जैसे है, प्रत्येक दुखी परिवार अपने तरीके से दुखी है। – अन्ना करिनेना, लियो टॉल्स्टॉय

यह सार्वभौमिक रूप से स्वीकार किया गया एक सत्य है, कि एक सौभाग्य के लिए एक अकेला व्यक्ति, एक पत्नी की इच्छा में होना चाहिए। – प्राइड एंड प्रेजुडिस, जेन ऑस्टेन

श्रीमती। डलाय ने कहा कि वह खुद फूल खरीदेगी। – श्रीमती डलाय, वर्जीनिया वूल्फ

जैसा कि ग्रेगर संसा असहज सपनों से एक सुबह जाग गया, उसने पाया कि वह अपने बिस्तर में एक विशाल कीट में तब्दील हो गया है। – मेटामोर्फोसिस और अन्य कहानियां, फ्रांज काफ्का

उन्नत कहानी लेखन कैसे करें?

जैसे-जैसे आपका शैक्षणिक स्तर बढ़ता है, वैसे-वैसे आपके लेखन कौशल को उभारना अनिवार्य हो जाता है। कहानी लेखन की कुछ युक्तियां तथा प्रारूप निम्न प्रकार है:- 

  • कहानी में प्रथम, द्वितीय तथा तृतीय व्यक्ति के कथन के संयोजन का उपयोग करना चाहिए।
  • एक कहानी सेटिंग बनाना चाहिए। 
  • कहानी को बढ़ाने के लिए स्पष्ट रूप से समय, स्थान, अवधि, वातावरण तथा संदर्भ को प्रभावित करना चाहिए।
  • संवाद कहानी का एक महत्वपूर्ण भाग है, इसलिए उनमें भावों का उपयोग किया जाना चाहिए।
  • कहानी में 2 से 3 मुख्य पात्र रखना चाहिए और कथानक को आकर्षक बनाने के लिए कुछ पार्श्व किरदार भी रखना चाहिए।
  • भूखंड का आवरण करने के लिए उपर्युक्त प्रारूप का पालन करना चाहिए।

कहानी लेखन के प्रकार

कहानी लेखन के कईं प्रकार होते है, जो कि निम्नलिखित है:-

कहानी लेखन के प्रकार
साहित्यिक कहानियां
लोकप्रिय कहानियां
घटना प्रधान कहानियां
वातावरण प्रधान कहानियां
मनोविश्लेषणात्मक कहानियां
चरित्र प्रधान कहानियां
भाव प्रधान कहानियां

1. साहित्यिक कहानियां

साहित्यिक कहानियां गद्य साहित्य की सबसे महत्वपूर्ण, रोचक तथा लोकप्रिय विधा मानी जाती है। इसके अंतर्गत कहानी तथा उपन्यास विधा सम्मिलित रूप में देखी जा सकती है।

इस प्रकार की कहानियों में यथार्थता, सामाजिकता, राष्ट्रीयता, संवेदनशीलता, आधुनिकता तथा भावनात्मकता का स्तर परिपूर्ण रहता है। साहित्यिक कहानियां सबसे प्राचीनतम तथा उच्चतम कहानियों की श्रेणी में आती है।

2. लोकप्रिय कहानियां

लोकप्रिय कहानियों को पारंपरिक कथाओं के नाम से भी जाना जाता है। जिसमें कुछ पात्रों की कहानी को मुख्य रूप से प्रस्तुत किया जाता है।

इस प्रकार की कहानियों में दंतकथाएं, परियों की कहानियां, रीति-रिवाजों की कहानियां, संस्कृति की कहानियां, आदि सम्मिलित होती है।

इसके अतिरिक्त लोकप्रिय कहानियों में प्राचीनतम कहानियां भी निहित होती है, जिसे बालकों द्वारा काफी ज्यादा पसंद किया जाता है।

3. घटना प्रधान कहानियां

घटना प्रधान कहानियों में विशेष रूप से किसी व्यक्ति के जीवन में घटित सभी घटनाओं को क्रमबद्ध रूप से दर्शाया जाता है। इस प्रकार की कहानियों में सभी दैवीय घटनाओं तथा रहस्यमयी घटनाओं की अधिक प्रधानता रहती है।

इसके अतिरिक्त घटना प्रधान कहानियों में आदर्शवादी कहानियां, तिलस्मी कहानियां, अद्भुत कहानियां, आदि भी सम्मिलित होती है। घटना प्रधान कहानियों की विशेषता यह है कि इसमें चरित्रों के भाव की तुलना में मनोरंजन पर अधिक ध्यान केंद्रित किया जाता है।

4. वातावरण प्रधान कहानियां

वातावरण प्रधान कहानियों में मुख्य रूप से वातावरण के स्वरुप पर अधिक बल दिया जाता है। यह कहानियां वास्तव में एक कल्पना नहीं होकर जीवन परक होती है।

इस प्रकार की कहानियों में यह बताया जाता है कि वास्तव में जीवन का संबंध वातावरण से होता है। कईं ऐतिहासिक कहानियों में वातावरण की एक विशेष भूमिका होती है, जिसके कारण इस प्रकार की कहानियों की रचना की जाती है।

इसके अतिरिक्त वातावरण प्रधान कहानियों में किसी युग की संस्कृति, सभ्यता तथा रीति-रिवाज का भी वर्णन किया जाता है। जिसके माध्यम से पाठकों तथा श्रोताओं को यह बताया जाता है कि वातावरण का संबंध जीवन से किस प्रकार होता है।

5. मनोविश्लेषणात्मक कहानियां

मनोविश्लेषणात्मक कहानियों का आधार मनोविज्ञान से होता है, जिसमें मानव की चेतना को अधिक प्रधानता दी जाती है।

इस प्रकार की कहानियों में विशेष रुप से किसी व्यक्ति के जीवन से जुड़ी घटनाओं तथा कार्यों की अपेक्षा मनोविश्लेषण को अधिक प्रमुखता दी जाती है।

मनोविश्लेषणात्मक कहानियों में करुणा, सहानुभूति तथा दया की भावना निहित होती है। यह समाज में एक गहरा प्रभाव डालती है, जिसके कारण व्यक्तियों का मानसिक विकास होता है।

6. चरित्र प्रधान कहानियां

चरित्र प्रधान कहानियों में नायक के चरित्र की प्रधानता होती है। इस प्रकार की कहानियों के माध्यम से पाठकों को नायक के जीवन से जुड़ी सभी घटनाओं की विस्तृत जानकारी प्राप्त होती है।

एक लेखक चरित्र प्रधान कहानियों के माध्यम से पाठक के भीतर की विचारधाराओं, संवेदनाओं, क्रियाकलापों तथा भावनाओं को जागृत करने का प्रयास करता है।

इसके अतिरिक्त चरित्र प्रधान कहानियों में प्रेम, ईर्ष्या, दया, हर्ष, पीड़ा, संघर्ष, आदि जैसे भावों को भी व्यक्त किया जाता है।

7. भाव प्रधान कहानियां

भाव प्रधान कहानियों में कहानी के नायक तथा अन्य पात्रों के भाव पर अधिक ध्यान केंद्रित किया जाता है। यह कहानियां किसी व्यक्ति के भाव तथा विचारों पर आधारित होती है।

इस प्रकार की कहानियों में प्रमुख पात्र तथा वातावरण को गौण रखा जाता है। यह कहानियां भाव-चित्रों के माध्यम से व्यक्ति के आंतरिक सौंदर्य के सत्य को साकार रूप प्रदान करने में सक्षम होती है।

नई शिक्षा पद्धति के अनुसार कहानी लेखन के स्वरूप में भी बदलाव किया गया है। इसके फलस्वरूप कहानी 4 प्रकार से पूछी जा सकती है, जो कि यह निम्नलिखित है:-

कहानी से संबंधित अधिक से अधिक मुद्दे देकर
कहानी से संबंधित कुछ मुख्य मुद्दे देखकर
कहानी की शुरुआत की कुछ पंक्तियां देकर
कहानी के अंतिम पंक्तियां देकर

आकार की दृष्टि से यह कहानियां दोनों तरफ की है:- कुछ कहानियां लंबी है, जबकि अन्य कुछ कहानियां छोटी है। आधुनिक कहानी मूलतः छोटी होती है।

कहानी के अंत में क्या लिखना चाहिए?

किसी भी कहानी को अधिक आकर्षक बनाने के लिए कहानी के अंत को बेहतर ढंग से व्यवस्थित करना काफी आवश्यक होता है, क्योंकि किसी भी कहानी का अंत उसका वह महत्वपूर्ण अंग होता है, जिसमें सम्पूर्ण कहानी का सार निहित होता है।

जिस प्रकार किसी कहानी की शुरुआत काफी सहज भाव से होती है, ठीक उसी प्रकार कहानी का अंत भी सहज भाव तथा सरल भाषा के माध्यम से होता है।

इसमें सम्पूर्ण कहानी का सार होने के साथ-साथ कोई न कोई उपदेश अवश्य होता है, जिसका संबंध समाज के लगभग प्रत्येक प्राणी से होता है।

किसी भी कहानी का अंत उस कहानी में वर्णित सभी घटनाओं को क्रमानुसार स्पष्ट करता है। इसके साथ ही यह लेखक के विचारों को भी व्यक्त करने में भी काफी सहायक होता है।

कहानी लेखन की विशेषताएँ

कहानी लेखन की सभी विशेषताएँ निम्नलिखित है:-

  • आज कहानी का मुख्य विषय ‘दिव्’ अथवा ‘दानव’ नहीं होकर ‘मनुष्य’ है। पशुओं के लिए भी कहानी में अब कोई स्थान नहीं है। बच्चों के लिए लिखी गई कहानियों में देव, दानव, पशु-पक्षी तथा मनुष्य सभी आते है। लेकिन, श्रेष्ठ कहानी वही होती है, जिसमें मनुष्य के जीवन की कोई समस्या तथा संवेदना व्यक्त की गई होती है।
  • पहले कहानी हमारी शिक्षा तथा मनोरंजन के लिए लिखी जाती थी। आज इन दोनों के स्थान पर को तोहर जवानी में जो कहानी सक्षम हो, वह वही सफल समझी जाती है। उसके बावजूद मनोरंजन आज भी साधारण पाठकों की मांग है।
  • आज का मनुष्य यह जानने लगा है कि मनुष्य अपने भाग्य का निर्माता है और वह किसी के हाथ का खिलौना नहीं है। इसके लिए आज की कहानियों का आधार मनुष्य के जीवन का संघर्ष है।
  • आज की कहानी का लक्ष्य विभिन्न प्रकार के चरित्रों की सूची तैयार करना है। यही कारण है कि आज खाने में चरित्र-चित्रण का महत्व अधिक बढ़ा है।
  • पहले जहाँ कहानी का लक्ष्य घटनाओं का जमघट लगाना होता था, वहाँ आज घटनाओं को महत्व नहीं देकर मानव मन के किसी एक भाव, विचार तथा अनुभूति को व्यक्त करना है। प्रेमचंद ने इस संबंध में स्पष्ट लिखा है:- ‘कहानी का आधार अब घटना नहीं बल्कि अनुभूति है।’
  • पहले की अपेक्षा आज की कहानी भाषा की सरलता पर अधिक बल देती है, क्योंकि उसका उद्देश्य जीवन की गाथा को खोलना है।
  • प्राचीन कहानी समषटिवादी थी। सभी के हितों को ध्यान में रखकर लिखी जाती थी। आज की कहानियां भक्ति व्यक्तिवादी है, जो व्यक्ति के मनोवैज्ञानिक सत्य का उद्घाटन कराती है।
  • प्राचीन कहानियों का अर्थ अधिकतर सुखद होता था, लेकिन आज की कहानियां मनुष्य की दु:खानतक कथा को, उसकी जीवनगत समस्याओं तथा संघर्षों को अधिक से अधिक प्रकाशित करती है।

लघु कथा लेखन कक्षा 10th

लघु कथा लेखन निम्न प्रकार है:-

1. चालाक खटमल

Chalak Khatmal Kahani in Hindi
Chalak Khatmal Kahani in Hindi
एक राजा के शयनकक्ष में मंदविसर्पिणी नाम की जूँ ने डेरा डाल रखा था। रात को जब राजा जाता, तो वह चुपके से बाहर निकलती और राजा का खून चूसकर दुबारा अपने स्थान पर जा छिपती।
संयोग से एक दिन अग्निमुख नाम का एक खटमल भी राजा के शयनकक्ष में आ पहुँचा। जूँ ने जब उसे देखा तो उसे वहाँ से चले जाने को कहा।
उसे अपने अधिकार क्षेत्र में किसी अन्य का दखल सहन नहीं था। लेकिन, खटमल भी कम चतुर नहीं था खटमल बोला कि 'देखो, मेहमान से इस प्रकार का बर्ताव नहीं किया जाता है आज रात मैं तुम्हारा मेहमान हूँ।'
जूँ अंतत: खटमल की चिकनी-चुपड़ी बातों में आ गई और उसे शरण देते हुए बोली:- 'ठीक है, तुम यहाँ रातभर रुक सकते हो, लेकिन राजा को काटोगे तो नहीं उसका खून चूसने के लिए?'
खटमल बोला:- 'लेकिन मैं तुम्हारा मेहमान हूँ मुझे कुछ तो दोगी खाने लिए। अब भला राजा के खून से बढ़िया भोजन और क्या हो सकता है?'
फिर जूँ बोली:- ठीक है, तुम चुपचाप राजा का खून चूस लेना उसे पीड़ा का एहसास नहीं होना चाहिए।' फिर खटमल ने कहा:- 'जैसा तुम कहोगी, बिल्कुल वैसा ही होगा।'
यह कहकर खटमल शयनकक्ष में राजा के आने की प्रतीक्षा करने लगा। रात ढलने पर राजा आया और बिस्तर पर सो गया। खटमल सब कुछ भूलकर राजा को काटने के लिए दौड़ा और खून चूसने लगा।
ऐसा स्वादिष्ट खून उसने पहली बार चखा था इसलिए, वह जोर-जोर से काटकर खून चूसने लगा। इससे राजा के शरीर में तेज खुजली होने लगी और उसकी नींद उचट गई।
उसने क्रोध में आकर अपने सेवकों से काटने वाले जीव को ढूँढ़कर मारने को कहा। यह सुनकर चतुर खटमल तो पलंग के पागे के नीचे छिप गया
लेकिन चादर के कोने पर बैठी जूँ राजा के सेवकों की नजर में आ गई। उन्होंने उसे पकड़ा और मार डाला।

शिक्षा:- जाँच-परखकर ही अनजान लोगों पर भरोसा करें।

2. एक प्यासा कौआ

Pyasa Kauwa Ki Kahani
Pyasa Kauwa Ki Kahani
एक बार एक कौआ था। एक दिन वह बहुत प्यासा था। वह पानी की तलाश में इधर-उधर उड़ रहा था।
तभी उसने एक जग देखा, जिसमें थोड़ा सा पानी था। उसकी चोंच पानी तक नहीं पहुँच पा रही थी। कौआ बहुत चतुर था। उसने एक योजना सोची।
वह पत्थरों के कुछ टुकड़े लाया और जग में डाल दिया। जिससे पानी ऊपर आ गया। उसने पानी पिया। वह बहुत खुश हुआ और वह उड़ गया। 

शिक्षा:- बुद्धिमानी का फल मिलता है।

3. संगठन में शक्ति है।

Sangathan Me Shakti Hai Ki Kahani
Sangathan Me Shakti Hai Ki Kahani
एक बार एक बूढ़ा किसान था। उसके चार पुत्र थे। वह एक-दूसरे से सदैव झगड़ते थे। उसने उन्हें नहीं झगडने की सलाह दी, लेकिन सभी सलाह व्यर्थ थी।
एक दिन वह किसान काफी बीमार हो गया। उसने अपने पुत्रों को बुलाया। उसने उन्हें लकड़ियों का एक गठ्ठर दिया। उसने उनसे इसे तोड़ने को कहा।
किसान का कोई भी पुत्र उस गठ्ठर को नहीं तोड़ सका। उसके बाद किसान ने अपने पुत्रों से इस गठ्ठर को खोलने को कहा।
गठ्ठर के खुलने के बाद किसान ने अपने पुत्रों को गठ्ठर की लकड़ियाँ तोड़ने को कहा। तब उसके पुत्रों ने एक-एक करके सरलता से लकड़ियाँ तोड़ दीं।
अब किसान ने अपने पुत्रों से कहा:- 'यदि तुम लकड़ियों के गठ्ठर की भांति इकट्ठे (संगठित) रहोगे, तो कोई तुम्हें नुकसान नहीं पहुँचा सकता है। यदि तुम झगड़ोगे, तो कोई भी तुम्हें नुकसान पहुंचा सकता है।'
उस किसान के पुत्रों ने अपने पिता द्वारा दी गई शिक्षा को ग्रहण किया और प्रण लिया कि वे फिर कभी भी नहीं झगड़ेंगे। यह बात सुनकर किसान काफी प्रसन्न हुआ।

शिक्षा:- संगठन में शक्ति है।

कक्षा 5, कक्षा 8, कक्षा 9 एवं कक्षा 10 के लिए कहानी लेखन के विषय

कक्षा 5, कक्षा 8, कक्षा 9 एवं कक्षा 10 के लिए कहानी लेखन के विषय निम्नलिखित है:-

सबकसूरज
मछलियाँ और साँपपढ़ो ही नहीं, अमल भी करो
स्वर्ग का रास्ताशास्त्रीजी तो साधु है
कुत्ता – घर का और गाँव काबुरा क्यों चाहूँ?
नारद का दुःखबच्चे का उद्धार
किसान और कुत्तेसदैव न्याय करना
परीक्षाबूढ़ा आदमी और मौत
बीमार मुर्गी और बिल्लीविशाल बरगद और सरकंडा
नहले पर दहलाबेचारा चरवाहा
भेड़िया और बकरीदो कुत्ते
खरगोश और मेंढकएक जुआरी और चिड़िया
नकलची गधाअपराधी कौन
हम भी टेढ़े, तुम भी टेढ़े

कहानी लेखन से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न

  1. कहानी लेखन की परिभाषा क्या है?

    किसी घटना, पात्र अथवा समस्या का क्रमबद्ध ब्यौरा जिसमें कथा का क्रमिक विकास होता है, उसे ‘कहानी’ कहते है। वास्तव में कहानी हमारे जीवन से इतनी करीब है कि प्रत्येक व्यक्ति किसी रूप में कहानी सुनता तथा सुनाता है।
    साधारण शब्दों में:- जीवन की किसी एक घटना का रोचक वर्णन ‘कहानी’ कहलाता है। कहानी सुनने, पढ़ने तथा लिखने का चलन सदियों से मानव जीवन का हिस्सा है और यह मनोरंजन के साथ-साथ ज्ञान भी प्रदान करता है।
    वर्तमान समय में प्रत्येक उम्र का व्यक्ति कहानी सुनना तथा पढ़ना चाहता है। यही कारण है कि कहानी का महत्त्व दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। बच्चे बचपन से ही कहानी प्रिय होते है।
    बच्चों का स्वभाव कहानियां सुनने और सुनाने का होता है। इसलिए, बच्चे बड़े चाव से अच्छी कहानियां पढ़ते है। बच्चे कहानी लिख भी सकते है। कहानी प्रायः छोटे तथा सरल वाक्यों में लिखी जाती है।

  2. कहानी लेखन के कितने प्रकार है?

    डायरी लेखन के सभी प्रकार निम्नलिखित है:-
    1. साहित्यिक कहानियां
    2. लोकप्रिय कहानियां
    3. घटना प्रधान कहानियां
    4. वातावरण प्रधान कहानियां
    5. मनोविश्लेषणात्मक कहानियां
    6. चरित्र प्रधान कहानियां
    7. भाव प्रधान कहानियां

अंतिम शब्द

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