करण कारक की परिभाषा, नियम और उदाहरण

करण कारक की परिभाषा : Karan Karak in Hindi:- आज के इस लेख में हमनें ‘करण कारक की परिभाषा’ से सम्बंधित जानकारी प्रदान की है।
यदि आप करण कारक से सम्बंधित जानकारी खोज रहे है? तो इस लेख को शुरुआत से अंत तक अवश्य पढ़े। तो चलिए शुरू करते है:-
करण कारक की परिभाषा : Karan Karak in Hindi
जिस साधन से अथवा जिस संज्ञा के द्वारा क्रिया पूर्ण की जाती है, उस संज्ञा को ‘करण कारक’ कहते है। साधारण शब्दों में:- जिसकी सहायता से कार्य संपन्न होता है, वह ‘करण कारक’ कहलाता है। इसके विभक्ति-चिह्न ‘से‘ व ‘द्वारा‘ है।
करण कारक के उदाहरण
करण कारक के उदाहरण निम्न प्रकार है:-
उदाहरण 1
हम कानों से सुनते है। |
स्पष्टीकरण:- उपर्युक्त उदाहरण में ‘सुनने’ की क्रिया करने के लिए ‘कान’ का प्रयोग हुआ है। अतः यहाँ पर ‘कानों से’ करण कारक है। हिन्दी व्याकरण में करण कारक के अन्य चिह्न भी है। जैसे:- ‘से, द्वारा, के द्वारा, के जरिए, के साथ, के बिना’, आदि। इन चिह्नों में ‘से, द्वारा, के द्वारा, के जरिए’, आदि प्रसिद्ध चिह्न है।
उदाहरण 2
मुझसे यह खाना न सधेगा। |
स्पष्टीकरण:- उपर्युक्त उदाहरण में ‘मुझसे’ का अर्थ ‘मेरे द्वारा’, ‘मुझ साधनभूत के द्वारा’ अथवा ‘मुझ-जैसे साधन के द्वारा’ है। अतः ‘साधन’ को बताने के कारण यहाँ पर ‘मुझसे’ का ‘से’ करण का ‘विभक्ति-चिह्न’ है।
करण कारक के नियम
करण कारक का क्षेत्र अन्य सभी कारकों से विस्तृत एवं विशाल है। अतः इसकी कुछ सामान्य पहचान और नियमों का ज्ञान होना अत्यंत आवश्यक है। करण कारक के सभी नियम निम्न प्रकार है:-
- करण कारक तथा अपादान कारक दोनों कारकों का विभक्ति-चिह्न ‘से’ है। साधन का प्रत्यय होने पर ‘से’ विभक्ति-चिह्न को करण कारण माना जाएगा, जबकि अलगाव का प्रत्यय होने पर अपादान कारक माना जाएगा।
जैसे:-
अजय कुल्हाड़ी से पेड़ काटता है। |
मुझे अपनी कमाई से रोटी मिलती है। |
साधुओं की संगति से बुद्धि सुधरती है। |
- ‘से’, ‘के द्वारा’ तथा ‘के जरिए’ हिन्दी व्याकरण में करण कारक के ही प्रत्यय माने जाते है। क्योंकि यह सभी प्रत्यय ‘साधन’ अर्थ की और इशारा करते है।
जैसे:-
मुझसे यह काम न सधेगा। |
राम के द्वारा यह कथा सुनी थी। |
आपके जरिए ही कार्यालय का पता चला। |
तीर से शेर मार दिया गया। |
मेरे द्वारा ईमारत ढहाई गई था। |
- भूख, प्यास, जाड़ा, आँख, कान, पाँव, आदि शब्द यदि करण कारक में सप्रत्यय होते है, तो एकवचन होते है और यदि अप्रत्यय होते है, तो बहुवचन होते है।
जैसे:-
वह भूख से बेचैन है या वह भूखों बेचैन है। |
लड़का प्यास से मर रहा है या लड़का प्यासों मर रहा है। |
लड़की जाड़े से कांप रही है या लड़की जाड़ों कांप रही है। |
मैंने अपनी आँख से यह घटना देखी या मैंने अपनी आँखों यह घटना देखी। |
कान से सुनी बात पर विश्वास नहीं करना चाहिए या कानों सुनी बात पर विश्वास नहीं करना चाहिए। |
अजय अब अपने पाँव से चलता है या अजय अब अपने पाँवों चलता है। |
करण कारक से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न
-
करण कारक की परिभाषा क्या है?
जिस साधन से अथवा जिस संज्ञा के द्वारा क्रिया पूर्ण की जाती है, उस संज्ञा को ‘करण कारक’ कहते है। साधारण शब्दों में:- जिसकी सहायता से कार्य संपन्न होता है, वह ‘करण कारक’ कहलाता है। इसके विभक्ति-चिह्न ‘से‘ व ‘द्वारा‘ है।
अंतिम शब्द
अंत में आशा करता हूँ कि यह लेख आपको पसंद आया होगा और आपको हमारे द्वारा इस लेख में प्रदान की गई अमूल्य जानकारी फायदेमंद साबित हुई होगी।
अगर इस लेख के द्वारा आपको किसी भी प्रकार की जानकारी पसंद आई हो तो, इस लेख को अपने मित्रों व परिजनों के साथ फेसबुक पर साझा अवश्य करें और हमारे वेबसाइट को सबस्क्राइब कर ले।

नमस्कार, मेरा नाम सूरज सिंह रावत है। मैं जयपुर, राजस्थान में रहता हूँ। मैंने बी.ए. में स्न्नातक की डिग्री प्राप्त की है। इसके अलावा मैं एक सर्वर विशेषज्ञ हूँ। मुझे लिखने का बहुत शौक है। इसलिए, मैंने सोचदुनिया पर लिखना शुरू किया। आशा करता हूँ कि आपको भी मेरे लेख जरुर पसंद आएंगे।