कर्म कारक की परिभाषा, नियम और उदाहरण

Karm Karak Ki Paribhasha in Hindi

कर्म कारक की परिभाषा : Karm Karak in Hindi:- आज के इस लेख में हमनें ‘कर्म कारक की परिभाषा’ से सम्बंधित जानकारी प्रदान की है।

यदि आप कर्म कारक से सम्बंधित जानकारी खोज रहे है? तो इस लेख को शुरुआत से अंत तक अवश्य पढ़े। तो चलिए शुरू करते है:-

कर्म कारक की परिभाषा : Karm Karak in Hindi

क्रिया के कार्य का फल जिस पर पड़ता है, वह ‘कर्म कारक’ कहलाता है। कर्म कारक का विभक्ति-चिह्न ‘को‘ है। बहुत से स्थानों पर विभक्ति-चिह्न का प्रयोग नहीं किया जाता है।

बुलाना, सुलाना, कोसना, पुकारना, जमाना, भगाना, आदि क्रियाओं के प्रयोग में यदि कर्म संज्ञा होती है, तो ‘को’ विभक्ति का प्रयोग अवश्य किया जाता है।

जब विशेषण का प्रयोग संज्ञा की भांति किया जाता है, तो कर्म विभक्ति ‘को‘ का प्रयोग अवश्य किया जाता है। ‘कर्म’ संज्ञा का एक रूप होता है।

कर्म कारक के उदाहरण

कर्म कारक के उदाहरण निम्न प्रकार है:-

अजय ने साँप को मारा।
लड़की ने पत्र लिखा।

स्पष्टीकरण:- उपर्युक्त उदाहरणों में से प्रथम वाक्य में ‘मारने‘ की क्रिया का फल ‘साँप‘ पर पड़ा है। अतः ‘साँप‘ कर्म कारक है। इसके साथ ‘को‘ परसर्ग का प्रयोग हुआ है।

जबकि, द्वितीय वाक्य में ‘लिखने‘ की क्रिया का फल ‘पत्र‘ पर पड़ा। अतः ‘पत्र‘ कर्म कारक है। इसमें कर्म कारक का विभक्ति चिह्न ‘को‘ का प्रयोग नहीं हुआ है।

नोट:- कभी-कभी ‘को’ विभक्ति-चिह्न का प्रयोग नहीं होता है।

जैसे:-

अजय पुस्तक पढ़ता है।

कर्म कारक के प्रयोग के नियम

कर्म कारक के प्रयोग के सभी नियम निम्न प्रकार है:-

  • बुलाना, सुलाना, कोसना, पुकारना, जगाना, भगाना, आदि क्रियाओं के कर्म के साथ ‘को’ विभक्ति-चिह्न का प्रयोग किया जाता है।

जैसे:-

मैंने राम को बुलाया।
माँ ने बच्चे को सुलाया। 
सीता ने गीता को जी भर कोसा।
पिता ने पुत्र को पुकारा।
हमनें उसे (उसको) खूब सवेरे जगाया।
लोगों ने शोरगुल करके चोरों को भगाया।
  • ‘मारना’ क्रिया का अर्थ जब ‘पीटना’ होता है, तब कर्म के साथ विभक्ति-चिह्न का प्रयोग किया जा सकता है, लेकिन यदि उसका अर्थ ‘शिकार करना’ होता है, तो विभक्ति-चिह्न का प्रयोग नहीं किया जा सकता है अर्थात कर्म अप्रत्यय रहता है।

जैसे:-

लोगों ने चोर को मारा।
शिकारी ने बाघ मारा।

स्पष्टीकरण:- उर्पयुक्त दोनों उदाहरणों में से प्रथम वाक्य में चोर को मारना ‘पीटने‘ के अर्थ में प्रयुक्त हुआ है। जबकि, द्वितीय वाक्य में बाघ को मारना ‘शिकार‘ के अर्थ में प्रयुक्त हुआ है। अतः प्रथम वाक्य में ‘को‘ विभक्ति-चिह्न का प्रयोग हुआ है, जबकि द्वितीय वाक्य में नहीं।

  • बहुधा कर्ता में विशेष कर्तृत्व शक्ति को जताने के लिए कर्म सप्रत्यय रखा जाता है।

जैसे:-

मैंने यह तालाब खुदवाया है।
मैंने इस तालाब को खुदवाया है।

स्पष्टीकरण:- उपर्युक्त दोनों वाक्यों में अंतर है। प्रथम वाक्य के कर्म से कर्ता में साधारण कर्तृत्व शक्ति का बोध होता है। जबकि, द्वितीय वाक्य में कर्म से कर्ता में विशेष कर्तृत्व शक्ति का बोध होता है।

  • जहाँ कर्ता में विशेष कर्तृत्व शक्ति का बोध कराने की आवश्यकता नहीं है, वहाँ सभी स्थानों पर कर्म को सप्रत्यय नहीं रखना चाहिए। इसके अतिरिक्त जब कर्म निर्जीव वस्तु होती है, तब ‘को’ विभक्ति-चिह्न का प्रयोग नहीं किया जा सकता है।

जैसे:-

अजय ने फल को खाया।
मैं कॉलेज को जा रहा हूँ।
मैं सेब को खा रहा हूँ।
मैं कोट को पहन रहा हूँ।

स्पष्टीकरण:- उपर्युक्त सभी उदाहरणों में ‘को’ विभक्ति-चिह्न का प्रयोग सही नहीं है। अधिकतर सजीव पदार्थों के साथ ‘को’ विभक्ति-चिह्न का प्रयोग किया जाता है, जबकि निर्जीव के साथ नहीं। लेकिन यह अन्तर वाक्य-प्रयोग पर निर्भर करता है।

  • कर्म के सप्रत्यय होने पर क्रिया सदैव पुल्लिंग होती है, लेकिन कर्म के अप्रत्यय होने पर क्रिया सदैव कर्म के अनुसार होती है।

जैसे:-

श्याम ने सेब को खाया (सप्रत्यय)
श्याम ने सेब खाया (अप्रत्यय)
  • यदि विशेषण का प्रयोग संज्ञा के रूप में किया जाता है, तो कर्म में ‘को’ विभक्ति-चिह्न का का प्रयोग अवश्य होता है।

जैसे:-

बड़ों को पहले आदर दो।
छोटों को प्यार करो।

कर्म कारक के अन्य उदाहरण

अध्यापक छात्र को पीटता है।
राधा फल खाती है।
सीता गिटार बजा रही है।
राम ने रावण को मारा।
कृष्ण ने राधा को बुलाया।
मेरे द्वारा यह कार्य हुआ।
कृष्ण ने कंस को मारा।
अजय को बुलाओ।
बड़ों को सम्मान दो।
माँ बच्चे को सुला रही है।
उसने पत्र लिखा।

कर्म कारक से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न

  1. कर्म कारक की परिभाषा क्या है?

    क्रिया के कार्य का फल जिस पर पड़ता है, वह ‘कर्म कारक’ कहलाता है। कर्म कारक का विभक्ति-चिह्न ‘को‘ है। बहुत से स्थानों पर विभक्ति-चिह्न का प्रयोग नहीं किया जाता है।
    बुलाना, सुलाना, कोसना, पुकारना, जमाना, भगाना, आदि क्रियाओं के प्रयोग में यदि कर्म संज्ञा होती है, तो ‘को’ विभक्ति का प्रयोग अवश्य किया जाता है।
    जब विशेषण का प्रयोग संज्ञा की भांति किया जाता है, तो कर्म विभक्ति ‘को‘ का प्रयोग अवश्य किया जाता है। ‘कर्म’ संज्ञा का एक रूप होता है।

अंतिम शब्द

अंत में आशा करता हूँ कि यह लेख आपको पसंद आया होगा और आपको हमारे द्वारा इस लेख में प्रदान की गई अमूल्य जानकारी फायदेमंद साबित हुई होगी।

अगर इस लेख के द्वारा आपको किसी भी प्रकार की जानकारी पसंद आई हो तो, इस लेख को अपने मित्रों व परिजनों के साथ फेसबुक पर साझा अवश्य करें और हमारे वेबसाइट को सबस्क्राइब कर ले।

5/5 - (1 vote)

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *