कर्ता कारक की परिभाषा, प्रयोग और उदाहरण

कर्ता कारक की परिभाषा : Karta Karak in Hindi:- आज के इस लेख में हमनें ‘कर्ता कारक की परिभाषा’ से सम्बंधित जानकारी प्रदान की है।
यदि आप कर्ता कारक से सम्बंधित जानकारी खोज रहे है? तो इस लेख को शुरुआत से अंत तक अवश्य पढ़े। तो चलिए शुरू करते है:-
कर्ता कारक की परिभाषा : Karta Karak in Hindi
कारक का वह रूप जिससे क्रिया (कार्य) के करने वाले का बोध होता है, वह ‘कर्ता कारक’ कहलाता है। इसका विभक्ति-चिह्न ‘ने’ है।
इस ‘ने’ विभक्ति-चिह्न का प्रयोग वर्तमानकाल और भविष्यकाल में नहीं होता है। इसका सकर्मक धातुओं के साथ भूतकाल में प्रयोग होता है।
साधारण शब्दों में:- जो वाक्य में कार्य करता है, उसे ‘कर्ता’ कहते है। अर्थात वाक्य का वह रूप जिससे क्रिया को करने वाले का पता चलता है, उसे ‘कर्ता’ कहते है।
कर्ता कारक की विभक्ति ‘ने‘ होती है। ‘ने‘ विभक्ति का प्रयोग भूतकाल की क्रिया में किया जाता है। कर्ता स्वतंत्र होता है। कर्ता कारक में ‘ने’ विभक्ति का लोप भी होता है।
इस पद को संज्ञा अथवा सर्वनाम माना जाता है। प्रश्नवाचक शब्दों के प्रयोग से भी कर्ता का पता लगाया जा सकता है। संस्कृत का कर्ता ही हिंदी का ‘कर्ता कारक’ होता है।
कर्ता की ‘ने‘ विभक्ति का प्रयोग अधिकतर पश्चिमी हिंदी में होता है। ‘ने‘ का प्रयोग सिर्फ हिंदी और उर्दू में ही किया जाता है।
कर्ता कारक के उदाहरण
कर्ता कारक के उदाहरण निम्न प्रकार है:-
राम ने रावण को मारा। |
लड़की विद्यालय जाती है। |
स्पष्टीकरण:- उपरोक्त उदाहरणों में से प्रथम वाक्य में क्रिया का कर्ता ‘राम‘ है। इसमें ‘ने‘ कर्ता कारक का विभक्ति-चिह्न है। इस वाक्य में ‘मारा‘ भूतकाल की क्रिया है। अतः ‘ने‘ का प्रयोग सदैव भूतकाल में होता है। जबकि, द्वितीय वाक्य में वर्तमानकाल की क्रिया का कर्ता ‘लड़की‘ है। इसमें ‘ने‘ विभक्ति का प्रयोग नहीं हुआ है।
विशेष:-
- भूतकाल में अकर्मक क्रिया के कर्ता के साथ भी ‘ने‘ परसर्ग (विभक्ति चिह्न) का प्रयोग नहीं होता है। जैसे:- ‘वह हँसा।’
- वर्तमानकाल तथा भविष्यतकाल की सकर्मक क्रिया के कर्ता के साथ ‘ने‘ परसर्ग का प्रयोग नहीं होता है। जैसे:- ‘वह फल खाता है।’ तथा ‘वह फल खाएगा।’
- कभी-कभी कर्ता के साथ ‘को‘ तथा ‘स‘ परसर्ग का प्रयोग भी किया जाता है। जैसे:- ‘बालक को सो जाना चाहिए।’, ‘राधा से पुस्तक पढ़ी गई।’, ‘पीड़ित से चला भी नहीं जाता।’ तथा ‘अजय से शब्द लिखा नहीं गया।’
कर्ता कारक का प्रयोग
कर्ता कारक का प्रयोग 2 प्रकार से किया जाता है, जो कि निम्नलिखित है:-
कर्ता कारक का प्रयोग |
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परसर्ग सहित |
परसर्ग रहित |
1. परसर्ग सहित
- भूतकाल की सकर्मक क्रिया में कर्ता के साथ ‘ने‘ परसर्ग का प्रयोग किया जाता है। जैसे:- राम ने पुस्तक पढ़ी।
- प्रेरणार्थक क्रियाओं के साथ ‘ने‘ परसर्ग का प्रयोग किया जाता है। जैसे:- मैंने उसे पढ़ाया।
- जब संयुक्त क्रिया के दोनों खंड सकर्मक होते है, तो कर्ता के आगे ‘ने‘ परसर्ग का प्रयोग किया जाता है। जैसे:- श्याम ने उत्तर कह दिया।
2. परसर्ग रहित
- भूतकाल की अकर्मक क्रिया में परसर्ग का प्रयोग नहीं किया जाता है। जैसे:- राम गिरा।
- वर्तमानकाल और भविष्यतकाल में परसर्ग का प्रयोग नहीं किया जाता है। जैसे:- बालक लिखता है।
- जिन वाक्यों में लगना, जाना, सकना, चूकना, आदि शब्द प्रयुक्त होते है, वहाँ पर ‘ने’ परसर्ग का प्रयोग नहीं किया जाता है। जैसे:- उसे पटना जाना है।
वाक्य में कर्ता का प्रयोग
वाक्य में कर्ता का प्रयोग 2 रूपों में होता है, जो कि निम्नलिखित है:-
वाक्य में कर्ता कारक का प्रयोग |
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अप्रत्यय कर्ता कारक |
सप्रत्यय कर्ता कारक |
1. अप्रत्यय कर्ता कारक
कर्ता कारक का वह रूप, जिसमें ‘ने‘ विभक्ति का प्रयोग नहीं होता है और जिसमें क्रिया के लिंग, वचन और पुरुष ‘कर्ता’ के अनुसार होते है, उसे ‘अप्रत्यय कर्ता कारक’ कहते है। इसे ‘प्रधान कर्ता कारक’ भी कहते है।
अप्रत्यय कर्ता कारक के उदाहरण
अप्रत्यय कर्ता कारक के उदाहरण निम्नलिखित है:-
राम खाता है। |
स्पष्टीकरण:- उपर्युक्त उदाहरण में ‘खाता है‘ क्रिया है, जो कर्ता ‘मोहन‘ के लिंग और वचन के अनुसार है।
2. सप्रत्यय कर्ता कारक
जहाँ क्रिया के लिंग, वचन और पुरुष ‘कर्ता’ के अनुसार न होकर ‘कर्म’ के अनुसार होते है और ‘ने’ विभक्ति का प्रयोग होता है, उसे ‘सप्रत्यय कर्ता कारक’ कहते है। इसे ‘अप्रधान कर्ता कारक’ भी कहते है।
सप्रत्यय कर्ता कारक के उदाहरण
सप्रत्यय कर्ता कारक के उदाहरण निम्नलिखित है:-
राम ने मिठाई खाई। |
स्पष्टीकरण:- उपर्युक्त उदाहरण में क्रिया ‘खाई’ तथा कर्म ‘मिठाई’ के अनुसार आई है।
कर्ता कारक के ‘ने’ विभक्ति-चिह्न का प्रयोग कहाँ किया जाता है?
कर्ता कारक के ‘ने’ विभक्ति-चिह्न का प्रयोग निम्नलिखित परिस्थितियों के लिए किया जाता है:-
- जब एक पदीय अथवा संयुक्त क्रिया ‘सकर्मक भूतकालिक’ होती है, तब ‘ने’ विभक्ति-चिह्न का प्रयोग कर्ता के साथ किया जाता है। सिर्फ सामान्य भूत, आसन्न भूत, पूर्ण भूत, संदिग्ध भूत, हेतुहेतुमद् भूतकाल में ‘ने’ विभक्ति का प्रयोग किया जाता है।
जैसे:-
सामान्य भूत | अजय ने फल खाया। |
आसन्न भूत | अजय ने फल खाया है। |
पूर्ण भूत | अजय ने फल खाया था। |
संदिग्ध भूत | अजय ने फल खाया होगा। |
हेतुहेतुमद् भूत | अजय ने फल खाया होता, तो भूख शांत हो जाती। |
अतः अपूर्ण भूत के अतिरिक्त शेष 5 भूतकालों में ‘ने’ विभक्ति-चिह्न का प्रयोग किया जाता है।
- सामान्यतः अकर्मक क्रिया में ‘ने’ विभक्ति का प्रयोग नहीं किया जाता है, लेकिन कुछ ऐसी अकर्मक क्रियाएँ है, जिनमें ‘ने’ विभक्ति का प्रयोग किया जाता है।
जैसे:-
नहाना | छींकना |
थूकना | खाँसना |
उर्पयुक्त अकर्मक क्रियाओं में ‘ने’ विभक्ति-चिह्न का प्रयोग अपवाद के रुप में किया जाता है। इन क्रियाओं के बाद कर्म नहीं आता है।
उदाहरण:-
उसने थूका। |
उसने छींका। |
उसने खाँसा। |
उसने नहाया। |
- जब अकर्मक क्रिया सकर्मक क्रिया में परिवर्तित हो जाती है, तब ‘ने’ विभक्ति-चिह्न का प्रयोग किया जाता है अन्यथा नहीं किया जाता है।
जैसे:-
उसने टेढ़ी चाल चली। |
उसने लड़ाई लड़ी। |
- जब संयुक्त क्रिया के दोनों खंड सकर्मक होते है, तो अपूर्ण भूत के अतिरिक्त शेष सभी भूतकालों में कर्ता के आगे ‘ने’ विभक्ति-चिह्न का प्रयोग किया जाता है।
जैसे:-
राम ने उत्तर कह दिया। |
श्याम ने खा लिया। |
- प्रेरणार्थक क्रियाओं के साथ, अपूर्ण भूत के अतिरिक्त शेष सभी भूतकालों में ‘ने’ विभक्ति-चिह्न का प्रयोग किया जाता है।
जैसे:-
मैंने उसे पढ़ाया। |
उसने एक रुपया दिलवाया। |
कर्ता कारक के ‘ने’ विभक्ति-चिह्न का प्रयोग कहाँ नहीं किया जाता है?
कर्ता कारक के ‘ने’ विभक्ति-चिह्न का प्रयोग निम्नलिखित परिस्थितियों में नहीं किया जाता है:-
- वर्तमानकाल और भविष्यतकाल की क्रिया के कर्ता के साथ ‘ने’ का प्रयोग नहीं किया जाता है।
जैसे:-
अजय जाता है। |
अजय जाएगा। |
- ‘बकना, बोलना एवं भूलना’ ये सभी सकर्मक क्रियाएँ है। अपवाद में सामान्य, आसन्न, पूर्ण और संदिग्ध भूतकालों के कर्ता के साथ ‘ने’ विभक्ति-चिह्न का प्रयोग नहीं किया जाता है।
जैसे:-
वह गाली बका। |
वह बोला। |
वह मुझे भूला। |
- यदि संयुक्त क्रिया का अंतिम भाग अकर्मक होता है, तो उसमें ‘ने’ का प्रयोग नहीं किया जाता है।
जैसे:-
मैं खा चुका। |
वह पुस्तक ले आया। |
उसे रेडियो ले जाना है। |
- जिन वाक्यों में लगना, जाना, सकना तथा चुकना सहायक क्रियाएँ होती है, उनमें ‘ने’ विभक्ति-चिह्न का प्रयोग नहीं किया जाता है।
जैसे:-
वह खा चुका। |
मैं पानी पीने लगा। |
उसे जयपुर जाना है। |
कर्ता कारक में ‘को’ का प्रयोग
विधि-क्रिया (चाहिए) और संभाव्य भूत (जाना था) तथा (करना चाहिए था) में कर्ता का प्रयोग ‘को’ विभक्ति-चिह्न के साथ किया जाता है।
जैसे:-
विजय को जाना चाहिए। |
विजय को जाना था या जाना चाहिए था। |
कर्ता कारक से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न
-
कर्ता कारक की परिभाषा क्या है?
कारक का वह रूप जिससे क्रिया (कार्य) के करने वाले का बोध होता है, वह ‘कर्ता कारक’ कहलाता है। इसका विभक्ति-चिह्न ‘ने’ है। इस ‘ने’ चिह्न का वर्तमानकाल और भविष्यकाल में प्रयोग नहीं होता है। इसका सकर्मक धातुओं के साथ भूतकाल में प्रयोग होता है।
साधारण शब्दों में:- जो वाक्य में कार्य करता है, उसे ‘कर्ता’ कहते है। अर्थात वाक्य का वह रूप जिससे क्रिया को करने वाले का पता चलता है, उसे ‘कर्ता’ कहते है।
कर्ता कारक की विभक्ति ‘ने‘ होती है। ‘ने‘ विभक्ति का प्रयोग भूतकाल की क्रिया में किया जाता है। कर्ता स्वतंत्र होता है। कर्ता कारक में ‘ने’ विभक्ति का लोप भी होता है।
इस पद को संज्ञा अथवा सर्वनाम माना जाता है। प्रश्नवाचक शब्दों के प्रयोग से भी कर्ता का पता लगाया जा सकता है। संस्कृत का कर्ता ही हिंदी का ‘कर्ता कारक’ होता है।
कर्ता की ‘ने‘ विभक्ति का प्रयोग अधिकतर पश्चिमी हिंदी में होता है। ‘ने‘ का प्रयोग सिर्फ हिंदी और उर्दू में ही किया जाता है। -
वाक्य में कर्ता कारक का प्रयोग कितने प्रकार से किया जाता है?
वाक्य में कर्ता कारक का प्रयोग कितने प्रकार से किया जाता है, जो कि निम्नलिखित है:-
1. अप्रत्यय कर्ता कारक
2. सप्रत्यय कर्ता कारक -
अप्रत्यय कर्ता कारक की परिभाषा क्या है?
कर्ता कारक का वह रूप, जिसमें ‘ने‘ विभक्ति का प्रयोग नहीं होता है और जिसमें क्रिया के लिंग, वचन और पुरुष ‘कर्ता’ के अनुसार होते है, उसे ‘अप्रत्यय कर्ता कारक’ कहते है। इसे ‘प्रधान कर्ता कारक’ भी कहते है।
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सप्रत्यय कर्ता कारक की परिभाषा क्या है?
जहाँ क्रिया के लिंग, वचन और पुरुष ‘कर्ता’ के अनुसार न होकर ‘कर्म’ के अनुसार होते है और ‘ने’ विभक्ति का प्रयोग होता है, उसे ‘सप्रत्यय कर्ता कारक’ कहते है। इसे ‘अप्रधान कर्ता कारक’ भी कहते है।
अंतिम शब्द
अंत में आशा करता हूँ कि यह लेख आपको पसंद आया होगा और आपको हमारे द्वारा इस लेख में प्रदान की गई अमूल्य जानकारी फायदेमंद साबित हुई होगी।
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नमस्कार, मेरा नाम सूरज सिंह रावत है। मैं जयपुर, राजस्थान में रहता हूँ। मैंने बी.ए. में स्न्नातक की डिग्री प्राप्त की है। इसके अलावा मैं एक सर्वर विशेषज्ञ हूँ। मुझे लिखने का बहुत शौक है। इसलिए, मैंने सोचदुनिया पर लिखना शुरू किया। आशा करता हूँ कि आपको भी मेरे लेख जरुर पसंद आएंगे।