काव्यलिंग अलंकार की परिभाषा, भेद और उदाहरण

काव्यलिंग अलंकार की परिभाषा : Kavyaling Alankar in Hindi:- आज के इस लेख में हमनें ‘काव्यलिंग अलंकार की परिभाषा’ से सम्बंधित जानकारी प्रदान की है।
यदि आप काव्यलिंग अलंकार से सम्बंधित जानकारी खोज रहे है? तो इस लेख को शुरुआत से अंत तक अवश्य पढ़े। तो चलिए शुरू करते है:-
काव्यलिंग अलंकार की परिभाषा : Kavyaling Alankar in Hindi
जहाँ पर किसी बात के समर्थन में कोई न कोई युक्ति अथवा कारण अवश्य दिया जाता है, क्योंकि बिना ऐसा किये वाक्य की बातें अधूरी रह जाएगी, तो वहाँ पर ‘काव्यलिंग अलंकार’ होता है।
साधारण शब्दों में:- जब किसी युक्ति से समर्थित की गई बात होती है, तो उसे को ‘काव्यलिंग अलंकार’ कहते है।
काव्यलिंग अलंकार के उदाहरण
काव्यलिंग अलंकार के उदाहरण निम्न प्रकार है:-
कनक कनक ते सौगुनी,
मादकता अधिकाय।
उहि खाय बौरात नर,
इहि पाए बौराए।।
स्पष्टीकरण:- उपर्युक्त पंक्तियों का अर्थ है कि धतूरा खाने से नशा होता है, लेकिन स्वर्ण पाने से ही नशा हो जाता है। यह एक अजीब बात है। यहाँ इस बात का समर्थन किया गया है कि स्वर्ण में धतूरे से अधिक मादकता होती है। धतूरा खाने से नशा चढ़ता है, लेकिन स्वर्ण पाने से ही मद की वृद्धि होती है।
काव्यलिंग अलंकार से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न
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काव्यलिंग अलंकार की परिभाषा क्या है?
जहाँ पर किसी बात के समर्थन में कोई न कोई युक्ति अथवा कारण अवश्य दिया जाता है, क्योंकि बिना ऐसा किये वाक्य की बातें अधूरी रह जाएगी, तो वहाँ पर ‘काव्यलिंग अलंकार’ होता है।
साधारण शब्दों में:- जब किसी युक्ति से समर्थित की गई बात होती है, तो उसे को ‘काव्यलिंग अलंकार’ कहते है।
अंतिम शब्द
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नमस्कार, मेरा नाम सूरज सिंह रावत है। मैं जयपुर, राजस्थान में रहता हूँ। मैंने बी.ए. में स्न्नातक की डिग्री प्राप्त की है। इसके अलावा मैं एक सर्वर विशेषज्ञ हूँ। मुझे लिखने का बहुत शौक है। इसलिए, मैंने सोचदुनिया पर लिखना शुरू किया। आशा करता हूँ कि आपको भी मेरे लेख जरुर पसंद आएंगे।