कर्तृवाच्य की परिभाषा, भेद और उदाहरण

Krit Vachya Ki Paribhasha in Hindi

कर्तृवाच्य की परिभाषा : Krit Vachya in Hindi:- आज के इस लेख में हमनें ‘कर्तृवाच्य की परिभाषा’ से सम्बंधित जानकारी प्रदान की है।

यदि आप कर्तृवाच्य से सम्बंधित जानकारी खोज रहे है? तो इस लेख को शुरुआत से अंत तक अवश्य पढ़े। तो चलिए शुरू करते है:-

कर्तृवाच्य की परिभाषा : Krit Vachya in Hindi

क्रिया का वह रूप जिससे वाक्य में कर्ता की प्रधानता का बोध होता है, उसे ‘कर्तृवाच्य’ कहते है।

साधारण शब्दों में:- क्रिया के जिस रूप से कर्ता के प्रधान होने का पता बोध हो और वाक्य में सकर्मक क्रिया और अकर्मक क्रिया दोनों हो, उसे ‘कर्तृवाच्य’ कहते है।

कर्तृवाच्य के उदाहरण

कर्तृवाच्य के उदाहरण निम्न प्रकार है:-

कर्तृवाच्य के उदाहरण
राम विद्यालय जाता है।
कविता गाना गाती है।
सविता पढ़ाई करती है।
श्याम टेलीविज़न देखता है।

उपर्युक्त उदाहरणों में ‘कर्ता’ प्रधान है और उन्हीं के लिए ‘जाता है’, ‘गाती है’, ‘करती है’ तथा ‘देखता है’ क्रियाओं का विधान हुआ है। अतः यह ‘कर्तृवाच्य’ के उदाहरण है।

कर्तृवाच्य से कर्मवाच्य में परिवर्तन के नियम

कर्तृवाच्य से कर्मवाच्य में परिवर्तन के सभी नियम निम्नलिखित है:-

  1. यदि कर्ता के बाद ‘ने’ शब्द प्रयुक्त हुआ है, तो उसे हटाकर उसके स्थान पर ‘द्वारा’, ‘से’ तथा ‘के द्वारा’ शब्द जोड़ा जाता है।
  2. क्रिया का प्रयोग लिंग, पुरुष व वचन के अनुसार करके ‘जा‘ धातु को उचित रूप जोड़ दिया जाता है।

कर्तृवाच्य से कर्मवाच्य में परिवर्तन के उदाहरण

कर्तृवाच्य से कर्मवाच्य में परिवर्तन के उदाहरण निम्नलिखित है:-

कर्तृवाच्यकर्मवाच्य
अध्यापक विद्यालय में शिक्षा देते है।अध्यापकों द्वारा विद्यालय में शिक्षा दी जाती है।
राम ने सुंदर गीत लिखे है।राम द्वारा सुंदर गीत लिखे गए है।
अध्यापक ने विद्यार्थी को पाठ पढ़ाया।अध्यापक द्वारा विद्यार्थी को पाठ पढ़ाया गया।
हम निमंत्रण पत्र कल लिखेंगे।हमसे निमंत्रण पत्र कल लिखा जाएगा।
वह दिन में फल खाता है।उससे दिन में फल खाए जाते है।
तुम फूल तोड़ोगे।तुम्हारे द्वारा फूल तोड़े जाएंगे।
भगवान हमारी रक्षा करता है।भगवान द्वारा हमारी रक्षा की जाती है।
सिपाही ने चोर को पकड़ा।सिपाही द्वारा चोर को पकड़ा गया।
माता ने बच्चों को प्यार किया।माता द्वारा बच्चों को प्यार किया गया।
वह हमें मुर्ख समझता है।उसके द्वारा हमें मुर्ख समझा जाता है।

कर्तृवाच्य से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न

  1. कर्तृवाच्य की परिभाषा क्या है?

    क्रिया का वह रूप जिससे वाक्य में कर्ता की प्रधानता का बोध होता है, उसे ‘कर्तृवाच्य’ कहते है।
    साधारण शब्दों में:- क्रिया के जिस रूप से कर्ता के प्रधान होने का पता बोध हो और वाक्य में सकर्मक क्रिया और अकर्मक क्रिया दोनों हो, उसे ‘कर्तृवाच्य’ कहते है।

अंतिम शब्द

अंत में आशा करता हूँ कि यह लेख आपको पसंद आया होगा और आपको हमारे द्वारा इस लेख में प्रदान की गई अमूल्य जानकारी फायदेमंद साबित हुई होगी।

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