नवरात्रि 2023 तिथि, शुभ मुहूर्त, कलश स्थापना, पूजा, आरती

Navratri 2023 : नवरात्रि 2023 तिथि, शुभ मुहूर्त, कलश स्थापना, पूजा, आरती:- आज के इस महत्वपूर्ण लेख में हमनें Navratri 2023 से सम्बंधित सम्पूर्ण जानकारी प्रदान की है।
यदि आप नवरात्रि से सम्बंधित सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त करना चाहते है तो इस लेख को शुरुआत से अंत तक अवश्य पढ़े। तो चलिए शुरू करते है:-
नवरात्रि शब्द का अर्थ “नौ रात्रि” होता है। यह शब्द संस्कृत भाषा से लिया गया है। नवरात्रि हिन्दू धर्म में सबसे अधिक मान्यता प्राप्त पर्व है।
हिन्दुओं में माँ दुर्गा को शक्ति का प्रतीक माना गया है। नवरात्रि 9 दिनों तक चलने वाला एक बड़ा त्यौहार है। इन दिनों में माँ दुर्गा के 9 रूपों की पूजा व उपासना की जाती है।
पूरे भारत में इस पर्व को बड़े ही हर्ष एवं उल्लास के साथ मनाया जाता है। पश्चिम बंगाल की दुर्गा पूजा पूरी दुनिया में प्रसिद्द है।
वहाँ पर नवरात्रि के प्रथम दिन देवी की प्रतिमा की स्थापना की जाती है। 9 दिन तक माता की पूजा होती है तथा अंतिम दिन इसे किसी नदी या तालाब में सम्पूर्ण विधिपूर्वक विसर्जित कर दिया जाता है। 9 दिन तक चलने वाले इस त्यौहार को बड़े ही हर्ष उल्लास के साथ मनाया जाता है।
नवरात्रि का यह महापर्व पोष, चैत्र, आषाढ़ तथा अश्विन मास में प्रतिपदा से नवमी तक मनाया जाता है। इसमें देवी दुर्गा के 9 स्वरूपों की पूजा की जाती है।
इस बार शरद नवरात्रि रविवार, 15 अक्टूबर से मंगलवार, 24 अक्टूबर तक बड़े धूम-धाम से मनाई जाएगी। नवरात्रि में नौ रातो में नौ देवियों की पूजा की जाती है।
प्रत्येक वर्ष अश्विनी माह में प्रतिपदा तिथि से नवमी तिथि तक नवरात्रि को बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार यह शरद ऋतू में मनाया जाता है।
नवरात्रि का त्यौहार सम्पूर्ण देश में मनाया जाता है। हम वर्षों से इस पर्व को हर्ष-उल्लास के साथ मनाते है। देश के विभिन्न हिस्सों में इसे भिन्न-भिन्न तरीकों से मनाया जाता है।
इसमें व्रत, पूजा इत्यादि सभी कार्य करते है। लेकिन क्या आपको पता है कि इसके पीछे की क्या मान्यता है? इससे जुड़ी एक पौराणिक कथा है।
कहा जाता है कि बहुत समय पहले महिसासुर नाम का एक राक्षस हुआ करता था। वह बहुत शक्तिशाली तथा बलवान था। वह राक्षस अमर होना चाहता था।
इसके लिए उसने ब्रह्मा जी की कठोर तपस्या की और कई वर्षो की तपस्या के बाद अंतत: ब्रह्माजी ने उसकी तपस्या से प्रसन्न होकर दर्शन दिए और उसे कोई वर मांगने को कहा।
उस राक्षस ने ब्रह्माजी से अमर होने का वरदान मांगा। तब ब्रह्माजी ने उससे कहा कि यह असंभव है। समय के साथ जिसने इस धरती पर जन्म लिया है उसे एक न एक दिन मरना ही पड़ेगा। इसलिए, मैं तुम्हे यह आशीर्वाद नहीं दे सकता।
ऐसा सुनकर महिसासुर ने कहा कि “प्रभु अगर आप मुझे यह वरदान नहीं दे सकते तो आप मुझे यह वरदान दें कि मुझे कोई देवता, मनुष्य तथा असुर कोई भी नहीं मार सके।
अगर मेरी कभी मृत्यु हो, तो वह किसी स्त्री के हाथों से हो। ब्रह्माजी ने महिषासुर की पूरी बात सुनी और मुस्कुराते हुए उसे यह आशीर्वाद दे दिया।
इसके बाद महिषासुर वापस अपने राज्य में आया और राक्षसो का राजा बन गया। उसने देवलोक पर आक्रमण कर दिया। वहां पर उसका और देवताओं का घमासान युद्ध हुआ।
वरदान के कारण देवता उसका कुछ भी नहीं बिगड़ सके और देवताओं को हार का सामना करना पड़ा। देवता वहाँ से भागकर त्रिदेव अर्थात ब्रह्मा, विष्णु तथा महेश के पास गए।
यह सुनकर उन्होंने कहा कि सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में सिर्फ आदिशक्ति ही है, जो उसे पराजित कर सकती है। तब सभी देवताओं ने मिलकर देवी आदि शक्ति की पूजा की और पूजा से प्रसन्न होकर एक दिव्यज्योति से माता दुर्गा प्रकट हुई।
सभी देवताओं ने माता दुर्गा से उनकी सहायता करने के लिए आव्हान किया। माता दुर्गा वहाँ से अंर्तध्यान होकर महिषासुर के पास गई, जो कि अब देवलोक का राजा बन गया था।
माता दुर्गा को देख कर महिषासुर उन पर मोहित हो गया और माता दुर्गा के सामने उनसे शादी करने का प्रस्ताव रखा। माता दुर्गा ने उसे मना कर दिया, लेकिन वह बार-बार यह कोशिश करता रहा।
देवी दुर्गा इस समय की ही प्रतिक्षा कर रही थी, उन्होंने कहा की मैं तुमसे विवाह करने के लिए तैयार हूँ। लेकिन मेरी एक शर्त है।
तुम्हे मेरे साथ एक युद्ध करना पड़ेगा। यह सुनकर महिषासुर युद्ध के लिए तैयार हो गया। उसके पश्चात उन दोनों के मध्य युद्ध शुरू हो गया। 9 दिन तक यह युद्ध चलता रहा 10वें दिन वरदान के अनुसार माता दुर्गा ने महिषासुर का वध कर दिया।
यह देख कर सभी देव प्रसन्न हुए और उन्होंने माता दुर्गा के ऊपर फूलों से वर्षा की और उनकी पूजा-अर्चना करने लगे। तभी से उन 9 दिनों को नवरात्रि के रूप मे बड़े ही हर्ष-उल्लास से मनाया जाता है।
नवरात्रि एक हिन्दू पर्व है। जो कि हिंदू धर्म मे बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। मुख्य रूप से एक वर्ष मे 2 बार नवरात्रि मनाई जाती है। जो कि चैत्र नवरात्र व शारदीय नवरात्र होती है।
चैत्र नवरात्र वर्ष के शुरुआत मे आती है। जबकि शारदीय नवरात्र शरद ऋतू मे आती है। नवरात्रि को अधर्म पर धर्म की विजय के रूप मे मनाया जाता है।
इसमें बताया गया है कि माता जहाँ ममता से भरी होती है। वहीँ दूसरी तरफ अगर उनके भक्तों पर कोई मुसीबत आए तो वह विकराल रूप धारण कर लेती है। इसे कही जगहों पर दुर्गोत्सव के नाम से जाना जाता है।
नवरात्रि मे माता दुर्गा की पूजा की जाती है। इस त्योहार को पूरे भारत मे बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है। नवरात्रि के त्यौहार मे व्रत-विधि बहुत ही महत्पूर्ण है।
इन 9 दिनों मे सभी लोग उपवास करते है। इसमें पहले दिन कलश स्थापना की जाती है। सुबह उठकर स्नान करके माता की पूजा करते है।
उसके बाद दैनिक दिनचर्या के काम पूर्ण करके शाम के समय पूजा-पाठ व आरती करके भोजन ग्रहण करते है। ऐसे पुरे 9 दिनों तक चलता है। कईं लोग सिर्फ पहले व आखरी दिन उपवास रखते है।
इसके पश्चात अष्ठमी व नवमी के दिन कन्याओं को भोजन कराने के पश्चात अपना उपवास ख़त्म करते है। इस विधि से अपना उपवास रखते है।
पुरे भारत मे इन 9 दिनों को अलग-अलग राज्यों मे अलग-अलग तरीको से मनाया जाता है। जैसे:- पूरे भारत के अलग-अलग राज्यों मे रामलीला का आयोजन कराया जाता है।
पश्चिम बंगाल मे नवरात्रि के षष्ठी से नवमी तक दुर्गा पूजा का बहुत बड़ा आयोजन किया जाता है। इन 9 दिनों में यहाँ पर माता दुर्गा की प्रतिमा को स्थापित किया जाता है व पूजा की जाती है।
अष्ठमी व नवमी को दुर्गा माता की विधिवत पूजा के पश्चात उनकी प्रतिमा को जल में विसर्जित कर दिया जाता है।
महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान, मध्यप्रदेश व अलग अलग राज्यों में गरबा व डांडिया महोत्सव के आयोजन किये जाते है। यहां पर लोग बड़ी मात्रा में डांडिया और गरबा का मजा लेने आते है।
तमिलनाडु में देवी के पध चिन्हों व प्रतिमा को घर में झांकी के रूप में स्थापित किया जाता है व इसकी पूजा की जाती है। इसे वहाँ पर कोलू या गोलू भी कहा जाता है।
कनार्टक में नवमी के दिन विधिवत आयुध पूजा की जाती है। इसी तरह पुरे भारत में कलश स्थापना करके 9 दिनों के उपवास व कन्याओ को पूजा कराने के पश्चात यह पर्व पूरा होता है।
नवरात्रि पर अपने परिवारजनों तथा मित्रों को निम्न प्रकार से इस त्यौहार की शुभकामनाएँ भेज सकते है:-
लक्ष्मी जी का हाँथ हो,
सरस्वती जी का साथ हो,
गणेश जी का निवास हो,
औए माँ दुर्गा का आशीर्वाद हो।
इस नवरात्रि आपके लिए खुशियों का पैगाम हो।
कुमकुम भरे क़दमों से आए माँ दुर्गा आपके द्वार,
सुख संपत्ति मिले आपको अपार,
मेरी और से नवरात्रि की शुभकामनाएं करें स्वीकार।
जगत पालन हार है माँ
मुक्ति का धाम है माँ!
हमारी भक्ति के आधार है माँ,
हम सब की रक्षा की अवतार है माँ…
!! जय माता दी !
देवी के कदम आपके घर में आये,
आप खुश्नाली से नहाये….
परेशानिया आपसे आँखें चुराए,
नवरात्रि की आपको हार्दिक शुभकामनाएं
इस वर्ष नवरात्रि के 9 दिनों में नीचे दी गई इन देवियों की पूजा की जाती है।
चैत्र नवरात्रि 2023 में बुधवार, 22 मार्च 2023 से प्रारम्भ होकर गुरुवार, 30 मार्च 2023 को समाप्त हो रही है।
प्रतिपदा:- माँ शैलपुत्री (22 मार्च 2023)
तिथि:- चैत्र/अश्विन शुक्ल प्रतिपदा
अन्य नाम:- वृषारूढ़ा
द्वितीय:- माँ ब्रम्हचारिणी (23 मार्च 2023)
तिथि:- चैत्र/अश्विनी शुक्ल द्वितीय
अन्य नाम:- देवी अपर्णा
तृतीया:- माँ चंद्रघंटा (24 मार्च 2023)
तिथि:- चैत्र/अश्विनी शुक्ल तृतीया
चतुर्थी:- माँ कूष्माण्डा (25 मार्च 2023)
तिथि:- चैत्र/अश्विनी शुक्ल चतुर्थी
अन्य नाम:- अष्टभुजा देवी
पंचमी:- माँ स्कंदमाता (26 मार्च 2023)
तिथि:- चैत्र/अश्विनी शुक्ल पंचमी
अन्य नाम:- उग्र शेर
षष्ठी:- माँ कात्यायनी (27 मार्च 2023)
तिथि:- चैत्र/अश्विनी शुक्ल षष्ठी
सप्तमी:- माँ कालरात्रि (28 मार्च 2023)
तिथि:- चैत्र/अश्विनी शुक्ल सप्तमी
अन्य नाम:- देवी शुभंकरी
अष्टमी:- माँ महागौरी (29 मार्च 2023)
तिथि:- चैत्र/अश्विनी शुक्ल अष्टमी
अन्य नाम:- श्वेताम्बरधरा
नवमी:- माँ सिद्धिदात्री (30 मार्च 2023)
तिथि:- चैत्र/अश्विनी शुक्ल नवमी
अंतिम शब्द
अंत में आशा करता हूँ कि यह लेख आपको पसंद आया होगा और आपको हमारे द्वारा इस लेख में प्रदान कि गई अमूल्य जानकारी फायदेमंद साबित हुई होगी।
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