पत्र लेखन की परिभाषा, प्रारूप, प्रकार और उदाहरण

Patra Lekhan in Hindi

पत्र लेखन की परिभाषा : Patra Lekhan in Hindi:- आज के इस लेख में हमनें ‘पत्र लेखन’ से सम्बंधित जानकारी प्रदान की है।

यदि आप पत्र लेखन से सम्बंधित जानकारी खोज रहे है? तो इस लेख को शुरुआत से अंत तक अवश्य पढ़े। तो चलिए शुरू करते है:-

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पत्र लेखन की परिभाषा : Patra Lekhan in Hindi

पत्र लेखन का वास्तविक अर्थ:- कागज़ के माध्यम से अपने विचारों का आदान-प्रदान करना है। प्राचीनकाल में पत्र लेखन को कला माना जाता था।

औपचारिक और अनौपचारिक दोनों प्रकार के पत्र आज भी लिखे जाते है। बहुत से लोग ऐसे है, जो वर्तमान में भी पत्र के माध्यम से ही अपने रिश्तेदारों व मित्रों की जानकारी प्राप्त करते है और अपनी जानकारी प्रदान करते है।

इसी प्रकार सरकारी कार्यों, व्यावसायिक कार्यों और विद्यालय सबंधी कार्यों के लिए भी कागज के पत्रों के माध्यम से आचार-विचार किया जाता है। सामान्यतः पत्र मुख्य रूप से 2 प्रकार के होते है:- औपचारिक पत्र और अनौपचारिक पत्र।

औपचारिक पत्र की भाषा सरल होती है और अनौपचारिक पत्र की भाषा में भावात्मकता होती है। दोनों प्रकार के पत्रों के स्वयं के अपने-अपने महत्व है। औपचारिक पत्र निर्धारित प्रारूप में लिखे जाते है।

हिंदी पत्र लेखन के आवश्यक जानकारी

हिंदी पत्र लेखन के सभी आवश्यक जानकारी निम्नलिखित है:-

पत्र के भागऔपचारिक पत्रअनौपचारिक पत्र
प्रेषक (भेजने वाले का पता)बाई तरफ सबसे ऊपरदाई तरफ सबसे ऊपर
तिथिप्रेषक के पते के नीचेप्रेषक के पते के नीचे
जिसे पत्र भेजा जा रहा है, उसका नाम/पता अथवा पद, विभाग एवं पतालिफाफे के ऊपर नाम व पतातिथि के नीचे सेवा में, पद, विभाग एवं पता
विषय कम शब्दों मेंनहीं लिखा जातापाने वाले के पते के बाद
सम्बोधनआदरणीय, प्रिय आदिमहोदय, माननीय, आदि
अभिवादनप्रमाण, स्नेह, नमस्ते, आदिनहीं लिखा जाता
पत्र का मुख्य भागदो, तीन अथवा चार, कितने भी अनुच्छेद हो सकते हैदो अनुच्छेदों में लिखें
मुख्य भाग की समाप्तिशेष, कुशल, उत्तर की प्रतीक्षा में, आदिधन्यवाद, सधन्यवाद, धन्यवाद सहित
हस्ताक्षर से पहले की शब्दावलीआपका, तुम्हारा स्नेह-अभिलाषी, आदिभवदी, प्रार्थी, विनीत
हस्ताक्षर तथा दूरभाषहस्ताक्षर नहीं करने हैहस्ताक्षर करें

पत्र लिखने में प्रशस्ति, अभिवादन और समाप्ति पत्र के प्रकार

पत्र लिखने के लिए सबंधो के लिए उपयोग किये जाने वाले सम्बोधन, अभिवादन और समाप्ति के विषय निम्नलिखित है।

निम्नलिखित सारणी के माध्यम से आप समझ सकते है कि कौनसे संबंध के व्यक्ति के लिए कौनसे सम्बोधन और अभिवादन का उपयोग किया जाना चाहिए।

पत्रों के प्रकारसंबंधसम्बोधनअभिवादन/समाप्ति
निजी पत्रबड़े पुरुषों कोपूज्य पिताजी/फूफाजी/ताऊजी/मौसाजी ताजी/चाचाजी/मामाजीसादर प्रणाम/आपका/आपकी आज्ञाकारी
छोटों कोप्रिय भाई/प्रिय राजेश, प्रिय बहन अथवा प्रिय रोशनीप्रसन्न रहो/शुभचिंतक
बड़ी स्त्रियों कोपूज्य माताजी/बुआजी/ताईजी/चाचीजी/मामीजी/मौसीजीसादर प्रणाम/आपका/आपकी आज्ञाकारी
बराबर वाली स्त्रियोंप्रिय सखी/प्रिय बहननमस्ते/नमस्कार/आपकी सखी/आपकी बहन
बराबर वाले पुरुषोंप्रिय मित्र/प्रिय भाईनमस्ते/नमस्कार/आपका मित्र/आपका भाई
प्रार्थना पत्रमुख्याध्यापक को मुख्याध्यापिका कोसेवा में/श्रीमान मुख्याध्यापक जी सेवा में/श्रीमती मुख्याध्यापिका जीनमस्ते/नमस्कार/आपका/आपकी आज्ञाकारी
व्यावसायिक पत्रपुस्तक-विक्रेता कोसेवा में व्यवस्थापक महोदय, महोदय/प्रिय महोदयनमस्कार/भवदीय
निमंत्रण-पत्रमित्रो, रिश्तेदारों कोश्रीमान्……. जी, श्रीमती……. जीभवदीय आपका/आपकी

पत्र लिखते समय ध्यान रखने योग्य बातें

यदि आप भी पत्र लिखना चाहते है, तो सबसे पहले निम्नलिखित विशेष बातों को ध्यानपूर्वक पढ़ें और पत्र लिखते समय इन सभी बातों को पालन करें।

  • पत्र में पत्र लिखने वाले का पूरा पता और दिनांक को निर्धारित स्थान पर लिखना चाहिए।
  • पत्र की भाषा सरल होनी चाहिए तथा वाक्य छोटे होने चाहिए, ताकि किसी भी व्यक्ति को पत्र पढ़ने में कोई कठिनाई न हो।
  • पत्र लिखते समय ध्यान रखना चाहिए कि अपनी बात संक्षेप में समाप्त करें।
  • जिस व्यक्ति के लिए पत्र लिखा जा रहा है, उस व्यक्ति के लिए उचित सम्बोधन का उपयोग किया जाना चाहिए। जैसे:- पूज्य, आदरणीय, माननीय, महोदय, आदि।
  • पत्र के अंत में लिखने वाले के अनुसार शब्दावली का उपयोग किया जाना चाहिए।
  • लिफ़ाफ़े अथवा पोस्टकार्ड पर पत्र लिखने वाले का पूरा नाम और पता सही से लिखा जाना चाहिए।

पत्र के प्रकार

हिंदी में पत्र मुख्य रूप से 2 प्रकार के होते है, जो कि निम्नलिखित है:-

पत्र के प्रकार
औपचारिक पत्र
अनौपचारिक पत्र

1. औपचारिक पत्र

सरकारी, अर्द्ध-सरकारी अधिकारियों, कार्यालयों, संस्थानों, दुकानदारों, आदि को लिखे जाने वाले पत्रों ‘औपचारिक पत्र’ कहते है। औपचारिक पत्रों को पेशेवर भाषा में लिखा जाता है।

औपचारिक पत्र के प्रकार

औपचारिक पत्र मुख्य रूप से 3 प्रकार के होते है, जो कि निम्नलिखित है:-

औपचारिक पत्र के प्रकार
प्रार्थना पत्र
कार्यालयी पत्र
व्यावसायिक पत्र

औपचारिक पत्र का प्रारूप

यदि आप सरकारी, व्यावसायिक, कार्यालयी अथवा प्रार्थना पत्र लिखना चाहते है, लेकिन आपको ऐसे पत्रों को लिखने का सही प्रारूप पता नहीं है, तो यहाँ हम आपको ऐसे पत्र लिखने का सही प्रारूप बताने जा रहे है।

ऐसे पत्रों को औपचारिक पत्र के नाम से जाना जाता है। हमारे द्वारा प्रदान किये औपचारिक पत्र के प्रारूप के अनुसार आप ये पत्र लिख सकते है। औपचारिक पत्र के प्रारूप निम्नलिखित है:-

पता………
दिनांक………

सेवा में,
……………………………………………………
……………………………………………………
……………………………………………………

विषय…………………………………………………………………………।

श्रीमान जी,
…………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………
…………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………
…………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………
…………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………
…………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………
…………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………
…………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………………
………………………………………………………………………

धन्यवाद,
आपका आज्ञाकारी शिष्य आपका आभारी,
नाम:- ………………………………

औपचारिक पत्र के उदाहरण

औपचारिक पत्र के उदाहरण निम्नलिखित है:-

प्रार्थना पत्र – विद्यालय में प्रवेश लेने के लिए प्रधानाचार्य जी को प्रार्थना पत्र

परीक्षा भवन,
सेवा में,
प्रधानाचार्य महोदय,
राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय
जयपुर - 302012
दिनांक:- 02/02/2023

विषय:- विद्यालय में प्रवेश लेने के लिए प्रार्थना पत्र

आदरणीय महोदय,
सादर विनम्र,

आपसे सविनय निवेदन है कि मेरे पिताजी जबलपुर भारतीय रेलवे में इंजीनियर के पद पर कार्यरत है लेकिन, उनका स्थानांतरण जयपुर हो गया है। अब मैं और मेरा पूरा परिवार जयपुर में रह रहा है। इसलिए, मैं आपके विद्यालय राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में कक्षा 11 में प्रवेश लेना चाहती हूँ/चाहता हूँ।

महोदय, आपसे अनुरोध है कि मुझे अपने विद्यालय में प्रवेश लेने के लिए अनुमति प्रदान करें।

धन्यवाद,
आपका आज्ञाकारी शिष्य
नाम:- सूरज सिंह रावत

व्यावसायिक पत्र – कपड़ा व्यापरी को माल की पूछताछ के संबंध में पत्र

टेलीफोन:- 845852 जौहरी बाजार
तार:- व्यापारी जयपुर।
सन्दर्भ संख्या : 7654/41
दिनांक:- 02/02/2023

सर्वश्री हरेश्चंद्र रामचंद्र,
कपड़े के आढ़तिया,
निकट बस अड्डा,
जयपुर।

विषय:- माल के सम्बन्ध में पूछताछ

प्रिय महोदय,
आपको यह जानकर प्रसन्नता होगी कि हम जयपुर के मुख्य बाजार में कपड़े का फुटकर व्यापार पिछले 20 वर्षों से करते आ रहे है। अब हम इस व्यापार का और अधिक विस्तार करना चाहते है, जिसमें हम आपके सहयोग की अपेक्षा करते है।

कृपया निम्नलिखित वस्तुओं की उपलब्धता, उनके न्यूनतम मूल्य, व्यापारिक शर्तें, डिलीवरी के समय, भुगतान पद्धति, आदि के सम्बन्ध में लिखने का कष्ट करें।

फगवाड़ा पॉपलीन - 10 थान
मारकीन कुतिया छाप - 100 थान
नरकटिया धोती जोड़े - 200 जोड़े
पॉपलीन डी.सी.एम - 200 थान

पत्रोत्तर की परीक्षा में,

भवदीय
वास्ते अजय, विजय
अजय

कार्यालयी पत्र – कन्या भ्रूण हत्या की समस्या के संबंध में पत्र

सेवा में,
सम्पादक जी,
राजस्थान पत्रिका
सेनापति

विषय:- कन्या भ्रूण हत्या की समस्या

मान्यवर महोदय,

निवेदन यह है कि मैं देवगुढ़ा गाँव का निवासी हूँ। मैं आपके सम्पादन अथवा अखबार के माध्यम से आपके साथ-साथ जनता का ध्यान कन्या भ्रूण हत्या की और खींचना चाहता हूँ। कन्या भ्रूण हत्या समस्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है। वर्तमान समय में हमारे देश का लिंग अनुपात बढ़ता ही जा रहा है। देखा जाए तो सबसे अधिक लिंगानुपात सोनीपत जिले का है। चिकित्सा क्षेत्र में नई तकनीकी के आ जाने से लोग पहले से अजन्मे शिशु का लिंग गर्भ में ही पता कर लेते है। यदि महिला के गर्भ में कन्या होती है, तो उस कन्या की भ्रूण हत्या कर दी जाती है।

अतः आपसे नम्र निवेदन है कि आप इस समस्या की और ध्यान दें और जल्दी ही कन्या भ्रूण हत्या करने वालों के खिलाफ सख्त कदम उठाएं, ताकि लिंगानुपात कम हो सके और कन्या भ्रूण हत्या न हो।

सधन्यवाद,
भवदीय
सूरज
देवगुढ़ा

2. अनौपचारिक पत्र

मित्रो, रिश्तेदारों तथा किसी परिचित व्यक्ति को लिखे जाने वाले पत्रों को ‘अनौपचारिक पत्र’ कहते है।

अनौपचारिक शब्द से आशय है:- किसी प्रकार की औपचारिकता न हो अर्थात कुछ भी कहने के लिए हमें पत्र लिखने के लिए किसी प्रकार की अनुमति न लेनी पड़े अथवा किसी प्रकार के आभार व्यक्त सम्बंधित शब्दों का प्रयोग न करना पड़े।

अनौपचारिक पत्र लिखने वाले और पत्र प्राप्त करने वाले व्यक्ति के बीच घनिष्ठ सम्बन्ध होता है। इसमें किसी प्रकार की औपचारिकता की आवश्यकता नहीं होती है।

अनौपचारिक पत्र का प्रारूप

यदि आप अपने किसी मित्र, सगे-सम्बन्धी अथवा किसी घनिष्ठ करीबी व्यक्ति को किसी सम्बन्ध में पत्र लिखना चाहते है, लेकिन आपको पत्र लिखने का सही प्रारूप पता नहीं है, तो यहाँ हम आपको ऐसे पत्रों के प्रारूप साझा कर रहे है।

हमारे द्वारा साझा किये गए पत्रों के इन प्रारूप को देखकर आप पत्र लिख सकते है। ऐसे पत्रों को अनौपचारिक पत्रों के नाम से जाना जाता है। अनौपचारिक पत्र के प्रारूप निम्नलिखित है:-

प्रेषक का पता
………………………
………………………
………………………
दिनांक:- ………………………
सम्बोधन ………………………

अभिवादन ………………………

पहला अनुच्छेद ………………………

दूसरा अनुच्छेद ……………………… (विषय-वस्तु, जिस संबंध में पत्र लिखा जा रहा है)

तीसरा अनुच्छेद……………………… समाप्ति………………………

प्रापक के साथ प्रेषक का सम्बन्ध
प्रेषक का नाम

अनौपचारिक पत्र के उदाहरण

यहाँ हम आपको अपनी पढ़ाई के संबंध में अपने पिताजी को पढ़ाई की जानकारी प्रदान करने के लिए पत्र कैसे लिखें? यह एक उदाहरण के द्वारा बताने जा रहे है। ऐसे पत्र ‘अनौपचारिक पत्र’ के अंतर्गत आते है। अनौपचारिक पत्र के उदाहरण निम्न प्रकार है:-

अपनी पढ़ाई के संबंध में पिताजी को जानकारी देने हेतु पिता को पत्र

नांगल जैसा बोहरा,
झोटवाड़ा, जयपुर
जयपुर - 302012
दिनांक:- 02/02/2023

पूज्य पिताजी,
सादर चरणस्पर्श। मुझे आपका स्नेहपूर्ण पत्र प्राप्त हुआ। आपका पत्र पढ़कर मेरा मन खुश हो गया। माताजी के बेहतर स्वास्थ्य के बारे में जानकर मुझे बहुत प्रसन्नता हुई। 10 फरवरी से 22 फरवरी तक कॉलेज का अवकाश है। काफी समय के बाद हम सभी फिर से एक साथ होंगे। इस बात को सोचकर ही मैं बहुत खुश हो जाता हूँ/जाती हूँ।

कॉलेज की परीक्षा की मेरी तैयारी भी काफी अच्छी चल रही है। मैंने अपने सभी पेपर अच्छे प्रकार से तैयार कर लिए है। गत टर्मिनल परीक्षा में मात्र 5 अंक कम होने के कारण मैं कॉलेज में प्रथम स्थान प्राप्त करने से रह गया था। लेकिन, इस बार मैंने अपनी तैयारी काफी ध्यानपूर्वक तथा और अच्छे प्रकार से की है। एक और बात आपको बताना चाहता हूँ/चाहती हूँ पिताजी, इस पर मासिक परीक्षा में हमारे प्रधानाध्यापक ने मुझे डबल स्टार भी प्रदान किये थे और मेरी उत्तर-पुस्तिका में कहीं पर भी लाल निशान नहीं है। अतः आपको चिंता करने की आवश्यकता नहीं है। इस बार आपका बेटा/आपकी बेटी आप लोगों का तथा कॉलेज का नाम अवश्य रोशन करेगा/करेगी।

बाकी सब तो पहले के जैसा ही है, हालांकि मेरा मित्र विकास/मेरी सहेली निशा की माताजी का स्वास्थ्य बिगड़ा हुआ है। इसलिए, वह अपनी माताजी के स्वास्थ्य को लेकर काफी मायूस रहने लगा है/लगी है। वैसे मैं उसे समझाने के साथ-साथ उसका ध्यान बहुत अच्छे से रख रहा हूँ/रही हूँ।

आपके और माताजी के अच्छे स्वास्थ्य की कामना करते हुए मैं इस पत्र की समाप्ति करता हूँ। प्रणाम!

आपका लाडला बेटा/आपकी लाड़ली बेटी
नाम:- नीरज/नेहा

मित्र को ग्रीष्मकाल साथ बिताने के संबंध में पत्र

वैष्णव विहार,
जयपुर,
2 फरवरी 2023,
विकास,
प्रिय मित्र,

आज तुम्हारा पत्र प्राप्त हुआ। यह जानकर प्रसन्नता हुई कि इस ग्रीष्मकाल में तुम कहीं भ्रमण करने का कार्यक्रम बना रहे हो। मेरी यह हार्दिक इच्छा है कि यह गर्मी की छुट्टियाँ तुम मेरे साथ बिताओ। मैंने ग्रीष्मकाल में अपने गाँव जाने का कार्यक्रम बनाया है। गर्मी में वहीं सारी दोपहरी आम के बगीचों में आम तोड़ते हुए बिताना तथा शाम को लहराते खेतों में घूमना मन को काफी अधिक शांति प्रदान करता है। यदि तुम साथ रहोगे तो आनंद दोगुना हो जाएगा। मेरी इस योजना पर विचार करना तथा अपना उत्तर मुझे जल्द ही देना।

माता-पिता को मेरा प्रणाम कहना और कालू को मेरा प्यार देना।

तुम्हारा मित्र अभिन्न मित्र,
नीरज

औपचारिक पत्र तथा अनौपचारिक पत्र में अंतर

औपचारिक पत्र तथा अनौपचारिक पत्र में सभी अंतर निम्नलिखित है:-

औपचारिक पत्रअनौपचारिक पत्र
औपचारिक पत्र के अंतर्गत प्रार्थना पत्र, सरकारी पत्र, गैर-सरकारी पत्र, व्यावसायिक पत्र, आदि आते है।अनौपचारिक पत्र के अंतर्गत माता-पिता, पिताजी, भाई-बहन, आदि को लिखे जाने वाले पत्र आते है।
औपचारिक पत्रों में सरकारी सूचनाएं तथा संदेशों का विश्लेषण होता है।अनौपचारिक पत्र में निजी बातें लिखी जाती है। जिसमें पारिवारिक लोग, मित्र, रिश्तेदार, आदि आते है।
अनौपचारिक पत्रों में शिष्ट भाषा का प्रयोग किया जाता है।अनौपचारिक पत्रों का उपयोग सामान्य अथवा भावात्मक, स्नेह, दया, सहानुभूति, आदि भावनाओं से परिपूर्ण भाषा प्रयोग किया जाता है।
औपचारिक पत्रों का महत्व विशेष कार्यों के लिए होता है।अनौपचारिक पत्रों को लिखने का कोई मुख्य उद्देश्य नहीं होता है। इनका उपयोग सामान्य बातचीत के लिए भी किया जाता है।
औपचारिक पत्रों को लिखने का एक औपचारिक उद्देश्य होना आवश्यक होता है।किसी निजी व्यक्ति को बधाई देने, शोक सूचना देने, विवाह तथा जन्मदिवस पर आमंत्रित करने, आदि के लिए अनौपचारिक पत्रों का प्रयोग किया जाता है।
औपचारिक पत्रों में विषय को मुख्यतः 3 अनुच्छेदों में विभाजित किया जाता है।हर्ष, दुःख, उत्साह, सहानुभूति, क्रोध, नाराज़गी, सलाह, आदि भावनाओं को अनौपचारिक पत्र के माध्यम से व्यक्त किया जाता है।

पत्र लेखन का उद्देश्य

वर्तमान समय में लोगों के लिए बातचीत करने और स्थिति जानने के लिए विभिन्न इलेक्ट्रॉनिक उपकरण के विकल्प उपलब्ध है। जैसे:- टेलीफोन, मोबाइल फ़ोन, ई-मेल, फैक्स, आदि।

इन सभी विभिन्न इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के बावजूद भी पत्र लेखन का काफी अधिक महत्व है, क्योंकि अनेकों आधिकारिक कार्य पत्र लेखन के माध्यम से ही पूर्ण किये जाते है।

यदि कोई विद्यार्थी विद्यालय नहीं जाता है, तो सम्बंधित कारण का विवरण देते हुए अवकाश हेतु प्रार्थना पत्र लिखा जाता है।

मोबाइल फ़ोन के द्वारा होने वाली बातचीत अस्थाई होती है और इसका लेखा-जोखा नहीं रहता है। पत्र व्यवहार अपने आप में एक लिखित प्रमाण के रूप में संग्रहित किया जा सकता है।

सरकारी तथा निजी संस्थानों के कर्मचारी/अधिकारी अपनी बातचीत एवं जरूरतों को लिखित रूप में पत्र के माध्यम से करने को प्रधानता देते है। एक अंग्रेजी कहावत के अनुसार पत्र मानव ह्रदय के पटलों को खोलते है।

पत्र लेखन एक कला के रूप में

वर्तमान समय में पत्र लेखन को ‘कला’ के रूप में जाना जाता है, क्योंकि पत्रों में लोग अपनी कलात्मक अभिव्यक्ति प्रस्तुत करते है। साहित्य से संबंधित व्यक्ति इसका भरपूर प्रयोग करते है।

जो पत्र अपने स्वाभाविक रूप के जितना नजदीक होता है, वह उतना ही पढ़ने वाले पर प्रभाव डालता है। पत्रों में सिर्फ कोरे शब्द ही नहीं होने चाहिए, बल्कि उनमें कला का सौन्दर्य तथा अंतर्मन की भावनाओं का दर्शन भी होना चाहिए।

पत्र लेखन से संबंधित महत्वपूर्ण बिन्दु

‘पत्र’ किसी भी व्यक्ति को लाभान्वित करने की क्षमता रखते है, लेकिन पत्रों से सिर्फ वही लोग लाभ प्राप्त कर पाते है, जो परिस्थिति के अनुसार आदर्श पत्र लिखने की कला से परिचित होते है।

एक गलत अथवा निम्न गुणवत्ता वाला पत्र विशेष अवसर को प्राप्त करने में बाधक हो सकता है। यदि पत्र को और भी अधिक प्रभावी बनाना चाहते है, तो निम्नलिखित बातों को ध्यान में अवश्य रखें:-

1. भाषा

सबसे पहले पत्र में प्रयुक्त भाषा का विशेष स्थान होता है। पत्र में लेखक को हमेशा सभ्य और अनाक्रमक भाषा प्रयुक्त करनी चाहिए।

पत्र में कृपया/धन्यवाद जैसे शब्दों को लिखकर पाठक के मन को प्रभावित किया जा सकता है। हम कह सकते है पत्र को सभ्य और साहित्यिक भाषा ही पाठक को प्रभावित कर देती है।

2. संक्षिप्तता

तेज़ी से भागने वाले लोगों के पास काफी कार्य होते है। अतः उनका समय एक बहुमूल्य वस्तु बन चुका है। इसलिए, पत्र लिखते समय व्यर्थ में शब्दों का प्रयोग करने से लेखक और पाठक दोनों को समय के अतिरिक्त व्यय का सामना करना पड़ता है। इसलिए, पत्र के विषय से संबंधित बातों को सरल शब्दों में व्यक्त करना चाहिए।

3. स्वच्छता

पत्र लिखते समय कागज को शुरु से अंत तक साफ रहने देना चाहिए। व्यर्थ की काट-पीट, कागज को मोड़ना, कलम के अनावश्यक निशानों, आदि से हमेशा बचना चाहिए।

टाइप किये गए पत्र में किसी भी प्रकार की त्रुटि नहीं होनी चाहिए। ऐसा नहीं करने पर पाठक पत्र को लेकर नीरस हो जाता है और उसके मन में शंका भी उत्पन्न हो जाती है।

4. रोचकता

पत्र में रूचि उत्पन्न नहीं होने पर पाठक प्रभावित नहीं हो सकता है। इसलिए, पत्र लिखते समय पत्र की शुरूआत तथा अंत में पाठक के स्वभाव को ध्यान में रखते हुए पत्र लेखन करना चाहिए।

पाठक को इंगित करते हुए कुछ विशेष शब्दों का प्रयोग अवश्य करना चाहिए। जैसे:- आदरणीय, प्यारे, श्रीमान, आदि।

5. उद्देश्य

लेखक को पत्र के मुख्य उद्देश्य से संबंधित तथ्यों को ही पत्र के अंतर्गत सम्मिलित करना चाहिए। पाठक का ध्यान उद्देश्य पर रहना अत्यंत आवश्यक है, क्योंकि पत्र का अंतिम लक्ष्य पाठक का ध्यान उद्देश्य पर केंद्रित करना है।

पत्र में सरल भाषा का प्रयोग करें और अपने वाक्यों को छोटा बनाएं। पत्र में 2 अथवा 3 अनुच्छेद होने चाहिए और शब्द सीमा अधिकतम 150 से 200 शब्दों के बीच होनी चाहिए।

पत्र लेखन का महत्व

पत्र लेखन की सभी महत्वपूर्ण बातें निम्नलिखित है:-

  • अन्यत्र स्थानों में निवास करने वाले संबंधियों तथा व्यापारियों को आपसी सम्बन्ध को जारी रखने में पत्र विशेष योगदान देता है।
  • सूचनाएँ निजी हो या व्यक्तिगत, इनको सम्प्रेषित करने मे पत्र लेखन आदर्श है। इच्छा, परेशानी, पीड़ा, प्रेम, उल्लास, निर्देश, आदि को अन्य लोगों तक पहुँचाने में पत्र लेखन अत्यंत उपयोगी है।
  • पत्र के पहुँचने तक लेखक और पाठक के मध्य पत्र के विषय की गोपनीयता पूर्णतया बनी रहती है। इसका अर्थ है कि इन दोनों के अतिरिक्त अन्य कोई भी व्यक्ति पत्र को नहीं पढ़ सकता है।
  • शिक्षक, व्यापारी, आधिकारिक, प्रबंधक, ग्राहक एवं अन्य विशेष व्यक्तियों से सुचना अथवा विवरण की लेन-देन में पत्र का काफी अधिक प्रयोग होता है।
  • वर्तमान समय में व्यवसाय की सेवा-सामान में ग्राहकों और हिस्सेदारों को संतोष देने, व्यापार का नाम बढ़ाने, व्यवसाय के विस्तार, आदि में पत्र काफी महत्वपूर्ण है।

पत्र के अंग

पत्र के कुल 3 अंग है, जो कि निम्नलिखित है:-

पत्र के अंग
आरंभ (शुरुआत)
मध्य भाग
अंत (समापन)

1. आरम्भ (शुरुआत)

आरंभ का भाग पत्र में पते से अभिवादन तक का भाग होता है।

2. मध्य भाग

मध्य भाग के अंतर्गत पत्र के मूल विषय का विवरण होता है।

3. अंत (समापन)

अंत के भाग में पत्र का समापन करते हुए धन्यवाद और प्रेषक का नाम और पता लिखते है।

पत्र लेखन से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न

  1. पत्र लेखन की परिभाषा क्या है?

    पत्र लेखन का वास्तविक अर्थ:- कागज़ के माध्यम से अपने विचारों का आदान-प्रदान करना है। प्राचीनकाल में पत्र लेखन को कला माना जाता था।
    औपचारिक और अनौपचारिक दोनों प्रकार के पत्र आज भी लिखे जाते है। बहुत से लोग ऐसे है, जो वर्तमान में भी पत्र के माध्यम से ही अपने रिश्तेदारों व मित्रों की जानकारी प्राप्त करते है और अपनी जानकारी प्रदान करते है।
    इसी प्रकार सरकारी कार्यों, व्यावसायिक कार्यों और विद्यालय सबंधी कार्यों के लिए भी कागज के पत्रों के माध्यम से आचार-विचार किया जाता है। सामान्यतः पत्र मुख्य रूप से 2 प्रकार के होते है:- औपचारिक पत्र और अनौपचारिक पत्र।
    औपचारिक पत्र की भाषा सरल होती है और अनौपचारिक पत्र की भाषा में भावात्मकता होती है। दोनों प्रकार के पत्रों के स्वयं के अपने-अपने महत्व है। औपचारिक पत्र निर्धारित प्रारूप में लिखे जाते है।

  2. पत्र कितने प्रकार के होते है?

    पत्र मुख्य रूप से 2 प्रकार के होते है, जो कि निम्नलिखित है:-
    1. औपचारिक पत्र
    2. अनौपचारिक पत्र

  3. औपचारिक पत्र की परिभाषा क्या है?

    सरकारी, अर्द्ध-सरकारी अधिकारियों, कार्यालयों, संस्थानों, दुकानदारों, आदि को लिखे जाने वाले पत्रों ‘औपचारिक पत्र’ कहते है। औपचारिक पत्रों को पेशेवर भाषा में लिखा जाता है।

  4. अनौपचारिक पत्र की परिभाषा क्या है?

    मित्रो, रिश्तेदारों तथा किसी परिचित व्यक्ति को लिखे जाने वाले पत्रों को ‘अनौपचारिक पत्र’ कहते है।
    अनौपचारिक शब्द से आशय है:- किसी प्रकार की औपचारिकता न हो अर्थात कुछ भी कहने के लिए हमें पत्र लिखने के लिए किसी प्रकार की अनुमति न लेनी पड़े अथवा किसी प्रकार के आभार व्यक्त सम्बंधित शब्दों का प्रयोग न करना पड़े।
    अनौपचारिक पत्र लिखने वाले और पत्र प्राप्त करने वाले व्यक्ति के बीच घनिष्ठ सम्बन्ध होता है। इसमें किसी प्रकार की औपचारिकता की आवश्यकता नहीं होती है।

अंतिम शब्द

अंत में आशा करता हूँ कि यह लेख आपको पसंद आया होगा और आपको हमारे द्वारा इस लेख में प्रदान की गई अमूल्य जानकारी फायदेमंद साबित हुई होगी।

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