प्रदूषण पर भाषण

प्रदूषण पर भाषण : Pollution Speech in Hindi:- आज के इस लेख में हमनें ‘प्रदूषण पर भाषण’ से सम्बंधित जानकारी प्रदान की है।
यदि आप प्रदूषण पर भाषण से सम्बंधित जानकारी खोज रहे है? तो इस लेख को शुरुआत से अंत तक अवश्य पढ़े। तो चलिए शुरू करते है:-
प्रदूषण पर भाषण : Pollution Speech in Hindi
सुप्रभात, आदरणीय प्रधानाचार्य जी, माननीय शिक्षकगण एवं मेरे प्यारे साथियों, आप सभी को मेरा प्यारभरा नमस्कार।
मेरा नाम —— है और मैं इस विद्यालय में 11वीं कक्षा का विद्यार्थी हूँ। आज मैं इस शुभ अवसर पर आप सभी के सामने एक छोटा सा भाषण प्रस्तुत करने जा रहा हूँ, जिसका विषय है:- प्रदूषण।
यह एक काफी महत्वपूर्ण विषय है। सर्वप्रथम मैं आप सभी को धन्यवाद देना चाहता हूँ कि आप सभी ने मुझे इस मंच पर अपने विचार व्यक्त करने का अवसर प्रदान किया।
आज मैं “प्रदूषण” जैसे विषय पर दो शब्द कहना चाहता हूँ। आशा करता हूँ कि आपको यह पसंद आएगा।
वर्तमान में पूरी दुनिया प्रदूषण की समस्या से बहुत अधिक परेशान है।
प्रदूषण क्या है?:- जब हमारा वातावरण दूषित हो जाता है या वातावरण में ऐसे परिवर्तन आते है जो जीव-जंतुओं के लिए हानिकारक होते है, उसे ही प्रदूषण कहते है।
आज हमारा वातावरण सभी प्रकार से प्रदूषित हो गया है। हमारें चारों तरफ कईं प्रकार का प्रदूषण फैल रहा है। जैसे:- जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण, मृदा प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण आदि।
यह सभी दिन-प्रतिदिन प्रदूषित होते ही जा रहे है। नदियों में कारखानों एवं घरों का गंदा पानी जा रहा है। लोग अपने घरों का कचरा भी नदियों में ही डाल देते है।
कईं लोग तो उसी नदी के पानी में अपने जानवरों को भी नहलाते है और उसी में शौच भी कर देते है। जिससे ज्यादातर नदियाँ प्रदूषित हो रही है।
वाहनों से निकलने वाले धुएं, प्लास्टिक की थेलियों को जलाने से, फेक्ट्रियों से निकलने वाले धुएं और भी कईं तरीके से वायु प्रदूषण होता है।
ध्वनि प्रदूषण डी.जे., तेज आवाज वाले उपकरण और सड़कों पर बिना जरूरत के हॉर्न का उपयोग करने से बढ़ता है।
मृदा प्रदूषण तब होता है:- जब प्लास्टिक की थेलियां जमीन में दब जाती है और जमीन को बंजर बना देती है। इस प्रकार से यह सम्पूर्ण वातावरण प्रदूषित हो गया है और दिन-प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है।
जिसे हमें रोकने की आवश्यकता है, क्योंकि इसके कईं नुकसान भी होते है। यह जीव-जन्तुओं पर बुरा प्रभाव डालता है और कईं बीमारियों का कारण भी बनता है।
जैसे:- गंदे पानी को पीने से पेट संबंधित बीमारियाँ होती है और कईं त्वचा संबंधित बीमारियाँ भी होती है। वायु प्रदूषण से फेफड़े से सम्बंधित बीमारियाँ होती है।
ध्वनि प्रदूषण से कान से संबंधित बीमारियाँ होती है। हम सभी को अपने वातावरण के प्रति और अधिक जागरूक होने की आवश्यकता है।
हमें जितना हो सके उतना प्रदूषण को कम करने के प्रयास करने चाहिए। हमें सबसे पहले कारखानों एवं घरों से निकलने वाले पानी की व्यवस्था करने की आवश्यकता है।
हमें अपने घर का कचरा पानी में या कहीं पर भी नहीं डालना चाहिए। हमें कचरे को सिर्फ कूड़ेदान में ही डालना चाहिए।
वायु प्रदूषण को रोकने के लिए हमें अपने निजी वाहनों का कम से कम उपयोग करके सार्वजानिक वाहनों का ही प्रयोग करना चाहिए।
ध्वनि प्रदूषण को रोकने के लिए हमें धीमी आवाज में डी.जे. बजाने चाहिए और बिना आवश्यकता के हॉर्न का उपयोग नहीं करना चाहिए।
मृदा प्रदूषण को रोकने के लिए हमें प्लास्टिक को कूड़ेदान में ही डालना चाहिए। हम सभी के ऐसे ही छोटे-छोटे प्रयासों से यह पर्यावरण बच पाएगा।
इसी पर हम सभी का जीवन निर्भर करता है। हमें इसकी हमेशा रक्षा करनी चाहिए और जितना हो सके, उतने अधिक पेड़-पौधे लगाने चाहिए।
हमें अपने आस-पास के लोगों को भी पर्यावरण के प्रति जागरूक करना होगा। ताकि, हम सभी मिलकर इस समस्या का समाधान निकाल सके।
इतना कहकर मैं अपने भाषण को समाप्त करता हूँ और आशा करता हूँ कि आपको मेरा यह छोटा सा भाषण पसंद आया होगा।
धन्यवाद!
अंतिम शब्द
अंत में आशा करता हूँ कि यह लेख आपको पसंद आया होगा और आपको हमारे द्वारा इस लेख में प्रदान की गई अमूल्य जानकारी फायदेमंद साबित हुई होगी।
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