प्रत्यय की परिभाषा, भेद और उदाहरण

Pratyay Ki Paribhasha in Hindi

प्रत्यय की परिभाषा : Pratyay in Hindi:- आज के इस लेख में हमनें ‘प्रत्यय की परिभाषा’ से सम्बंधित जानकारी प्रदान की है।

यदि आप प्रत्यय की परिभाषा से सम्बंधित जानकारी खोज रहे है? तो इस लेख को शुरुआत से अंत तक अवश्य पढ़े। तो चलिए शुरू करते है:-

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प्रत्यय की परिभाषा : Pratyay in Hindi

प्रत्यय शब्द “प्रति+अय” इन दो शब्दों से मिलकर बना है। प्रत्यय शब्द, ‘प्रति’ उपसर्ग एवं ‘अय’ को यण संधि द्वारा जोड़ने पर बनता है, जहाँ पर प्रत्यय का शाब्दिक अर्थ “पीछे आना” होता है।

वह शब्दांश जो किसी शब्द अथवा धातु के अंत में जुड़कर उसके व्याकरणिक रूप अथवा अर्थ में परिवर्तन कर देते है, प्रत्यय कहलाते है।

वह अविकारी शब्दांश जो किसी अन्य शब्द के अंत में जुड़कर अपनी प्रकृति के अनुसार उस शब्द के अर्थ में परिवर्तन कर देते है, उन्हें प्रत्यय कहते है। उदाहरण के तौर पर:- आइन (पण्डित + आइन = पण्डिताइन)।

वैसे” तो “आइन” शब्द का कोई खास अर्थ नहीं होता है, लेकिन जब यह शब्द “पण्डित” शब्द के पीछे जुड़ता है, तो “पण्डित” शब्द का अर्थ बदल देता है। “आइन” शब्द यहाँ पर प्रत्यय है।

प्रत्यय का कोई भी स्वतंत्र अस्तित्व नहीं होता है। प्रत्यय किसी भी अन्य शब्द के अंत में जुड़कर उसके अर्थ में परिवर्तन करते है। प्रत्यय के उदाहरण निम्न प्रकार है:-

समाज + इकसामाजिक
सुगंध + इतसुगंधित
भूल + अक्कडभुलक्कड
मीठा + आसमिठास
लोहा + आरलुहार
नाटक + कारनाटककार
बढा + आईबढ़ई
टिक + आऊटिकाऊ
बिक + आऊबिकाऊ
होन + हारहोनहार
लेन + दारलेनदार
घट + इयाघटिया
गाड़ी + वालागाड़ीवाला
सुत + अक्कडसुतक्कड़
दया + लुदयालु

ऊपर दिए गए उदाहरणों में आप देख सकते है कि शब्द के पीछे प्रत्यय को जोड़ने से उसके अर्थ में परिवर्तन हो जाता है। जिससे हमें इसके प्रत्यय होने का पता चलता है।

प्रत्यय के प्रकार

प्रत्यय मुख्य रूप से 3 प्रकार के होते है, जिनका विस्तारपूर्ण वर्णन निम्न प्रकार है:-

प्रत्यय के प्रकार
संस्कृत के प्रत्यय
हिंदी के प्रत्यय
विदेशी भाषा के प्रत्यय

1. संस्कृत के प्रत्यय

संस्कृत व्याकरण में जो प्रत्यय शब्दों व मूल धातुओं से जोड़े जाते है, वह संस्कृत के प्रत्यय कहलाते है। इसके उदाहरण निम्न प्रकार है:-

जैसे:- त:- आगत, विगत, कृत।

संस्कृत के प्रत्यय के प्रकार

संस्कृत के प्रत्यय मुख्य रूप से 2 प्रकार के होते है, जिनका विस्तृत वर्णन निम्न प्रकार से है:-

संस्कृत के प्रत्यय के प्रकार
कृत प्रत्यय
तद्धित प्रत्यय

(i). कृत प्रत्यय

वह प्रत्यय जो धातु व क्रिया के अंत में जुड़कर एक नए शब्द का निर्माण करते है, उन्हें कृत प्रत्यय कहते है। कृत प्रत्ययों से मिलकर जो प्रत्यय बनते है, उन्हें कृदंत प्रत्यय कहते है।

कृत प्रत्यय के योग से संज्ञा व विशेषण भी बनते है। कृत प्रत्यय क्रिया व धातु को एक नया अर्थ प्रदान करते है। इसके उदाहरण निम्न प्रकार है:-

प्रत्ययशब्द
अकलेखक, नायक, गायक, पाठक
अक्कड़भुलक्कड, घुमक्कड़, पियक्कड़
आकतैराक, लडाक

कृत प्रत्यय के प्रकार

संस्कृत के प्रत्यय के प्रकार
विकारी कृत-प्रत्यय
अविकारी अथवा अव्यय कृत-प्रत्यय
1. विकारी कृत-प्रत्यय

ऐसे कृत-प्रत्यय, जिनसे शुद्ध संज्ञा या विशेषण बनते है, विकारी कृत-प्रत्यय कहलाते है।

2. अविकारी या अव्यय कृत-प्रत्यय

ऐसे कृत-प्रत्यय, जिनसे क्रियामूलक विशेषण अथवा अव्यय बनते है, अविकारी अथवा अव्यय कृत-प्रत्यय कहलाते है।

विकारी कृत-प्रत्यय के भेद

विकारी कृत-प्रत्यय के कुल 4 भेद है, जो कि निम्न प्रकार से है:-

विकारी कृत-प्रत्यय के भेद
क्रियार्थक संज्ञा
कतृवाचक संज्ञा
वर्तमानकालिक कृदंत
भूतकालिक कृदंत

हिंदी क्रियापदों के अंत में कृत-प्रत्यय के योग से कुल 6 प्रकार के कृदंत शब्द बनाये जाते है, जो कि निम्नलिखित है:-

कृदंत शब्द के प्रकार
कर्तृवाचक कृदंत
गुणवाचक कृदंत
भाववाचक कृदंत
कर्मवाचक कृदंत
करणवाचक कृदंत
क्रियाद्योतक कृदंत
(१). कर्तृवाचक कृदंत

कर्तृवाचक कृत-प्रत्यय उन्हें कहते है, जिनके संयोग से बने शब्दों से क्रिया करने वाले का ज्ञान होता है। इसके उदाहरण निम्न प्रकार से है:-

कर्तृवाचक के उदाहरण
वाला
द्वार
सार

कर्तृवाचक कृदंत निम्न प्रकार से बनाए जाते है:-

  • क्रिया के सामान्य रूप के अंतिम अक्षर ‘ना’ को ‘ने’ करके उसके बाद ‘वाला’ प्रत्यय जोड़कर। जैसे:- चढ़ना – चढ़नेवाला, गढ़ना – गढ़नेवाला, पढ़ना – पढ़नेवाला, आदि।
  • ‘ना’ को ‘न’ करके उसके बाद ‘हार’ या ‘सार’ प्रत्यय जोड़कर। जैसे:- मिलना – मिलनसार, होना – होनहार, आदि।
  • धातु के बाद अक्कड़, आऊ, आक, आका, आड़ी, आलू, इयल, इया, ऊ, एरा, ऐत, ऐया, ओड़ा, कवैया, आदि प्रत्यय जोड़कर। जैसे:- पि – पियक्कड़, बढ़ – बढ़िया, घट – घटिया, आदि।
(२). गुणवाचक कृदंत

गुणवाचक कृदंत शब्दों से किसी विशेष गुण अथवा विशिष्टता का बोध होता है। ये कृदंत, आऊ, आवना, इया, वाँ, आदि प्रत्यय जोड़कर बनाए जाते है। उदाहरण के तौर पर:- बिकना – बिकाऊ।

(३). कर्मवाचक कृदंत

जिन कृत-प्रत्ययों के योग से बने संज्ञा-पदों से कर्म का बोध होता है, उन्हें कर्मवाचक कृदंत कहते हैं। ये धातु के अंत में औना, ना और नती प्रत्ययों के योग से बनते है। उदाहरण के तौर पर:- खिलौना, बिछौना, ओढ़नी, सुंघनी, आदि।

(४). करणवाचक कृदंत

जिन कृत-प्रत्ययों के योग से बने संज्ञा-पदों से क्रिया के साधन का बोध होता है, उन्हें करणवाचक कृत-प्रत्यय कहते है तथा इनसे बने शब्दों को करणवाचक कृदंत कहते है।

करणवाचक कृदंत धातुओं के अंत में “नी, अन, ना, अ, आनी, औटी, औना,” आदि प्रत्यय जोड़कर बनाए जाते है। उदाहरण के तौर पर:- चलनी, करनी, झाड़न, बेलन, ओढना, ढकना, झाडू., चालू, ढक्कन, आदि।

(५). भाववाचक कृदंत

जिन कृत-प्रत्ययों के योग से बने संज्ञा-पदों से भाव अथवा क्रिया के व्यापार का बोध होता है, उन्हें भाववाचक कृत-प्रत्यय कहते है तथा इनसे बने शब्दों को भाववाचक कृदंत कहते है।

क्रिया के अंत में “आप, अंत, वट, हट, ई, आई, आव, आन,” आदि जोड़कर भाववाचक कृदंत संज्ञा-पद बनाए जाते है। उदाहरण के तौर पर:- मिलाप, लड़ाई, कमाई, भुलावा, आदि।

(६). क्रियाद्योतक कृदंत

जिन कृत-प्रत्ययों के योग से क्रियामूलक विशेषण, संज्ञा, अव्यय या विशेषता रखने वाली क्रिया का निर्माण होता है, उन्हें क्रियाद्योतक कृत-प्रत्यय कहते है तथा इनसे बने शब्दों को क्रियाद्योतक कृदंत कहते है।

मूलधातु के बाद ‘आ’ अथवा, ‘वा’ जोड़कर भूतकालिक तथा ‘ता’ प्रत्यय जोड़कर वर्तमानकालिक कृदंत बनाए जाते है। कहीं-कहीं ‘हुआ’ प्रत्यय भी अलग से जोड़ दिया जाता है।

उदाहरण के तौर पर:- खोया, सोया, जिया, डूबता, बहता, चलता, रोता, रोता हुआ, जाता हुआ, आदि।

हिंदी के कृत-प्रत्यय

हिंदी के कृत-प्रत्ययों की संख्या अनगिनत है, जिनमें से कुछ निम्नलिखित है:-

अनकी
आईआलूअक्कड़गी
आवनीआड़ीआक
अंतआनीआपता
अंकुआकाआकूती
आनआपाआवन्ती
आवटआवनाआवा
आसआहटइयाना
इयलएरानी
ऐयाऐतओडावन
आड़ेऔताऔतीवाँ
औनाऔनीऔटावट
औटीऔवलवैया
उककावाला
सारहारहाराहा

ऊपर बताया जा चुका है कि कृत-प्रत्ययों के योग से कुल 6 प्रकार के कृदंत बनाए जाते है। इनके उदाहरण प्रत्यय, धातु (क्रिया) तथा कृदंत-रूप के साथ नीचे दिए गए है:-

(१). कर्तृवाचक कृदंत

क्रिया के अंत में आक, वाला, वैया, तृ, उक, अन, अंकू, आऊ, आना, आड़ी, आलू, इया, इयल, एरा, ऐत, ओड़, ओड़ा, आकू, अक्कड़, वन, वैया, सार, हार, हारा, आदि प्रत्ययों के योग से कर्तृवाचक कृदंत संज्ञाएँ बनती है। इनके उदाहरण निम्न प्रकार है:-

प्रत्ययधातुकृदंत-रूप
आकतैरनातैराक
आकालड़नालड़ाका
आड़ीखेलनाख़िलाड़ी
वालागानागानेवाला
आलूझगड़नाझगड़ालू
इयाबढ़बढ़िया
इयलसड़नासड़ियल
ओड़हँसनाहँसोड़
ओड़ाभागनाभगोड़ा
अक्कड़पीनापियक्कड़
सारमिलनामिलनसार
पूजापूजक
हुआपकनापका हुआ
(२). गुणवाचक कृदन्त

क्रिया के अंत में आऊ, आलू, इया, इयल, एरा, वन, वैया, सार, आदि प्रत्ययों के योग से गुणवाचक कृदंत बनते है। इनके उदाहरण निम्न प्रकार है:-

प्रत्ययक्रियाकृदंत-रूप
आऊटिकनाटिकाऊ
वनसुहानासुहावन
हरासोनासुनहरा
लाआगे
पीछे
अगला
पिछला
इयाघटनाघटिया
एराबहुतबहुतेरा
वाहाहलहलवाहा
(३). कर्मवाचक कृदंत

क्रिया के अंत में औना, हुआ, नी, हुई, आदि प्रत्ययों के योग से कर्मवाचक कृदंत बनते है। इनके उदाहरण निम्न प्रकार है:-

प्रत्ययक्रियाकृदंत-रूप
नीचाटना
सूंघना
चटनी
सुंघनी
औनाबिकना
खेलना
बिकौना
खिलौना
हुआपढना
लिखना
पढ़ा हुआ
लिखा हुआ
हुईसुनना
जागना
सुनी हुई
जगी हुई
(४). करणवाचक कृदंत

क्रिया के अंत में आ, आनी, ई, ऊ, ने, नी, आदि प्रत्ययों के योग से करणवाचक कृदंत संज्ञाएँ बनती है। इनसे कर्ता के कार्य करने के साधन का बोध होता है। इनके उदाहरण निम्न प्रकार है:-

प्रत्ययक्रियाकृदंत-रूप
झूलनाझुला
रेतनारेती
झाड़नाझाड़ू
झाड़नाझाड़न
नीकतरनाकतरनी
आनीमथनामथानी
अनढकनाढक्कन
(५). भाववाचक कृदंत

क्रिया के अंत में अ, आ, आई, आप, आया, आव, वट, हट, आहट, ई, औता, औती, त, ता, ती, आदि प्रत्ययों के योग से करणवाचक कृदंत बनते है। इनसे क्रिया के व्यापार का बोध होता है। इनके उदाहरण निम्न प्रकार है:-

प्रत्ययक्रियाकृदंत-रूप
दौड़नादौड़
घेरनाघेरा
आईलड़नालड़ाई
आपमिलनामिलाप
वटमिलनामिलावट
हटझल्लानाझल्लाहट
तीबोलनाबोलती
नीकरनाकरनी
चलनाचलन
औतीमनानामनौती
औतासमझानासमझौता
एराबसनाबसेरा
हँसनाहँसी
आहटघबरानाघबराहट
आसपीनाप्यास
बचनाबचत
(६). क्रियाद्योदक कृदंत

क्रिया के अंत में ता, आ, वा, आदि प्रत्ययों के योग से क्रियाद्योदक विशेषण बनते है। यद्यपि इनसे क्रिया का बोध होता है, लेकिन ये हमेशा संज्ञा के विशेषण के रूप में ही प्रयुक्त होते है। इनके उदाहरण निम्न प्रकार है:-

प्रत्ययक्रियाकृदंत-रूप
ताबहनाबहता
ताभरनाभरता
तागानागाता
ताहँसनाहँसता
रोनारोया
ता हुआदौड़नादौड़ता हुआ

कृदंत और तद्धित में अंतर

कृदंत और तद्धित में मुख्य अंतर निम्न प्रकार है:-

कृदंततद्धित
कृत्-प्रत्यय ‘क्रिया’ अथवा ‘धातु’ के अंत में लगता है तथा इनसे बने शब्दों को कृदंत कहते है।तद्धित प्रत्यय ‘संज्ञा’, ‘सर्वनाम’ तथा ‘विशेषण’ के अंत में लगता है और इनसे बने शब्दों को तद्धितांत कहते है।

कृदंत और तद्धितांत में मूल अंतर यह ही है। संस्कृत, हिंदी तथा उर्दू, इन तीनों स्रोतों से तद्धित-प्रत्यय आकर हिंदी शब्दों की रचना में सहायता करते है।

(ii). तद्धित प्रत्यय

संज्ञा, सर्वनाम तथा विशेषण के अंत में लगने वाले प्रत्यय को ‘तद्धित प्रत्यय’ कहा जाता है। तद्धित प्रत्यय के मेल से बने शब्दों को ‘तद्धितांत’ कहते है। तद्धित प्रत्यय के उदाहरण निम्न प्रकार से है:-

प्रत्ययशब्द
वानधन + वान = धनवान
विद्या + वान = विद्वान
बल + वान = बलवान
ताउदार + ता = उदारता
सफल + ता = सफलता

महान + ता = महानता
पण्डित + आई = पण्डिताई
चालाक + ई = चालाकी
ज्ञान + ई – ज्ञानी

सुन + वाई = सुनवाई
ओंभाषा + ओं = भाषाओं
शब्द + ओं = शब्दों
वाक्य + ओं = वाक्यों
कार्य + ओं = कार्यों
याँनदी + याँ = नदियाँ
प्रति + याँ = प्रतियाँ

तद्धित प्रत्यय के प्रकार

हिंदी में तद्धित प्रत्यय के कुल 8 प्रकार है, जिनका विस्तारपूर्ण वर्णन निम्न प्रकार है:-

तद्धित प्रत्यय के प्रकार
कर्तृवाचक तद्धित प्रत्यय
भाववाचक तद्धित प्रत्यय
ऊनवाचक तद्धित प्रत्यय
संबंधवाचक तद्धित प्रत्यय
अपत्यवाचक तद्धित प्रत्यय
गुणवाचक तद्धित प्रत्यय
स्थानवाचक तद्धित प्रत्यय
अव्ययवाचक तद्धित प्रत्यय
(१). कर्तृवाचक तद्धित प्रत्यय

संज्ञा के अंत में आर, आरी, इया, एरा, वाला, हारा, हार, दार, आदि प्रत्ययों के योग से कर्तृवाचक तद्धितांत संज्ञाएँ बनती है। इनके उदाहरण निम्न प्रकार है:-

प्रत्ययशब्दतद्धितांत
आरसोनासुनार
आरीजूआजुआरी
इयामजाकमजाकिया
वालासब्जीसब्जीवाला
हारपालनपालनहार
दारसमझसमझदार
(२). भाववाचक तद्धित प्रत्यय

संज्ञा अथवा विशेषण में आई, त्व, पन, वट, हट, त, आस, पा, आदि प्रत्ययों के योग से भाववाचक तद्धितांत संज्ञा-पद बनते है। इनसे भाव, गुण, धर्म, आदि का बोध होता है। इनके उदाहरण निम्न प्रकार है:-

प्रत्ययशब्दतद्धितांत रूप
त्वदेवतादेवत्व
पनबच्चाबचपन
वटसज्जासजावट
हटचिकनाचिकनाहट
रंगरंगत
आसमीठामिठास
(३). ऊनवाचक तद्धित प्रत्यय

संज्ञा-पदों के अंत में आ, क, री, ओला, इया, ई, की, टा, टी, डा, डी, ली, वा, आदि प्रत्ययों के योग से ऊनवाचक तद्धितांत संज्ञाएँ बनती है। इनसे किसी वस्तु अथवा प्राणी की लघुता, ओछापन, हीनता, आदि का भाव व्यक्त होता है। इनके उदाहरण निम्न प्रकार है:-

प्रत्ययशब्दतद्धितांत रूप
ढोलढोलक
रीछाताछतरी
इयाबूढीबुढ़िया
फ़ौजफ़ौजी
कीछोटाछोटकी
टाचोरीचोट्टा
ड़ादु:खदुखडा
ड़ीपागपगडी
लीखाटखटोली
वाबच्चाबचवा
(४). सम्बन्धवाचक तद्धित प्रत्यय

संज्ञा के अंत में हाल, एल, औती, आल, ई, एरा, जा, वाल, इया, आदि प्रत्ययों के योग से सम्बन्धवाचक तद्धितांत संज्ञाएँ बनाई जाती है। इनके उदाहरण निम्न प्रकार है:-

प्रत्ययशब्दतद्धितांत रूप
हालनानाननिहाल
एलनाकनकेल
आलससुरससुराल
औतीबापबपौती
लखनऊलखनवी
एराफूफाफूफेरा
जाभाईभतीजा
इयापटनापटनिया
(५). अपत्यवाचक तद्धित प्रत्यय

व्यक्तिवाचक संज्ञा-पदों के अंत में अ, आयन, एय, य, आदि प्रत्ययों के योग से अपत्यवाचक तद्धितांत संज्ञाएँ बनती है। इनसे वंश, संतान, संप्रदाय, आदि का बोध होता है। इनके उदाहरण निम्न प्रकार है:-

प्रत्ययशब्दतद्धितांत रूप
वसुदेववासुदेव
मनुमानव
कुरुकौरव
आयननरनारायण
एयराधाराधेय
दितिदैत्य
(६). गुणवाचक तद्धित प्रत्यय

संज्ञा-पदों के अंत में अ, आ, इक, ई, ऊ, हा, हर, हरा, एडी, इत, इम, इय, इष्ठ, एय, म, मान्, र, ल, वान्, वी, श, इमा, इल, इन, लु, वाँ, प्रत्ययों के योग से गुणवाचक तद्धितांत शब्द बनते हैं। इनसे संज्ञा का गुण प्रकट होता है। इनके उदाहरण निम्न प्रकार है:-

प्रत्ययशब्दतद्धितांत रूप
भूखभूखा
निशानैश
इकशरीरशारीरिक
पक्षपक्षी
बुद्धबुढहू
हाछूतछुतहर
एड़ीगांजागंजेड़ी
इतशापशापित
इमालाललालिमा
इष्ठवरवरिष्ठ
ईनकुलकुलीन
मधुमधुर
वत्सवत्सल
वीमायामायावी
कर्ककर्कश
(७). स्थानवाचक तद्धित प्रत्यय

संज्ञा-पदों के अंत में ई, इया, आना, इस्तान, गाह, आड़ी, वाल, त्र, आदि प्रत्ययों के योग से स्थानवाचक तद्धितांत शब्द बनते है। इनमें स्थान अथवा स्थानसूचक विशेषण का बोध होता है। इनके उदाहरण निम्न प्रकार है:-

प्रत्ययशब्दतद्धितांत रूप
गुजरातगुजरती
इयाकमरकमरिया
गाहचाराचारागाह
आड़ीआगाअगाड़ी
त्रसर्वसर्वत्र
त्रयद्यत्र
त्रतदतत्र
(८). अव्ययवाचक तद्धित प्रत्यय

संज्ञा, सर्वनाम व विशेषण पदों के अंत में आँ, अ, ओं, तना, भर, यों, त्र, दा, स, आदि प्रत्ययों के योग से अव्ययवाचक तद्धितांत शब्द बनते है तथा इनका प्रयोग प्राय: क्रिया-विशेषण की भांति ही होता है। इनके उदाहरण निम्न प्रकार है:-

प्रत्ययशब्दतद्धितांत रूप
दासर्वसर्वदा
त्रएकएकत्र
ओंकोसकोसों
आपआपस
आँयहयहाँ
भरदिनदिनभर
धीरधीरे
तड़कातड़के
पीछापीछे

फ़ारसी के तद्धित प्रत्यय

हिंदी भाषा में फ़ारसी भाषा के बहुत से तद्धित प्रत्यय लिए गये है। इन्हें मुख्यतः 5 वर्गों में विभाजित किया गया है, जो कि निम्न प्रकार है:-

भाववाचक तद्धित प्रत्यय
कर्तृवाचक तद्धित प्रत्यय
ऊनवाचक तद्धित प्रत्यय
स्थितिवाचक तद्धित प्रत्यय
विशेषणवाचक तद्धित प्रत्यय
(१). भाववाचक तद्धित प्रत्यय
प्रत्ययशब्दतद्धितांत रूप
सफ़ेदसफेदा
आनानजरनजराना
खुशख़ुशी
बेवफाबेवफाई
गीमर्दानामर्दानगी
(२). कर्तृवाचक तद्धित प्रत्यय
प्रत्ययशब्दतद्धितांत रूप
कारपेशपेशकार
गारमददमददगार
बानदरदरबान
खोरहरामहरामखोर
दारदुकानदुकानदार
नशीनपरदापरदानशीन
पोशसफ़ेदसफेदपोश
साजघड़ीघड़ीसाज
बाजदगादगाबाज
बीनदुर्दूरबीन
नामाइकरारइकरारनामा
(३). ऊनवाचक तद्धित प्रत्यय
प्रत्ययशब्दतद्धितांत रूप
तोपतुपक
चासंदूकसंदूकचा
इचाबागबगीचा
(४). स्थितिवाचक तद्धित प्रत्यय
प्रत्ययशब्दतद्धितांत रूप
आबादहैदरहैदराबाद
खानादौलतदौलतखाना
गाहईदईदगाह
उस्तानहिंदहिंदुस्तान
शनगुलगुलशन
दानीमच्छरमच्छरदानी
बारदरदरबार
(५). विशेषणवाचक तद्धित प्रत्यय
प्रत्ययशब्दतद्धितांत रूप
आनहरोजरोजाना
इंदाशर्मशर्मिंदा
मंदअकलअक्लमंद
वारउम्मीदउम्मीदवार
जादहशाहशहजादा
खोरसूदसूदखोर
दारमालमालदार
नुमाकुतुबकुतुबनुमा
बंदकमरकमरबंद
पोशजीनजीनपोश
साजजालजालसाज

अंग्रेजी के तद्धित प्रत्यय

हिंदी भाषा में अंग्रेजी भाषा के कुछ तद्धित प्रत्यय प्रचलित है, जो कि निम्न प्रकार है:-

प्रत्ययशब्दतद्धितांत रूपरूप प्रकार
अरपेंटपेंटरकर्तृवाचक
आइटनक्सलनकसलाइटगुणवाचक
इयनद्रविड़द्रविड़ियनगुणवाचक
इज्मकम्यूनकम्युनिस्मभाववाचक

2. हिंदी के प्रत्यय

हिंदी के प्रत्यय मुख्य रूप से 8 प्रकार के होते है, जिनका विस्तृत वर्णन निम्न प्रकार है:-

हिंदी के प्रत्यय के प्रकार
कृत प्रत्यय
कर्त्तृवाचक प्रत्यय
भाववाचक प्रत्यय
संबंध वाचक प्रत्यय
लघुतावाचक प्रत्यय
गणना वाचक प्रत्यय
सादृश्यवाचक प्रत्यय
गुणवाचक प्रत्यय
स्थान वाचक प्रत्यय

(i). कर्त्तृवाचक प्रत्यय

वह प्रत्यय जिनके प्रयोग से कार्य करने वाले का बोध होता है, उन्हें कर्त्तृवाचक प्रत्यय कहते है। इसके उदाहरण निम्न प्रकार है:-

कुम्ह + आर = कुम्हार
चाख + हार = चाखनहार
रस + इया = रसिया
भाग +ओडा = भगोड़ा
रस + इया = रसिया
भाग +ओडा = भगोड़ा

(ii). भाववाचक प्रत्यय

वह प्रत्यय जिनके प्रयोग से भाव का बोध होता है, उन्हें भाववाचक प्रत्यय कहते है। इसके उदाहरण निम्न प्रकार है:-

धम + आका = धमाका
चिकना + आहट = चिकनाहट
घबरा + आहट = घबराहट
भाग + ओड़ा = भगोड़ा

(iii). सम्बन्धवाचक प्रत्यय

वह प्रत्यय जिनके प्रयोग से सम्बन्ध का बोध होता है, उन्हें सम्बन्धवाचक प्रत्यय कहते है। इसके उदाहरण निम्न प्रकार है:-

मनी + आरी = मनिहारी
ससुर + आल = ससुराल

(iv). लघुतावाचक प्रत्यय

वह प्रत्यय जिनके प्रयोग से लघुता का बोध होता है, उन्हें लघुतावाचक प्रत्यय कहते है। इसके उदाहरण निम्न प्रकार है:-

चम + डा = चमड़ा
साँप + ओला = सँपोला

(v). गणनावाचक प्रत्यय

वह प्रत्यय जिनके प्रयोग से गणनावाचक संख्या का बोध होता है, उन्हें गणनावाचक प्रत्यय कहते है। इसके उदाहरण निम्न प्रकार है:-

तीस + रा = तीसरा
पह + ला = पहला

(vi). सादृश्यवाचक प्रत्यय

वह प्रत्यय जिनके प्रयोग से शब्दों के बीच समानता का बोध होता है, उन्हें सादृश्यवाचक प्रत्यय कहते है। इसके उदाहरण निम्न प्रकार है:-

चौ + हरा = चौहरा
कमल + सा = कमल सा
सुन + हला = सुनहला

(vii). गुणवाचक प्रत्यय

वह प्रत्यय जिनके प्रयोग से गुण का बोध होता है, उन्हें गुणवाचक प्रत्यय कहते है। इसके उदाहरण निम्न प्रकार है:-

प्यार + आ = प्यारा
रस + ईला = रसीला
दया + वन्त = दयावन्त

(viii). स्थानवाचक प्रत्यय

वह प्रत्यय जिनके प्रयोग से किसी स्थान का बोध होता है, उन्हें स्थानवाचक प्रत्यय कहते है। इसके उदाहरण निम्न प्रकार है:-

जयपुर + ई = जयपुरी
जमिलपुर + इया = जालिमपुरिया
तेलंगा + आना = तेलंगाना

विदेशी भाषा के प्रत्यय

उर्दू भाषा के कुछ प्रत्यय अरबी-फारसी भाषा में भी प्रयोग किये जाते है, जो कि निम्न प्रकार है:-

प्रत्ययशब्द
आबादइलाहाबाद
हैदराबाद
गरबाजीगर
शोरगर
सौदागर
ईचाबगीचा
गलीचा
खानादवाखाना
दारदुकानदार
जमीँदार
हिस्सेदार
चीमशालची
तोपची
बाबरची
तबलची
वानकोचवान
बागवान
दानपायदान
कूड़ादान
मंदभरोसेमन्द
जरुरतमन्द
एहसानमंद
बाजनशेबाज
दगाबाज
चालबाज
नाकदर्दनाक
शर्मनाक
गीताजगी
सादगी
गाररोजगार
मददगार
गुनहगार
गीरराहगीर
जहाँगीर
इशपैदाइश
रंजिश
इन्दाबाशिन्दा
शर्मिन्दा
चुनिन्दा
इस्तानकब्रिस्तान
तुर्किस्तान
गाहईदगाह
दरगाह
आरामगाह
खोरघूसखोर
जमाखोर
रिश्वतखोर
गिरीकुलीगीरी
मुंशीगीरी
नामाअकबरनामा
सुलहनामा
साजजिल्दसाज
घड़ीसाज
जालसाज
नवीसनक्शानवीस
अर्जीनवीस
बंदहथियारबन्द
नजरबन्द

उपसर्ग और प्रत्यय का एकसाथ प्रयोग

कुछ शब्दों की रचना उपसर्ग तथा प्रत्यय दोनों के योग से होती है, जो कि निम्न प्रकार है:-

उपसर्गप्रत्ययशब्द
अभिमान + ईअभिमानी
दुस्साहस + ईदुस्साहसी
बद्चलन + ईबदचलनी
निर्दया + ईनिर्दयी
उपकार + कउपकारक
सुलभ + तासुलभता
अतिशय + ताअतिशयता
नियुक्त + इनियुक्ति
प्रलय + कारीप्रलयकार

प्रत्यय से सम्बंधित प्रश्न उत्तर

1. ‘रमणीय’ शब्द में कौनसा प्रत्यय है?
(a). रम
(b). णीय
(c). ईय
(d). अनीय

उत्तर:- अनीय

2. इनमें से कौन शब्द ‘य’ प्रत्यय से नहीं बना है?
(a). पूजनीय
(b). पाठ्य
(c). देय
(d). अक्षम्य

उत्तर:- पूजनीय

3. ‘हर्षित’ शब्द में कौनसा प्रत्यय है?
(a). इत
(b). त
(c). ह
(d). हर्ष

उत्तर:- इत

4. ‘भारतीय’ शब्द में कौनसा प्रत्यय है?
(a). भा
(b). तीय
(c). ईय
(d). भार

उत्तर:- ईय

5. ‘कुलीन’ शब्द में कौनसा प्रत्यय है?
(a). ईन
(b). न
(c). लीन
(d). कोई नहीं

उत्तर:- ईन

6. ‘राधेय’ शब्द में कौनसा प्रत्यय हैं?
(a). य
(b). एय
(c). रा
(d). राधा

उत्तर:- एय

7. ‘देहाती’ शब्द में कौनसा प्रत्यय है?
(a). दे
(b). ती
(c). ई
(d). हाती

उत्तर:- ई

8. ‘तिहरा’ शब्द में कौनसा प्रत्यय है?
(a). हरा
(b). रा
(c). ति
(d). कोई नही

उत्तर:- हरा

9. ‘ननिहाल’ शब्द में कौनसा प्रत्यय है?
(a). हाल
(b). आल
(c). ल
(d). नानी

उत्तर:- आल

10. ‘लघुत्व’ शब्द में कौनसा प्रत्यय है?
(a). त्व
(b). व
(c). घुत्व
(d). लघु

उत्तर:- त्व

11. जो धातु अथवा शब्द के अंत में जोड़ा जाता है, उसे क्या कहते है?
(a). समास
(b). अव्यय
(c). उपसर्ग
(d). प्रत्यय

उत्तर:- प्रत्यय

12. ‘निर्वासित’ शब्द में कौनसा प्रत्यय है?
(a). इक
(b). नि
(c). सित
(d). इत

उत्तर:- इत

13. ‘लेखक’ शब्द में कौनसा प्रत्यय है?
(a). क
(b). इक
(c). आक
(d). अक

उत्तर:- अक

14. ‘अनुज’ शब्द को स्त्रीवाचक बनाने के लिए आप किस प्रत्यय का प्रयोग होगा?
(a). इक
(b). ईय
(c). आ
(d). ई

उत्तर:- आ

15. निम्नाकिंत में कौन-सा शब्द कृदन्त प्रत्यय से बना है?
(a). रंगीला
(b). बिकाऊ
(c). दुधारू
(d). कृपालु

उत्तर:- बिकाऊ

16. किस शब्द में ‘आवा’ प्रत्यय नहीं है?
(a). दिखावा
(b). चढ़ावा
(c). लावा
(d). भुलावा

उत्तर:- लावा

17. इनमें कौन-सा शब्द समूहवाचक प्रत्यय नहीं है?
(a). लोग
(b). गण
(c). वर्ग
(d). प्रेस

उत्तर:- प्रेस

18. निम्न में से किस शब्द में प्रत्यय का प्रयोग हुआ है?
(a). विकल
(b). अकल
(c). पुलक
(d). धनिक

उत्तर:- धनिक

19. ‘कनिष्ठ’ शब्द में कौनसा प्रत्यय है?
(a). इष्ठ
(b). इष्ट
(c). षत
(d). शत

उत्तर:- इष्ठ

20. ‘सावधानी’ शब्द में कौनसा प्रत्यय है?
(a). ई
(b). इ
(c). धानी
(d). आनी

उत्तर:- ई

21. ‘धुंधला’ शब्द में कौनसा प्रत्यय है?
(a). धू
(b). धुंध
(c). धूल
(d). ला

उत्तर:- ला

22. ‘चिरायु’ शब्द में कौनसा प्रत्यय है?
(a). चि
(b). चिर
(c). यू
(d). आयु

उत्तर:- चिर

अंतिम शब्द

अंत में आशा करता हूँ कि यह लेख आपको पसंद आया होगा और आपको हमारे द्वारा इस लेख में प्रदान की गई अमूल्य जानकारी फायदेमंद साबित हुई होगी।

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