रूपक अलंकार की परिभाषा, भेद और उदाहरण

रूपक अलंकार की परिभाषा : Rupak Alankar in Hindi:- आज के इस लेख में हमनें ‘रूपक अलंकार की परिभाषा’ से सम्बंधित जानकारी प्रदान की है।
यदि आप रूपक अलंकार से सम्बंधित जानकारी खोज रहे है? तो इस लेख को शुरुआत से अंत तक अवश्य पढ़े। तो चलिए शुरू करते है:-
रूपक अलंकार की परिभाषा : Rupak Alankar in Hindi
जहाँ पर उपमेय तथा उपमान में कोई अंतर नहीं दिखाई देता है, तो वहाँ पर ‘रूपक अलंकार’ होता है।
साधारण शब्दों में:- जहाँ पर उपमेय तथा उपमान के मध्य के भेद को समाप्त करके उसे एक कर दिया जाता है, तो वहाँ पर ‘रूपक अलंकार’ होता है।
रूपक अलंकार में निम्नलिखित बातों का होना आवश्यक है:-
- उपमेय को उपमान का रूप देना
- वाचक पद का लोप
- उपमेय का भी साथ-साथ वर्णन
रूपक अलंकार के उदाहरण
रूपक अलंकार के उदाहरण निम्न प्रकार है:-
उदाहरण 1
बीती विभावरी जाग री,
अम्बर-पनघट में डुबो रही,
तारा-घट उषा-नागरी।
स्पष्टीकरण:- उपर्युक्त दोहे में ‘उषा में नागरी’, ‘अम्बर में पनघट’ और ‘तारा में घाट’ का निषेध रहित आरोप हुआ है। यहाँ पर उपमान और उपमेय में अभिन्नता दिखाई दे रही है। अतः यह रूपक अलंकार का उदाहरण है।
उदाहरण 2
उदित उदय गिरी मंच पर,
रघुवर बाल पतंग।
विगसे संत-सरोज सब,
हरषे लोचन भ्रंग।।
नोट:- रूपक अलंकार में ‘उपमेय को उपमान का रूप देना’, ‘वाचक शब्द का लोप होना’, ‘उपमेय का भी साथ में वर्णन होना’ आता है।
रूपक अलंकार के भेद
रूपक अलंकार के कुल 3 भेद है, जो कि निम्नलिखित है:-
रूपक अलंकार के भेद |
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सांग रूपक अलंकार |
निरंग रूपक अलंकार |
परंपरिक रूपक अलंकार |
1. सांग रूपक अलंकार
जहाँ उपमेय के अंगों अथवा अवयवों पर उपमान के अंगों अथवा अवयवों का आरोप किया जाता है, तो उसे ‘सांग रूपक अलंकार’ कहते है।
सांग रूपक अलंकार के उदाहरण
सम रूपक अलंकार के उदाहरण निम्न प्रकार है:-
उदित उदयगिरि मंच पर,
रघुवर बाल पतंग।
विकसे सन्त सरोज सब,
हरषै लोचन भृंग।।
2. निरंग रूपक अलंकार
जिसमें उपमेय पर उपमान का आरोप होता है और अंगों का आरोप नहीं होता है, तो उसे ‘निरंग रुपक अलंकार’ कहते है।
निरंग रूपक अलंकार के उदाहरण
निरंग रूपक अलंकार के उदाहरण निम्न प्रकार है:-
है शत्रु भी यों मग्न जिसके शौर्य पारावार में
3. परंपरिक रूपक अलंकार
अलंकार का वह रूप, जिसमें एक आरोप, दूसरे आरोप का कारण होता है, उसे ‘परंपरिक रुपक अलंकार’ कहते है।
परंपरिक रूपक अलंकार के उदाहरण
परंपरिक रूपक अलंकार के उदाहरण निम्न प्रकार है:-
महिमा-मृगी कौन सुकृति की,
खल-वच-विसिख न बाँची?
रूपक अलंकार से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न
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रूपक अलंकार की परिभाषा क्या है?
जहाँ पर उपमेय तथा उपमान में कोई अंतर नहीं दिखाई देता है, तो वहाँ पर ‘रूपक अलंकार’ होता है।
साधारण शब्दों में:- जहाँ पर उपमेय तथा उपमान के मध्य के भेद को समाप्त करके उसे एक कर दिया जाता है, तो वहाँ पर ‘रूपक अलंकार’ होता है। -
रूपक अलंकार के कितने भेद है?
रूपक अलंकार के कुल 3 भेद है, जो कि निम्नलिखित है:-
1. सांग रूपक अलंकार
2. निरंग रूपक अलंकार
3. परंपरिक रूपक अलंकार -
सांग रूपक अलंकार की परिभाषा क्या है?
जहाँ उपमेय के अंगों अथवा अवयवों पर उपमान के अंगों अथवा अवयवों का आरोप किया जाता है, तो उसे ‘सांग रूपक अलंकार’ कहते है।
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निरंग रूपक अलंकार की परिभाषा क्या है?
जिसमें उपमेय पर उपमान का आरोप होता है और अंगों का आरोप नहीं होता है, तो उसे ‘निरंग रुपक अलंकार’ कहते है।
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परंपरिक रूपक अलंकार की परिभाषा क्या है?
अलंकार का वह रूप, जिसमें एक आरोप, दूसरे आरोप का कारण होता है, उसे ‘परंपरिक रुपक अलंकार’ कहते है।
अंतिम शब्द
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नमस्कार, मेरा नाम सूरज सिंह रावत है। मैं जयपुर, राजस्थान में रहता हूँ। मैंने बी.ए. में स्न्नातक की डिग्री प्राप्त की है। इसके अलावा मैं एक सर्वर विशेषज्ञ हूँ। मुझे लिखने का बहुत शौक है। इसलिए, मैंने सोचदुनिया पर लिखना शुरू किया। आशा करता हूँ कि आपको भी मेरे लेख जरुर पसंद आएंगे।