समास की परिभाषा, भेद और उदाहरण

Samas Ki Paribhasha in Hindi

समास की परिभाषा : Samas in Hindi:- आज के इस लेख में हमनें ‘समास की परिभाषा’ से सम्बंधित जानकारी प्रदान की है।

यदि आप समास की परिभाषा से सम्बंधित जानकारी खोज रहे है? तो इस लेख को शुरुआत से अंत तक अवश्य पढ़े। तो चलिए शुरू करते है:-

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समास की परिभाषा : Samas in Hindi

समास का तात्पर्य ‘संक्षिप्तीकरण’ से है। हिन्दी व्याकरण में समास का शाब्दिक अर्थ ‘छोटा रूप’ होता है; अर्थात, दो या दो से अधिक शब्दों से मिलकर बनने वाले नए और छोटे शब्द को ‘समास’ कहते है।

अन्य शब्दों में, जिस क्रिया के द्वारा हिन्दी में कम से कम शब्दों मे अधिक से अधिक अर्थ प्रकट किया जाता है, उसे समास कहते है।

समास के उदाहरण

समास के उदाहरण निम्नलिखित है:-

‘रसोई के लिए घर’ – रसोईघर
‘राजा का पुत्र’ – राजपुत्र

संस्कृत भाषा एवं अन्य भारतीय भाषाओं में समास का प्रयोग काफी अधिक किया जाता है। जर्मन आदि भाषाओं में भी समास का काफी अधिक प्रयोग किया जाता है। संस्कृत भाषा में समास से संबंधित एक सूक्ति प्रसिद्ध है:-

वन्द्वो द्विगुरपि चाहं मद्गेहे नित्यमव्ययीभावः।
तत् पुरुष कर्म धारय येनाहं स्यां बहुव्रीहिः॥

समास रचना में पद

समास रचना में कुल 2 पद होते है, जो कि निम्नलिखित है:-

समास रचना में पद
पूर्वपद
उत्तरपद

1. पूर्वपद

समास रचना में प्रायः पहले पद को ‘पूर्वपद’ कहा जाता है। उदाहरण के तौर पर:- ‘नीलकमल’ शब्द में ‘नील’ पूर्वपद है।

2. उत्तरपद

समास रचना में प्रायः दूसरे पद को ‘उत्तरपद’ कहा जाता है। उदाहरण के तौर पर:- ‘नीलकमल’ शब्द में ‘कमल’ उत्तरपद है।

समास पद (समस्त पद)

समास रचना में ‘पूर्वपद’ तथा ‘उत्तरपद’ के मेल से जो नया शब्द बनता है, वह ‘समस्त पद’ अथवा ‘समास पद’ कहलाता है।

समास पद (समस्त पद) के उदाहरण

समास पद (समस्त पद) के उदाहरण निम्नलिखित है:-

समास पद के उदाहरण
रसोई के लिए घर = रसोईघर
हाथ के लिए कड़ी = हथकड़ी
नील और कमल = नीलकमल
राजा का पुत्र = राजपुत्र

सामासिक शब्द

समास के नियमों से बने शब्दों को ‘सामासिक शब्द’ कहते है। सामासिक शब्दों को ‘समस्त पद’ भी कहते है। समास होने के बाद विभक्तियों के चिह्न (परसर्ग) गायब हो जाते है।

सामासिक शब्द के उदाहरण

समासिक शब्द के उदाहरण निम्नलिखित है:-

सामासिक पद के उदाहरण
रसोईघर
हथकड़ी
नीलकमल
राजपुत्र

समास-विग्रह

सामासिक शब्दों के मध्य संबंधों को स्पष्ट करना ही ‘समास-विग्रह’ कहलाता है। विग्रह के पश्चात सामासिक शब्दों का लोप हो जाता है।

समास विग्रह के उदाहरण

समास विग्रह के उदाहरण निम्नलिखित है:-

समास विग्रह के उदाहरण
रसोई + घर = रसोई के लिए घर
हथ + कड़ी = हाथ के लिए कड़ी
नील + कमल = नील और कमल
राज + पुत्र = राजा का पुत्र

समास के भेद

समास के कुल 6 भेद है, जो कि निम्नलिखित है:-

समास के भेद
अव्ययीभाव समास
तत्पुरुष समास
कर्मधारय समास
द्विगु समास
द्वंद्व समास
बहुव्रीहि समास

प्रयोग की दृष्टि से समास के भेद

प्रयोग की दृष्टि से समास के कुल 3 भेद है, जो कि निम्नलिखित है:-

प्रयोग की दृष्टि से समास के भेद
संयोगमूलक समास
आश्रयमूलक समास
वर्णनमूलक समास

पदों की प्रधानता के आधार पर समास के भेद

पदों की प्रधानता के आधार पर समास के कुल 4 भेद है, जो कि निम्नलिखित है:-

पदों की प्रधानता के आधार पर समास के भेद
पूर्वपद प्रधान – अव्ययीभाव समास
उत्तरपद प्रधान – तत्पुरुष समास, कर्मधारय समास, द्विगु समास
दोनों पद प्रधान – द्वंद्व समास
दोनों पद अप्रधान – बहुव्रीहि समास (इसमें कोई तीसरा अर्थ प्रधान होता है।)

1. अव्ययीभाव समास

समास का वह रूप, जिसमें प्रथम पद ‘अव्यय’ होता है और उसका अर्थ ‘प्रधान’ होता है, उसे ‘अव्ययीभाव समास’ कहते है। अव्ययीभाव समास में अव्यय पद का प्रारूप ‘लिंग, वचन व कारक’ में परिवर्तित नहीं होता है, बल्कि वह सदैव एकसमान रहता है।

अन्य शब्दों में, यदि एक शब्द की पुनरावृत्ति होती है और दोनों शब्द मिलकर अव्यय की भांति प्रयोग होते है, वहाँ पर ‘अव्ययीभाव समास’ होता है। संस्कृत भाषा में उपसर्गयुक्त पद भी ‘अव्ययीभाव समास’ ही माने जाते है।

अव्ययीभाव समास के उदाहरण

अव्ययीभाव समास के उदाहरण निम्नलिखित है:-

पदअर्थ
यथाशक्तिशक्ति के अनुसार
यथाक्रमक्रम के अनुसार
यथानियमनियम के अनुसार
प्रतिदिनप्रत्येक दिन
प्रतिवर्षहर वर्ष
आजन्मजन्म से लेकर
यथासाध्यजितना साधा जा सके
धडाधडधड-धड की आवाज के साथ
घर-घरप्रत्येक घर
रातों रातरात ही रात में
आमरणमृत्यु तक
यथाकामइच्छानुसार

2. तत्पुरुष समास

समास का वह रूप, जिसमें उत्तर पद ‘प्रधान’ होता है, उसे ‘तत्पुरुष समास’ कहते है। यह कारक से भिन्न समास होता है।

तत्पुरुष समास में ज्ञातव्य – विग्रह में जो कारक प्रकट होता है, उसी कारक वाला वह समास होता है। इसे बनाने में दो पदों के मध्य कारक-चिन्हों का लोप हो जाता है।

तत्पुरुष समास के उदाहरण

तत्पुरुष समास के उदाहरण निम्नलिखित है:-

पदअर्थ
देशभक्तिदेश के लिए भक्ति
राजपुत्रराजा का पुत्र
शराहतशर से आहत
राहखर्चराह के लिए खर्च
तुलसीदासकृततुलसी द्वारा कृत
राजमहलराजा का महल

तत्पुरुष समास के भेद

मूल व्याकरण और संस्कृत व्याकरण के अनुसार तत्पुरुष समास के कुल 2 भेद होते है, जो कि निम्नलिखित है:-

तत्पुरुष समास के भेद
व्यधिकरण तत्पुरुष समास
समानाधिकरण तत्पुरुष समास

(i). व्यधिकरण तत्पुरुष समास

तत्पुरुष समास का वह रूप, जिसमें प्रथम पद तथा द्वतीय पद दोनों भिन्न-भिन्न विभक्तियों में होते है, उसे ‘व्यधिकरण तत्पुरुष समास’ कहते है।

उदाहरण के तौर पर:- ‘राज्ञ:पुरुष: – राजपुरुष:‘ इसमें प्रथम पद ‘राज्ञ:‘ षष्ठी विभक्ति में है तथा द्वितीय पद ‘पुरुष:‘ प्रथम विभक्ति में है। इस प्रकार दोनों पदों में भिन्न-भिन्न विभाक्तियां होने से यहाँ पर ‘व्यधिकरण तत्पुरुष समास’ है।

व्यधिकरण तत्पुरुष समास के भेद

व्यधिकरण तत्पुरुष समास के कुल 6 भेद है, जो कि निम्नलिखित है:-

व्यधिकरण तत्पुरुष समास के भेद
कर्म तत्पुरुष समास
करण तत्पुरुष समास
सम्प्रदान तत्पुरुष समास
अपादान तत्पुरुष समास
सम्बन्ध तत्पुरुष समास
अधिकरण तत्पुरुष समास
(१). कर्म तत्पुरुष समास

तत्पुरुष समास का वह रूप, जिसमें दो पदों के मध्य कर्मकारक छिपा हुआ होता है, उसे ‘कर्म तत्पुरुष समास’ कहते है। कर्मकारक का चिन्ह ‘को‘ होता है। ‘को‘ चिन्ह को कर्मकारक की विभक्ति भी कहा जाता है।

कर्म तत्पुरुष समास के उदाहरण

कर्म तत्पुरुष समास के उदाहरण निम्नलिखित है:-

पदअर्थ
रथचालकरथ को चलने वाला
ग्रामगतग्राम को गया हुआ
माखनचोरमाखन को चुराने वाला
वनगमनवन को गमन
मुंहतोड़मुंह को तोड़ने वाला
स्वर्गप्राप्तस्वर्ग को प्राप्त
देशगतदेश को गया हुआ
जनप्रियजन को प्रिय
मरणासन्नमरण को आसन्न
(२). करण तत्पुरुष समास

तत्पुरुष समास का वह रूप, जिसके प्रथम पद में ‘करण कारक’ का बोध होता है, उसे ‘करण तत्पुरुष समास’ कहते है। करण तत्पुरुष समास में दो पदों के मध्य ‘करण कारक’ छिपा होता है। करण कारक का चिन्ह अथवा विभक्ति ‘के द्वारा‘ और ‘से‘ होता है।

करण तत्पुरुष समास के उदाहरण

करण तत्पुरुष समास के उदाहरण निम्नलिखित है:-

पदअर्थ
स्वरचितस्व द्वारा रचित
मनचाहामन से चाहा
शोकग्रस्तशोक से ग्रस्त
भुखमरीभूख से मरी
धनहीनधन से हीन
बाणाहतबाण से आहत
ज्वरग्रस्तज्वर से ग्रस्त
मदांधमद से अँधा
रसभरारस से भरा
भयाकुलभय से आकुल
आँखों देखीआँखों से देखी
(३). सम्प्रदान तत्पुरुष समास

तत्पुरुष समास का वह रूप, जिसमें दो पदों के मध्य सम्प्रदान कारक छिपा होता है, उसे ‘सम्प्रदान तत्पुरुष समास’ कहते है। सम्प्रदान कारक का चिन्ह अथवा विभक्ति ‘के लिए‘ होता है।

सम्प्रदान तत्पुरुष समास के उदाहरण

सम्प्रदान तत्पुरुष समास के उदाहरण निम्नलिखित है:-

पदअर्थ
विद्यालयविद्या के लिए आलय
रसोईघररसोई के लिए घर
सभाभवनसभा के लिए भवन
विश्रामगृहविश्राम के लिए गृह
गुरुदक्षिणागुरु के लिए दक्षिणा
प्रयोगशालाप्रयोग के लिए शाला
देशभक्तिदेश के लिए भक्ति
स्नानघरस्नान के लिए घर
सत्यागृहसत्य के लिए आग्रह
यज्ञशालायज्ञ के लिए शाला
डाकगाड़ीडाक के लिए गाड़ी
देवालयदेव के लिए आलय
गौशालागौ के लिए शाला
(४). अपादान तत्पुरुष समास

तत्पुरुष समास का वह रूप, जिसमें दो पदों के बीच में अपादान कारक छिपा होता है, उसे अपादान तत्पुरुष समास कहते है। अपादान कारक का चिन्ह ‘से‘ अथवा विभक्ति ‘से अलग‘ होता है।

अपादान तत्पुरुष समास के उदाहरण

अपादान तत्पुरुष समास के उदाहरण निम्नलिखित है:-

पदअर्थ
कामचोरकाम से जी चुराने वाला
दूरागतदूर से आगत
रणविमुखरण से विमुख
नेत्रहीननेत्र से हीन
पापमुक्तपाप से मुक्त
देशनिकालादेश से निकाला
पथभ्रष्टपथ से भ्रष्ट
पदच्युतपद से च्युत
जन्मरोगीजन्म से रोगी
रोगमुक्तरोग से मुक्त
(५). सम्बन्ध तत्पुरुष समास

तत्पुरुष समास का वह रूप, जिसमें दो पदों के मध्य सम्बन्ध कारक छिपा होता है, उसे ‘सम्बन्ध तत्पुरुष समास’ कहते है। सम्बन्ध कारक का चिन्ह ‘के‘ अथवा विभक्ति ‘का, के, की‘ होती है।

सम्बन्ध तत्पुरुष समास के उदाहरण

सम्बन्ध तत्पुरुष समास के उदाहरण निम्नलिखित है:-

पदअर्थ
राजपुत्रराजा का पुत्र
गंगाजलगंगा का जल
लोकतंत्रलोक का तंत्र
दुर्वादलदुर्व का दल
देवपूजादेव की पूजा
आमवृक्षआम का वृक्ष
राजकुमारीराज की कुमारी
जलधाराजल की धारा
राजनीतिराजा की नीति
सुखयोगसुख का योग
मूर्तिपूजामूर्ति की पूजा
श्रधकणश्रधा के कण
शिवालयशिव का आलय
देशरक्षादेश की रक्षा
सीमारेखासीमा की रेखा
(६). अधिकरण तत्पुरुष समास

तत्पुरुष समास का वह रूप, जिसमें दो पदों के बीच अधिकरण कारक छिपा होता है, उसे अधिकरण तत्पुरुष समास कहते है। अधिकरण कारक का चिन्ह अथवा विभक्ति ‘में‘ तथा ‘पर‘ होता है।

अधिकरण तत्पुरुष समास के उदाहरण

अधिकरण तत्पुरुष समास के उदाहरण निम्नलिखित है:-

पदअर्थ
कार्यकुशलकार्य में कुशल
वनवासवन में वास
ईश्वरभक्तिईश्वर में भक्ति
आत्मविश्वासआत्मा पर विश्वास
दीनदयालदीनों पर दयाल
दानवीरदान देने में वीर
आचारनिपुणआचार में निपुण
जलमग्नजल में मग्न
सिरदर्दसिर में दर्द
क्लाकुशलकला में कुशल
शरणागतशरण में आगत
आनन्दमग्नआनन्द में मग्न
आपबीतीआप पर बीती

(ii). समानाधिकरण तत्पुरुष समास

तत्पुरुष समास का वह रूप, जिसके समस्त होने वाले पद समानाधिकरण होते है, अर्थात विशेष्य-विशेषण-भाव को प्राप्त होते है, कर्ताकारक के होते है और लिंग-वचन में समान होते है, वहां ‘कर्मधारय तत्पुरुष समास’ होता है।

समानाधिकरण तत्पुरुष समास के भेद

समानाधिकरण तत्पुरुष समास के कुल 6 भेद है, जो कि निम्नलिखित है:-

समानाधिकरण तत्पुरुष समास के भेद
लुप्तपद समानाधिकरण तत्पुरुष समास
उपपद समानाधिकरण तत्पुरुष समास
अलुक् समानाधिकरण तत्पुरुष समास
नञ् समानाधिकरण तत्पुरुष समास
कर्मधारय समानाधिकरण तत्पुरुष समास
द्विगु समानाधिकरण तत्पुरुष समास
(1). लुप्तपद समानाधिकरण तत्पुरुष समास

समानाधिकरण तत्पुरुष समास का वह रूप, जब किसी समास में कोई कारक चिह्न अकेला लुप्त न होकर सम्पूर्ण पद सहित लुप्त हो जाता है और तब उसका सामासिक पद बन जाए, तो उसे ‘लुप्तपद समानाधिकरण तत्पुरुष समास’ कहते है।

लुप्त्पद समानाधिकरण तत्पुरुष समास के उदाहरण

लुप्त्पद समानाधिकरण तत्पुरुष समास के उदाहरण निम्नलिखित है:-

पदअर्थ
दहीबड़ादही में डूबा हुआ बड़ा
ऊँटगाड़ीऊँट से चलने वाली गाड़ी
पवनचक्कीपवन से चलने वाली चक्की
तुलादानतुला से बराबर करके दिया जाने वाला दान
बैलगाड़ीबैल से चलने वाली गाड़ी
मालगाड़ीमाल को ढोने वाली गाड़ी
रेलगाड़ीरेल पर चलने वाली गाड़ी
वनमानुषवन में रहने वाला मानुष
स्वर्णहारस्वर्ण से बना हार
पकौड़ीपकी हुई बड़ी
मधुमक्खीमधु को एकत्र करने वाली मक्खी
(२). उपपद समानाधिकरण तत्पुरुष समास

समानाधिकरणतत्पुरुष समास का वह रूप, जिसमें उत्तर पद भाषा में स्वतंत्र रूप से प्रयुक्त न होकर प्रत्यय के रूप में ही प्रयोग में लाया जाता है, उसे उपपद समानाधिकरण तत्पुरुष समास कहते है।

उपपद समानाधिकरण तत्पुरुष समास के उदाहरण

उपपद समानाधिकरण तत्पुरुष समास के उदाहरण निम्नलिखित है:-

पदअर्थ
चर्मकारचर्म का कार (कार्य) करने वाला
स्वर्णकारस्वर्ण का कार करने वाला
लाभप्रदलाभ प्रदान करने वाला
जलदजल देने वाला
उत्तरदायीउत्तर देने वाला
दु:खदायीदुःख देने वाला
मर्मज्ञमर्म को जानने वाला
सर्वज्ञसर्व को जानने वाला
पंकजपंक में जन्म लेने वाला
(३). अलुक् समानाधिकरण तत्पुरुष समास

समानाधिकरण तत्पुरुष समास का वह रूप, जिसमें कारक चिन्ह का लोप नहीं होता है, उसे ‘अलुक् समानाधिकरण तत्पुरुष समास’ कहते है।

अलुक् समानाधिकरण तत्पुरुष समास में कारक चिन्ह किसी न किसी रूप में विद्यमान रहता है। अलुक् शब्द ‘अ + लुक्’ के योग से बना है और इस शब्द का शाब्दिक अर्थ ‘न छिपना’ होता है।

अलुक् समानाधिकरण तत्पुरुष समास के उदाहरण

अलुक् समानाधिकरण तत्पुरुष समास के उदाहरण निम्नलिखित है:-

पदअर्थ
वसुंधरावसु को धारण करने वाली
मृत्युंजयमृत्यु को जय करने वाला
वनेचरवन में विचरण करने वाला
खेचरआकाश में विचरण करने वाला
युधिष्ठिरयुद्ध में स्थिर रहने वाला
(४). नञ समानाधिकरण तत्पुरुष समास

समानाधिकरण तत्पुरुष समास का वह रूप, जिसमें प्रथम पद के रूप में ‘, अन्, अन, , ना‘ उपसर्ग जुड़े हुए है और ये उपसर्ग पर पद को विलोम शब्द में भी परिवर्तित कर रहे है, उसे ‘नञ समानाधिकरण तत्पुरुष समास’ कहते है।

नञ समानाधिकरण तत्पुरुष समास के उदाहरण

नञ समानाधिकरण तत्पुरुष समास के उदाहरण निम्नलिखित है:-

पदअर्थ
असभ्यन सभ्य
अनादिन आदि
असंभवन संभव
अनंतन अंत
अज्ञानन ज्ञान
अनुपयोगीन उपयोगी
अनहोनीन होनी
नास्तिकन आस्तिक
नालायकन लायक
अविवेकन विवेक
अनजानन जान

3. कर्मधारय समास

समास का वह रूप, जिसमें विशेषण-विशेष्य तथा उपमेय-उपमान से मिलकर बनते है, उसे कर्मधारय समास कहते है। कर्मधारय समास का उत्तर पद प्रधान होता है।

कर्मधारय समास के उदाहरण

कर्मधारय समास के उदाहरण निम्नलिखित है:-

पदअर्थ
चरणकमलकमल के समान चरण
नीलगगननीला है जो गगन
चन्द्रमुखचन्द्र जैसा मुख
पीताम्बरपीत है जो अम्बर
महात्मामहान है जो आत्मा
लालमणिलाल है जो मणि
महादेवमहान है जो देव
देहलतादेह रूपी लता
नवयुवकनव है जो युवक

कर्मधारय समास के भेद

कर्मधारय समास के कुल 4 भेद है, जो कि निम्नलिखित है:-

कर्मधारय समास के भेद
विशेषणपूर्वपद कर्मधारय समास
विशेष्यपूर्वपद कर्मधारय समास
विशेषणोंभयपद कर्मधारय समास
विशेष्योंभयपद कर्मधारय समास

(i). विशेषणपूर्वपद कर्मधारय समास

कर्मधारय समास का वह रूप, जिसमें पहला पद प्रधान होता है, उसे ‘विशेषणपूर्वपद कर्मधारय समास’ कहते है।

विशेषणपूर्वपद कर्मधारय समास के उदाहरण

विशेषणपूर्वपद कर्मधारय समास के उदाहरण निम्नलिखित है:-

पदअर्थ
नीलगायनीलीगाय
पीताम्बरपीत अम्बर
प्रियसखाप्रिय सखा

(ii). विशेष्यपूर्वपद कर्मधारय समास

कर्मधारय समास का वह रूप, जिसमें पहला पद विशेष्य होता है, उसे ‘विशेष्यपूर्वपद कर्मधारय समास’ कहते है। इस प्रकार के सामासिक पद अधिकतर संस्कृत भाषा में मिलते है।

विशेष्यपूर्वपद कर्मधारय समास के उदाहरण

विशेष्यपूर्वपद कर्मधारय समास के उदाहरण निम्नलिखित है:-

पदअर्थ
कुमारश्रमणाकुमारी श्रमणा

(iii). विशेषणोंभयपद कर्मधारय समास

कर्मधारय समास का वह रूप, जिसमें दोनों पद विशेषण होते है, उसे ‘विशेषणोंभयपद कर्मधारय समास’ कहते है।

विशेषणोंभयपद कर्मधारय समास के उदाहरण

विशेषणोंभयपद कर्मधारय समास के उदाहरण निम्नलिखित है:-

विशेषणोंभयपद कर्मधारय समास के उदाहरण
नील – पीत
सुनी – अनसुनी
कहनी – अनकहनी

(iv). विशेष्योंभयपद कर्मधारय समास

कर्मधारय समास का वह रूप, जिसमें दोनों पद विशेष्य होते है, उसे ‘विशेष्योंभयपद कर्म्शारय समास’ कहते है।

विशेष्योंभयपद कर्मधारय समास के उदाहरण

विशेष्योंभयपद कर्मधारय समास के उदाहरण निम्नलिखित है:-

विशेष्योंभयपद कर्मधारय समास के उदाहरण
आमगाछ
वायस-दम्पति

कर्मधारय समास के उपभेद

कर्मधारय समास के कुल 3 उपभेद है, जो कि निम्नलिखित है:-

कर्मधारय समास के उपभेद
उपमान कर्मधारय समास
उपमित कर्मधारय समास
रूपक कर्मधारय समास

(i). उपमान कर्मधारय समास

कर्मधारय समास का वह उपभेद, जिसमें उपमानवाचक पद का उपमेयवाचक पद के साथ समास होता है, उसे ‘उपमान कर्मधारय समास’ कहते है।

उपमान कर्मधारय समास में दोनों शब्दों के बीच से ‘इव’ अथवा ‘जैसा’ अव्यय का लोप हो जाता है और दोनों पद, चूँकि एक ही कर्ता विभक्ति, वचन और लिंग के होते है। इसलिए समस्त पद कर्मधारय लक्षण का होता है।

उपमान कर्मधारय समास के उदाहरण

उपमान कर्मधारय समास के उदाहरण निम्नलिखित है:-

पदअर्थ
विद्युचंचलाविद्युत् जैसी चंचला

(ii). उपमित कर्मधारय समास

कर्मधारय समास का वह उपभेद, जिसमें प्रथम पद ‘उपमेय’ होता है और द्वितीय पद ‘उपमान’ होता है, उसे ‘उपमित कर्मधारय समास’ कहते है। यह समास ‘उपमान कर्मधारय समास’ का विपरीत होता है।

उपमित कर्मधारय समास के उदाहरण

उपमित कर्मधारय समास के उदाहरण निम्नलिखित है:-

पदअर्थ
अधर – पल्लवअधरपल्लव के समान
नरसिंहनर सिंह के समान

(iii). रूपक कर्मधारय समास

कर्मधारय समास का वह उपभेद, जिसमें एक पद का दूसरे पद पर आरोप होता है, उसे ‘रूपक कर्मधारय समास’ कहते है।

रूपक कर्मधारय समास के उदाहरण

रूपक कर्मधारय समास के उदाहरण निम्नलिखित है:-

पदअर्थ
मुखचन्द्रमुख ही है चन्द्रमा

4. द्विगु समास

द्विगु समास में पूर्वपद ‘संख्यावाचक’ होता है और कभी-कभी उत्तरपद भी ‘संख्यावाचक’ हो सकता है।

द्विगु समास में प्रयुक्त संख्या किसी अर्थ को नहीं अपितु किसी समूह को दर्शाती है। जिस समास से समूह और समाहार का बोध होता है, उसे ‘द्विगु समास’ कहते है।

द्विगु समास के उदाहरण

द्विगु समास के उदाहरण निम्नलिखित है:-

पदअर्थ
नवग्रहनौ ग्रहों का समूह
दोपहरदो पहरों का समाहार
त्रिवेणीतीन वेणियों का समूह
पंचतन्त्रपांच तंत्रों का समूह
त्रिलोकतीन लोकों का समाहार
शताब्दीसौ अब्दों का समूह
पंसेरीपांच सेरों का समूह
सतसईसात सौ पदों का समूह
चौगुनीचार गुनी
त्रिभुजतीन भुजाओं का समाहार

द्विगु समास के भेद

द्विगु समास के कुल 2 भेद है, जो कि निम्नलिखित है:-

द्विगु समास के भेद
समाहार द्विगु समास
उत्तरपद प्रधान द्विगु समास

(i). समाहार द्विगु समास

समाहार का अर्थ समुदाय, इकट्ठा होना, समेटना होता है और उसे ही ‘समाहार द्विगु समास’ कहते है।

समाहार द्विगु समास के उदाहरण

समाहार द्विगु समास के उदाहरण निम्नलिखित है:-

पदअर्थ
त्रिलोकतीन लोकों का समाहार
पंचवटीपाँचों वटों का समाहार
त्रिभुवनतीन भुवनों का समाहार

(ii). उत्तरपद प्रधान द्विगु समास

उत्तरपद प्रधान द्विगु समास मुख्य रूप से 2 प्रकार के होते है, जो कि निम्नलिखित है:-

(१). बेटा अथवा फिर उत्पन्न के अर्थ में

इसके उदाहरण निम्नलिखित है:-

पदअर्थ
दुमातादो माँ का
दुसूतीदो सूतों के मेल का
(२). जहाँ पर सच में उत्तरपद पर जोर दिया जाता है।

इसके उदाहरण निम्नलिखित है:-

पदअर्थ
पंचप्रमाणपांच प्रमाण
पंचहत्थडपांच हत्थड

5. द्वंद्व समास

समास का वह रूप, जिसमें दोनों पद ही प्रधान होते है और किसी भी पद का गौण नहीं होता है, उसे ‘द्वंद्व समास’ कहते है।

ये दोनों पद एक-दूसरे पद के विलोम होते है, लेकिन यह हमेशा नहीं होता है। इसका विग्रह करने पर ‘और‘, ‘अथवा‘, ‘या‘, ‘एवं‘ का प्रयोग किया जाता है।

द्वंद्व समास के उदाहरण

द्वंद्व समास के उदाहरण निम्नलिखित है:-

पदअर्थ
जलवायुजल और वायु
अपना-परायाअपना या पराया
पाप-पुण्यपाप और पुण्य
राधा-कृष्णराधा और कृष्ण
अन्न-जलअन्न और जल
नर-नारीनर और नारी
गुण-दोषगुण और दोष
देश-विदेशदेश और विदेश
अमीर-गरीबअमीर और गरीब

द्वंद्व समास के भेद

द्वंद्व समास के कुल 3 भेद है, जो कि निम्नलिखित है:-

द्वंद्व समास के भेद
इतरेतर द्वंद्व समास
समाहार द्वंद्व समास
वैकल्पिक द्वंद्व समास

(i). इतरेतर द्वंद्व समास

द्वंद्व समास का वह रूप, जिसमें ‘और‘ शब्द से भी पद जुड़े होते हैं और अपना अलग अस्तित्व रखते है, उसे ‘इतरेतर द्वंद्व समास‘ कहते हैं।

इतरेतर द्वंद्व समास से जो पद बनते है, वह हमेशा बहुवचन में प्रयोग होते है, क्योंकि वह दो या दो से अधिक पदों से मिलकर बने होते है।

इतरेतर द्वंद्व समास के उदाहरण

इतरेतर द्वंद्व समास के उदाहरण निम्नलिखित है:-

पदअर्थ
राम-कृष्णराम और कृष्ण
माँ-बापमाँ और बाप
अमीर-गरीबअमीर और गरीब
गाय-बैलगाय और बैल
ऋषि-मुनिऋषि और मुनि
बेटा-बेटीबेटा और बेटी

(ii). समाहार द्वंद्व समास

जब द्वंद्व समास के दोनों पद ‘और‘ समुच्चयबोधक से जुड़ा होने पर भी अलग-अलग अस्तिव नहीं रखकर समूह का बोध कराते है, तब उन्हें ‘समाहार द्वंद्व समास’ कहते है।

समाहार का अर्थ ‘समूह’ होता है। समाहार द्वंद्व समास में दो पदों के अतिरिक्त तीसरा पद भी छिपा होता है और अपने अर्थ का बोध अप्रत्यक्ष रूप से कराता है।

समाहार द्वंद्व समास के उदाहरण

समाहार द्वंद्व समास के उदाहरण निम्नलिखित है:-

पदअर्थ
दालरोटीदाल और रोटी
हाथपॉंवहाथ और पॉंव
आहारनिंद्राआहार और निंद्रा

(iii). वैकल्पिक द्वंद्व समास

द्वंद्व समास का वह रूप, जिसमें दो पदों के मध्य ‘या‘, ‘अथवा‘, आदि विकल्पसूचक अव्यय छिपे होते है, उसे ‘वैकल्पिक द्वंद्व समास’ कहते है। वैकल्पिक द्वंद्व समास में अधिक से अधिक दो विपरीतार्थक शब्दों का योग होता है।

वैकल्पिक द्वंद्व समास के उदाहरण

वैकल्पिक द्वंद्व समास के उदाहरण निम्नलिखित है:-

पदअर्थ
पाप-पुण्यपाप या पुण्य
भला-बुराभला या बुरा
थोडा-बहुतथोडा या बहुत

6. बहुव्रीहि समास

समास का वह रूप, जिसमें दो पद (प्रथम पद तथा द्वितीय पद) मिलकर तीसरा पद (तृतीय पद) का निर्माण करते है, तब वह तीसरा पद (तृतीय पद) प्रधान होता है, वह ही ‘बहुव्रीहि समास’ कहलाता है।

बहुव्रीहि समास में कोई भी पद प्रधान नहीं होता है। इसका विग्रह करने पर ‘वाला है, जो, जिसका, जिसकी, जिसके, वह‘ आदि आते है।

बहुव्रीहि समास के उदाहरण

बहुव्रीहि समास के उदाहरण निम्नलिखित है:-

पदअर्थ
गजाननगज का आनन है जिसका (गणेश)
त्रिनेत्रतीन नेत्र है जिसके (शिव)
नीलकंठनीला है कंठ जिसका (शिव)
लम्बोदरलम्बा है उदर जिसका (गणेश)
दशाननदश है आनन जिसके (रावण)
चतुर्भुजचार भुजाओं वाला (विष्णु)
पीताम्बरपीले है वस्त्र जिसके (कृष्ण)
चक्रधरचक्र को धारण करने वाला (विष्णु)
वीणापाणीवीणा है जिसके हाथ में (सरस्वती)
श्वेताम्बरसफेद वस्त्रों वाली (सरस्वती)

बहुव्रीहि समास के भेद

बहुव्रीहि समास के कुल 5 भेद है, जो कि निम्नलिखित है:-

बहुव्रीहि समास के भेद
समानाधिकरण बहुव्रीहि समास
व्यधिकरण बहुव्रीहि समास
तुल्ययोग बहुव्रीहि समास
व्यतिहार बहुव्रीहि समास
प्रादी बहुव्रीहि समास

(i). समानाधिकरण बहुव्रीहि समास

बहुव्रीहि समास का वह रूप, जिसमें सभी पद कर्ता-कारक की विभक्ति के होते है, लेकिन समस्त पद के द्वारा जो अन्य उक्त होता है, वह कर्म, करण, सम्प्रदान, अपादान, सम्बन्ध, अधिकरण, आदि विभक्तियों में भी उक्त हो जाता है, उसे ‘समानाधिकरण बहुव्रीहि समास’ कहते है।

समानाधिकरण बहुव्रीहि समास के उदाहरण

समानाधिकरण बहुव्रीहि समास के उदाहरण निम्नलिखित है:-

पदअर्थ
प्रप्तोद्कप्राप्त है उदक जिसको
जितेंद्रियाँजीती गई इन्द्रियां है जिसके द्वारा
दत्तभोजनदत्त है भोजन जिसके लिए
निर्धननिर्गत है धन जिससे
नेकनामनेक है नाम जिसका
सतखंडासात है खण्ड जिसमें

(ii). व्यधिकरण बहुव्रीहि समास

समानाधिकरण बहुव्रीहि समास में दोनों पद (प्रथम पद तथा द्वितीय पद) कर्ता-कारक की विभक्ति के होते है, लेकिन यहाँ पर पहला पद (प्रथम पद) तो कर्ता-कारक की विभक्ति का होता है, लेकिन दूसरा पद (द्वितीय पद) सम्बन्ध अथवा अधिकरण कारक का होता है, उसे ‘व्यधिकरण बहुव्रीहि समास’ कहते है।

व्यधिकरण बहुव्रीहि समास के उदाहरण

व्यधिकरण बहुव्रीहि समास के उदाहरण निम्नलिखित है:-

पदअर्थ
शूलपाणीशूल है पाणी में जिसके
वीणापाणीवीणा है पाणी में जिसके

(iii). तुल्ययोग बहुव्रीहि समास

बहुव्रीहि समास का ववाह रूप, जिसमें पहला पद (प्रथम पद) ‘सह’ होता है, उसे ‘तुल्ययोग बहुव्रीहि समास’ कहते है।

‘तुल्ययोग बहुव्रीहि समास’ को ‘सहबहुव्रीहि समास’ भी कहते है। जिसमें ‘सह’ का अर्थ:- ‘साथ होता है और समास होने के कारण ‘सह’ के स्थान पर सिर्फ ‘स’ शेष रह जाता है।

तुल्ययोग बहुव्रीहि समास में इस बात पर ध्यान दिया जाता है कि विग्रह करते समय जो ‘सह’ दूसरा पद (द्वितीय पद) प्रतीत होता है, वह समास में पहला पद (प्रथम पद) हो जाता है।

तुल्ययोग बहुव्रीहि समास के उदाहरण

तुल्ययोग बहुव्रीहि समास के उदाहरण निम्नलिखित है:-

पदअर्थ
सबलजो बल के साथ है
सदेहजो देह के साथ है
सपरिवारजो परिवार के साथ है

(iv). व्यतिहार बहुव्रीहि समास

बहुव्रीहि समास का वह रूप, जिससे घात अथवा प्रतिघात की सूचना प्राप्त होती है, उसे ‘व्यतिहार बहुव्रीहि समास’ कहते है। व्यतिहार बहुव्रीहि समास में यह प्रतीत होता है कि ‘इस वस्तु से और उस वस्तु से लड़ाई हुई।

व्यतिहार बहुव्रीहि समास के उदाहरण

व्यतिहार बहुव्रीहि समास के उदाहरण निम्नलिखित है:-

पदअर्थ
मुक्का-मुक्कीमुक्के-मुक्के से जो लड़ाई हुई
बाताबातीबातों-बातों से जो लड़ाई हुई

(v). प्रादी बहुव्रीहि समास

बहुव्रीहि समास का वह रूप, जिसमें पूर्वपद ‘उपसर्ग’ होता है, उसे ‘प्रादी बहुव्रीहि समास’ कहते है।

प्रादी बहुव्रीहि समास के उदाहरण

प्रादी बहुव्रीहि समास के उदाहरण निम्नलिखित है:-

पदअर्थ
बेरहमनहीं है रहम जिसमें
निर्जननहीं है जन जहाँ

कुछ अन्य विशेष समास

यहाँ नीचे कुछ अन्य विशेष समास से संबंधित जानकारी प्रदान की गई है:-

संयोगमूलक समास

संयोगमूलक समास को ‘संज्ञा समास’ भी कहते है। संयोगमूलक समास में दोनों पद (प्रथम पद और द्वितीय पद) संज्ञा होते है, अर्थात संयोगमूलक समास में दो संज्ञाओं का संयोग होता है।

संयोगमूलक समास के उदाहरण

संयोगमूलक समास के उदाहरण निम्नलिखित है:-

संयोगमूलक समास के उदाहरण
माँ-बाप
भाई-बहन
दिन-रात
माता-पिता

आश्रयमूलक समास

आश्रयमूलक समास को ‘विशेषण समास’ भी कहते है। आश्रयमूलक समास प्रायः ‘कर्मधारय समास’ होता है।

आश्रयमूलक समास में प्रथम पद सदैव ‘विशेषण’ होता है, जबकि द्वितीय पद का अर्थ ‘बलवान’ होता है। यह विशेषण-विशेष्य, विशेष्य-विशेषण, विशेषण, विशेष्य, आदि पदों के द्वारा सम्पन्न होता है।

आश्रयमूलक समास के उदाहरण

आश्रयमूलक समास के उदाहरण निम्नलिखित है:-

आश्रयमूलक समास के उदाहरण
कच्चाकेला
शीशमहल
घनश्याम
लाल-पीला
मौलवीसाहब
राजबहादुर

वर्णनमूलक समास

जिस समास में प्रथम पद ‘अव्यय’ और द्वितीय पद ‘संज्ञा’ होता है, उसे ‘वर्णनमूलक समास’ कहते है। वर्णनमूलक समास के अंतर्गत ‘बहुव्रीहि समास’ और ‘अव्ययीभाव समास’ का निर्माण होता है।

वर्णनमूलक समास के उदाहरण

वर्णनमूलक समास के उदाहरण निम्नलिखित है:-

वर्णनमूलक समास के उदाहरण
यथाशक्ति
प्रतिमास
घड़ी-घड़ी
प्रत्येक
भरपेट
यथासाध्य

समास युग्म में अंतर

समास युग्म में सभी अंतर निम्न प्रकार है:-

कर्मधारय समास और बहुव्रीहि समास में अंतर

कर्मधारय समास और बहुव्रीहि समास में सभी अंतर निम्नलिखित है:-

कर्मधारय समासबहुव्रीहि समास
कर्मधारय समास में प्रथम पद ‘विशेषण’ अथवा ‘उपमान’ होता है जबकि, द्वितीय पद ‘विशेष्य’ अथवा ‘उपमेय’ होता है। कर्मधारय समास में ‘शब्दार्थ’ प्रधान होता है। कर्मधारय समास में द्वितीय पद ‘प्रधान’ होता है तथा प्रथम पद ‘विशेष्य के विशेषण’ का कार्य करता है। उदाहरण:- नीलकंठ = नीला कंठबहुव्रीहि समास में दो पद (प्रथम पद और द्वितीय पद) मिलकर तीसरे पद (तृतीय पद) की और संकेत करते है, जिसमें तीसरा पद (तृतीय पद) प्रधान होता है। उदाहरण:- नीलकंठ = नील + कंठ

द्विगु समास और बहुव्रीहि समास में अंतर

द्विगु समास और बहुव्रीहि समास में सभी अंतर निम्नलिखित है:-

द्विगु समासबहुव्रीहि समास
द्विगु समास में पहला पद (प्रथम पद) ‘संख्यावाचक विशेषण’ होता है जबकि, दूसरा पद (द्वितीय पद) ‘विशेष्य’ होता है। उदाहरण:- चतुर्भुज -चार भुजाओं का समूहबहुव्रीहि समास में समस्त पद ही ‘विशेषण’ का कार्य करता है। उदाहरण:- चतुर्भुज – चार है भुजाएं जिसकी

द्विगु समास और कर्मधारय समास में अंतर

द्विगु समास और कर्मधारय समास में सभी अंतर निम्नलिखित है:-

द्विगु समासकर्मधारय समास
द्विगु समास का पहला पद (प्रथम पद) सदैव ‘संख्यावाचक विशेषण’ होता है, जो दूसरे पद (द्वितीय पद) की गिनती बताता है।कर्मधारय समास का एक पद विशेषण होने पर भी ‘संख्यावाचक’ कभी नहीं होता है।
द्विगु समास का पहला पद (प्रथम पद) ही विशेषण बनकर प्रयोग में आता है।कर्मधारय समास में कोई भी पद दूसरे पद (द्वितीय पद) का विशेषण हो सकता है।
उदाहरण:- नवरात्र – नौ रात्रों का समूहउदाहरण:- रक्तोत्पल – रक्त है जो उत्पल

समास और संधि में अंतर

समास और संधि के मध्य सभी अंतर निम्न प्रकार है:-

समाससंधि
समास का शाब्दिक अर्थ ‘संक्षेप’ होता है।संधि का शाब्दिक अर्थ ‘मेल’ होता है।
समास में वर्णों के स्थान पर ‘पद’ का विशेष महत्व होता है।संधि में उच्चारण के नियमों का विशेष महत्व होता है।
समास में दो या दो से अधिक पद मिलकर एक समस्त पद बनाते है और इनके बीच से विभक्तियों का लोप हो जाता है।संधि में दो वर्ण होते है, इसमें कहीं पर एक तो कहीं पर दोनों वर्णों में परिवर्तन हो जाता है और कहीं पर तीसरा वर्ण भी आ जाता है।
समस्त पदों को तोड़ने की प्रक्रिया को ‘समास-विग्रह’ कहते है।संधि किये हुए शब्दों को तोड़ने की क्रिया को ‘संधि-विच्छेद’ कहते है।
समास में बने हुए शब्दों के मूल अर्थ को परिवर्तित किया भी जा सकता है और परिवर्तित नहीं भी किया जा सकता है।संधि में जिन शब्दों का योग होता है, उनका मूल अर्थ नहीं बदलता है।
उदाहरण:- विषधर = विष को धारण करने वाला अर्थात शिवउदाहरण:- पुस्तक + आलय = पुस्तकालय

समास से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न

  1. समास की परिभाषा क्या है?

    समास का तात्पर्य ‘संक्षिप्तीकरण’ से है। हिन्दी व्याकरण में समास का शाब्दिक अर्थ ‘छोटा रूप’ होता है; अर्थात, दो या दो से अधिक शब्दों से मिलकर बनने वाले नए और छोटे शब्द को ‘समास’ कहते है।
    अन्य शब्दों में, जिस क्रिया के द्वारा हिन्दी में कम से कम शब्दों मे अधिक से अधिक अर्थ प्रकट किया जाता है, उसे समास कहते है।

  2. समास के कितने भेद है?

    समास के कुल 6 भेद है, जो कि निम्नलिखित है:-
    1. अव्ययीभाव समास
    2. तत्पुरुष समास
    3. कर्मधारय समास
    4. द्विगु समास
    5. द्वंद्व समास
    6. बहुव्रीहि समास

  3. शब्दों के मध्य में संयोजक शब्द का लोप कौनसे समास में होता है?

    (अ). अव्ययीभाव समास
    (ब). द्विगु समास
    (स). द्वंद्व समास
    (द). बहुव्रीहि समास
    उत्तर:- द्वंद्व समास

  4. पूर्वपद संख्यावाची शब्द है?

    (अ). अव्ययीभाव समास
    (ब). द्विगु समास
    (स). द्वंद्व समास
    (द). कर्मधारय समास
    उत्तर:- द्विगु समास

  5. निम्नलिखित में से ‘जन्मान्ध’ शब्द में समास है?

    (अ). बहुव्रीहि समास
    (ब). द्विगु समास
    (स). तत्पुरुष समास
    (द). कर्मधारय समास
    उत्तर:- तत्पुरुष समास

  6. निम्नलिखित में से ‘यथास्थान’ सामासिक शब्द का विग्रह है?

    (अ). यथा और स्थान
    (ब). स्थान के अनुसार
    (स). यथा का स्थान
    (द). स्थान का यथा
    उत्तर:- स्थान के अनुसार

  7. बहुव्रीहि समास की परिभाषा क्या है?

    समास का वह रूप, जिसमें दो पद (प्रथम पद तथा द्वितीय पद) मिलकर तीसरा पद (तृतीय पद) का निर्माण करते है, तब वह तीसरा पद (तृतीय पद) प्रधान होता है, वह ही ‘बहुव्रीहि समास’ कहलाता है।
    बहुव्रीहि समास में कोई भी पद प्रधान नहीं होता है। इसका विग्रह करने पर ‘वाला है, जो, जिसका, जिसकी, जिसके, वह‘ आदि आते है।

  8. निम्नलिखित में से ‘सप्तदीप’ सामासिक शब्द का विग्रह है?

    (अ). सप्त द्वीपों का स्थान
    (ब). सात दीपों का समूह
    (स). सप्त दीप
    (द). सात दीप
    उत्तर:- सात दीपों का समूह

  9. निम्नलिखित में से ‘मतदाता’ सामासिक शब्द का विग्रह है?

    (अ). मत को देने वाला
    (ब). मत का दाता
    (स). मत के लिए दाता
    (द). मत और दाता
    उत्तर:- मत को देने वाला

  10. निम्नलिखित में से ‘आत्मविश्वास’ शब्द में समास है?

    (अ). बहुव्रीहि समास
    (ब). अव्ययीभाव समास
    (स). तत्पुरुष समास
    (द). कर्मधारय समास
    उत्तर:- तत्पुरुष समास

  11. निम्नलिखित में से ‘नीलकमल’ सामासिक शब्द का विग्रह है?

    (अ). नीला है जो कमल
    (ब). नील है कमल
    (स). नीला कमल
    (द). नील कमल
    उत्तर:- नीला है जो कमल

  12. निम्नलिखित में से ‘लम्बोदर’ सामासिक शब्द का विग्रह है?

    (अ). लम्बा उदर है जिसका अर्थात् गणेशजी
    (ब). लम्बा ही है उदर जिसका
    (स). लम्बे उदर वाले गणेश जी
    (द). लम्बे पेट वाला
    उत्तर:- लम्बा उदर है जिसका अर्थात् गणेशजी

अंतिम शब्द

अंत में आशा करता हूँ कि यह लेख आपको पसंद आया होगा और आपको हमारे द्वारा इस लेख में प्रदान की गई अमूल्य जानकारी फायदेमंद साबित हुई होगी।

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