500+ शुद्ध और अशुद्ध शब्द : उच्चारण और वर्तनी की परिभाषा

शुद्ध और अशुद्ध शब्द : Shudh Ashudh Shabd in Hindi:- आज के इस लेख में हमनें ‘शुद्ध और अशुद्ध शब्द’ से सम्बंधित जानकारी प्रदान की है।
यदि आप शुद्ध और अशुद्ध शब्द से सम्बंधित जानकारी खोज रहे है? तो इस लेख को शुरुआत से अंत तक अवश्य पढ़े। तो चलिए शुरू करते है:-
वर्तनी की परिभाषा
किसी शब्द को लिखने में प्रयुक्त वर्णों के क्रम को ‘वर्तनी’ एवं ‘अक्षरी’ कहते है। अंग्रेजी भाषा में वर्तनी को ‘स्पेलिंग’ तथा उर्दू भाषा में ‘हिज्जे’ कहते है।
अपनी भाषा के साथ अन्य भाषाओं की ध्वनि को ग्रहण करने की शक्ति जिस भाषा की वर्तनी में जितनी अधिक होगी, उस भाषा की वर्तनी उतनी ही अधिक शक्तिशाली और समर्थ होगी। वर्तनी का सीधा संबंध भाषागत ध्वनियों के उच्चारण से किया जाता है।
हिंदी भाषा जिस रूप में बोली जाती है, वैसी ही लिखी जाती है। लेकिन, कईं बार लिखते समय अशुद्धियाँ हो जाती है। वर्तनी और उच्चारण एक-दूसरे पर आश्रित होते है।
उच्चारण:- भाषा के शब्दों अथवा अक्षरों को बोलना ‘उच्चारण’ कहलाता है। उच्चारण और वर्तनी एक-दूसरे के पूरक होते है। यदि उच्चारण अशुद्ध होगा, तो वर्तनी भी अशुद्ध होगी।
अन्य शब्दों में कह सकते है कि जब किसी शब्द में किसी भाव को व्यक्त करने के लिए जितने वर्ण अथवा अक्षर जिस क्रम में प्रयोग किये जाते है, उन्हें उसी क्रम में लिखने को ‘वर्तनी’ कहते है।
वर्तनी के उदाहरण
वर्तनी के उदाहरण निम्नलिखित है:-
‘ख’ वर्ण को लिखते समय यह ध्यान देना चाहिए कि इसे ‘रव’ न लिखें, अन्यथा शब्द का अर्थ परिवर्तित हो जाएगा।
जैसे:-
शब्द | अर्थ |
---|---|
खाना | भोजन करना |
रवाना | प्रस्थान करना/चले जाना |
उपरोक्त उदाहरणों में देखा कि शब्द को लिखते समय यदि वर्णों को सही प्रकार से न लिखा जाए, तो उस शब्द का सम्पूर्ण अर्थ ही परिवर्तित जाता है।
वर्तनी का महत्व
किसी भाषा की एकरूपता बनाए रखने के लिए तथा जनमानस के भाषा प्रयोग में होने वाली विकृतियों से बचने के लिए वर्तनी का प्रयोग अत्यंत आवश्यक है और इसका प्रयोग सभी के लिए अनिवार्य है।
शुद्ध वर्तनी का अर्थ है – शब्दों में मात्राओं का सही प्रयोग करके सही शब्द लिखना। जैसे अकाश – आकाश, इद – ईद, उष्मा- ऊष्मा आदि।
शुद्ध वर्तनी का अर्थ
वर्तनी शब्द का अर्थ:- ‘पीछेपीछे चलना’ अथवा ‘अनुसरण करना’ होता है। भाषा स्तर पर ‘वर्तनी’ शब्दों की ध्वनियों के पीछे-पीछे चलती है और ‘वर्तनी’ शब्द विशेष के लेखन में उस शब्द की एक-एक करके आने वाली ध्वनियों के ‘लिपि चिन्ह’ निर्धारित करती है।
वर्तनी शुद्धि एवं सुधार के नियम
हिंदी एक सरल भाषा है, लेकिन उच्चारण के आधार को नहीं समझने तथा व्याकरण के कारण भाषिक अशुद्धियाँ होती है। हिंदी में वर्ण, प्रत्यय, लिंग, संधि, अनुस्वार तथा अनुनासिक जैसी अशुद्धियाँ सामने आती है।
समझ तथा अभ्यास के माध्यम से ऐसी अशुद्धियों को दूर किया जा सकता है। वर्तनी संबंधी अशुद्धियों को दूर करने के लिए सभी नियम निम्नलिखित है:-
- शिरोरेखा:- ‘अ’, ‘थ’, ‘ध’, ‘भ’, ‘क्ष’, ‘श’, ‘श्र’ कुछ ऐसे वर्ण है, जिनके ऊपर शिरोरेखा तोड़ी जाती है, चाहे वे वर्ण शब्द के बीच में ही क्यों ना आए हो। जैसे:- अधर्मी, कक्ष, कभी, अन्यथा, आदि।
- जिन व्यंजनों के अंत में खड़ी पाई होती है, तो जब उन्हें अन्य व्यंजनों के साथ जोड़ा जाता है, तो यह खड़ी पाई हटा दी जाती है। जैसे:- तथ्य। इस शब्द में ‘थ’ के खड़ी पाई (ा) को हटाकर ‘य’ के साथ जोड़ा गया है।
शुद्ध और अशुद्ध शब्द क्या है? : Shudh Ashudh Shabd in Hindi
प्रत्येक भाषा में वर्तनी को लिखने का एक तरीका होता है और लिखते-लिखते हमसे विभिन्न प्रकार की त्रुटियाँ भी होती है। इनमें से कईं त्रुटियाँ तो इतनी अधिक प्रचलित हो जाती है कि उन्हें ही सही मान लिया जाता है।
वर्तनी में सही प्रकार से लिखा गया शब्द ‘शुद्ध शब्द’ होता है, जबकि वर्तनी में त्रुटि ‘अशुद्ध शब्द’ कहलाती है।
इस महत्वपूर्ण लेख में शुद्ध और अशुद्ध शब्दों की सूची प्रदान की गई है, जिसके द्वारा आपको यह ज्ञात करने में सहायता प्राप्त होगी कि किसी शब्द को शुद्ध रूप से और अशुद्ध रूप से किस प्रकार लिखा जाता है।
शुद्ध वर्तनी लिखने के प्रमुख रुप
शुद्ध और अशुद्ध शब्द में आने वाली शुद्ध वर्तनी लिखने के प्रमुख रुप निम्नलिखित है:-
- हिंदी में विभक्ति चिन्ह स्वर्ण नाम के अतिरिक्त शेष सभी शब्दों से अलग लिखे जाते है। जैसे:- राम ने पुत्र को कहा। श्याम को रुपए दे दो।
- यदि सर्वनाम के साथ विभक्ति चिह्न होता है, तो उसे सर्वनाम से मिलाकर लिखा जाता है। जैसे:- हमने, उसने, मुझसे, उसको, तुमसे, हमको, किसको, किसने, आदि।
- सर्वनाम और उसकी विभक्ति के बीच ‘ही’ और ‘तक’ अव्यय होते है, तो विभक्ति सर्वनाम से अलग लिखी जाती है। जैसे:- आप ही के लिए, आप तक को, मुझ तक को, उसी के लिए, आदि।
- सर्वनाम के साथ 2 विभक्ति चिन्ह होने पर पहला विभक्ति चिन्ह सर्वनाम में मिलकर लिखा जाता है, जबकि दूसरा विभक्ति चिन्ह सर्वनाम से अलग लिखा जाता है। जैसे:- आपके लिए, उसके लिए, इनमें से, आपमें से, हममें से, आदि।
- संयुक्त क्रियाओं में से सभी अंगभूत क्रियाओं को भिन्न-भिन्न लिखा जाना अनिवार्य है। जैसे:- जाया करता है, पढ़ा करता है, जा सकते हो, खा सकते हो, आदि।
- पूर्वकालिक प्रत्यय ‘कर’ को क्रिया से मिलाकर लिखा जाता है। जैसे:- सोकर, उठकर, गाकर, मिलाकर, खाकर, पीकर, आदि।
- द्वंद समास में पदों के मध्य योजन चिन्ह (-) लगाया जाता है। जैसे:- माता-पिता, राधा-कृष्ण, शिव-पार्वती, माँ-बेटा, आदि।
- अव्ययो को पृथक लिखा जाना चाहिए। जैसे:- मेरे साथ, हमारे साथ, यहाँ तक, अभी तक, आदि। ‘जैसे’ और ‘सा’ ऐसे कईं सारुपय वाचको के पहले योजक चिन्ह (-) का प्रयोग करना अनिवार्य है। जैसे:- चाकू-सा, दिखा-सा, आप-सा, प्यारा-सा, आदि।
- जब वर्णमाला के किसी वर्ग के पंचम अक्षर के बाद उसी वर्ग के प्रथम चारों वर्णों में से कोई वर्ण होता है, तो पंचम वर्ण के स्थान पर अनुस्वार (ं) का प्रयोग करना चाहिए। जैसे:- कंकर, गंगा, चंचल, नंदन, आदि। लेकिन, जब नासिक्य व्यंजन (वर्ग का पंचम वर्ण) उसी वर्ग के प्रथम चार वर्णों के अतिरिक्त अन्य किसी वर्ण के पहले आता है, तो उसके साथ उस पंचम वर्ण का आधा रूप लिखा जाता है। जैसे:- पन्ना, अन्य, जगह, सम्मान, परंतु, ठंडा, घंटा, आदि। ऐसे शब्द अशुद्ध होते है।
- ‘अ’, ‘ऊ’ एवं ‘आ’ मात्रा वाले वर्णों के साथ अनुनासिक चिन्ह (ँ) को चंद्रबिंदु के रूप में लिखा जाता है। जैसे:- आँख, जाँच, पाँच, अँगना, दाँया, बाँया, आदि। लेकिन, अन्य कुछ मात्राओं के साथ अनुनासिक के रूप में भी लिखा जाता है। जैसे:- मैंने, नहीं, खींचना, आदि।
- अंग्रेजी में हिंदी में आये जिन शब्दों में आधे ‘ओ’ (‘आ’ एवं ‘ओ’ के मध्य की ध्वनि ‘ऑ’) ध्वनि का प्रयोग होता है। उनके ऊपर अर्द्ध चंद्र लगाया जाता है। जैसे:- कॉलेज, डॉक्टर, कॉफ़ी, हॉल, आदि।
- संस्कृत मूल के तत्सम शब्दों को वर्तनी में संस्कृत वाला रूप ही लिखा जाना चाहिए, लेकिन कुछ शब्दों के नीचे हलंत लगाने का प्रचलन हिंदी में कुछ समय से समाप्त हो चुका है। अतः उनके नीचे हलंत नहीं लगाया जाता है। जैसे:- महान, जगत, विद्वान, आदि। लेकिन, ‘संधि’ तथा ‘छंद’ को समझाने के लिए शब्दों के नीचे हलंत लगाना अनिवार्य है।
- संस्कृत भाषा के ऐसे शब्द जिनके आगे भी विसर्ग (:) लगाते है, यदि हिंदी में तत्सम रूप में प्रयोग किए जाए, तो उनमें विसर्ग (:) लगाना अनिवार्य होता है। जैसे:- दुःख, प्रातः, मूलतः, अंततः, आदि। विसर्ग के पश्चात ‘श’, ‘स’, ‘स’ वर्ण आये तो विसर्ग को यथावत लिखा जाना चाहिए। जैसे:- दु: + शासन = ‘दु:शासन’ अथवा ‘दुश्शासन’।
शब्द शुद्धि क्या है?
भाषा ‘विचारों की अभिव्यक्ति’ का सशक्त माध्यम है और भाषा की सबसे छोटी सार्थक इकाई ‘शब्द’ है। भाषा के माध्यम से ही मनुष्य मौखिक एवं लिखित रूपों में अपने विचारों को अभिव्यक्त करता है।
इस वैचारिक अभिव्यक्ति के लिए शब्दों का शुद्ध प्रयोग आवश्यक है। अपितु, अर्थ का अनर्थ हो जाता है। कईं बार क्षेत्रीयता, उच्चारण भेद और व्याकरणिक ज्ञान के अभाव के कारण वर्तनी संबंधी अशुद्धियाँ हो जाती है।
वर्ण तथा मात्रा संबंधी अशुद्धियाँ
वर्ण तथा मात्रा संबंधी सभी अशुद्धियाँ निम्नलिखित है:-
‘न’ तथा ‘ण’ वर्ण संबंधी अशुद्धियाँ
‘ष’, ‘र’, ‘ऋ’ वर्ण के बाद यदि ‘न‘ आये, तो वह सदैव ‘ण‘ वर्ण में परिवर्तित हो जाता है, चाहे यह ‘न‘ वर्ण ठीक इनके बाद हो या इन वर्णों और ‘न‘ वर्ण के बीच कोई वर्ण (‘क वर्ग’, ‘प वर्ग’, ‘य’, ‘व’, ‘ह’ में से कोई एक वर्ण अथवा कईं वर्ण) हो। जैसे:- चरण, हरन, गुण, आदि।
‘श’ तथा ‘ष’ वर्ण संबंधी अशुद्धियाँ
इनका उच्चारण क्रम तालु और मूर्धा से होता है। अतः इनका नाम भी क्रमशः तालव्य तथा मूर्धन्य है। संधि युक्त शब्दों में ‘क’, ‘ख’, ‘ट’, ‘ठ’, ‘प’, ‘फ’ वर्ण से पहले ‘ष‘ वर्ण आता है। जैसे:- निष्ठा, निष्फल, कनिष्क, आदि। संस्कृत शब्दों में ‘च’ तथा ‘छ’ वर्ण से पहले ‘श‘ वर्ण आता है। जैसे:- निश्चय, निश्छल, आदि।
‘छ’ तथा ‘क्ष’ वर्ण सम्बन्धी अशुद्धियाँ
‘क’ तथा ‘ष’ वर्ण के योग से ‘क्ष’ वर्ण बनता है। इनका अधिक प्रयोग तत्सम शब्दों में ही होता है। उच्चारण की अशुद्धि के कारण इनमें प्रायः अशुद्धियाँ होती रहती है। इनसे संबंधित अधिक प्रचलित शब्द नीचे दिए गए है।
‘छ’ वर्ण वाले शब्द
‘छ’ वर्ण वाले शब्द |
---|
छल |
छात्र |
छिन्न |
छिद्र |
अच्छा |
स्वच्छ |
तुच्छ |
‘क्ष’ वर्ण वाले शब्द
‘क्ष’ वर्ण वाले शब्द |
---|
क्षमा |
क्षत्रिय |
क्षय |
क्षण |
क्षार |
क्षेत्र |
अक्ष |
वृक्ष |
कक्ष |
‘ब’ तथा ‘व’ वर्ण संबंधी अशुद्धियाँ
इन वर्णों के विषय में कोई विशेष नियम नहीं है। पढ़ते और बोलते समय उच्चारण पर ध्यान देने से यह अशुद्धियों दूर हो सकती है।
‘ऋ’ तथा ‘रि’ वर्ण संबंधी अशुद्धियाँ
संस्कृत शब्दों के अतिरिक्त ‘ऋ’ वर्ण का प्रयोग नहीं होता है। जैसे:- ऋषि, ऋक्ष, ऋतु, ऋण, गृह, आदि। हिंदी में गृह (घर), भ्राता (भाई), मात्र (सिर्फ) तथा प्रथा (रीति) आते है। इन वर्णों को अर्थ और उच्चारण सहित समझ लेना चाहिए।
‘ये’ तथा ‘ए’ वर्ण संबंधी अशुद्धियाँ
हिंदी में कुछ शब्दों के 2 रूप व्यवहार में आते है, जैसे:- रूपये और रुपए, लिए और लिये, आदि। इनके निर्णय करते समय इनके मूल रूप ध्यान देना चाहिए। यदि अव्यय है, तो ‘लिए‘ ही शुद्ध है। इसी प्रकार चाहिए में ‘ये‘ का उच्चारण स्पष्ट रूप से नहीं होने कारण ‘ए‘ ही लिखना चाहिए।
‘यी’ तथा ‘ई’ वर्ण संबंधी अशुद्धियाँ
हिंदी में ‘गई’ तथा ‘गयी’ दोनों शब्द ही लिखे जाते है। हालांकि, ‘स्वर वर्ण’ वाला शब्द काफी उपयुक्त है, लेकिन हिंदी में दोनों का प्रयोग किया जाता है।
‘वा’ तथा ‘आ’ वर्ण संबंधी अशुद्धियाँ
‘हुवा’, ‘खावेगा’, ‘जावो’, आदि अशुद्ध शब्द है। इनके स्थान पर क्रमशः ‘हुआ’, ‘खाएगा’, ‘जाओ’ लिखना चाहिए।
विदेशी शब्द संबंधी अशुद्धियाँ
विदेशी शब्दों को तत्सम रूप में न लिखकर तद्भव रूप में लिखना चाहिए तथा उनमें अपनी भाषा के प्रत्यय लगाना चाहिए। जैसे:- लैनटर्न को लालटेन ही लिखना चाहिए।
अनुस्वार संबंधी अशुद्धियाँ
जब अनुस्वार के बाद किसी भी वर्ग का कोई भी वर्ण आता है, तो अनुस्वार के स्थान पर विकल्प के सामने वाले वर्ण के वर्ग का पांचवा वर्ण हो जाता है। जैसे:- गंगा = गग्ङा।
इस नियम के अनुसार, यदि अनुस्वार के बाद ‘म’, ‘य’, ‘र’, ‘ल’, ‘व’, ‘श’, ‘ष’, ‘क्ष’, ‘ह’ वर्ण में से कोई वर्ण आता है, तो अनुस्वार नहीं परिवर्तित नहीं होता है। जैसे:- संयम, संयोजक, आदि।
अनुस्वार तथा चंद्रबिंदु संबंधी अशुद्धियाँ
यदि उच्चारण खींचकर किया जाता है, तो अनुस्वार (ं) का प्रयोग होता है। यदि उच्चारण हल्का होता है, तो चंद्रबिंदु (ँ) का प्रयोग होता है।
जैसे:-
अनुस्वार वाले शब्द
अनुस्वार वाले शब्द |
---|
अंक |
दंत |
पंक |
रंक |
बंक |
चंद्रबिंदु वाले शब्द
चंद्रबिंदु वाले शब्द |
---|
आँख |
गेहूँ |
हँसना |
पहुँचना |
लिंग संबंधी अशुद्धियाँ
लिंग संबंधी सभी अशुद्धियाँ निम्नलिखित है:-
सम्बन्ध की विभक्ति के बाद यदि कोई समस्त पद आता है, जिसमें दो परस्पर भिन्न लिंग वाले शब्द है, तो सम्बन्ध की विभक्ति का वही लिंग होगा, जो समस्त पद में पश्चात वाले शब्द का है। जैसे:- ‘आपकी इच्छानुसार कार्य नहीं होता।’
इस वाक्य में ‘इच्छानुसार’ एक समस्त पद है। इसमें कुल 2 शब्द है:- ‘इच्छा + अनुसार।’ ‘इच्छा‘ शब्द ‘स्त्रीलिंग‘ और ‘अनुसार‘ शब्द ‘पुल्लिंग‘ है। बाद में अनुसार है।
इसलिए, उसी के अनुसार ‘आपके‘ पुल्लिंग होगा। इसलिए, उपरोक्त वाक्य का शुद्ध रूप ‘आपके इच्छानुसार कार्य नहीं होता।‘ होगा।
प्रत्यय संबंधी अशुद्धियाँ
प्रत्यय संबंधी सभी अशुद्धियाँ निम्नलिखित है:-
- भाववाचक संज्ञा बनाने वाले ‘त्व’, ‘ता’, आदि प्रत्ययों के बाद ‘ई’, ‘एस’, ‘आई’ प्रकार के प्रत्ययों को लगाना अशुद्ध है। अतः ‘सौंदर्य’ अथवा ‘सुंदरता’ तो शुद्ध शब्द है, लेकिन ‘सौन्दर्यता’ अशुद्ध शब्द है।
- किसी विशेषण के बाद विशेषण बना देने वाले प्रत्यय नहीं लगाना चाहिए। जैसे:- अभिष्टित = अभीष्ट, एकत्रित = एकत्र, आदि।
स्वर संबंधी अशुद्धियाँ
स्वर संबंधी सभी अशुद्धियाँ निम्नलिखित है:-
‘अ’ तथा ‘आ’ स्वर संबंधी अशुद्धियाँ
अशुद्ध शब्द | शुद्ध शब्द | अशुद्ध शब्द | शुद्ध शब्द |
---|---|---|---|
अकाश | आकाश | नदान | नादान |
अगामी | आगामी | नराज | नाराज |
अवाज | आवाज | सप्ताहिक | साप्ताहिक |
अविष्कार | आविष्कार | संसारिक | सांसारिक |
अशीर्वाद | आशीर्वाद | दुरावस्था | दुरवस्था |
अहार | आहार | बारात | बरात |
आजकाल | आजकल | हाथिनी | हथिनी |
आधीन | अधीन | बदाम | बादाम |
ढाकना | ढकना | व्यवसायिक | व्यावसायिक |
अनाधिकार | अनधिकार | तत्कालिक | तात्कालिक |
‘इ’ तथा ‘ई’ स्वर संबंधी अशुद्धियाँ
अशुद्ध शब्द | शुद्ध शब्द |
---|---|
आशिर्वाद | आशीर्वाद |
इसाई | ईसाई |
इद | ईद |
दिवाली | दीवाली |
तिर्थ | तीर्थ |
पत्नि | पत्नी |
पिढ़ी | पीढ़ी |
अतिथी | अतिथि |
अभीनेता | अभिनेता |
पुत्रि | पुत्री |
‘उ’ तथा ‘ऊ’ संबंधी अशुद्धियाँ
अशुद्ध शब्द | शुद्ध शब्द |
---|---|
गुरू | गुरु |
उधम | ऊधम |
उष्मा | ऊष्मा |
दुसरा | दूसरा |
धूआं | धुआं |
वधु | वधू |
दूकान | दुकान |
साधू | साधु |
दूबार | दुबारा |
रूपया | रुपया |
नेहरु | नेहरू |
तुफान | तूफान |
‘ऋ’ स्वर संबंधी अशुद्धियाँ
अशुद्ध शब्द | शुद्ध शब्द |
---|---|
रिणी | ऋणी |
त्रितीय | तृतीय |
पैत्रिक | पैतृक |
उरिण | उऋण |
रितु | ऋतु |
रिषी | ऋषि |
रिगवेद | ऋग्वेद |
‘ए’ तथा ‘ऐ’ स्वर संबंधी अशुद्धियाँ
अशुद्ध शब्द | शुद्ध शब्द |
---|---|
जेसा | जैसा |
एक्ट | ऐक्ट |
टेक्स | टैक्स |
चाहिऐ | चाहिए |
फैंकना | फेंकना |
वेश्य | वैश्य |
वैश्या | वेश्या |
मेसूर | मैसूर |
देहिक | दैहिक |
भाषाऐं | भाषाएँ |
मेनेजर | मैनेजर |
‘ओ’ तथा ‘औ’ स्वर संबंधी अशुद्धियाँ
अशुद्ध शब्द | शुद्ध शब्द |
---|---|
अलोकिक | अलौकिक |
नोकरी | नौकरी |
ओरत | औरत |
गोतम | गौतम |
दौना | दोना |
गोरव | गौरव |
ओद्योगिक | औद्योगिक |
त्यौहार | त्योहार |
प्रोढ़ | प्रौढ़ |
पोरुष | पौरुष |
लौहार | लोहार |
अनुस्वार (ं) और चंद्रबिंदु (ँ) संबंधी अशुद्धियाँ
अशुद्ध शब्द | शुद्ध शब्द |
---|---|
गूंगा | गूँगा |
आंख | आँख |
ऊंचा | ऊँचा |
उंगली | उँगली |
गूंज | गूँज |
मुंह | मुँह |
दांत | दाँत |
बांध | बाँध |
महंगा | महँगा |
झांसी | झाँसी |
पांख | पाँख |
विसर्ग (ः) संबंधी अशुद्धियाँ
अशुद्ध शब्द | शुद्ध शब्द |
---|---|
दुख | दुःख |
निस्वार्थ | निःस्वार्थ |
निशुल्क | निःशुल्क |
प्राय | प्रायः |
प्रातकाल | प्रातःकाल |
मनस्थिति | मनःस्थिति |
व्यंजन संबंधी अशुद्धियाँ
व्यंजन संबंधी सभी अशुद्धियाँ निम्नलिखित है:-
‘छ’ तथा ‘क्ष’ व्यंजन संबंधी अशुद्धियाँ
अशुद्ध शब्द | शुद्ध शब्द |
---|---|
छन | क्षण |
छय | क्षय |
छमा | क्षमा |
आकांछा | आकांक्षा |
छीण | क्षीण |
नछत्र | नक्षत्र |
रच्छा | रक्षा |
संछेप | संक्षेप |
‘ज’ तथा ‘य’ व्यंजन संबंधी अशुद्धियाँ
अशुद्ध शब्द | शुद्ध शब्द |
---|---|
जदी | यदि |
जमुना | यमुना |
जम | यम |
जुवती | युवती |
जोग | योग |
जुवा | युवा |
‘ट’ तथा ‘ठ’ संबंधी अशुद्धियाँ
अशुद्ध शब्द | शुद्ध शब्द |
---|---|
कुष्ट | कुष्ठ |
गोष्टी | गोष्ठी |
मुठठी | मुट्ठी |
घनिष्ट | घनिष्ठ |
संतुष्ठ | संतुष्ट |
पृष्ट | पृष्ठ |
चेष्ठा | चेष्टा |
श्रेष्ट | श्रेष्ठ |
परिशिष्ठ | परिशिष्ठ |
‘ड’ एवं ‘ङ’ व्यंजन तथा ‘ढ’ एवं ‘ढ़’ व्यंजन संबंधी अशुद्धियाँ
अशुद्ध शब्द | शुद्ध शब्द |
---|---|
पडता | पड़ता |
पेड | पेड़ |
कन्नड | कन्नड़ |
क्रीडा | क्रीड़ा |
झाडू | झाड़ू |
पढता | पढ़ता |
ढ़कना | ढकना |
मेंढ़क | मेंढक |
‘ण’ तथा ‘न’ व्यंजन संबंधी अशुद्धियाँ
अशुद्ध शब्द | शुद्ध शब्द |
---|---|
प्रार्थणा | प्रार्थना |
कल्यान | कल्याण |
गुन | गुण |
प्रनाम | प्रणाम |
प्रमान | प्रमाण |
प्रान | प्राण |
विना | विणा |
श्रवन | श्रवण |
‘ब’ तथा ‘व’ व्यंजन संबंधी अशुद्धियाँ
अशुद्ध शब्द | शुद्ध शब्द |
---|---|
नबाब | नवाब |
पूर्ब | पूर्व |
ब्यय | व्यय |
ब्यापार | व्यापर |
कामयावी | कामयाबी |
दबदवा | दबदबा |
बिकट | विकट |
बिमल | विमल |
बिष | विष |
बीबी | बीवी |
पंचमाक्षर (ड़, ञ, ण, न, म) संबंधी अशुद्धियाँ
अशुद्ध शब्द | शुद्ध शब्द |
---|---|
कन्ठ | कण्ठ |
अन्ग | अंग |
झन्डा | झण्डा |
पन्खा | पंखा |
चन्चल | चंचल |
कुन्डली | कुण्डली |
‘श’, ‘ष’ तथा ‘स’ व्यंजन संबंधी अशुद्धियाँ
अशुद्ध शब्द | शुद्ध शब्द |
---|---|
दुश्कर्म | दुष्कर्म |
पुश्प | पुष्प |
भ्रश्ट | भ्रष्ट |
अमावश्या | अमावस्या |
नमश्कार | नमस्कार |
प्रशन्न | प्रसन्न |
प्रसंसा | प्रशंसा |
आसा | आशा |
कुसलता | कुशलता |
संतोश | संतोष |
हर्श | हर्ष |
शुद्ध और अशुद्ध शब्द के शब्दकोश
शुद्ध तथा अशुद्ध शब्द के शब्दकोश निम्नलिखित है:-
अशुद्ध शब्द | शुद्ध शब्द |
---|---|
अंगुर | अंगूर |
अकांक्षा | आकांक्षा |
अतिथी | अतिथि |
अत्मा | आत्मा |
सुर्य | सूर्य |
शांती | शांति |
लड़ायी | लड़ाई |
मुनी | मुनि |
पोधा | पौधा |
पत्नि | पत्नी |
देस | देश |
दवाइ | दवाई |
तिथी | तिथि |
ठिक | ठीक |
जरुरी | जरूरी |
घनटे | घंटे |
गनित | गणित |
खन | खून |
प्रतिनिध | प्रतिनिधि |
500+ महत्वपूर्ण शुद्ध और अशुद्ध शब्द
अशुद्ध शब्द | शुद्ध शब्द |
---|---|
अरपन | अर्पण |
अहार | आहार |
अपरान्ह | अपराह्न |
अनभिग्य | अनभिज्ञ |
अभिसेक | अभिषेक |
इश्वर | ईश्वर |
इसाई | ईसाई |
इस्कूल | स्कूल |
ईच्छा | इच्छा |
ईमारत | इमारत |
ईसलिए | इसलिए |
उंगली | ऊँगली |
उंतीस | उनतीस |
उज्वल | उज्जवल |
उदघाटन | उद्घाटन |
उद्दत | उद्यत |
उधम | ऊधम |
उधाहरण | उदाहरण |
उनंचास | उनचास |
उपजाउ | उपजाऊ |
उपरोक्त | उपर्युक्त |
उपलक्ष | उपलक्ष्य |
उमरना | उमड़ना |
उष्मा | ऊष्मा |
उहापोह | ऊहापोह |
ऊँगलियाँ | उँगलियाँ |
एंकर | ऐंकर |
एंजसी | एजेंसी |
एंपायर | अंपायर |
एकत्रित | एकत्र |
एक्ट | ऐक्ट |
एच्छिक | ऐच्छिक |
एतिहासिक | ऐतिहासिक |
एनकाउन्टर | एनकाउंटर |
ऐहतियात | एहतियात |
ऒपचारिक | औपचारिक |
कंप्युटर | कंप्यूटर |
कठिनाईयाँ | कठिनाइयाँ |
कनिष्ट | कनिष्ठ |
करिएगा | कीजिएगा |
करीए | कीजिए |
कवियत्री | कवयित्री |
कवी | कवि |
कसोटी | कसौटी |
काग़ज़ातों | काग़ज़ात |
काबिलयत | क़ाबिलियत |
काराग्रह | कारागृह |
कार्यवाई | कार्रवाई |
कालीदास | कालिदास |
कुमुदनी | कुमुदिनी |
कूआँ | कुआँ |
कूबत | क़ूवत |
कृत्यकृत्य | कृतकृत्य |
कृप्या | कृपया |
केंद्रिय | केंद्रीय |
केबिनेट | कैबिनेट |
केस | केश |
कोटी | कोटि |
कौव्वा | कौआ |
क्योंकी | क्योंकि |
क्षत्रीय | क्षत्रिय |
क्षमत | क्षमता |
खटायी | खटाई |
खन | खून |
ख़बरनबीस | ख़बरनवीस |
खरोच | खरोंच |
खलवाट | खल्वाट |
ख़ुबानी | ख़ूबानी |
खूँखर | खूँखार |
ख्याल | ख़याल |
गँठजोड | गठजोड |
गदगद | गद्गद |
गनित | गणित |
गलाघोंटू | गलघोंटू |
गवाँना | गँवाना |
गीतांजली | गीतांजलि |
गीनती | गिनती |
गुरू | गुरु |
गृहणी | गृहिणी |
गैरसम्मानजनक | असम्मानजनक |
गोड़ा | घोड़ा |
ग्रहकार्य | गृहकार्य |
घनिष्ट | घनिष्ठ |
घन्टे | घंटे |
घबड़ाना | घबराना |
घरोंदा | घरौंदा |
घूट | घूँट |
चहिए | चाहिए |
चारागाह | चरागाह |
चित | चित्त |
चिन्ह | चिह्न |
चेष्ठा | चेष्टा |
छिपकिली | छिपकली |
छूआछूत | छुआछूत |
छेंड़छाड़ | छेड़छाड़ |
जंडा | झंड़ा |
जबाव | जवाब |
जमीन | ज़मीन |
जयंति | जयंती |
ज़रुरी | ज़रूरी |
जीर्णोंद्धार | जीर्णोद्धार |
जुआड़ी | जुआरी |
ज्योतिषि | ज्योतिषी |
ज्योत्सना | ज्योत्स्ना |
झपना | झँपना |
झाँग | झाग |
झुझलाना | झुँझलाना |
झूठा (खाना) | जूठा (खाना) |
झोका | झोंका |
झौपड़ी | झोपडी |
टिप्पड़ी | टिप्पणी |
टेलिविज़न | टेलीविज़न |
ठिक | ठीक |
डाकूओं | डाकुओं |
ड्राईवर | ड्राइवर |
ढकेला | धकेला |
ढाँकना | ढाँकना |
ढूँढना | ढूँढ़ना |
तत्कालिक | तात्कालिक |
तत्व | तत्त्व |
तत्वाधान | तत्त्वावधान |
तबियत | तबीयत |
ताकी | ताकि |
ताबुत | ताबूत |
तिथी | तिथि |
तिलस्म | तिलिस्म |
तीनतरफा | तिनतरफ़ा |
तुफान | तूफ़ान |
तुम्हारे को | तुम्हें, तुमको |
तुष्टिकरण | तुष्टीकरण |
तृकालदर्शी | त्रिकालदर्शी |
तैतीस | तैंतीस |
त्योरी | त्यौरी |
त्यौहार | त्योहार |
त्रितीय | तृतीय |
थरमाकोल | थर्माकोल |
थिगली | थेगली |
थिसिस | थीसीस |
थुकना | थूकना |
थुत्कार | थूत्कार |
थ्यौरी | थ्योरी |
थ्रीलर | थ्रिलर |
दंपत्ति | दंपती |
दमाद | दामाद |
दयालू | दयालु |
दरियायी | दरियाई |
दवाइ | दवाई |
दवाईयाँ | दवाइयाँ |
दस्ताबेज | दस्तावेज़ |
दायित्त्व | दायित्व |
दावपेच | दाँवपेंच |
दिजिए | दीजिए |
दिपक | दीपक |
दिवानगी | दीवानगी |
दिवाली | दीवाली |
दुकाने | दुकानें |
दुनियाँ | दुनिया |
दुरदर्शन | दूरदर्शन |
दुरावस्था | दुरवस्था |
दुरुपयोग | दुरुपयोग |
दुरुह | दुरूह |
दुल्हे | दूल्हे |
दुसरे | दूसरे |
दृष्टा | द्रष्टा |
दृष्य | दृश्य |
देस | देश |
दोपहिया | दुपहिया |
द्वंद | द्वंद्व |
धातूएँ | धातुएँ |
धुरंदर | धुरंधर |
धौकनी | धौंकनी |
धौस | धौंस |
ध्ररति | धरती |
ध्रूपद | ध्रुपद |
नकारा | नाकारा |
नक्षर्त | नक्षत्र |
नगद | नक़द |
नदान | नादान |
नपथ्य | नेपथ्य |
नबाब | नवाब |
नयी | नई |
नराज | नाराज़ |
नर्क | नरक |
नवरात्री | नवरात्र |
नही | नहीं |
नाकोंदम | नाकोदम |
नास | नाश |
निरमल | निर्मल |
निरूपम | निरुपम |
निरोग | नीरोग |
निर्माणधीन | निर्माणाधीन |
निलंवित | निलंबित |
निशुल्क | नि:शुल्क |
नुकसानदेय | नुकसानदेह |
नुपुर | नूपुर |
नेस्तनाबूत | नेस्तनाबूद |
नोकरी | नौकरी |
नौसीखिया | नौसिखिया |
न्यालय | न्यायालय |
न्यौछावर | न्योछावर |
न्यौता | न्योता |
पक्षीगण | पक्षिगण |
पजामा | पाजामा |
पड़ौस | पड़ोस |
पत्नि | पत्नी |
परखच्चे | परखचे |
परणाम | प्रणाम |
परलौकिक | पारलौकिक |
परिपेक्ष्य | परिप्रेक्ष्य |
परिवारिक | पारिवारिक |
परिशिष्ठ | परिशिष्ट |
परिस्थित | परिस्थिति |
परीक्शा | परीक्षा |
परीचय | परिचय |
परीवार | परिवार |
पर्देश | प्रदेश |
पश्चाताप | पश्चात्ताप |
पांचवा | पाँचवाँ |
पांडे | पांडेय |
पितांबर | पीतांबर |
पुर्णिमा | पूर्णिमा |
पुर्नजन्म | पुनर्जन्म |
पुर्नमतदन | पुनर्मतदान |
पुर्नवास | पुनर्वास |
पुर्नुत्थान | पुनरुत्थान |
पुष्पांजली | पुष्पांजलि |
पुसतक | पुस्तक |
पूँछकर | पूछकर |
पूँछना | पूछना |
पूज्यनीय | पूजनीय |
पूर्ती | पूर्ति |
पूर्वार्द | पूर्वार्ध (पूर्वार्द्ध) |
पेंचीदा | पेचीदा |
पोधा | पौधा |
प्रकृतिक | प्राकृतिक |
प्रक्रति | प्रकृति |
प्रतिक्षा | प्रतीक्षा |
प्रतिनिध | प्रतिनिधि |
प्रदर्शिनी | प्रदर्शनी |
प्रदेस | प्रदेश |
प्रमाणिक | प्रामाणिक |
प्रमात्मा | परमात्मा |
प्रर्दशन | प्रदर्शन |
प्रविन | प्रवीण |
प्रविष्ठ | प्रविष्ट |
प्रसंस्करित | प्रसंस्कृत |
प्राचीनतम् | प्राचीनतम |
प्रान | प्राण |
प्रोढ़ | प्रौढ़ |
फासी | फाँसी |
फिट | फुट |
फेहरिश्त | फ़ेहरिस्त |
बंगला | बांग्ला (भाषा) |
बंदरबाट | बंदरबाँट |
बइमान | बेईमान |
बकायदा | बाक़ायदा |
बजाए | बजाय |
बज़ार | बाज़ार |
बढ़ौत्तरी | बढ़ोतरी |
बदाम | बादाम |
बनिस्पत | बनिस्बत |
बर्दाश्त | बरदाश्त |
बल्व | बल्ब |
बहु | बहू |
बहुब्रीही | बहुव्रीहि |
बानर | वानर |
बारात | बरात |
बारीश | बारिश |
बावत | बाबत |
बिकराल | विकराल |
बिमार | बीमार |
बियोग | वियोग |
बिलास | विलास |
बिसवा | बिस्वा |
बिहार | विहार |
बीबी | बीवी (पत्नी) |
बेंचना | बेचना |
बेफ़ज़ूल | फ़ज़ूल |
ब्रम्ह | ब्रह्म |
ब्रह्मण | ब्राह्मण |
भडकाऊँ | भडकाऊ |
भागवत्प्रेम | भगवत्प्रेम |
भागेदारी | भागीदारी |
भारतिय | भारतीय |
भार्तिय | भारतीय |
भालूओं | भालुओं |
भाषाऐं | भाषाएँ |
भाष्कर | भास्कर |
भासकर | भास्कर |
भूखमरी | भुखमरी |
भेंड़ | भेड़ |
भोंक | भौंक |
मंजू | मंजु |
मंत्रीपरिषद | मंत्रिपरिषद |
मंत्रोचार | मंत्रोच्चार |
मँहगा | महँगा |
मजबूर | मज़बूर |
मनुश्य | मनुष्य |
मसतक | मस्तक |
महत्व | महत्त्व |
महाबलि | महाबली |
महारथ | महारत |
माँस | मांस |
माखौल | मखौल |
मालन | मालिन |
मालुम | मालूम |
मिठइयाँ | मिठाइयाँ |
मिष्टान्न | मिष्ठान |
मीत्र | मित्र |
मुकंद | मुकुंद |
मुकदमें | मुकदमे |
मुखालिफत | मुख़ालफ़त |
मुनी | मुनि |
मुनीनण | मुनिनण |
मुल्य | मूल्य |
मुल्याकन | मूल्यांकन |
मुहूर्त्त | मुहूर्त |
मैथली | मैथिली |
मोलवी | मौलवी |
यथावत | यथावत् |
यथेष्ठ | यथेष्ट |
यथोचित् | यथोचित |
यानि | यानी |
योगीराज | योगिराज |
रणबाकुरे | रणबाँकुरे |
रबिंद्र | रवींद्र |
रवीवार | रविवार |
रसायनिक | रासायनिक |
राजस्तान | राजस्थान |
रात्री | रात्रि |
रामायन | रामायण |
राशीफल | राशिफल |
राष्ट्रिय | राष्ट्रीय |
रुखा | रूखा |
रुठ | रूठ |
रूपए | रुपये |
रूपहला | रुपहला |
रेणू | रेणु |
रेतिला | रेतीला |
रेस्तरा | रेस्तराँ |
लक्षदीप | लक्षद्वीप |
लड़ायी | लड़ाई |
लब्धप्रतिष्ठित | लब्धप्रतिष्ठ |
लहुलुहान | लहूलुहान |
लाखो | लाखों |
लिपी | लिपि |
लिवर | लीवर |
लेकीन | लेकिन |
लैश | लैस |
लोगसभा | लोकसभा |
वधु | वधू |
वरश | वर्ष |
वरिष्ट | वरिष्ठ |
वरूण | वरुण |
वर्शा | वर्षा |
वर्षगाठ | वर्षगाँठ |
वस्तूओं | वस्तुओं |
वापिस | वापस |
वाल्मीकी | वाल्मीकि |
विएतनाम | वियतनाम |
विजई | विजयी |
विज्ञानक | वैज्ञानिक |
विपत्ती | विपत्ति |
विरक्श | वृक्ष |
विरहणी | विरहिणी |
विराजमान् | विराजमान |
विश्य | विषय |
विषेश | विशेष |
विस्वास | विश्वास |
वीजय | विजय |
वृज | व्रज |
वेश्यगमन | वेश्यागमन |
वेषभूषा | वेशभूषा |
व्यकरण | व्याकरण |
व्यक्ती | व्यक्ति |
व्यवसायिक | व्यावसायिक |
शंभू | शंभु |
शक्ती | शक्ति |
शमशान | श्मशान |
शशीकांत | शशिकांत |
शांतमय | शांतिमय |
शांती | शांति |
शारीरीक | शारीरिक |
शिखिर | शिखर |
शिवर | शिविर |
शिशू | शिशु |
शिषर्क | शीर्षक |
शीघ्रत | शीघ्रता |
शीर्वाद | आशीर्वाद |
शुन्य | शून्य |
शुरूआत | शुरुआत |
शैया | शय्या |
श्रीमति | श्रीमती |
श्रृगांर | श्रृंगार |
षड़यंत्र | षड्यंत्र |
षष्ठ | षष्टि |
षष्ठिपूर्ति | षष्टिपूर्ति |
संक्या | संख्या |
संग्रहित | संग्रहीत |
संत्रांश | सत्रांश |
संदेस | संदेश |
संपत्ती | संपत्ति |
संमान | सम्मान |
संवर्दन | संवर्द्धन |
संसारिक | सांसारिक |
सदृश्य | सदृश |
सन्न्यास | सन्न्यास |
सन्यासी | संन्यासी |
सन्सार | संसार |
सपादक | संपादक |
सप्ताहिक | साप्ताहिक |
समाधी | समाधि |
समान | सामान |
समानलिंगी | समलिंगी |
सम्मानीत | सम्मानित |
सम्वाद | संवाद |
सरवनाम | सर्वनाम |
सरीर | शरीर |
सर्तक | सतर्क |
सशक्तिकरण | सशक्तीकरण |
साईबर | साइबर |
सात्यिक | साहित्यिक |
साधू | साधु |
साम | शाम |
सामर्थ | सामर्थ्य |
सायकिल | साइकिल |
साशक | शासक |
सिंहवाहनी | सिंहवाहिनी |
सिकाई | सिंकाई |
सिमित | सीमित |
सिस्य | शिष्य |
सीरीज़ | सिरीज़ |
सुचारू | सुचारु |
सुन्ना | सुनना |
सुबेदार | सूबेदार |
सुमेरू | सुमेरु |
सुरज | सूरज |
सुर्य | सूर्य |
सूचि | सूची |
सूचिबद्ध | सूचीबद्ध |
सूनसान | सुनसान |
सूनामी | सुनामी |
सेवानिवृत्त | सेवानिवृत्त |
सोचेंगें | सोचेंगे |
सौंदर्यता | सौंदर्य |
स्कुल | स्कूल |
स्तब्धत | स्तब्धता |
स्थाई | स्थायी |
स्थिती | स्थिति |
स्मरन | स्मरण |
स्वछ | स्वच्छ |
स्वप्नदृष्टा | स्वप्नद्रष्टा |
स्वालंबन | स्वावलंबन |
स्वालंबी | स्वावलंबी |
स्वास्थ | स्वास्थ्य |
स्वास्थय | स्वास्थ्य |
हमारे पर | हम पर |
हरोईन | हेरोइन |
हस्र | हश्र (ह+श्+र) |
हाऊस | हाउस |
हाथि | हाथी |
हाथिनी | हथिनी |
हिंदि | हिंदी |
हिंदूओं | हिंदुओं |
हिन्सा | हिंसा |
हिमांचल | हिमाचल |
हृदय | हृदय |
हेतू | हेतु |
शुद्ध और अशुद्ध शब्दों के अन्य उदाहरण
अशुद्ध शब्द | शुद्ध शब्द |
---|---|
अप्रसंगिक | अप्रासंगिक |
अनाधिकार | अनधिकार |
अनेकों | अनेक |
अन्तःराष्ट्रीय | अन्तर्राष्ट्रीय |
अन्तराष्ट्रीय | अन्तरराष्ट्रीय |
अन्तरजाल | अन्तर्जाल |
उज्जवल | उज्ज्वल |
चिन्ह | चिह्न |
अहिल्या | अहल्या |
पूज्यनीय | पूजनीय |
पूज्यास्पद | पूजास्पद |
पुरुस्कार | पुरस्कार |
सप्ताहिक | साप्ताहिक |
अतिश्योक्ति | अतिशयोक्ति |
आर्शीवाद | आशीर्वाद |
मैंनें | मैंने |
रूपया | रुपया |
रुप | रूप |
क्रपा | कृपा |
विरहणी | विरहिणी |
शुश्रुषा | शुश्रूषा |
सूर्पनखा | शूर्पनखा |
सम्राज्य | साम्राज्य |
सहस्त्र | सहस्र (हजार) |
शारिरिक | शारीरिक |
देहिक | दैहिक |
अध्यात्मिक | आध्यात्मिक |
वृष्टी | वृष्टि |
निरपराधी | निरपराध |
प्रमाणिक | प्रामाणिक |
माधुर्यता | माधुर्य, मधुरता |
राजनैतिक | राजनीतिक |
व्यवहरित | व्यवहृत |
वैधव्यता | वैधव्य |
षष्ठम | षष्ठ |
सौन्दर्यता | सुन्दरता |
केन्द्रिय | केन्द्रीय |
सौजन्यता | सौजन्य |
अन्तर्ध्यान | अन्तर्धान |
उपलक्ष | उपलक्ष्य |
घनिष्ट | घनिष्ठ |
अत्याधिक | अत्यधिक |
अगामी | आगामी |
आद्र | आर्द्र |
वाल्मीकी | वाल्मीकि |
बिमार | बीमार |
अध्यन | अध्ययन |
मैथली | मैथिली |
पुन्य | पुण्य |
संसारिक | सांसारिक |
अन्ताक्षरी | अन्त्याक्षरी |
परिक्षा | परीक्षा |
प्रोद्योगिकी | प्रोद्यौगिकी |
भगीरथी | भागीरथी |
राज्यमहल | राजमहल |
रावन | रावण |
पहूँचना | पहुँचना |
महत्वपूर्ण | महत्त्वपूर्ण |
हिन्दु | हिन्दू |
उपरोक्त | उपर्युक्त |
कालीदास | कालिदास |
पत्नि | पत्नी |
उन्नती | उन्नति |
परिस्थिती | परिस्थिति |
प्रसंशा | प्रशंसा |
ब्रम्ह | ब्रह्म |
भैय्या | भैया |
परिक्षा | परीक्षा |
प्रदर्शिनी | प्रदर्शनी |
भाष्कर | भास्कर |
सुर्य | सूर्य |
गोपिनी | गोपी |
भुजंगिनी | भुजंगी * |
अनाथिनी | अनाथा |
सुलोचनी | सुलोचना |
सुस्वागत | स्वागत |
निरपराधी | निरपराध |
विहंगिनी | विहंगी * |
शताब्दि | शताब्दी |
अक्षोहिणी | अक्षौहिणी |
निर्दोषी | निर्दोष |
निर्दयी | निर्दय |
निर्गुणी | निर्गुण |
आंख | आँख |
सन्यासी | संन्यासी |
श्रीमति | श्रीमती |
कृप्या | कृपया |
इंजनियरिंग, इंजिनीयरंग | इंजीनियरिंग (अभियान्त्रिकी) |
बढाकर | बढ़ाकर |
ब्लाग, ब्लोग | ब्लॉग |
बाक्स | बॉक्स |
पन्डित | पण्डित |
विन्डो | विण्डो |
विन्डोज़ | विण्डोज़ |
फॉन्ट, फोन्ट, फौन्ट | फॉण्ट |
कल्ब | क्लब |
दवाईयाँ | दवाइयाँ |
रोड़ | रोड |
मोबाईल | मोबाइल |
हस्पताल | अस्पताल |
आईना | आइना |
आईफोन | आइफोन |
आईपैड | आइपैड |
विकीपीडिया, विकीपीडीया, विकिपिडिया, विकिपीडीया | विकिपीडिया |
गल्ती | गलती |
ढ़ाबा | ढाबा |
कृप्या | कृपया |
श्रृंखला | शृंखला |
श्रृंगार | शृंगार |
ग्यान | ज्ञान |
स्त्रोत | स्रोत |
स्त्रोत | स्तोत्र |
आफ | ऑफ |
कोलेज | कॉलेज |
लिनेक्स, लाइनेक्स | लिनक्स |
टाइपिंग की अशुद्धियाँ
जो अशुद्धियाँ आमतौर पर कम्प्यूटर अथवा अन्य कम्प्यूटिंग डिवाइसों पर टाइपिंग के दौरान होती है, उन्हें टाइपिंग की अशुद्धियाँ कहलाती है।
अंग्रेजी में इस प्रकार की अशुद्धियों को ‘टाइपो’ कहते है। कईं बार तो इन अशुद्धियों पर पर टाइपकर्ता का ध्यान ही नहीं जाता है।
अशुद्ध शब्द | शुद्ध शब्द |
---|---|
शिर्षक | शीर्षक |
भि | भी |
पुरे | पूरे |
सुरक्षीत | सुरक्षित |
स्मसान | श्मशान |
सन्मान | सम्मान |
स्वास्थ | स्वास्थ्य |
प्राप्ती | प्राप्ति |
तृप्ती | तृप्ति |
शक्ती | शक्ति |
अतिथी | अतिथि |
मिस्लिम | मुस्लिम |
पुर्व | पूर्व |
काफि | काफी |
लागु | लागू |
टुल्स | टूल्स |
. (फुलस्टॉप) | । (पूर्णविराम) |
| (पाइप साइन) | । (पूर्णविराम) |
।। (पूर्णविराम दो बार) | ॥ (दीर्घ विराम) |
. (फुलस्टॉप) | ॰ (लाघव चिह्न) |
: (कॉलन) | ः (विसर्ग) |
शुद्ध और अशुद्ध शब्दों की वर्कशीट
अशुद्ध शब्द | शुद्ध शब्द |
---|---|
गुरू | गुरु |
हात | हाथ |
हिंदु | हिंदू |
वापिस | वापस |
पढाई | पढ़ाई |
त्यौहार | त्योहार |
त्यौहार | त्योहार |
अधार | आधार |
अगामी | आगामी |
अतिथी | अतिथि |
ग्रहणी | गृहिणी |
आर्दश | आदर्श |
दिवार | दीवार |
जबाब | जवाब |
हिंदु | हिंदू |
दांत | दाँत |
नर्क | नरक |
पती | पति |
उपर | ऊपर |
चढना | चढ़ना |
पत्नि | पत्नी |
धोका | धोखा |
शुद्ध और अशुद्ध शब्द से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न
-
वर्तनी की परिभाषा क्या है?
किसी शब्द को लिखने में प्रयुक्त वर्णों के क्रम को ‘वर्तनी’ एवं ‘अक्षरी’ कहते है। अंग्रेजी भाषा में वर्तनी को ‘स्पेलिंग’ तथा उर्दू भाषा में ‘हिज्जे’ कहते है।
-
उच्चारण की परिभाषा क्या है?
भाषा के शब्दों अथवा अक्षरों को बोलना ‘उच्चारण’ कहलाता है। उच्चारण और वर्तनी एक-दूसरे के पूरक होते है। यदि उच्चारण अशुद्ध होगा, तो वर्तनी भी अशुद्ध होगी।
-
शब्द शुद्धि क्या है?
भाषा ‘विचारों की अभिव्यक्ति’ का सशक्त माध्यम है और भाषा की सबसे छोटी सार्थक इकाई ‘शब्द’ है। भाषा के माध्यम से ही मनुष्य मौखिक एवं लिखित रूपों में अपने विचारों को अभिव्यक्त करता है।
इस वैचारिक अभिव्यक्ति के लिए शब्दों का शुद्ध प्रयोग आवश्यक है। अपितु, अर्थ का अनर्थ हो जाता है। कईं बार क्षेत्रीयता, उच्चारण भेद और व्याकरणिक ज्ञान के अभाव के कारण वर्तनी संबंधी अशुद्धियाँ हो जाती है।
अंतिम शब्द
अंत में आशा करता हूँ कि यह लेख आपको पसंद आया होगा और आपको हमारे द्वारा इस लेख में प्रदान की गई अमूल्य जानकारी फायदेमंद साबित हुई होगी।
अगर इस लेख के द्वारा आपको किसी भी प्रकार की जानकारी पसंद आई हो तो, इस लेख को अपने मित्रों व परिजनों के साथ फेसबुक पर साझा अवश्य करें और हमारे वेबसाइट को सबस्क्राइब कर ले।

नमस्कार, मेरा नाम सूरज सिंह रावत है। मैं जयपुर, राजस्थान में रहता हूँ। मैंने बी.ए. में स्न्नातक की डिग्री प्राप्त की है। इसके अलावा मैं एक सर्वर विशेषज्ञ हूँ। मुझे लिखने का बहुत शौक है। इसलिए, मैंने सोचदुनिया पर लिखना शुरू किया। आशा करता हूँ कि आपको भी मेरे लेख जरुर पसंद आएंगे।