500+ शुद्ध और अशुद्ध शब्द : उच्चारण और वर्तनी की परिभाषा

Shudh Ashudh Shabd in Hindi

शुद्ध और अशुद्ध शब्द : Shudh Ashudh Shabd in Hindi:- आज के इस लेख में हमनें ‘शुद्ध और अशुद्ध शब्द’ से सम्बंधित जानकारी प्रदान की है।

यदि आप शुद्ध और अशुद्ध शब्द से सम्बंधित जानकारी खोज रहे है? तो इस लेख को शुरुआत से अंत तक अवश्य पढ़े। तो चलिए शुरू करते है:-

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वर्तनी की परिभाषा

किसी शब्द को लिखने में प्रयुक्त वर्णों के क्रम को ‘वर्तनी’ एवं ‘अक्षरी’ कहते है। अंग्रेजी भाषा में वर्तनी को ‘स्पेलिंग’ तथा उर्दू भाषा में ‘हिज्जे’ कहते है।

अपनी भाषा के साथ अन्य भाषाओं की ध्वनि को ग्रहण करने की शक्ति जिस भाषा की वर्तनी में जितनी अधिक होगी, उस भाषा की वर्तनी उतनी ही अधिक शक्तिशाली और समर्थ होगी। वर्तनी का सीधा संबंध भाषागत ध्वनियों के उच्चारण से किया जाता है।

हिंदी भाषा जिस रूप में बोली जाती है, वैसी ही लिखी जाती है। लेकिन, कईं बार लिखते समय अशुद्धियाँ हो जाती है। वर्तनी और उच्चारण एक-दूसरे पर आश्रित होते है।

उच्चारण:- भाषा के शब्दों अथवा अक्षरों को बोलना ‘उच्चारण’ कहलाता है। उच्चारण और वर्तनी एक-दूसरे के पूरक होते है। यदि उच्चारण अशुद्ध होगा, तो वर्तनी भी अशुद्ध होगी।

अन्य शब्दों में कह सकते है कि जब किसी शब्द में किसी भाव को व्यक्त करने के लिए जितने वर्ण अथवा अक्षर जिस क्रम में प्रयोग किये जाते है, उन्हें उसी क्रम में लिखने को ‘वर्तनी’ कहते है।

वर्तनी के उदाहरण

वर्तनी के उदाहरण निम्नलिखित है:-

‘ख’ वर्ण को लिखते समय यह ध्यान देना चाहिए कि इसे ‘रव’ न लिखें, अन्यथा शब्द का अर्थ परिवर्तित हो जाएगा।

जैसे:-

शब्दअर्थ
खानाभोजन करना
रवानाप्रस्थान करना/चले जाना

उपरोक्त उदाहरणों में देखा कि शब्द को लिखते समय यदि वर्णों को सही प्रकार से न लिखा जाए, तो उस शब्द का सम्पूर्ण अर्थ ही परिवर्तित जाता है।

वर्तनी का महत्व

किसी भाषा की एकरूपता बनाए रखने के लिए तथा जनमानस के भाषा प्रयोग में होने वाली विकृतियों से बचने के लिए वर्तनी का प्रयोग अत्यंत आवश्यक है और इसका प्रयोग सभी के लिए अनिवार्य है।

शुद्ध वर्तनी का अर्थ है – शब्दों में मात्राओं का सही प्रयोग करके सही शब्द लिखना। जैसे अकाश – आकाश, इद – ईद, उष्मा- ऊष्मा आदि।

शुद्ध वर्तनी का अर्थ

वर्तनी शब्द का अर्थ:- ‘पीछेपीछे चलना’ अथवा ‘अनुसरण करना’ होता है। भाषा स्तर पर ‘वर्तनी’ शब्दों की ध्वनियों के पीछे-पीछे चलती है और ‘वर्तनी’ शब्द विशेष के लेखन में उस शब्द की एक-एक करके आने वाली ध्वनियों के ‘लिपि चिन्ह’ निर्धारित करती है।

वर्तनी शुद्धि एवं सुधार के नियम

हिंदी एक सरल भाषा है, लेकिन उच्चारण के आधार को नहीं समझने तथा व्याकरण के कारण भाषिक अशुद्धियाँ होती है। हिंदी में वर्ण, प्रत्यय, लिंग, संधि, अनुस्वार तथा अनुनासिक जैसी अशुद्धियाँ सामने आती है।

समझ तथा अभ्यास के माध्यम से ऐसी अशुद्धियों को दूर किया जा सकता है। वर्तनी संबंधी अशुद्धियों को दूर करने के लिए सभी नियम निम्नलिखित है:-

  • शिरोरेखा:- ‘अ’, ‘थ’, ‘ध’, ‘भ’, ‘क्ष’, ‘श’, ‘श्र’ कुछ ऐसे वर्ण है, जिनके ऊपर शिरोरेखा तोड़ी जाती है, चाहे वे वर्ण शब्द के बीच में ही क्यों ना आए हो। जैसे:- अधर्मी, कक्ष, कभी, अन्यथा, आदि।
  • जिन व्यंजनों के अंत में खड़ी पाई होती है, तो जब उन्हें अन्य व्यंजनों के साथ जोड़ा जाता है, तो यह खड़ी पाई हटा दी जाती है। जैसे:- तथ्य। इस शब्द में ‘थ’ के खड़ी पाई (ा) को हटाकर ‘य’ के साथ जोड़ा गया है।

शुद्ध और अशुद्ध शब्द क्या है? : Shudh Ashudh Shabd in Hindi

प्रत्येक भाषा में वर्तनी को लिखने का एक तरीका होता है और लिखते-लिखते हमसे विभिन्न प्रकार की त्रुटियाँ भी होती है। इनमें से कईं त्रुटियाँ तो इतनी अधिक प्रचलित हो जाती है कि उन्हें ही सही मान लिया जाता है।

वर्तनी में सही प्रकार से लिखा गया शब्द ‘शुद्ध शब्द’ होता है, जबकि वर्तनी में त्रुटि ‘अशुद्ध शब्द’ कहलाती है।

इस महत्वपूर्ण लेख में शुद्ध और अशुद्ध शब्दों की सूची प्रदान की गई है, जिसके द्वारा आपको यह ज्ञात करने में सहायता प्राप्त होगी कि किसी शब्द को शुद्ध रूप से और अशुद्ध रूप से किस प्रकार लिखा जाता है।

शुद्ध वर्तनी लिखने के प्रमुख रुप

शुद्ध और अशुद्ध शब्द में आने वाली शुद्ध वर्तनी लिखने के प्रमुख रुप निम्नलिखित है:-

  • हिंदी में विभक्ति चिन्ह स्वर्ण नाम के अतिरिक्त शेष सभी शब्दों से अलग लिखे जाते है। जैसे:- राम ने पुत्र को कहा। श्याम को रुपए दे दो।
  • यदि सर्वनाम के साथ विभक्ति चिह्न होता है, तो उसे सर्वनाम से मिलाकर लिखा जाता है। जैसे:- हमने, उसने, मुझसे, उसको, तुमसे, हमको, किसको, किसने, आदि।
  • सर्वनाम और उसकी विभक्ति के बीच ‘ही’ और ‘तक’ अव्यय होते है, तो विभक्ति सर्वनाम से अलग लिखी जाती है। जैसे:- आप ही के लिए, आप तक को, मुझ तक को, उसी के लिए, आदि।
  • सर्वनाम के साथ 2 विभक्ति चिन्ह होने पर पहला विभक्ति चिन्ह सर्वनाम में मिलकर लिखा जाता है, जबकि दूसरा विभक्ति चिन्ह सर्वनाम से अलग लिखा जाता है। जैसे:- आपके लिए, उसके लिए, इनमें से, आपमें से, हममें से, आदि।
  • संयुक्त क्रियाओं में से सभी अंगभूत क्रियाओं को भिन्न-भिन्न लिखा जाना अनिवार्य है। जैसे:- जाया करता है, पढ़ा करता है, जा सकते हो, खा सकते हो, आदि।
  • पूर्वकालिक प्रत्यय ‘कर’ को क्रिया से मिलाकर लिखा जाता है। जैसे:- सोकर, उठकर, गाकर, मिलाकर, खाकर, पीकर, आदि।
  • द्वंद समास में पदों के मध्य योजन चिन्ह (-) लगाया जाता है। जैसे:- माता-पिता, राधा-कृष्ण, शिव-पार्वती, माँ-बेटा, आदि।
  • अव्ययो को पृथक लिखा जाना चाहिए। जैसे:- मेरे साथ, हमारे साथ, यहाँ तक, अभी तक, आदि। ‘जैसे’ और ‘सा’ ऐसे कईं सारुपय वाचको के पहले योजक चिन्ह (-) का प्रयोग करना अनिवार्य है। जैसे:- चाकू-सा, दिखा-सा, आप-सा, प्यारा-सा, आदि।
  • जब वर्णमाला के किसी वर्ग के पंचम अक्षर के बाद उसी वर्ग के प्रथम चारों वर्णों में से कोई वर्ण होता है, तो पंचम वर्ण के स्थान पर अनुस्वार (ं) का प्रयोग करना चाहिए। जैसे:- कंकर, गंगा, चंचल, नंदन, आदि। लेकिन, जब नासिक्य व्यंजन (वर्ग का पंचम वर्ण) उसी वर्ग के प्रथम चार वर्णों के अतिरिक्त अन्य किसी वर्ण के पहले आता है, तो उसके साथ उस पंचम वर्ण का आधा रूप लिखा जाता है। जैसे:- पन्ना, अन्य, जगह, सम्मान, परंतु, ठंडा, घंटा, आदि। ऐसे शब्द अशुद्ध होते है।
  • ‘अ’, ‘ऊ’ एवं ‘आ’ मात्रा वाले वर्णों के साथ अनुनासिक चिन्ह (ँ) को चंद्रबिंदु के रूप में लिखा जाता है। जैसे:- आँख, जाँच, पाँच, अँगना, दाँया, बाँया, आदि। लेकिन, अन्य कुछ मात्राओं के साथ अनुनासिक के रूप में भी लिखा जाता है। जैसे:- मैंने, नहीं, खींचना, आदि।
  • अंग्रेजी में हिंदी में आये जिन शब्दों में आधे ‘ओ’ (‘आ’ एवं ‘ओ’ के मध्य की ध्वनि ‘ऑ’) ध्वनि का प्रयोग होता है। उनके ऊपर अर्द्ध चंद्र लगाया जाता है। जैसे:- कॉलेज, डॉक्टर, कॉफ़ी, हॉल, आदि।
  • संस्कृत मूल के तत्सम शब्दों को वर्तनी में संस्कृत वाला रूप ही लिखा जाना चाहिए, लेकिन कुछ शब्दों के नीचे हलंत लगाने का प्रचलन हिंदी में कुछ समय से समाप्त हो चुका है। अतः उनके नीचे हलंत नहीं लगाया जाता है। जैसे:- महान, जगत, विद्वान, आदि। लेकिन, ‘संधि’ तथा ‘छंद’ को समझाने के लिए शब्दों के नीचे हलंत लगाना अनिवार्य है।
  • संस्कृत भाषा के ऐसे शब्द जिनके आगे भी विसर्ग (:) लगाते है, यदि हिंदी में तत्सम रूप में प्रयोग किए जाए, तो उनमें विसर्ग (:) लगाना अनिवार्य होता है। जैसे:- दुःख, प्रातः, मूलतः, अंततः, आदि। विसर्ग के पश्चात ‘श’, ‘स’, ‘स’ वर्ण आये तो विसर्ग को यथावत लिखा जाना चाहिए। जैसे:- दु: + शासन = ‘दु:शासन’ अथवा ‘दुश्शासन’।

शब्द शुद्धि क्या है?

भाषा ‘विचारों की अभिव्यक्ति’ का सशक्त माध्यम है और भाषा की सबसे छोटी सार्थक इकाई ‘शब्द’ है। भाषा के माध्यम से ही मनुष्य मौखिक एवं लिखित रूपों में अपने विचारों को अभिव्यक्त करता है।

इस वैचारिक अभिव्यक्ति के लिए शब्दों का शुद्ध प्रयोग आवश्यक है। अपितु, अर्थ का अनर्थ हो जाता है। कईं बार क्षेत्रीयता, उच्चारण भेद और व्याकरणिक ज्ञान के अभाव के कारण वर्तनी संबंधी अशुद्धियाँ हो जाती है।

वर्ण तथा मात्रा संबंधी अशुद्धियाँ

वर्ण तथा मात्रा संबंधी सभी अशुद्धियाँ निम्नलिखित है:-

‘न’ तथा ‘ण’ वर्ण संबंधी अशुद्धियाँ

‘ष’, ‘र’, ‘ऋ’ वर्ण के बाद यदि ‘‘ आये, तो वह सदैव ‘‘ वर्ण में परिवर्तित हो जाता है, चाहे यह ‘‘ वर्ण ठीक इनके बाद हो या इन वर्णों और ‘‘ वर्ण के बीच कोई वर्ण (‘क वर्ग’, ‘प वर्ग’, ‘य’, ‘व’, ‘ह’ में से कोई एक वर्ण अथवा कईं वर्ण) हो। जैसे:- चरण, हरन, गुण, आदि।

‘श’ तथा ‘ष’ वर्ण संबंधी अशुद्धियाँ

इनका उच्चारण क्रम तालु और मूर्धा से होता है। अतः इनका नाम भी क्रमशः तालव्य तथा मूर्धन्य है। संधि युक्त शब्दों में ‘क’, ‘ख’, ‘ट’, ‘ठ’, ‘प’, ‘फ’ वर्ण से पहले ‘‘ वर्ण आता है। जैसे:- निष्ठा, निष्फल, कनिष्क, आदि। संस्कृत शब्दों में ‘च’ तथा ‘छ’ वर्ण से पहले ‘‘ वर्ण आता है। जैसे:- निश्चय, निश्छल, आदि।

‘छ’ तथा ‘क्ष’ वर्ण सम्बन्धी अशुद्धियाँ

‘क’ तथा ‘ष’ वर्ण के योग से ‘क्ष’ वर्ण बनता है। इनका अधिक प्रयोग तत्सम शब्दों में ही होता है। उच्चारण की अशुद्धि के कारण इनमें प्रायः अशुद्धियाँ होती रहती है। इनसे संबंधित अधिक प्रचलित शब्द नीचे दिए गए है।

‘छ’ वर्ण वाले शब्द

‘छ’ वर्ण वाले शब्द
छल
छात्र
छिन्न
छिद्र
अच्छा
स्वच्छ
तुच्छ

‘क्ष’ वर्ण वाले शब्द

‘क्ष’ वर्ण वाले शब्द
क्षमा
क्षत्रिय
क्षय
क्षण
क्षार
क्षेत्र
अक्ष
वृक्ष
कक्ष

‘ब’ तथा ‘व’ वर्ण संबंधी अशुद्धियाँ

इन वर्णों के विषय में कोई विशेष नियम नहीं है। पढ़ते और बोलते समय उच्चारण पर ध्यान देने से यह अशुद्धियों दूर हो सकती है।

‘ऋ’ तथा ‘रि’ वर्ण संबंधी अशुद्धियाँ

संस्कृत शब्दों के अतिरिक्त ‘ऋ’ वर्ण का प्रयोग नहीं होता है। जैसे:- ऋषि, ऋक्ष, ऋतु, ऋण, गृह, आदि। हिंदी में गृह (घर), भ्राता (भाई), मात्र (सिर्फ) तथा प्रथा (रीति) आते है। इन वर्णों को अर्थ और उच्चारण सहित समझ लेना चाहिए।

‘ये’ तथा ‘ए’ वर्ण संबंधी अशुद्धियाँ

हिंदी में कुछ शब्दों के 2 रूप व्यवहार में आते है, जैसे:- रूपये और रुपए, लिए और लिये, आदि। इनके निर्णय करते समय इनके मूल रूप ध्यान देना चाहिए। यदि अव्यय है, तो ‘लिए‘ ही शुद्ध है। इसी प्रकार चाहिए में ‘ये‘ का उच्चारण स्पष्ट रूप से नहीं होने कारण ‘‘ ही लिखना चाहिए।

‘यी’ तथा ‘ई’ वर्ण संबंधी अशुद्धियाँ

हिंदी में ‘गई’ तथा ‘गयी’ दोनों शब्द ही लिखे जाते है। हालांकि, ‘स्वर वर्ण’ वाला शब्द काफी उपयुक्त है, लेकिन हिंदी में दोनों का प्रयोग किया जाता है।

‘वा’ तथा ‘आ’ वर्ण संबंधी अशुद्धियाँ

‘हुवा’, ‘खावेगा’, ‘जावो’, आदि अशुद्ध शब्द है। इनके स्थान पर क्रमशः ‘हुआ’, ‘खाएगा’, ‘जाओ’ लिखना चाहिए।

विदेशी शब्द संबंधी अशुद्धियाँ

विदेशी शब्दों को तत्सम रूप में न लिखकर तद्भव रूप में लिखना चाहिए तथा उनमें अपनी भाषा के प्रत्यय लगाना चाहिए। जैसे:- लैनटर्न को लालटेन ही लिखना चाहिए।

अनुस्वार संबंधी अशुद्धियाँ

जब अनुस्वार के बाद किसी भी वर्ग का कोई भी वर्ण आता है, तो अनुस्वार के स्थान पर विकल्प के सामने वाले वर्ण के वर्ग का पांचवा वर्ण हो जाता है। जैसे:- गंगा = गग्ङा।

इस नियम के अनुसार, यदि अनुस्वार के बाद ‘म’, ‘य’, ‘र’, ‘ल’, ‘व’, ‘श’, ‘ष’, ‘क्ष’, ‘ह’ वर्ण में से कोई वर्ण आता है, तो अनुस्वार नहीं परिवर्तित नहीं होता है। जैसे:- संयम, संयोजक, आदि।

अनुस्वार तथा चंद्रबिंदु संबंधी अशुद्धियाँ

यदि उच्चारण खींचकर किया जाता है, तो अनुस्वार (ं) का प्रयोग होता है। यदि उच्चारण हल्का होता है, तो चंद्रबिंदु (ँ) का प्रयोग होता है।

जैसे:-

अनुस्वार वाले शब्द

अनुस्वार वाले शब्द
अंक
दंत
पंक
रंक
बंक

चंद्रबिंदु वाले शब्द

चंद्रबिंदु वाले शब्द
आँख
गेहूँ
हँसना
पहुँचना

लिंग संबंधी अशुद्धियाँ

लिंग संबंधी सभी अशुद्धियाँ निम्नलिखित है:-

सम्बन्ध की विभक्ति के बाद यदि कोई समस्त पद आता है, जिसमें दो परस्पर भिन्न लिंग वाले शब्द है, तो सम्बन्ध की विभक्ति का वही लिंग होगा, जो समस्त पद में पश्चात वाले शब्द का है। जैसे:- ‘आपकी इच्छानुसार कार्य नहीं होता।’

इस वाक्य में ‘इच्छानुसार’ एक समस्त पद है। इसमें कुल 2 शब्द है:- ‘इच्छा + अनुसार।’ ‘इच्छा‘ शब्द ‘स्त्रीलिंग‘ और ‘अनुसार‘ शब्द ‘पुल्लिंग‘ है। बाद में अनुसार है।

इसलिए, उसी के अनुसार ‘आपके‘ पुल्लिंग होगा। इसलिए, उपरोक्त वाक्य का शुद्ध रूप ‘आपके इच्छानुसार कार्य नहीं होता।‘ होगा।

प्रत्यय संबंधी अशुद्धियाँ

प्रत्यय संबंधी सभी अशुद्धियाँ निम्नलिखित है:-

  • भाववाचक संज्ञा बनाने वाले ‘त्व’, ‘ता’, आदि प्रत्ययों के बाद ‘ई’, ‘एस’, ‘आई’ प्रकार के प्रत्ययों को लगाना अशुद्ध है। अतः ‘सौंदर्य’ अथवा ‘सुंदरता’ तो शुद्ध शब्द है, लेकिन ‘सौन्दर्यता’ अशुद्ध शब्द है।
  • किसी विशेषण के बाद विशेषण बना देने वाले प्रत्यय नहीं लगाना चाहिए। जैसे:- अभिष्टित = अभीष्ट, एकत्रित = एकत्र, आदि।

स्वर संबंधी अशुद्धियाँ

स्वर संबंधी सभी अशुद्धियाँ निम्नलिखित है:-

‘अ’ तथा ‘आ’ स्वर संबंधी अशुद्धियाँ

अशुद्ध शब्दशुद्ध शब्दअशुद्ध शब्दशुद्ध शब्द
अकाशआकाशनदाननादान
अगामीआगामीनराजनाराज
अवाजआवाजसप्ताहिकसाप्ताहिक
अविष्कारआविष्कारसंसारिकसांसारिक
अशीर्वादआशीर्वाददुरावस्थादुरवस्था
अहारआहारबारातबरात
आजकालआजकलहाथिनीहथिनी
आधीनअधीनबदामबादाम
ढाकनाढकनाव्यवसायिकव्यावसायिक
अनाधिकारअनधिकारतत्कालिकतात्कालिक

‘इ’ तथा ‘ई’ स्वर संबंधी अशुद्धियाँ

अशुद्ध शब्दशुद्ध शब्द
आशिर्वादआशीर्वाद
इसाईईसाई
इदईद
दिवालीदीवाली
तिर्थतीर्थ
पत्निपत्नी
पिढ़ीपीढ़ी
अतिथीअतिथि
अभीनेताअभिनेता
पुत्रिपुत्री

‘उ’ तथा ‘ऊ’ संबंधी अशुद्धियाँ

अशुद्ध शब्दशुद्ध शब्द
गुरूगुरु
उधमऊधम
उष्माऊष्मा
दुसरादूसरा
धूआंधुआं
वधुवधू
दूकानदुकान
साधूसाधु
दूबारदुबारा
रूपयारुपया
नेहरुनेहरू
तुफानतूफान

‘ऋ’ स्वर संबंधी अशुद्धियाँ

अशुद्ध शब्दशुद्ध शब्द
रिणीऋणी
त्रितीयतृतीय
पैत्रिकपैतृक
उरिणउऋण
रितुऋतु
रिषीऋषि
रिगवेदऋग्वेद

‘ए’ तथा ‘ऐ’ स्वर संबंधी अशुद्धियाँ

अशुद्ध शब्दशुद्ध शब्द
जेसाजैसा
एक्टऐक्ट
टेक्सटैक्स
चाहिऐचाहिए
फैंकनाफेंकना
वेश्यवैश्य
वैश्यावेश्या
मेसूरमैसूर
देहिकदैहिक
भाषाऐंभाषाएँ
मेनेजरमैनेजर

‘ओ’ तथा ‘औ’ स्वर संबंधी अशुद्धियाँ

अशुद्ध शब्दशुद्ध शब्द
अलोकिकअलौकिक
नोकरीनौकरी
ओरतऔरत
गोतमगौतम
दौनादोना
गोरवगौरव
ओद्योगिकऔद्योगिक
त्यौहारत्योहार
प्रोढ़प्रौढ़
पोरुषपौरुष
लौहारलोहार

अनुस्वार (ं) और चंद्रबिंदु (ँ) संबंधी अशुद्धियाँ

अशुद्ध शब्दशुद्ध शब्द
गूंगागूँगा
आंखआँख
ऊंचाऊँचा
उंगलीउँगली
गूंजगूँज
मुंहमुँह
दांतदाँत
बांधबाँध
महंगामहँगा
झांसीझाँसी
पांखपाँख

विसर्ग (ः) संबंधी अशुद्धियाँ

अशुद्ध शब्दशुद्ध शब्द
दुखदुःख
निस्वार्थनिःस्वार्थ
निशुल्कनिःशुल्क
प्रायप्रायः
प्रातकालप्रातःकाल
मनस्थितिमनःस्थिति

व्यंजन संबंधी अशुद्धियाँ

व्यंजन संबंधी सभी अशुद्धियाँ निम्नलिखित है:-

‘छ’ तथा ‘क्ष’ व्यंजन संबंधी अशुद्धियाँ

अशुद्ध शब्दशुद्ध शब्द
छनक्षण
छयक्षय
छमाक्षमा
आकांछाआकांक्षा
छीणक्षीण
नछत्रनक्षत्र
रच्छारक्षा
संछेपसंक्षेप

‘ज’ तथा ‘य’ व्यंजन संबंधी अशुद्धियाँ

अशुद्ध शब्दशुद्ध शब्द
जदीयदि
जमुनायमुना
जमयम
जुवतीयुवती
जोगयोग
जुवायुवा

‘ट’ तथा ‘ठ’ संबंधी अशुद्धियाँ

अशुद्ध शब्दशुद्ध शब्द
कुष्टकुष्ठ
गोष्टीगोष्ठी
मुठठीमुट्ठी
घनिष्टघनिष्ठ
संतुष्ठसंतुष्ट
पृष्टपृष्ठ
चेष्ठाचेष्टा
श्रेष्टश्रेष्ठ
परिशिष्ठपरिशिष्ठ

‘ड’ एवं ‘ङ’ व्यंजन तथा ‘ढ’ एवं ‘ढ़’ व्यंजन संबंधी अशुद्धियाँ

अशुद्ध शब्दशुद्ध शब्द
पडतापड़ता
पेडपेड़
कन्नडकन्नड़
क्रीडाक्रीड़ा
झाडूझाड़ू
पढतापढ़ता
ढ़कनाढकना
मेंढ़कमेंढक

‘ण’ तथा ‘न’ व्यंजन संबंधी अशुद्धियाँ

अशुद्ध शब्दशुद्ध शब्द
प्रार्थणाप्रार्थना
कल्यानकल्याण
गुनगुण
प्रनामप्रणाम
प्रमानप्रमाण
प्रानप्राण
विनाविणा
श्रवनश्रवण

‘ब’ तथा ‘व’ व्यंजन संबंधी अशुद्धियाँ

अशुद्ध शब्दशुद्ध शब्द
नबाबनवाब
पूर्बपूर्व
ब्ययव्यय
ब्यापारव्यापर
कामयावीकामयाबी
दबदवादबदबा
बिकटविकट
बिमलविमल
बिषविष
बीबीबीवी

पंचमाक्षर (ड़, ञ, ण, न, म) संबंधी अशुद्धियाँ

अशुद्ध शब्दशुद्ध शब्द
कन्ठकण्ठ
अन्गअंग
झन्डाझण्डा
पन्खापंखा
चन्चलचंचल
कुन्डलीकुण्डली

‘श’, ‘ष’ तथा ‘स’ व्यंजन संबंधी अशुद्धियाँ

अशुद्ध शब्दशुद्ध शब्द
दुश्कर्मदुष्कर्म
पुश्पपुष्प
भ्रश्टभ्रष्ट
अमावश्याअमावस्या
नमश्कारनमस्कार
प्रशन्नप्रसन्न
प्रसंसाप्रशंसा
आसाआशा
कुसलताकुशलता
संतोशसंतोष
हर्शहर्ष

शुद्ध और अशुद्ध शब्द के शब्दकोश

शुद्ध तथा अशुद्ध शब्द के शब्दकोश निम्नलिखित है:-

अशुद्ध शब्दशुद्ध शब्द
अंगुरअंगूर
अकांक्षाआकांक्षा
अतिथीअतिथि
अत्माआत्मा
सुर्यसूर्य
शांतीशांति
लड़ायीलड़ाई
मुनीमुनि
पोधापौधा
पत्निपत्नी
देसदेश
दवाइदवाई
तिथीतिथि
ठिकठीक
जरुरीजरूरी
घनटेघंटे
गनितगणित
खनखून
प्रतिनिधप्रतिनिधि

500+ महत्वपूर्ण शुद्ध और अशुद्ध शब्द

अशुद्ध शब्दशुद्ध शब्द
अरपनअर्पण
अहारआहार
अपरान्हअपराह्न
अनभिग्यअनभिज्ञ
अभिसेकअभिषेक
इश्वरईश्वर
इसाईईसाई
इस्कूलस्कूल
ईच्छाइच्छा
ईमारतइमारत
ईसलिएइसलिए
उंगलीऊँगली
उंतीसउनतीस
उज्वलउज्जवल
उदघाटनउद्घाटन
उद्दतउद्यत
उधमऊधम
उधाहरणउदाहरण
उनंचासउनचास
उपजाउउपजाऊ
उपरोक्तउपर्युक्त
उपलक्षउपलक्ष्य
उमरनाउमड़ना
उष्माऊष्मा
उहापोहऊहापोह
ऊँगलियाँउँगलियाँ
एंकरऐंकर
एंजसीएजेंसी
एंपायरअंपायर
एकत्रितएकत्र
एक्टऐक्ट
एच्छिकऐच्छिक
एतिहासिकऐतिहासिक
एनकाउन्टरएनकाउंटर
ऐहतियातएहतियात
ऒपचारिकऔपचारिक
कंप्युटरकंप्यूटर
कठिनाईयाँकठिनाइयाँ
कनिष्टकनिष्ठ
करिएगाकीजिएगा
करीएकीजिए
कवियत्रीकवयित्री
कवीकवि
कसोटीकसौटी
काग़ज़ातोंकाग़ज़ात
काबिलयतक़ाबिलियत
काराग्रहकारागृह
कार्यवाईकार्रवाई
कालीदासकालिदास
कुमुदनीकुमुदिनी
कूआँकुआँ
कूबतक़ूवत
कृत्यकृत्यकृतकृत्य
कृप्याकृपया
केंद्रियकेंद्रीय
केबिनेटकैबिनेट
केसकेश
कोटीकोटि
कौव्वाकौआ
क्योंकीक्योंकि
क्षत्रीयक्षत्रिय
क्षमतक्षमता
खटायीखटाई
खनखून
ख़बरनबीसख़बरनवीस
खरोचखरोंच
खलवाटखल्वाट
ख़ुबानीख़ूबानी
खूँखरखूँखार
ख्यालख़याल
गँठजोडगठजोड
गदगदगद्गद
गनितगणित
गलाघोंटूगलघोंटू
गवाँनागँवाना
गीतांजलीगीतांजलि
गीनतीगिनती
गुरूगुरु
गृहणीगृहिणी
गैरसम्मानजनकअसम्मानजनक
गोड़ाघोड़ा
ग्रहकार्यगृहकार्य
घनिष्टघनिष्ठ
घन्टेघंटे
घबड़ानाघबराना
घरोंदाघरौंदा
घूटघूँट
चहिएचाहिए
चारागाहचरागाह
चितचित्त
चिन्हचिह्न
चेष्ठाचेष्टा
छिपकिलीछिपकली
छूआछूतछुआछूत
छेंड़छाड़छेड़छाड़
जंडाझंड़ा
जबावजवाब
जमीनज़मीन
जयंतिजयंती
ज़रुरीज़रूरी
जीर्णोंद्धारजीर्णोद्धार
जुआड़ीजुआरी
ज्योतिषिज्योतिषी
ज्योत्सनाज्योत्स्ना
झपनाझँपना
झाँगझाग
झुझलानाझुँझलाना
झूठा (खाना)जूठा (खाना)
झोकाझोंका
झौपड़ीझोपडी
टिप्पड़ीटिप्पणी
टेलिविज़नटेलीविज़न
ठिकठीक
डाकूओंडाकुओं
ड्राईवरड्राइवर
ढकेलाधकेला
ढाँकनाढाँकना
ढूँढनाढूँढ़ना
तत्कालिकतात्कालिक
तत्वतत्त्व
तत्वाधानतत्त्वावधान
तबियततबीयत
ताकीताकि
ताबुतताबूत
तिथीतिथि
तिलस्मतिलिस्म
तीनतरफातिनतरफ़ा
तुफानतूफ़ान
तुम्हारे कोतुम्हें, तुमको
तुष्टिकरणतुष्टीकरण
तृकालदर्शीत्रिकालदर्शी
तैतीसतैंतीस
त्योरीत्यौरी
त्यौहारत्योहार
त्रितीयतृतीय
थरमाकोलथर्माकोल
थिगलीथेगली
थिसिसथीसीस
थुकनाथूकना
थुत्कारथूत्कार
थ्यौरीथ्योरी
थ्रीलरथ्रिलर
दंपत्तिदंपती
दमाददामाद
दयालूदयालु
दरियायीदरियाई
दवाइदवाई
दवाईयाँदवाइयाँ
दस्ताबेजदस्तावेज़
दायित्त्वदायित्व
दावपेचदाँवपेंच
दिजिएदीजिए
दिपकदीपक
दिवानगीदीवानगी
दिवालीदीवाली
दुकानेदुकानें
दुनियाँदुनिया
दुरदर्शनदूरदर्शन
दुरावस्थादुरवस्था
दुरुपयोगदुरुपयोग
दुरुहदुरूह
दुल्हेदूल्हे
दुसरेदूसरे
दृष्टाद्रष्टा
दृष्यदृश्य
देसदेश
दोपहियादुपहिया
द्वंदद्वंद्व
धातूएँधातुएँ
धुरंदरधुरंधर
धौकनीधौंकनी
धौसधौंस
ध्ररतिधरती
ध्रूपदध्रुपद
नकारानाकारा
नक्षर्तनक्षत्र
नगदनक़द
नदाननादान
नपथ्यनेपथ्य
नबाबनवाब
नयीनई
नराजनाराज़
नर्कनरक
नवरात्रीनवरात्र
नहीनहीं
नाकोंदमनाकोदम
नासनाश
निरमलनिर्मल
निरूपमनिरुपम
निरोगनीरोग
निर्माणधीननिर्माणाधीन
निलंवितनिलंबित
निशुल्कनि:शुल्क
नुकसानदेयनुकसानदेह
नुपुरनूपुर
नेस्तनाबूतनेस्तनाबूद
नोकरीनौकरी
नौसीखियानौसिखिया
न्यालयन्यायालय
न्यौछावरन्योछावर
न्यौतान्योता
पक्षीगणपक्षिगण
पजामापाजामा
पड़ौसपड़ोस
पत्निपत्नी
परखच्चेपरखचे
परणामप्रणाम
परलौकिकपारलौकिक
परिपेक्ष्यपरिप्रेक्ष्य
परिवारिकपारिवारिक
परिशिष्ठपरिशिष्ट
परिस्थितपरिस्थिति
परीक्शापरीक्षा
परीचयपरिचय
परीवारपरिवार
पर्देशप्रदेश
पश्चातापपश्चात्ताप
पांचवापाँचवाँ
पांडेपांडेय
पितांबरपीतांबर
पुर्णिमापूर्णिमा
पुर्नजन्मपुनर्जन्म
पुर्नमतदनपुनर्मतदान
पुर्नवासपुनर्वास
पुर्नुत्थानपुनरुत्थान
पुष्पांजलीपुष्पांजलि
पुसतकपुस्तक
पूँछकरपूछकर
पूँछनापूछना
पूज्यनीयपूजनीय
पूर्तीपूर्ति
पूर्वार्दपूर्वार्ध (पूर्वार्द्ध)
पेंचीदापेचीदा
पोधापौधा
प्रकृतिकप्राकृतिक
प्रक्रतिप्रकृति
प्रतिक्षाप्रतीक्षा
प्रतिनिधप्रतिनिधि
प्रदर्शिनीप्रदर्शनी
प्रदेसप्रदेश
प्रमाणिकप्रामाणिक
प्रमात्मापरमात्मा
प्रर्दशनप्रदर्शन
प्रविनप्रवीण
प्रविष्ठप्रविष्ट
प्रसंस्करितप्रसंस्कृत
प्राचीनतम्प्राचीनतम
प्रानप्राण
प्रोढ़प्रौढ़
फासीफाँसी
फिटफुट
फेहरिश्तफ़ेहरिस्त
बंगलाबांग्ला (भाषा)
बंदरबाटबंदरबाँट
बइमानबेईमान
बकायदाबाक़ायदा
बजाएबजाय
बज़ारबाज़ार
बढ़ौत्तरीबढ़ोतरी
बदामबादाम
बनिस्पतबनिस्बत
बर्दाश्तबरदाश्त
बल्वबल्ब
बहुबहू
बहुब्रीहीबहुव्रीहि
बानरवानर
बारातबरात
बारीशबारिश
बावतबाबत
बिकरालविकराल
बिमारबीमार
बियोगवियोग
बिलासविलास
बिसवाबिस्वा
बिहारविहार
बीबीबीवी (पत्नी)
बेंचनाबेचना
बेफ़ज़ूलफ़ज़ूल
ब्रम्हब्रह्म
ब्रह्मणब्राह्मण
भडकाऊँभडकाऊ
भागवत्प्रेमभगवत्प्रेम
भागेदारीभागीदारी
भारतियभारतीय
भार्तियभारतीय
भालूओंभालुओं
भाषाऐंभाषाएँ
भाष्करभास्कर
भासकरभास्कर
भूखमरीभुखमरी
भेंड़भेड़
भोंकभौंक
मंजूमंजु
मंत्रीपरिषदमंत्रिपरिषद
मंत्रोचारमंत्रोच्चार
मँहगामहँगा
मजबूरमज़बूर
मनुश्यमनुष्य
मसतकमस्तक
महत्वमहत्त्व
महाबलिमहाबली
महारथमहारत
माँसमांस
माखौलमखौल
मालनमालिन
मालुममालूम
मिठइयाँमिठाइयाँ
मिष्टान्नमिष्ठान
मीत्रमित्र
मुकंदमुकुंद
मुकदमेंमुकदमे
मुखालिफतमुख़ालफ़त
मुनीमुनि
मुनीनणमुनिनण
मुल्यमूल्य
मुल्याकनमूल्यांकन
मुहूर्त्तमुहूर्त
मैथलीमैथिली
मोलवीमौलवी
यथावतयथावत्
यथेष्ठयथेष्ट
यथोचित्यथोचित
यानियानी
योगीराजयोगिराज
रणबाकुरेरणबाँकुरे
रबिंद्ररवींद्र
रवीवाररविवार
रसायनिकरासायनिक
राजस्तानराजस्थान
रात्रीरात्रि
रामायनरामायण
राशीफलराशिफल
राष्ट्रियराष्ट्रीय
रुखारूखा
रुठरूठ
रूपएरुपये
रूपहलारुपहला
रेणूरेणु
रेतिलारेतीला
रेस्तरारेस्तराँ
लक्षदीपलक्षद्वीप
लड़ायीलड़ाई
लब्धप्रतिष्ठितलब्धप्रतिष्ठ
लहुलुहानलहूलुहान
लाखोलाखों
लिपीलिपि
लिवरलीवर
लेकीनलेकिन
लैशलैस
लोगसभालोकसभा
वधुवधू
वरशवर्ष
वरिष्टवरिष्ठ
वरूणवरुण
वर्शावर्षा
वर्षगाठवर्षगाँठ
वस्तूओंवस्तुओं
वापिसवापस
वाल्मीकीवाल्मीकि
विएतनामवियतनाम
विजईविजयी
विज्ञानकवैज्ञानिक
विपत्तीविपत्ति
विरक्शवृक्ष
विरहणीविरहिणी
विराजमान्विराजमान
विश्यविषय
विषेशविशेष
विस्वासविश्वास
वीजयविजय
वृजव्रज
वेश्यगमनवेश्यागमन
वेषभूषावेशभूषा
व्यकरणव्याकरण
व्यक्तीव्यक्ति
व्यवसायिकव्यावसायिक
शंभूशंभु
शक्तीशक्ति
शमशानश्मशान
शशीकांतशशिकांत
शांतमयशांतिमय
शांतीशांति
शारीरीकशारीरिक
शिखिरशिखर
शिवरशिविर
शिशूशिशु
शिषर्कशीर्षक
शीघ्रतशीघ्रता
शीर्वादआशीर्वाद
शुन्यशून्य
शुरूआतशुरुआत
शैयाशय्या
श्रीमतिश्रीमती
श्रृगांरश्रृंगार
षड़यंत्रषड्यंत्र
षष्ठषष्टि
षष्ठिपूर्तिषष्टिपूर्ति
संक्यासंख्या
संग्रहितसंग्रहीत
संत्रांशसत्रांश
संदेससंदेश
संपत्तीसंपत्ति
संमानसम्मान
संवर्दनसंवर्द्धन
संसारिकसांसारिक
सदृश्यसदृश
सन्न्याससन्न्यास
सन्यासीसंन्यासी
सन्सारसंसार
सपादकसंपादक
सप्ताहिकसाप्ताहिक
समाधीसमाधि
समानसामान
समानलिंगीसमलिंगी
सम्मानीतसम्मानित
सम्वादसंवाद
सरवनामसर्वनाम
सरीरशरीर
सर्तकसतर्क
सशक्तिकरणसशक्तीकरण
साईबरसाइबर
सात्यिकसाहित्यिक
साधूसाधु
सामशाम
सामर्थसामर्थ्य
सायकिलसाइकिल
साशकशासक
सिंहवाहनीसिंहवाहिनी
सिकाईसिंकाई
सिमितसीमित
सिस्यशिष्य
सीरीज़सिरीज़
सुचारूसुचारु
सुन्नासुनना
सुबेदारसूबेदार
सुमेरूसुमेरु
सुरजसूरज
सुर्यसूर्य
सूचिसूची
सूचिबद्धसूचीबद्ध
सूनसानसुनसान
सूनामीसुनामी
सेवानिवृत्तसेवानिवृत्त
सोचेंगेंसोचेंगे
सौंदर्यतासौंदर्य
स्कुलस्कूल
स्तब्धतस्तब्धता
स्थाईस्थायी
स्थितीस्थिति
स्मरनस्मरण
स्वछस्वच्छ
स्वप्नदृष्टास्वप्नद्रष्टा
स्वालंबनस्वावलंबन
स्वालंबीस्वावलंबी
स्वास्थस्वास्थ्य
स्वास्थयस्वास्थ्य
हमारे परहम पर
हरोईनहेरोइन
हस्रहश्र (ह+श्+र)
हाऊसहाउस
हाथिहाथी
हाथिनीहथिनी
हिंदिहिंदी
हिंदूओंहिंदुओं
हिन्साहिंसा
हिमांचलहिमाचल
हृदयहृदय
हेतूहेतु

शुद्ध और अशुद्ध शब्दों के अन्य उदाहरण

अशुद्ध शब्दशुद्ध शब्द
अप्रसंगिकअप्रासंगिक
अनाधिकारअनधिकार
अनेकोंअनेक
अन्तःराष्ट्रीयअन्तर्राष्ट्रीय
अन्तराष्ट्रीयअन्तरराष्ट्रीय
अन्तरजालअन्तर्जाल
उज्जवलउज्ज्वल
चिन्हचिह्न
अहिल्याअहल्या 
पूज्यनीयपूजनीय
पूज्यास्पदपूजास्पद
पुरुस्कारपुरस्कार 
सप्ताहिकसाप्ताहिक
अतिश्योक्तिअतिशयोक्ति
आर्शीवादआशीर्वाद
मैंनेंमैंने
रूपयारुपया
रुपरूप
क्रपाकृपा
विरहणीविरहिणी
शुश्रुषाशुश्रूषा
सूर्पनखाशूर्पनखा
सम्राज्यसाम्राज्य
सहस्त्रसहस्र (हजार)
शारिरिकशारीरिक
देहिकदैहिक
अध्यात्मिकआध्यात्मिक
वृष्टीवृष्टि
निरपराधीनिरपराध
प्रमाणिकप्रामाणिक
माधुर्यतामाधुर्य, मधुरता
राजनैतिकराजनीतिक
व्यवहरितव्यवहृत
वैधव्यतावैधव्य
षष्ठमषष्ठ
सौन्दर्यतासुन्दरता
केन्द्रियकेन्द्रीय
सौजन्यतासौजन्य
अन्तर्ध्यानअन्तर्धान
उपलक्षउपलक्ष्य
घनिष्टघनिष्ठ
अत्याधिकअत्यधिक
अगामीआगामी
आद्रआर्द्र
वाल्मीकीवाल्मीकि
बिमारबीमार
अध्यनअध्ययन
मैथलीमैथिली
पुन्यपुण्य
संसारिकसांसारिक
अन्ताक्षरीअन्त्याक्षरी
परिक्षापरीक्षा
प्रोद्योगिकीप्रोद्यौगिकी 
भगीरथीभागीरथी
राज्यमहलराजमहल
रावनरावण
पहूँचनापहुँचना
महत्वपूर्णमहत्त्वपूर्ण
हिन्दुहिन्दू
उपरोक्तउपर्युक्त 
कालीदासकालिदास
पत्निपत्नी
उन्नतीउन्नति
परिस्थितीपरिस्थिति
प्रसंशाप्रशंसा
ब्रम्हब्रह्म
भैय्याभैया
परिक्षापरीक्षा
प्रदर्शिनीप्रदर्शनी
भाष्करभास्कर 
सुर्यसूर्य
गोपिनीगोपी
भुजंगिनीभुजंगी *
अनाथिनीअनाथा
सुलोचनीसुलोचना
सुस्वागतस्वागत 
निरपराधीनिरपराध
विहंगिनीविहंगी *
शताब्दिशताब्दी
अक्षोहिणीअक्षौहिणी
निर्दोषीनिर्दोष
निर्दयीनिर्दय
निर्गुणीनिर्गुण
आंखआँख
सन्यासीसंन्यासी
श्रीमतिश्रीमती
कृप्याकृपया
इंजनियरिंग, इंजिनीयरंगइंजीनियरिंग (अभियान्त्रिकी)
बढाकरबढ़ाकर
ब्लाग, ब्लोगब्लॉग
बाक्सबॉक्स
पन्डितपण्डित
विन्डोविण्डो
विन्डोज़विण्डोज़
फॉन्ट, फोन्ट, फौन्टफॉण्ट
कल्बक्लब
दवाईयाँदवाइयाँ
रोड़रोड
मोबाईलमोबाइल
हस्पतालअस्पताल
आईनाआइना
आईफोनआइफोन
आईपैडआइपैड
विकीपीडिया, विकीपीडीया, विकिपिडिया, विकिपीडीयाविकिपीडिया
गल्तीगलती
ढ़ाबाढाबा
कृप्याकृपया
श्रृंखलाशृंखला 
श्रृंगारशृंगार
ग्यानज्ञान 
स्त्रोतस्रोत
स्त्रोतस्तोत्र
आफऑफ
कोलेजकॉलेज
लिनेक्स, लाइनेक्सलिनक्स

टाइपिंग की अशुद्धियाँ

जो अशुद्धियाँ आमतौर पर कम्प्यूटर अथवा अन्य कम्प्यूटिंग डिवाइसों पर टाइपिंग के दौरान होती है, उन्हें टाइपिंग की अशुद्धियाँ कहलाती है।

अंग्रेजी में इस प्रकार की अशुद्धियों को ‘टाइपो’ कहते है। कईं बार तो इन अशुद्धियों पर पर टाइपकर्ता का ध्यान ही नहीं जाता है।

अशुद्ध शब्दशुद्ध शब्द
शिर्षकशीर्षक
भिभी
पुरेपूरे
सुरक्षीतसुरक्षित
स्मसानश्मशान
सन्मानसम्मान
स्वास्थस्वास्थ्य
प्राप्तीप्राप्ति
तृप्तीतृप्ति
शक्तीशक्ति
अतिथीअतिथि
मिस्लिममुस्लिम
पुर्वपूर्व
काफिकाफी
लागुलागू
टुल्सटूल्स 
. (फुलस्टॉप) (पूर्णविराम) 
| (पाइप साइन) (पूर्णविराम)
।। (पूर्णविराम दो बार) (दीर्घ विराम)
. (फुलस्टॉप) (लाघव चिह्न)
: (कॉलन) (विसर्ग)

शुद्ध और अशुद्ध शब्दों की वर्कशीट

अशुद्ध शब्दशुद्ध शब्द
गुरूगुरु
हातहाथ
हिंदुहिंदू
वापिसवापस
पढाईपढ़ाई
त्यौहारत्योहार
त्यौहारत्योहार
अधारआधार
अगामीआगामी
अतिथीअतिथि
ग्रहणीगृहिणी
आर्दशआदर्श
दिवारदीवार
जबाबजवाब
हिंदुहिंदू
दांतदाँत
नर्कनरक
पतीपति
उपरऊपर
चढनाचढ़ना
पत्निपत्नी
धोकाधोखा

शुद्ध और अशुद्ध शब्द से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न

  1. वर्तनी की परिभाषा क्या है?

    किसी शब्द को लिखने में प्रयुक्त वर्णों के क्रम को ‘वर्तनी’ एवं ‘अक्षरी’ कहते है। अंग्रेजी भाषा में वर्तनी को ‘स्पेलिंग’ तथा उर्दू भाषा में ‘हिज्जे’ कहते है।

  2. उच्चारण की परिभाषा क्या है?

    भाषा के शब्दों अथवा अक्षरों को बोलना ‘उच्चारण’ कहलाता है। उच्चारण और वर्तनी एक-दूसरे के पूरक होते है। यदि उच्चारण अशुद्ध होगा, तो वर्तनी भी अशुद्ध होगी।

  3. शब्द शुद्धि क्या है?

    भाषा ‘विचारों की अभिव्यक्ति’ का सशक्त माध्यम है और भाषा की सबसे छोटी सार्थक इकाई ‘शब्द’ है। भाषा के माध्यम से ही मनुष्य मौखिक एवं लिखित रूपों में अपने विचारों को अभिव्यक्त करता है।
    इस वैचारिक अभिव्यक्ति के लिए शब्दों का शुद्ध प्रयोग आवश्यक है। अपितु, अर्थ का अनर्थ हो जाता है। कईं बार क्षेत्रीयता, उच्चारण भेद और व्याकरणिक ज्ञान के अभाव के कारण वर्तनी संबंधी अशुद्धियाँ हो जाती है।

अंतिम शब्द

अंत में आशा करता हूँ कि यह लेख आपको पसंद आया होगा और आपको हमारे द्वारा इस लेख में प्रदान की गई अमूल्य जानकारी फायदेमंद साबित हुई होगी।

अगर इस लेख के द्वारा आपको किसी भी प्रकार की जानकारी पसंद आई हो तो, इस लेख को अपने मित्रों व परिजनों के साथ फेसबुक पर साझा अवश्य करें और हमारे वेबसाइट को सबस्क्राइब कर ले।

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