अंबेडकर जयंती पर भाषण

अंबेडकर जयंती पर भाषण : Speech on Ambedkar Jayanti in Hindi:- आज के इस लेख में हमनें ‘अंबेडकर जयंती पर भाषण’ से सम्बंधित जानकारी प्रदान की है।
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अंबेडकर जयंती पर भाषण : Speech on Ambedkar Jayanti in Hindi
सुप्रभात, आदरणीय प्रधानाचार्य जी, सभी अध्यापकगण, एवं सभी विद्यार्थियों, आप सभी को मेरा प्यारभरा नमस्कार।
मेरा नाम ——- है और मैं इस विद्यालय में 12वीं कक्षा का विद्यार्थी हूँ। सबसे पहले मैं आप सभी को धन्यवाद देना चाहता हूँ कि आप सभी ने मुझे इस मंच पर अपने विचार व्यक्त करने का अवसर प्रदान दिया।
भारतीय संस्कृति अपनी प्राचीनता व अपने रीति-रिवाजों के लिए पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। इन्हीं रीति-रिवाजों में कुछ कुरुतियाँ भी मौजूद है।
जिनमें से जाति व्यवस्था एक बहुत बड़ी कुरूति है। इस व्यवस्था में लोगों को जाति व्यवस्था में बांटा गया था। प्राचीन समय में जाति व्यवस्था व्यक्ति के कर्म के आधार पर होती थी।
शिक्षा प्रदान करने वाले को ब्राह्मण, रक्षा करने वाले को क्षत्रिय, व्यापार करने वाले को वैश्य व अन्य छोटे काम करने वाले को शुद्र कहा जाता था।
लोग अपने कर्म के साथ अपनी जाति भी बदल सकते थे। समय के साथ-साथ इन व्यवस्थाओं में कुरूतियों ने जन्म ले लिया। इस समय में जाति जन्म से निर्धारित होनी लगी।
व्यक्ति कितना भी अच्छा कार्य कर लें, वह अपनी जाति से ऊपर नही उठ सकता था। उच्च जाति के लोगों ने निम्न जाति के लोगों पर काफी अत्याचार किए।
इस पूरी विचारधारा को बदलने वाले शख्स का नाम बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर है। आज हम उन्हीं के जन्मदिवस पर एकत्रित हुए है।
उनका जन्म 14 अप्रैल 1891 को मध्यप्रदेश राज्य के महो में हुआ था। उनका पूरा नाम भीमराव रामजी अम्बेडकर था।
उनके पिता का नाम रामजी मालोजी सकपाल व उनकी माता का नाम भीमबाई था। लोग उन्हें बाबा साहेब कहकर भी बुलाते थे। उनका विवाह रमाबाई अंबेडकर से हो गया।
उन्होंने कोलंबिया विश्वविद्यालय और लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स से अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट की उपाधि हासिल की। इसके पश्चात् उन्होंने देश को आजाद कराने के लिए बहुत सी सभाएं की।
बचपन से उन्होंने हिंदू धर्म में फैली छुआछूत जैसी कुरूतियों का सामना किया। अपनी शिक्षा को पूर्ण करने के पश्चात उन्होंने वकालत भी की।
वह मुख्य रूप से दलितों को स्वतंत्रता, सामाजिक अधिकार व उन्हें शोषण से बचाने के लिए काम किया करते थे।
कहा जाता है कि वह बचपन से ही पढ़ने के प्रति बहुत ही इच्छुक थे। वह बचपन से कक्षा में जमीन में बैठकर पढ़ाई किया करते थे। उन्हें कक्षा में भी ऐसी समस्याओं का सामना करना पड़ता था।
उन्होंने गांधी जी के साथ बहुत सी सभाओं में हिस्सा लिया। सभी सभाओं में उन्होंने इस बात पर ध्यान दिया कि दलितों को उनका अधिकार मिल सके।
उन्होंने भारत की स्वतंत्रता में भी कुछ बहुमूल्य कार्य किए। उनकी इसी क्षमता को देखकर उन्हें भारत की संविधान निर्माण सभा में शामिल कर लिया गया।
उन्होंने ही संविधान को लिखकर तैयार किया था। उनके कार्यों ने न सिर्फ दलितों को सम्मान दिलवाया बल्कि, उन्होंने सम्पूर्ण देश के लिए कार्य किए।
6 दिसम्बर 1956 को उनकी मृत्यु हो गई। उनकी मृत्यु के पश्चात सन 1990 में उन्हें भारत के सबसे बड़े सम्मान भारत रत्न से नवाजा गया।
उन्होंने कुछ राजनीतिक दलों में काम भी किया, जिनमें से कुछ प्रमुख शेड्युल्ड कास्ट फेडरेशन, स्वतंत्र लेबर पार्टी, भारतीय रिपब्लिकन पार्टी है।
हर व्यक्ति की जिंदगी में बहुत सी मुश्किलें आती है। कईं लोग उन मुश्किलों से डरकर पीछे हट जाते है या फिर उन मुश्किलों से समझौता कर लेते है, तो कईं लोग बाबा साहेब की तरह लड़कर उन्हें हरा देते है।
हमें भी उनसे यह बात जरूर सीखनी चाहिए। प्रतिवर्ष हम उनके जन्मदिवस को अंबेडकर जयंती के रूप में मनाते है।
इतना कहकर मैं अपने भाषण को समाप्त करता हूँ और आशा करता हूँ कि आपको मेरा यह भाषण पसंद आया होगा।
धन्यवाद!
अंतिम शब्द
अंत में आशा करता हूँ कि यह लेख आपको पसंद आया होगा और आपको हमारे द्वारा इस लेख में प्रदान की गई अमूल्य जानकारी फायदेमंद साबित हुई होगी।
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नमस्कार, मेरा नाम सूरज सिंह रावत है। मैं जयपुर, राजस्थान में रहता हूँ। मैंने बी.ए. में स्न्नातक की डिग्री प्राप्त की है। इसके अलावा मैं एक सर्वर विशेषज्ञ हूँ। मुझे लिखने का बहुत शौक है। इसलिए, मैंने सोचदुनिया पर लिखना शुरू किया। आशा करता हूँ कि आपको भी मेरे लेख जरुर पसंद आएंगे।