एपीजे अब्दुल कलाम पर भाषण

एपीजे अब्दुल कलाम पर भाषण : Speech on APJ Abdul Kalam in Hindi:- आज के इस लेख में हमनें ‘एपीजे अब्दुल कलाम पर भाषण’ से सम्बंधित जानकारी प्रदान की है।
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एपीजे अब्दुल कलाम पर भाषण : Speech on APJ Abdul Kalam in Hindi
सुप्रभात, आदरणीय प्रधानाचार्य जी, माननीय शिक्षकगण एवं मेरे प्यारे साथियों, आप सभी को मेरा प्यारभरा नमस्कार।
मेरा नाम —— है और मैं इस विद्यालय में 12वीं कक्षा का विद्यार्थी हूँ। सबसे पहले मैं आप सभी को धन्यवाद देना चाहता हूँ कि आप सभी ने मुझे इस मंच पर अपने विचार व्यक्त करने का अवसर प्रदान किया।
आज मैं आप सभी के सामने एक महान व्यक्ति के बारे में भाषण प्रस्तुत करना चाहता हूँ और आशा करता हूँ कि आपको मेरा यह भाषण पसंद आएगा।
मैं इस देश पूर्व राष्ट्रपति एवं वैज्ञानिक डॉ एपीजे अब्दुल कलाम के बारे दो शब्द कहने जा रहा हूँ। 15 अक्टूबर 1931 के दिन डॉ एपीजे अब्दुल कलाम का जन्म हुआ था।
उनका पूरा नाम अवुल पाकिर जैनुल्लाब्दीन अब्दुल कलाम था। वह बचपन से ही बहुत बुद्धिमान थे। उनके पिता नाव बनाने एवं उन्हें किराए पर देने का कार्य करते थे।
उनके पिता की आर्थिक स्थति काफी ख़राब थी। डॉ एपीजे अब्दुल कलाम सभी के लिए एक प्रेरणा स्रोत है। उन्होंने दिन के 18 घंटे काम कर भारत को 5 मिसाइलें दी।
जिसके बलबूते पर भारत देश आज भी स्वयं को सुरक्षित महसूस करता है। वह अपने ज्ञान को बांटने के लिए शिक्षक भी बने। कुछ वर्षों बाद वह भारत के 11वें राष्ट्रपति बनें।
राष्ट्रपति बनने के बाद भी उन्होंने हमेशा ही एक साधारण जीवनयापन किया। राष्ट्रपति का कार्यकाल ख़त्म होने के बाद उन्होंने फिर से विद्यार्थियों को शिक्षा प्रदान करनी शुरू कर दी।
डॉ एपीजे अब्दुल कलाम जी को मिसाइलमेन भी कहा जाता है। इतना करने के बाद भी उन्होंने कभी भी अपनी उपलब्धि पर घमंड नहीं किया। वह बहुत ही दयालु इंसान थे।
वह अपना हर कार्य बड़ी ही ईमानदारी और मेहनत से करते थे। वह एक महान नेता और कुशल शिक्षक थे। राष्ट्रपति के जीवनकाल में उन्होंने कभी भी अपने निजी खर्चों के लिए सरकारी धन का प्रयोग नहीं किया।
अपने खर्चों के लिए वह अपने वेतन का ही उपयोग किया करते थे। हम काफी खुशकिस्मत है कि हम ऐसे देश में पैदा हुए, जहाँ डॉ अब्दुल कलाम जैसे महान लोगों ने जन्म लिया है।
हम सभी को उन पर गर्व होना चाहिए। हम सभी को उनसे कईं चीजें सीखने की जरूरत है। हम उनकी जितनी अधिक भी सराहना करें, उतनी ही कम है।
उन्होंने कईं किताबें भी लिखी है, जिससे आज कईं युवाओं को सफलता प्राप्त हो रही है। उन्हें कईं पुरष्कार भी प्राप्त हुए, जैसे:- पद्मभूषण, पद्मविभूषण और भारतरत्न, आदि। वह एक देशभक्त थे।
उन्होंने हमेशा ही अपने से पहले अपने देश के बारे में सोचा है। जब वह राष्ट्रपति भवन में गए थे, तो उनके पास कुछ गिनी-चुनी वस्तुएँ ही थी।
जब वह राष्ट्रपति भवन को छोड़कर निकले थे, तब भी उनके पास वह कुछ वस्तुएँ मौजूद ही थी। उन्होंने कभी भी अपने निजी फायदे के बारे में नहीं सोचा।
उनका यह विचार ही उन्हें एक महान नेता और एक महान इंसान बनाता है। उन्होंने भारत को विकसित बनाने का सपना देखा।
उनकी सफलता को शब्दों में बयां कर पाना काफी मुश्किल है। लेकिन फिर भी मैंने यह प्रयास किया।
इतना कहकर मैं अपने भाषण को समाप्त करता हूँ और आशा करता हूँ कि आपको मेरा यह भाषण पसंद आया होगा।
धन्यवाद!
अंतिम शब्द
अंत में आशा करता हूँ कि यह लेख आपको पसंद आया होगा और आपको हमारे द्वारा इस लेख में प्रदान की गई अमूल्य जानकारी फायदेमंद साबित हुई होगी।
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नमस्कार, मेरा नाम सूरज सिंह रावत है। मैं जयपुर, राजस्थान में रहता हूँ। मैंने बी.ए. में स्न्नातक की डिग्री प्राप्त की है। इसके अलावा मैं एक सर्वर विशेषज्ञ हूँ। मुझे लिखने का बहुत शौक है। इसलिए, मैंने सोचदुनिया पर लिखना शुरू किया। आशा करता हूँ कि आपको भी मेरे लेख जरुर पसंद आएंगे।