बैसाखी पर भाषण

बैसाखी पर भाषण : Speech on Baisakhi in Hindi:- आज के इस लेख में हमनें ‘बैसाखी पर भाषण’ से सम्बंधित जानकारी प्रदान की है।
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बैसाखी पर भाषण : Speech on Baisakhi in Hindi
सुप्रभात, आदरणीय प्रधानाचार्य जी, सभी अध्यापकगण एवं प्यारे बच्चों, आप सभी को मेरा प्यार भरा नमस्कार। मेरा नाम ——– है और मैं इस विद्यालय में 12वीं कक्षा का विद्यार्थी हूँ।
सबसे पहले मैं आप सभी को धन्यवाद देना चाहता हूँ कि आप सभी ने मुझे इस मंच पर अपने विचार व्यक्त करने का अवसर प्रदान दिया।
भारत में बहुत से धर्मों के लोग एक साथ मिलकर रहते है। यहाँ पर हिंदू, मुस्लिम, सिक्ख व ईसाई धर्म के लोग मुख्य रूप से साथ रहते है।
सभी धर्मों के लोगों के अलग-अलग प्रमुख त्यौहार होते है। इसी वजह से भारत को त्योहारों का देश भी कहा जाता है।
यहाँ पर सभी धर्म के लोगों को उनके त्यौहार मनाने की पूरी आजादी है, क्योंकि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है। सिक्ख धर्म के लोगों के प्रमुख त्योहारों में बैसाखी एक प्रमुख त्योहार है।
इस त्यौहार को वैसे तो पूरे भारत में मनाया जाता है लेकिन, पंजाब व हरियाणा में इसे बड़े पैमाने पर मनाया जाता है। यहाँ पर इस दिन की रौनक कुछ अलग ही तरह की होती है।
इस त्यौहार को मुख्यतः 13 जनवरी के दिन मनाया जाता है। लेकिन, 36 वर्षों में एक बार इसे 14 जनवरी के दिन भी मनाया जाता है।
माना जाता है कि इस दिन सिक्खों के दसवें गुरु गुरुनानक साहेब जी ने खालसा पंथ की स्थापना की थी। इसे सन 1699 में स्थापित किया गया था। इसलिए भी इस त्यौहार का महत्त्व और अधिक बढ़ जाता है।
इस त्यौहार को फसलों की कटाई से भी जोड़ा जाता है। माना जाता है कि इस समय रबी की फसल की कटाई का उचित समय होता है। पंजाब को पांच नदियों का राज्य कहा जाता है।
यहाँ की जमीन बहुत उपजाऊ है। इसलिए, यहाँ पर अधिक मात्रा में फसलें उगाई जाती हैं। यहाँ के अधिकांश लोग आज भी खेती से जुड़े हुए है।
उनके लिए फसलों की कटाई किसी त्यौहार से कम नही होती है। इसलिए, इस त्यौहार को यहाँ के लोग बहुत ही उत्साह के साथ मनाते है।
इस दिन मुख्य रूप से सभी लोग सुबह गुरुद्वारा जाते है। जहाँ जाने से पहले उन्हें पवित्र नदी में स्नान करना पड़ता है। यहाँ सभी लोग वाहे गुरूजी की अरदास करते है।
अरदास के खत्म होने के बाद उन्हें प्रसाद के रुप में सूजी का हलवा दिया जाता है। गुरुद्वारे में इस दिन एक बहुत ही खास प्रार्थना समारोह का आयोजन किया जाता है।
उसके पश्चात गुरुद्वारे में बहुत बड़ी मात्रा में लंगर का आयोजन किया जाता है। यहाँ पर सभी लोग प्रसाद ग्रहण करते है। उसके पश्चात् सभी महिलाएं मिलकर गीत गाती है।
शाम को सभी एक साथ मिलकर एक जगह एकत्रित होकर अग्नि के चारों तरफ भांगड़ा करते है और बड़े ही हर्षोल्लास के साथ इस त्यौहार को मनाते है।
इस दिन सभी सिक्ख समुदाय के लोगों द्वारा एक जुलुस का आयोजन किया जाता है। जिसमें सभी पुरुष, महिलाएं व बच्चें हिस्सा लेते है।
यह जुलुस शहर के मुख्य हिस्सों से गुजरता है। इसमें महिलाओं द्वारा भक्ति के गीत गाए जाते है व सभी मिलकर भांगड़ा व गिधे करते है और नाच-गाकर इस त्यौहार को मनाते है।
इस त्यौहार को पंजाब में बड़े ही हर्षोल्लास व जोश के साथ मनाया जाता है। इतना कहकर मैं अपने भाषण को समाप्त करता हूँ और आशा करता हूँ कि आपको मेरा यह भाषण पसंद आया होगा।
धन्यवाद!
अंतिम शब्द
अंत में आशा करता हूँ कि यह लेख आपको पसंद आया होगा और आपको हमारे द्वारा इस लेख में प्रदान की गई अमूल्य जानकारी फायदेमंद साबित हुई होगी।
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