वनों की कटाई पर भाषण

वनों की कटाई पर भाषण : Speech on Deforestation in Hindi:- आज के इस लेख में हमनें ‘वनों की कटाई पर भाषण’ से सम्बंधित जानकारी प्रदान की है।
यदि आप वनों की कटाई पर भाषण से सम्बंधित जानकारी खोज रहे है? तो इस लेख को शुरुआत से अंत तक अवश्य पढ़े। तो चलिए शुरू करते है:-
वनों की कटाई पर भाषण : Speech on Deforestation in Hindi
सुप्रभात, आदरणीय प्रधानाचार्य जी, माननीय शिक्षकगण एवं मेरे प्यारे साथियों, आप सभी को मेरा प्यारभरा नमस्कार।
मेरा नाम —— है और मैं इस विद्यालय में 11वीं कक्षा का विद्यार्थी हूँ। आज मैं इस शुभ अवसर पर आप सभी के सामने एक छोटा सा भाषण प्रस्तुत करने जा रहा हूँ, जिसका विषय है:- वनों की कटाई।
यह एक काफी महत्वपूर्ण विषय है। सर्वप्रथम, मैं आप सभी को धन्यवाद देना चाहता हूँ कि आप सभी ने मुझे इस मंच पर अपने विचार व्यक्त करने का अवसर प्रदान किया।
आज मैं “वनों की कटाई” विषय पर दो शब्द कहना चाहता हूँ। आशा करता हूँ कि आपको यह पसंद आएगा। वन हमारें जीवन के लिए काफी महत्वपूर्ण होते है।
इन वनों के बिना हमारा जीवन बिल्कुल ही असंभव है। हम एक दिन भी इनके बिना जीवित नहीं रह सकते है।
वनों से ही इस धरती पर वर्षा संभव है और वर्षा से ही हमारी फसलों को उचित जल प्राप्त हो पाता है, तभी हम सबको भोजन प्राप्त हो पाता है।
वर्षा से ही हमें पीने योग्य जल प्राप्त हो पाता है। वनों से ही हमें ऑक्सीजन प्राप्त होती है, इससे ही हमारा जीवन संभव है।
कुल मिलाकर हम प्रत्यक्ष एवं अप्रत्क्ष रूप से वनों पर ही निर्भर करते है। वनों से हमें विभिन्न प्रकार के प्राकृतिक संसाधन भी प्राप्त होते है।
लेकिन, आज वनों की कटाई दिन-प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है। लोग लगातार पेड़ों को काटते ही जा रहे है। इससे वर्षा भी कम हो रही है।
लोग बिना सोचे-समझे पेड़ों की कटाई कर रहे है, जिससे हमारे वातावरण पर भी बहुत बुरा प्रभाव पड़ रहा है। पेयजल की समस्या भी काफी बढ़ती जा रही है।
पेड़ों की कटाई से वातावरण में ऑक्सीजन की मात्रा कम हो रही है और कार्बन-डाई-ऑक्साइड की मात्रा बढ़ती जा रही है।
क्योंकि, पेड़-पौधे कार्बन-डाई-ऑक्साइड ग्रहण करते है और ऑक्सीजन प्रदान करते है, जिससे वातावरण में दोनों के बीच में संतुलन बना रहता है। लेकिन, पेड़-पौधों के लगातार कटने से यह संतुलन बिगड़ गया है।
वनों के कटने से सूखे व बाढ़ की समस्या भी लगातार पैदा हो रही है। जिससे लोगों को विभिन्न प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
कईं बार तो लोग इससे अपना घर भी खो देते है और कईं लोग अपनी जान खो देते है। वनों के होने से वातावरण भी ठंडा रहता है।
वनों के कटने से जानवरों का घर उनसे छिन गया है। जिससे जानवर इंसानों की बस्ती में घुस जाते है। यह मनुष्य व जानवर दोनों के लिए ही खतरनाक है।
कईं लोगों ने वनों की कटाई को रोकने का भी प्रयास किया है और इसके लिए लोगों ने कई आंदोलन भी किये है। जैसे:- चिपको आंदोलन उत्तराखंड के चमोली जिले में हुआ था।
हमें इसके लिए जागरूक होने की आवश्यकता है। हम सभी को मिलकर पेड़ों की कटाई को कम से कम करना होगा और ज्यादा से ज्यादा पेड़-पौधे लगाने होंगे।
तभी हम अपने पर्यावरण को बचा पाएंगे। अन्यथा, वह समय दूर नहीं जब हमारे पास पछताने के आलावा कुछ भी नहीं बचेगा।
पेड़-पौधों से ही हम सभी जीवित रह सकते है। इसलिए हमें हर संभव प्रयास कर इन्हें बचाने की जरूरत है।
इतना कहकर मैं अपने भाषण को समाप्त करता हूँ और आशा करता हूँ कि आप सभी को मेरा यह भाषण पसंद आया होगा।
धन्यवाद!
अंतिम शब्द
अंत में आशा करता हूँ कि यह लेख आपको पसंद आया होगा और आपको हमारे द्वारा इस लेख में प्रदान की गई अमूल्य जानकारी फायदेमंद साबित हुई होगी।
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