संत कबीर दास पर भाषण

संत कबीर दास पर भाषण : Speech on Kabir Das in Hindi:- आज के इस लेख में हमनें ‘संत कबीर दास पर भाषण’ से सम्बंधित जानकारी प्रदान की है।
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संत कबीर दास पर भाषण : Speech on Kabir Das in Hindi
सुप्रभात, आदरणीय प्रधानाचार्य जी, सभी अध्यापकगण एवं प्यारे बच्चों, आप सभी को मेरा प्यार भरा नमस्कार। मेरा नाम ——- है और मैं इस विद्यालय में 12वीं कक्षा का विद्यार्थी हूँ।
सबसे पहले मैं आप सभी को धन्यवाद देना चाहता हूँ कि आप सभी ने मुझे इस मंच पर अपने विचार व्यक्त करने का अवसर प्रदान दिया। भारतीय संस्कृति में बहुत से महान रचियता हुए।
कुछ लोगों ने अपनी कला के माध्यम से लोगों के समक्ष अपनी भक्तिभावना रखी, तो कुछ ने प्रेमभावना को सबके सामने रखा, तो इनमे से कुछ ने विरह को अपने शब्दों में वर्णन किया।
आज मैं आप सभी के सामने एक महान रचियता के बारे में कुछ शब्द कहने जा रहा हूँ, जिनका नाम संत कबीर दास है।
संत कबीर दास जी भक्तिकाल के एक महान कवि थे। उनके द्वारा कहे गए दोहे आज भी पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। भक्तिकाल में जहाँ सभी लोग भगवान की भक्तिभावना में लीन रहते थे।
वहीं संत कबीर दास जी निराकार ब्रह्म को मानते थे। उन्होंने अपनी रचना के माध्यम से कईं आडंबरों को नष्ट करने का प्रयास किया है।
संत कबीर दास जी के जीवन की बात की जाए तो उनका पूरा जीवन संघर्षपूर्ण रहा। उन्होंने प्रत्येक संघर्ष को पार किया और इस दुनिया में हमेशा के लिए अमर हो गए।
उनका जन्म ज्येष्ठ के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के दिन हुआ था। उनके जन्मदिवस को हम कबीर दास जयंती के रूप में मनाते है।
उनका जन्म एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। जबकि, उनका पालन-पोषण एक मुस्लिम परिवार में हुआ, इसलिए उन्होंने दोनों धर्मों को करीब से देखा।
उन्होंने हिन्दू व मुस्लिम धर्म में होने वाले सभी आडंबरों का पूर्ण रूप से विरोध किया। उनका मानना था कि भगवान को मंदिर व मस्जिद में नही ढूँढना चाहिए।
भगवान तो हम सभी के अंदर ही है। उस समय जाति-प्रथा अपने चर्म पर थी। समाज में जाति के नाम पर बहुत से अत्याचार हो रहे थे। उन्होंने इसका पूर्ण रूप से विरोध किया।
उन्होंने हमेशा माना कि हम सभी एक समान है। हमारे अंदर ही भगवान का निवास है, इसलिए हर इंसान का सम्मान करना चाहिए।
हर इंसान का सम्मान ही भगवान का सम्मान होगा। उनके अनुसार ऊँच-नीच, स्वर्ग-नरक कुछ भी नही है। सभी इस दुनिया में ही विद्यमान है।
उनके गुरु का नाम रामदास था। वह हमेशा से ही उनके कथनों का सम्मान किया करते थे तथा लोगों के कल्याण के लिए कार्य करते रहते थे।
इसके साथ-साथ लोगों को ज्ञान भी प्रदान किया करते थे और उन्हें लगातार प्रेरित करते रहते थे। कबीर दास जी भारतीय रत्नों में से एक थे, जो हमेशा अमर रहेंगे।
वह महान प्रतिभा के धनी थे। उनके जैसे श्रेष्ठमानव कईं सदियों में एक बार जन्म लेता है। उन्होंने कभी शिक्षा प्राप्त नहीं की, लेकिन उनका ज्ञान उनकी रचनाओं के माध्यम से सभी के सामने है।
उनकी रचनाओं में “बीजक” सबसे प्रसिद्ध रचनाओं में से एक है। उन्हें लिखना-पढ़ना नही आता था। ये सभी रचनाएँ उनके शिष्यों द्वारा लिखी गई थी।
उन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवनकाल लोगों की सेवा करने तथा उन्हें प्रेरित करने में लगा दिया। उन्होंने अपने दोनों बच्चों को भी समाजसुधार कार्यों में लगा दिया।
आज हमारे समाज में पहले से बहुत से परिवर्तन आ चुके है लेकिन, आज भी समाज के कईं हिस्सों में बहुत से आडंबर फैले हुए है, जिन्हें हमें खत्म करने की आवश्यकता है।
कबीर दास जी से हमें यह सीखना चाहिए कि वह अशिक्षित थे लेकिन, तब भी उन्होंने इन आडंबरों को समझा और इन्हें खत्म करने के लिए लड़ते रहे।
हमें भी अपने आसपास होने वाले अन्याय के लिए लड़ना होगा व लोगों को भी इसके लिए प्रेरित करना होगा।
इतना कहकर मैं अपने भाषण को समाप्त करता हूँ और आशा करता हूँ कि आपको मेरा यह भाषण पसंद आया होगा।
धन्यवाद!
अंतिम शब्द
अंत में आशा करता हूँ कि यह लेख आपको पसंद आया होगा और आपको हमारे द्वारा इस लेख में प्रदान की गई अमूल्य जानकारी फायदेमंद साबित हुई होगी।
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