महात्मा गाँधी पर भाषण

महात्मा गाँधी पर भाषण : Speech on Mahatma Gandhi in Hindi:- आज के इस लेख में हमनें ‘महात्मा गाँधी पर भाषण’ से सम्बंधित जानकारी प्रदान की है।
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महात्मा गाँधी पर भाषण : Speech on Mahatma Gandhi in Hindi
सुप्रभात, आदरणीय प्रधानाचार्य जी, सभी अध्यापकगण एवं प्यारे बच्चों, आप सभी को मेरा प्यार भरा नमस्कार। मेरा नाम ——— है और मैं इस विद्यालय में 10वीं कक्षा का विद्यार्थी हूँ।
सबसे पहले मैं आप सभी को धन्यवाद देना चाहता हूँ कि आप सभी ने मुझे इस मंच पर इस अयोजन को शुरू करने का अवसर प्रदान दिया।
भारत में बहुत से वीरों का जन्म हुआ है। जिन्होंने बहुत ही वीरता से युद्ध लड़े।
लेकिन, एक योद्धा ऐसा भी था जिसने बिना हथियार उठाए और बिना हिंसा किए केवल अहिंसा के दम पर भारत को अंग्रेज जैसे खतरनाक शत्रु से आजाद करवाया। वह स्वतंत्रता सेनानी और कोई नहीं महात्मा गांधी है।
महात्मा गाँधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 के दिन भारत में गुजरात राज्य के एक छोटे से इलाके पोरबंदर में हुआ। उनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गाँधी था।
उनके पिता का करमचंद गाँधी था। वह अंग्रेज़ी रियासत में एक छोटे से दीवान थे। उनकी माता का नाम पुतलीबाई था। वह एक ग्रहणी थी।
उनकी माता बहुत पूजा-पाठ किया करती थी। जिसकी वजह से वह बचपन से ही आध्यात्म से जुड़ गए। उनकी पत्नी का नाम कस्तूरबाबाई था।
उन्होंने अपनी शुरूआती पढ़ाई राजकोट से की व आगे की पढ़ाई करने के लिए लंदन चले गए। जहाँ से उन्होंने बैरिस्टर की डिग्री हासिल की।
गाँधी जी को भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में एक मुख्य नेता व केंद्रीय बिंदु के रूप में देखा जा सकता है। गाँधी जी को हमेशा अपने सिद्धांतों के लिए याद किया जाएगा।
वह अपने सिद्धांतों के बहुत पक्के थे। उनके सिद्धांतों में सत्य, अहिंसा, शाकाहारी रवैया, ब्रह्मचर्य, सादगी व विश्वास प्रमुख थे।
इसके लिए उन्हें कईं बार दूसरों का गुस्सा भी झेलना पड़ता था। लेकिन इसके बावजूद उन्होंने कभी भी अपने सिद्धांतों को नही छोड़ा।
महात्मा गाँधी ने देश को आजाद कराने के लिए बहुत से आंदोलन किए, जिसकी वजह से अंततः अंग्रेजों को भारत को छोड़ना ही पड़ा।
उनके द्वारा किए गए आंदोलनों में प्रमुख है:- चम्पारण सत्याग्रह 1917, खेड़ा सत्याग्रह 1918, अहमदाबाद मिल मजदूर आंदोलन 1918, असहयोग आंदोलन 1920 से लेकर 1922, सविनय अवज्ञा आंदोलन 1930, भारत छोड़ो आंदोलन 1942 व सत्याग्रह जैसे आंदोलन किए है।
आंदोलनों के साथ-साथ उन्होंने कईं बार सरकार के सामने अपनी बात मनवाने के लिए भूख हड़ताल भी की।
जिसकी वजह से उन्हें कईं बार जेल तक जाना पड़ा। लेकिन, उन्होंने कभी भी हार नही मानी और उसी जोश के साथ अग्रेजों से लड़ते रहे।
गाँधी जी ने अपना पूरा जीवन भारत को आजादी दिलाने में लगा दिया। उन्होंने इसकी शुरुआत दक्षिण अफ्रीका से की, जहाँ उन्होंने रंगभेद की नीति का जमकर विरोध किया।
उन्हें लोग बापू कहकर बुलाते थे। उन्हें भारत के राष्ट्रपिता के नाम से भी जाना जाता है। उनकी मृत्यु 30 जनवरी 1950 के दिन हो गई। नाथूराम गोडसे द्वारा तीन गोलियां मारकर उनकी हत्या कर दी गई।
इतना कहकर मैं अपने भाषण को समाप्त करता हूँ और आशा करता हूँ कि आपको मेरा यह भाषण पसंद आया होगा।
धन्यवाद!
अंतिम शब्द
अंत में आशा करता हूँ कि यह लेख आपको पसंद आया होगा और आपको हमारे द्वारा इस लेख में प्रदान की गई अमूल्य जानकारी फायदेमंद साबित हुई होगी।
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नमस्कार, मेरा नाम सूरज सिंह रावत है। मैं जयपुर, राजस्थान में रहता हूँ। मैंने बी.ए. में स्न्नातक की डिग्री प्राप्त की है। इसके अलावा मैं एक सर्वर विशेषज्ञ हूँ। मुझे लिखने का बहुत शौक है। इसलिए, मैंने सोचदुनिया पर लिखना शुरू किया। आशा करता हूँ कि आपको भी मेरे लेख जरुर पसंद आएंगे।