भारत के राष्ट्रीय ध्वज पर भाषण
भारत के राष्ट्रीय ध्वज पर भाषण : Speech on National Flag of India in Hindi:- आज के इस लेख में हमनें ‘भारत के राष्ट्रीय ध्वज पर भाषण’ से सम्बंधित जानकारी प्रदान की है।
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भारत के राष्ट्रीय ध्वज पर भाषण : Speech on National Flag of India in Hindi
आदरणीय प्रधानाचार्य जी, अध्यापकगण व मेरे सभी साथियों को मेरा प्यार भरा नमस्कार। मेरा नाम —– है। ,मैं इस विद्यालय में 10वीं कक्षा का विद्यार्थी हूँ। आज मैं आप सभी के सामने हमारें देश के राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे के ऊपर भाषण देने जा रहा हूँ।
किसी भी देश के लिए उसका राष्ट्रीय चिन्ह, राष्ट्रीय स्तम्भ व राष्ट्रीय ध्वज बहुत ही महत्वपूर्ण होते है। ये सभी देश के गौरव, सम्मान और प्रतिष्ठा के प्रतीक होते है। किसी भी देश का ध्वज उस देश का प्रतिनिधित्व करता है।
हम भारत देश के नागरिक है और हमारें देश के ध्वज का नाम तिरंगा है। तिरंगे को तिरंगा इसलिए कहा जाता है क्योंकि, इसमें कुल तीन रंग केसरिया, सफ़ेद व हरा रंग होता है। तिरंगे में तीनों रंग अलग-अलग भाव को दर्शाते है।
सबसे पहले केसरिया रंग त्याग और बलिदान का प्रतीक है। सफ़ेद रंग शांति व हरा रंग संपन्नता का प्रतीक माना जाता है। तिरंगे के मध्य में एक चक्र होता है, जो कि नीले रंग का होता है।
इस चक्र में कुल 24 तिल्लियां होती है। ये 24 तिल्लियां दिन के 24 घंटो को दर्शाती है। ये हमें निरंतर चलते रहने का संदेश देती है और ये चक्र सारनाथ स्थित अशोक स्तम्भ से लिया गया है।
इसका व्यास सफ़ेद रंग की पट्टी के बराबर होता है। झंडे की लम्बाई व चौड़ाई का औसत 3:2 होता है। भारत देश का ध्वज उसकी एकता, शांति, समृद्धि और विकास को दर्शाता है।
राष्ट्रीय झंडे के नियमों के अनुसार इसे खादी से ही बनाया जा सकता है। 22 जुलाई 1947 के दिन इसे विधानसभा ने भारतीय राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाया था। इसमें सिर्फ चरखे के स्थान पर सम्राट अशोक के धर्म चक्र को रखा गया है।
बाद में यह कांग्रेस पार्टी का तिरंगा स्वतंत्र भारत का ध्वज बन गया। जब भी किसी सैनिक या महान व्यक्ति का निधन होता है तो उसके ऊपर तिरंगा रखकर उसे श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है, ताकि उसे सम्मान दिया जा सके।
झंडे को फहराने के कुछ नियम भी होते है, जिन्हें प्रत्येक भारतीय को ध्यान में रखना चाहिए:-
- झंडे को हमेशा ही वहाँ फहराया जाता है, जहाँ से वह साफ दिखाई दें।
- राष्ट्रीय ध्वज को ऐसे ही कहीं पर फेंका नहीं जा सकता है।
- मेला या गंदा होने पर राष्ट्रीय ध्वज को अकेले में समाप्त किया जाता है।
- राष्ट्रीय ध्वज को सूर्यास्त के बाद नहीं फहराना चाहिए।
- मानक आकार में ही राष्ट्रीय ध्वज को होना चाहिए। कोई भी अपने मन से उसे कोई आकार या स्वरूप नहीं दे सकता है।
- इसका स्थान सदैव सर्वोपरि होगा। उसके ऊपर अन्य ध्वज नहीं फहराए जा सकते है।
- राष्ट्रीय ध्वज के समान किसी भी झंडे को खड़ा नहीं कर सकते है।
- राष्ट्रीय ध्वज की तुलना किसी झंडे से नहीं कर सकते है।
- झंडे पर किसी भी प्रकार की कोई छपाई या लिखाई नहीं की जा सकती है।
- राष्ट्रीय ध्वज को सिर्फ राष्ट्रीय शोक के समय ही आधा झुकाया जा सकता है।
- राष्ट्रीय ध्वज को जितने अधिक जोश और उल्लास के साथ फहराया जाता है। उतने ही सम्मान के साथ आहिस्ता-आहिस्ता नीचे उतारना चाहिए।
किसी भी अन्तर्राष्ट्रीय मंच पर एक देश का प्रतिनिधित्व हमेशा उसके राष्ट्रीय ध्वज द्वारा ही किया जाता है। किसी भी देश का राष्ट्रीय ध्वज उसके सम्मान का प्रतीक है। तिरंगा भारत की स्वतंत्रता का प्रतीक है। अतः हमें हमेशा अपने राष्ट्रीय ध्वज का सम्मान करना चाहिए।
उसका आदर करना चाहिए और जब भी हम उसे देखे, तो हमारे हाथ जय हिन्द बोलने के लिए उठने चाहिए। अंत में मै अपना भाषण श्यामलाल गुप्त पार्षद की एक कविता से समाप्त करना चाहूंगा।
विजयी विश्व तिरंगा प्यारा,
झंडा ऊंचा रहे हमारा।सदा शक्ति बरसाने वाला,
प्रेम सुधा सरसाने वाला,
वीरों को हरषाने वाला,
मातृभूमि का तन-मन सारा।स्वतंत्रता के भीषण रण में,
लखकर बढ़े जोश क्षण-क्षण में,
कांपे शत्रु देखकर मन में,
मिट जाए भय संकट सारा।इस झंडे के नीचे निर्भय,
लें स्वराज्य यह अविचल निश्चय,
बोलें भारत माता की जय,
स्वतंत्रता हो ध्येय हमारा।आओ! प्यारे वीरो, आओ।
देश-धर्म पर बलि-बलि जाओ,
एक साथ सब मिलकर गाओ,
प्यारा भारत देश हमारा।इसकी शान न जाने पाए,
चाहे जान भले ही जाए,
विश्व-विजय करके दिखलाएं,
तब होवे प्रण पूर्ण हमारा।विजयी विश्व तिरंगा प्यारा,
झंडा ऊंचा रहे हमारा।
जय हिन्द!
धन्यवाद!
अंतिम शब्द
अंत में आशा करता हूँ कि यह लेख आपको पसंद आया होगा और आपको हमारे द्वारा इस लेख में प्रदान की गई अमूल्य जानकारी फायदेमंद साबित हुई होगी।
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