प्रकृति पर भाषण

प्रकृति पर भाषण : Speech on Nature in Hindi:- आज के इस लेख में हमनें ‘प्रकृति पर भाषण’ से सम्बंधित जानकारी प्रदान की है।
यदि आप प्रकृति पर भाषण से सम्बंधित जानकारी खोज रहे है? तो इस लेख को शुरुआत से अंत तक अवश्य पढ़े। तो चलिए शुरू करते है:-
प्रकृति पर भाषण : Speech on Nature in Hindi
सुप्रभात, आदरणीय प्रधानाचार्य जी, माननीय शिक्षकगण एवं मेरे प्यारे साथियों, आप सभी को मेरा प्यार भरा नमस्कार।
मेरा नाम —— है और मैं इस विद्यालय में 11वीं कक्षा का विद्यार्थी हूँ। आज मैं इस शुभ अवसर पर आप सभी के सामने एक छोटा सा भाषण प्रस्तुत करने जा रहा हूँ, जिसका विषय है:- “प्रकृति”।
यह एक काफी महत्वपूर्ण विषय है। सर्वप्रथम मैं आप सभी को धन्यवाद देना चाहता हूँ कि आप सभी ने मुझे इस मंच पर अपने विचार व्यक्त करने का अवसर प्रदान किया।
आज मैं “प्रकृति” विषय पर दो शब्द कहना चाहता हूँ और आशा करता हूँ कि आपको मेरा यह भाषण पसंद आएगा।
जैसा कि आप जानते है कि मानव को आज जो कुछ भी संसाधन प्राप्त है, वह सब कुछ इस प्रकृति की ही देन है।
इस प्रकृति से ही हमें हवा, पानी, भोजन ही नहीं बल्कि, विभिन्न प्रकार के खनिज पदार्थ भी मिलते है। हम सभी इस प्रकृति के कारण ही आज जीवित है।
सम्पूर्ण अंतरिक्ष में सिर्फ पृथ्वी ही एक मात्र ऐसा गृह है, जहाँ पर जीवन संभव है। क्योंकि, पृथ्वी में आवश्यक पर्यावरण है, जिसके कारण ही यहाँ पर जीवन संभव है।
इस प्रकृति के कारण ही वातावरण का चक्र चलता रहता है। इस प्रकृति से ही हमें अपने लिए आवश्यकता की सभी प्रकार की वस्तुएँ प्राप्त होती है।
प्रकृति की प्रत्येक वस्तु इसी से निर्मित होती है और इसी में नष्ट होकर फिर इसी में मिल जाती है। यह प्रकृति अपने अंदर बहुत सुंदरता समाई हुई है।
आज प्रकृति से हमें विभिन्न प्रकार की आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां भी प्राप्त होती है, जो गंभीर बीमारियों को जड़ से खत्म कर देती है।
लेकिन, आज हम सभी इस प्रकृति का महत्व भूल गए है और इसका निरादर कर रहे है। इस प्रकृति ने हमें हर वह चीज़ दी है, जिसकी हमें आवश्यकता है।
लेकिन, हम लोग इसके बदले में इस प्रकृति को नष्ट करने के पीछे पड़े हुए है। आज पूरी दुनिया में बड़ी मात्र में पेड़-पौधों को लगातार काटा जा रहा है।
जंगलों में आग लगाई जा रही है, जिससे जंगल के जीव-जंतु बेघर हो रहे है। अभी कुछ वर्ष पहले अमेज़न व ऑस्टेलिया के जंगलों में आग लगी थी।
आज यह वातावरण धीरे-धीरे प्रदूषित होता ही जा रहा है। हम सभी ने मिलकर इस सुंदर प्रकृति का संतुलन बिगाड़ दिया है।
इसकी सुंदरता धीरे-धीरे ख़त्म होती जा रही है। जो हवा पहले शुद्ध हुआ करती थी, अब उसमे सांस लेने में भी समस्या हो रही है।
हम लगातार “जलवायु परिवर्तन” की समस्या से जूझ रहे है। आज अचानक कभी भी वर्षा होने लगती है। सर्दी व गर्मी के मौसम अपने समय से बहुत देर से शुरू हो रहे है।
ऐसा कईं इलाकें है, जहाँ पहले तापमान बहुत कम रहता था, वहां आज ग्लोबल वार्मिंग की वजह से बहुत गर्मी पड़ रही है।
कुछ समय पहले इस बात की पुष्टि हुई थी कि ओजोन परत, जो कि सूर्य से आने वाली खतरनाक पराबैंगनी किरणों को रोकती है, यह परत अब धीरे-धीरे खत्म होती जा रही है।
सबसे अधिक खतरनाक बात यह है कि यह परत अटलांटिका महाद्वीप के ऊपर नष्ट हो रही है। जिससे भविष्य में अटलांटिका की बर्फ और अधिक तेज़ी से पिघल जाएगी, जिससे आधी दुनिया पानी में समा जाएगी।
इसके साथ-साथ पराबैंगनी किरणों से मानव शरीर में बहुत सी गंभीर बीमारियाँ जन्म ले रही है। अभी भी काफी देर नहीं हुई है। हम आज भी इस प्रकृति को बचा सकते है।
यदि, आज हम नहीं समझे तो कल हमारे पास पछताने के आलावा और कोई चारा नहीं बचेगा।
इस प्रकृति ने हमें बहुत कुछ प्रदान किया है। इसके बदले हमारा फर्ज भी बनता है कि हम इस प्रकृति की देखभल करें और भविष्य की पीढ़ी को भी इसकी सुंदरता को देखने को मौका दे।
हमसे जितना हो सके, हमें उतने कम पेड़ों की कटाई करनी चाहिए और अधिक मात्रा में पेड़ लगाने चाहिए। प्लास्टिक की थैलियों का कम से कम उपयोग करना होगा, क्योंकि, यह कभी खराब नहीं होती है।
निजी वाहनों का उपयोग कम करना चाहिए और सार्वजनिक वाहनों का ज्यादा उपयोग करना चाहिए। जितना हो सके, हमें अपनी प्रकृति का ध्यान रखना चाहिए। क्योंकि, अगर यह प्रकृति है तभी हमारा वजूद कायम है।
इतना कहकर मैं अपने भाषण को समाप्त करने जा रहा हूँ और आशा करता हूँ कि आपको मेरा यह भाषण पसंद आया होगा।
धन्यवाद!
अंतिम शब्द
अंत में आशा करता हूँ कि यह लेख आपको पसंद आया होगा और आपको हमारे द्वारा इस लेख में प्रदान की गई अमूल्य जानकारी फायदेमंद साबित हुई होगी।
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