संस्कृत दिवस पर भाषण

संस्कृत दिवस पर भाषण : Speech on Sanskrit Diwas in Hindi:- आज के इस लेख में हमनें ‘संस्कृत दिवस पर भाषण’ से सम्बंधित जानकारी प्रदान की है।
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संस्कृत दिवस पर भाषण : Speech on Sanskrit Diwas in Hindi
सुप्रभात, आदरणीय प्रधानाचार्य जी, सभी अध्यापकगण एवं प्यारे बच्चों, आप सभी को मेरा प्यार भरा नमस्कार। मेरा नाम ——- है और मैं इस विद्यालय में 12वीं कक्षा का विद्यार्थी हूँ।
सबसे पहले मैं आप सभी को धन्यवाद देना चाहता हूँ कि आप सभी ने मुझे इस मंच पर अपने विचार व्यक्त करने का अवसर प्रदान दिया।
भारत का इतिहास जितना पुराना है, उतनी ही पुरानी उसकी भाषाएँ भी है। भारत की सबसे पुरानी भाषाओं में संस्कृत भाषा का नाम सबसे पहले लिया जाता है।
यह भाषा विश्व की प्राचीन भाषाओं में अपना स्थान बनाती है। मात्र 3000 वर्ष पहले तक भारत में बड़े स्तर पर संस्कृत बोली जाती थी।
परन्तु, वर्तमान में इस भाषा का उपयोग करने वाले लोगों की संख्या बहुत कम हो गई है। आज हम सभी संस्कृत दिवस मनाने के लिए एकत्रित हुए है।
यह दिवस प्रतिवर्ष श्रावण पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। इस दिन ही रक्षाबंधन भी मनाया जाता है।
यह दिन बहुत ही खास है, क्योंकि पूरी दुनिया में ऐसी कोई भी भाषा विद्यमान नही है, जिसके सम्मान में एक दिवस मनाया जाता हो।
धार्मिक ग्रंथों में इसे देवभाषा भी माना जाता है। इसका सबसे बडा कारण है कि हमारे सभी ग्रंथ, पुराण, रामायण, महाभारत व गीता जैसे सभी ग्रन्थ संस्कृत भाषा में लिखे गए है।
माना जाता है कि पहले ऋषि मुनि इसी भाषा का उपयोग किया करते थे। इस दिन को ऋषि पर्व के रूप में भी मनाया जाता है।
पाणिनि को संस्कृत भाषा का जनक माना जाता है। क्योंकि, इन्होंने संस्कृत भाषा को व्याकरण रूप देने में अपना योगदान दिया है।
इस दिन को सर्वप्रथम 1969 में भारत सरकार के दिशानिर्देश पर मनाया गया था। भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय द्वारा केंद्र व राज्य स्तर पर इस दिवस को मनाने का निर्देश दिया।
उनका मुख्य उद्देश्य लगातार अपना वजूद खोती जा रही संस्कृत भाषा को उचित सम्मान दिलाना था।
आज के समय में भारत अपनी प्राचीन भाषाओं को छोड़कर विदेशी भाषाओं को अपना रहा है। इससे संस्कृत भाषा को पढ़ने-लिखने वाले लोगों की संख्या लगातार कम होती जा रही है।
इसलिए इस दिवस का महत्व और अधिक बढ़ जाता है। इस दिन का मुख्य उद्देश्य देश के लोगों के मन में संस्कृत भाषा के लिए पुराना सम्मान वापस लाना है।
इस दिन को संस्कृत दिवस के रूप में चुनने का एक और कारण मौजूद है। माना जाता है कि इस दिन गुरुकुलों में शिक्षण सत्र की शुरुआत की जाती थी। इस दिन से वेद पाठ आरंभ होता था।
इसलिए भी इस दिन को चुना गया। आज के समय में इस दिन संस्कृत भाषा के विकास के लिए संस्कृत कवि सम्मेलन, भाषण व श्लोक उच्चारण प्रतियोगिता का अयोजन किया जाता है।
इसके साथ ही बहुत सी अलग-अलग प्रकार की प्रतियोगिता भी आयोजित की जाती है व चौराहों पर संस्कृत नाटकों का आयोजन भी किया जाता है।
संस्कृत के क्षेत्र में अच्छा काम करने वाले लोगों का सम्मान किया जाता है। इनका मुख्य काम संस्कृत भाषा का प्रचार-प्रसार करना होता है।
आज सरकार भी इस भाषा के विकास पर बहुत अधिक ध्यान दे रही है। भारत का सबसे प्राचीन संस्कृत विश्वविद्यालय संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय जो काशी में स्थित है।
सरकार द्वारा संस्कृत विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में पढ़ने वाले छात्रों को छात्रवृत्ति दी जाती है। उत्तराखंड की दूसरी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा संस्कृत है।
इसलिए यहाँ की राज्य भाषा संस्कृत ही है। संस्कृत भाषा के विकास व प्रचार के लिए संस्कृतं जनभाषा भवेत् जैसी संस्थाएं लगातार कार्य कर रही है।
जिससे वर्तमान में संस्कृत भाषा में बच्चों और बड़ों की रुचि लगातार बढ़ रही है। संस्कृत भाषा से उच्चारण भी शुद्ध होता है।
इसलिए, हमें हमारे इतिहास से मिली इतनी बहुमूल्य धरोहर का सम्मान करना चहिए और इसे बचाने के लिए हर मुमकिन प्रयास करना चाहिए।
क्योंकि, इस भाषा में बहुत कुछ सीखने को मौजूद है। हमारे सभी महान ऋषियों ने इसी भाषा के माध्यम से कईं रचनाएँ की, जिससे आज भी वैज्ञानिक आश्चर्यचकित है।
इतना कहकर मैं अपने भाषण को समाप्त करता हूँ और आशा करता हूँ कि आपको मेरा यह भाषण पसंद आया होगा।
अंतिम शब्द
अंत में आशा करता हूँ कि यह लेख आपको पसंद आया होगा और आपको हमारे द्वारा इस लेख में प्रदान की गई अमूल्य जानकारी फायदेमंद साबित हुई होगी।
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