स्वामी विवेकानंद पर भाषण

Speech on Swami Vivekananda in Hindi

स्वामी विवेकानंद पर भाषण : Speech on Swami Vivekananda in Hindi:- आज के इस लेख में हमनें ‘स्वामी विवेकानंद पर भाषण’ से सम्बंधित जानकारी प्रदान की है।

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स्वामी विवेकानंद पर भाषण : Speech on Swami Vivekananda in Hindi

सुप्रभात, आदरणीय प्रधानाचार्य जी, मेरे साथी अध्यापकगण एवं प्यारे बच्चों, आप सभी को मेरा प्यार भरा नमस्कार।

मेरा नाम —— है और मैं इस विद्यालय में 12वीं कक्षा का विद्यार्थी हूँ। सबसे पहले मैं आप सभी को धन्यवाद देना चाहता हूँ कि आप सभी ने मुझे इस मंच पर अपने विचार व्यक्त करने का अवसर प्रदान दिया।

आज भारत विश्व में जनसंख्या के मामले में दूसरे स्थान पर है और भारत आज युवाओं की संख्या के मामले में पहले स्थान पर आता है।

आज विश्व में भारत युवा देशों में से एक है। युवा, जिनमें बहुत शक्ति होती है, वे यदि चाहे तो कुछ भी कर सकते है।

इसलिए प्रतिवर्ष 12 जनवरी के दिन युवा दिवस मनाया जाता है क्योंकि इस युवा दिवस के दिन को देश को तोहफे में देने वाले सबसे बड़े युवा स्वामी विवेकानंद जी का जन्म दिवस है।

उनका जन्म 12 जनवरी 1863 को कलकत्ता में हुआ था। उनका वास्तविक नाम नरेन्द्रनाथ दत्त था। वह बचपन से बहुत बुद्धिमान व्यक्ति हुआ करते थे।

उन्हे बचपन से ही क़िताबें पढ़ने का बहुत शोक था। कहा जाता है कि उन्हें जब भी समय मिलता था, तो वह अपना खाली समय किताबें पढ़ने में व्यतीत किया करते थे।

वह रामकृष्ण परमहंस जी से बहुत अधिक प्रभावित थे। इसलिए, उन्होंने उन्हें अपना गुरु बना लिया। उनके गुरु से उन्होंने सीखा कि सभी जीवों में स्वयं परमात्मा का निवास है।

उनका मानना था कि यदि हम सभी की सेवा करते है तो कहीं न कहीं वह भगवान की सेवा होगी।

रामकृष्ण परमहंस जी की मृत्यु के पश्चात उन्होंने भारतीय उपमहाद्वीप के बहुत अधिक दौरे किए और लगातार भारतीय लोगों की स्थिति का ज्ञान प्राप्त करने लगे।

उनका एक प्रसिद्ध कथन, जिसमे उन्होंने कहा है कि “उठो, जागो और तब तक नहीं रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाए”। इस कथन से आप उनकी सोच का अंदाजा लगा सकते है।

वह एक देशभक्त संन्यासी व्यक्ति थे। उन्होंने अपना पूरा जीवन सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार में लगा दिया।

विश्व ने उनकी प्रतिभा को तब जाना, जब सन 1893 अमेरिका में विश्व धर्म महासभा में उन्हें भाषण प्रस्तुत के लिए आमंत्रित किया गया।

उन्हें अपनी बात रखने के लिए मात्र 2 मिनट का समय दिया गया। उन्होंने अपने भाषण की शुरुआत “मेरे अमरीकी भाइयों और बहनों से” की।

जिसके बाद पूरी महासभा तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठी। उसमें उन्होंने कहा था कि “जिस तरह भिन्न-भिन्न स्थानों से निकली नदियां, भिन्न-भिन्न मार्गों से होकर आखिरकार समुद्र में मिल जाती हैं।

ठीक उसी प्रकार मनुष्य अपनी इच्छा से अलग-अलग मार्गों का चुनाव करता है। ये मार्ग देखने में भले ही भिन्न-भिन्न लगते हैं, लेकिन ये सभी मार्ग ईश्वर तक ही जाते हैं।”

स्वामी जी की कुछ बातें विश्व गुरु भारत का चेहरा बनाती है। विवेकानंद जी के पास बहुत अधिक ज्ञान था और वह लगातार अपने ज्ञान को बढ़ाते रहते थे।

उन्होंने बचपन में ही हिंदू धर्म के सभी शास्त्रों को पढ़ लिया था। उन्होंने हिंदू धर्म के अलावा और भी सभी धर्मों का ज्ञान प्राप्त किया।

इसके साथ-साथ उन्होंने भारत के अलावा विश्व के अनेक देशों में अपनी यात्रा की और वहां के रीति-रिवाजों को समझने के कोशिश की।

उन्होंने हिंदू धर्म के विस्तार पर ही नही, बल्कि गरीब व पिछड़े वर्ग के लोगों की सेवा भी की।

आज युवा दिवस के मौके पर हम सभी न सिर्फ उन्हें याद करें या उनकी तस्वीर पर मालार्पण करें बल्कि, हम उनके ज्ञान, बातों व चरित्र के एक छोटे से हिस्से को अपने जीवन में उतारकर अपने जीवन को सफल बना सके।

यदि हम सभी उनके द्वारा दिए गए ज्ञान के छोटे से हिस्से को भी अपने जीवन में उतार दें, तो हमें सफल होने से कोई नही रोक सकता है।

इतना कहकर मैं अपने भाषण को समाप्त करता हूँ और आशा करता हूँ कि आपको मेरा यह भाषण पसंद आया होगा।

धन्यवाद!

अंतिम शब्द

अंत में आशा करता हूँ कि यह लेख आपको पसंद आया होगा और आपको हमारे द्वारा इस लेख में प्रदान की गई अमूल्य जानकारी फायदेमंद साबित हुई होगी।

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