‘एकता में बल है’ पर भाषण

‘एकता में बल है’ पर भाषण : Speech on Unity is Strength in Hindi:- आज के इस लेख में हमनें ‘’एकता में बल है’ पर भाषण’ से सम्बंधित जानकारी प्रदान की है।
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‘एकता में बल है’ पर भाषण : Speech on Unity is Strength in Hindi
सुप्रभात, आदरणीय प्रधानाचार्य जी, माननीय शिक्षकगण एवं मेरे प्यारे साथियों, आप सभी को मेरा प्यारभरा नमस्कार।
मेरा नाम —– है और मैं इस विद्यालय में 11वीं कक्षा का विद्यार्थी हूँ। आज मैं एकता दिवस के इस शुभ अवसर पर आप सभी के सामने एक छोटा सा भाषण प्रस्तुत करने जा रहा हूँ।
जिसका विषय ‘एकता में बल है’, जो एक काफी महत्वपूर्ण विषय है। सर्वप्रथम मैं आप सभी को धन्यवाद देना चाहता हूँ कि आप सभी ने मुझे इस मंच पर अपने विचार व्यक्त करने का अवसर प्रदान किया।
आज मैं एकता में बल पर दो शब्द कहना चाहता हूँ। आशा करता हूँ कि आपको यह पसंद आएगा।
एकता क्या है?
मनुष्यों का एक समूह में रहना और एकसाथ मिलकर किसी कार्य को करना ही एकता कहलाता है। एकता में काफी ताकत होती है।
एकता से किसी भी कार्य को आसानी से पूरा किया जा सकता है। जिस दल अथवा गुट में एकता होती है, उन्हें हरा पाना काफी मुश्किल होता है।
आपको मैं एकता की एक छोटी सी कहानी सुनाता हूँ। एक गाँव में एक किसान रहता था। उसके चार बेटे थे। किसान बहुत मेहनती था और वह दिनभर खेत मे काम करता रहता था।
लेकिन, उसके बच्चों की आपस मे बिल्कुल भी नहीं बनती थी। वें हमेशा ही आपस में लड़ते रहते थे। किसान बूढ़ा हो रहा था, तो उसने अपने बच्चों को एक शिक्षा देने के बारे में सोचा।
उसने एक दिन अपने चारों बच्चों को बुलाया और उनके हाथ मे एक एक लकड़ी दे दी। तब किसान ने उन्हें उस लकड़ी को तोड़ने के लिए कहा। हर बेटे ने लकड़ी को आसानी से तोड़ दिया।
तब किसान ने चारों को लकड़ी का एक एक गठ्ठा दिया और उसे भी तोड़ने के लिए कहा। चारों ने लकड़ी के गठ्ठे को तोड़ने की कोशिश की। लेकिन, वह लकड़ी के गठ्ठे को नहीं तोड़ पाए।
तब किसान ने अपने बच्चों को एकता के बारे में समझाया। यदि तुम एक साथ हो, तो कोई भी तुम्हे आसानी से नहीं हरा पाएगा।
तुम्हे कोई भी आसानी से नहीं तोड़ सकता है और न ही कोई तुम्हें हानि पहुँचा पाएगा। एकता मे यहीं ताकत होती है।
एकता सभी को मोती की माला की तरह एकसाथ जोड़कर रखती है। एकता मे इतनी ताकत होती है कि वह बड़े से बड़े पहाड़ को आसानी से गिरा सकता है। एकता हमें मजबूत बनाती है।
लेकिन, आजकल समाज मे एकता धीरे-धीरे ख़त्म हो रही है। लोग एक-दूसरे से दूर हो रहे है और लोगों में मतभेद बढ़ रहे है।
समाज के कुछ अराजक तत्व केवल अपने फायदें के लिए लोगों में गलतफहमी पैदा कर रहे है। इससे लोगों मे एक-दूसरे के प्रति द्वेष की भावना बढ़ती जा रही है।
हम सभी को इसके प्रति जागरूक होने की जरूरत है। हमें समाज के अराजक तत्वों की बातों में नहीं आना चाहिए। इनसे हर संभव दूरी बनाए रखनी चाहिए।
हमें हमेशा सभी धर्मों के साथ समान व्यवहार करना चाहिए। सभी के साथ एकता बनाए रखनी चाहिए। हम सभी के इन छोटे-छोटे प्रयासों से ही यह संभव हो पाएगा।
इतना कहकर मैं अपने भाषण को समाप्त करना चाहता हूँ और आशा करता हूँ कि आप सभी को मेरा यह भाषण पसंद आया होगा।
धन्यवाद!
अंतिम शब्द
अंत में आशा करता हूँ कि यह लेख आपको पसंद आया होगा और आपको हमारे द्वारा इस लेख में प्रदान की गई अमूल्य जानकारी फायदेमंद साबित हुई होगी।
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