योग पर भाषण

योग पर भाषण : Speech on Yoga in Hindi:- आज के इस लेख में हमनें ‘योग पर भाषण’ से सम्बंधित जानकारी प्रदान की है।
यदि आप योग पर भाषण से सम्बंधित जानकारी खोज रहे है? तो इस लेख को शुरुआत से अंत तक अवश्य पढ़े। तो चलिए शुरू करते है:-
योग पर भाषण : Speech on Yoga in Hindi
भाषण 1
सुप्रभात, आदरणीय प्रधानाचार्य जी, माननीय शिक्षकगण एवं मेरे प्यारे साथियों, आप सभी को मेरा प्यारभरा नमस्कार। मेरा नाम —— है और मैं इस विद्यालय में 11वीं कक्षा का विद्यार्थी हूँ।
आज मैं इस शुभ अवसर पर आप सभी के सामने एक छोटा सा भाषण प्रस्तुत करने जा रहा हूँ, जिसका विषय है:- योग। जो एक काफी महत्वपूर्ण विषय है।
सर्वप्रथम मैं आप सभी को धन्यवाद देना चाहता हूँ कि आप सभी ने मुझे इस मंच पर अपने विचार व्यक्त करने का अवसर प्रदान किया।
आज मैं योग पर दो शब्द कहना चाहता हूँ। आशा करता हूँ कि आपको यह पसंद आएगा। योग शब्द की उत्पत्ति संस्कृत भाषा के युग से हुई है।
देखा जाए तो यह वर्षों पुराना ही नहीं बल्कि सदियों पुराना है। भगवान शिव को इसका संस्थापक कहा जाता है।
हम सभी इस बात से वंचित नहीं है कि शिव से बड़ा योगी न कोई था और न ही कोई भविष्य में होगा। भगवान शिव न केवल योग किया करते थे, बल्कि वह उसके अविष्कारक भी थे।
कहा जाता है कि योग सूत्र की षट्कर्म की योगिक क्रियाएँ (धोती, बस्ती, अनिमा, जलनेति, त्रएक व कपालभाति) भगवान शिव द्वारा दी हुई भेंटस्वरूप है।
हम लोग चारदीवारी में जो योग करते है, वह सिर्फ हम स्वस्थ रहने के लिए करते है। योग देखा जाए, तो मन की शांति के लिए किया जाता है।
यदि आज हम डिप्रेशन के मामलों की बात करें तो भारत दूसरे स्थान पर आता है। भारत का हर तीसरा व्यक्ति डिप्रेशन का शिकार है।
जबकि भारत एकमात्र ऐसा देश है, जिसे योग जन्म से ही भेंटस्वरूप मिला है। लेकिन, फिर भी हम लोग इसका इस्तमाल नहीं करते है।
वर्तमान में प्रत्येक व्यक्ति ध्यान करके अपने मन को काबू में कर सकता है और उसके अनुसार चलने की बजाय हम उसे अपने अनुसार चला सकते है।
महर्षि पतंजलि ने भी अपने योग सूत्र में स्पष्ट किया है कि मन को अलग-अलग दिशाओं में जाने से रोकना, मन को आकर्षण से रोकना, आत्मा की शुद्धता पर ध्यान करना ही योग है।
उनका कहना है कि इसके बहुत से तरीके है, जैसे:- नियम, आसान, प्राणायाम, धारणा, ध्यान और समाधि।
भारत ने योग का प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र महासभा में रखा और यह प्रस्ताव स्वीकार कर लिया गया और संयुक्त राष्ट्र महासभा इस नतीजे पर पहुंची कि प्रतिवर्ष 21 जून को विश्व योग दिवस मनाया जाएगा।
लेकिन, आज भी 70 प्रतिशत लोगों को योग का सही अर्थ नहीं ज्ञात है। योग का अर्थ लोगों के मन में आसन, व्यायाम और ज्यादा से ज्यादा प्राणायाम ही रह गया है।
डिप्रेशन के लिए यह काफी नहीं है। योग की साधना भी उतनी ही आश्यकता है जितनी व्यायाम एवं प्रणायाम की है।
क्योंकि, यदि व्यायाम से शरीर स्वस्थ रहता है, तो ध्यान से मन स्वस्थ रहता है। बढ़ते डिप्रेशन को देखते हुए हर व्यक्ति को योग करना चाहिए।
सुबह की शुरुआत योग से ही करनी चाहिए। लेकिन, वर्तमान में व्यक्ति हर कार्य स्वयं के स्वार्थ से ही करता है। स्वार्थ से ही लेकिन हमें योग करना चाहिए।
क्योंकि, चित शांति से ही हमारा मस्तिष्क और शरीर स्वस्थ रहेगा। इतना कहकर मैं अपने भाषण को समाप्त करता हूँ और आशा करता हूँ कि आप सभी को मेरा यह भाषण पसंद आएगा।
धन्यवाद!
भाषण 2
सुप्रभात, आदरणीय प्रधानाचार्य जी, माननीय शिक्षकगण एवं मेरे प्यारे साथियों, आप सभी को मेरा प्यारभरा नमस्कार।
मेरा नाम —— है और मैं इस विद्यालय में 11वीं कक्षा का विद्यार्थी हूँ। आज मैं इस शुभ अवसर पर आप सभी के सामने एक छोटा सा भाषण प्रस्तुत करने जा रहा हूँ, जिसका विषय है:- योग।
यह एक काफी महत्वपूर्ण विषय है। सर्वप्रथम मैं आप सभी को धन्यवाद देना चाहता हूँ कि आपने मुझे इस मंच पर अपने विचार व्यक्त करने का अवसर प्रदान किया।
आज मैं “योग” विषय पर दो शब्द कहना चाहता हूँ। आशा करता हूँ कि आपको यह पसंद आएगा। समय के साथ-साथ मनुष्य की आयु कम होती जा रही है और हवा, पानी एवं खाद्य पदार्थ सब मिलावटी हो गया है।
प्राचीन समय के मानव कच्चा-पक्का खाया करते थे और उस कच्चे भोजन के लिए दिनभर मेहनत करनी पड़ती थी, उसके बाद उसको शुद्ध भोजन मिलता था।
लेकिन, उस समय काम में इतनी मेहनत की जाती थी कि भोजन पचाने में मेहनत नहीं लगती थी।
लेकिन, आज एयरकंडीशनर की हवा, रेफ्रिजरेटर का पानी और माइक्रोवेव द्वारा पकाया गया खाना शरीर में अधिक परिश्रम मांगता है।
जिस कारण 70 प्रतिशत इंसान योग का सहारा ले रहे है। देखा जाए तो योग का सही अर्थ हमें आज भी नहीं पता चल पाया है।
वर्तमान समय में इतना अधिक प्रदुषण फैल गया है कि योग द्वारा भी हम अपनी क्रियाओं को काबू नहीं कर पा रहे है और भिन्न-भिन्न प्रकार की बीमारियाँ घर कर रही है।
कोरोना का हाल हम कैसे भूल सकते है? भिन्न-भिन्न प्रकार की दवाइयां खाई जाती है। ताकि, हम अपनी प्रतिरोधक क्षमता को बैठे-बैठे बढ़ा सके। लेकिन, कभी भी ऐसा नहीं होता है और न ही होगा।
शास्त्रों में भी कहा गया है कि जब तक कर्म नहीं करोगे, तब तक फल नहीं मिलेगा। दिनभर जब मेहनत करोगे, तभी रात को चैन की नींद आएगी।
लेकिन, आज के समय में नींद न आना ही बड़ा कारण है। खासकर युवा पीढ़ी में नींद न आना या कहें की समय पर नींद न आना एक बड़ी समस्या बन गई है।
जिसका बहुत बुरा प्रभाव पद रहा है। योग से इस तरह की हर परेशानी से हम छुटकारा पा सकते है। व्यायाम एवं योग द्वारा कईं बिमारियों से मुक्ति मिल सकती है।
शोध में भी पाया गया है कि योग द्वारा बीमारियों से लड़ने की क्षमता भी बढ़ती है। वैज्ञानिकों का भी मानना है कि योग करने वाले व्यक्ति की प्रतिरोधक क्षमता योग न करने वाले व्यक्ति से ज्यादा होती है।
वर्तमान समय में सारा खेल ही रोग प्रतिरोधक क्षमता का है। इसी प्रकार हम कह सकते है कि मन की शांति भी उतनी ही अधिक महत्वपूर्ण है, जितनी महत्वपूर्ण तन की शांति है।
इसीलिए, हमें कम से कम दिन में 1 घंटा योग करना चाहिए। ताकि, हमारा शरीर एवं मन दोनों शांत रहे।
इतना कहकर मैं अपने भाषण को समाप्त करने जा रहा हूँ। आशा करता हूँ कि आपको मेरा यह भाषण पसंद आया होगा।
धन्यवाद!
अंतिम शब्द
अंत में आशा करता हूँ कि यह लेख आपको पसंद आया होगा और आपको हमारे द्वारा इस लेख में प्रदान की गई अमूल्य जानकारी फायदेमंद साबित हुई होगी।
अगर इस लेख के द्वारा आपको किसी भी प्रकार की जानकारी पसंद आई हो तो, इस लेख को अपने मित्रों व परिजनों के साथ फेसबुक पर साझा अवश्य करें और हमारे वेबसाइट को सबस्क्राइब कर ले।