विभावना अलंकार की परिभाषा, भेद और उदाहरण

Vibhavana Alankar Ki Paribhasha in Hindi

विभावना अलंकार की परिभाषा : Vibhavana Alankar in Hindi:- आज के इस लेख में हमनें ‘विभावना अलंकार की परिभाषा’ से सम्बंधित जानकारी प्रदान की है।

यदि आप विभावना अलंकार से सम्बंधित जानकारी खोज रहे है? तो इस लेख को शुरुआत से अंत तक अवश्य पढ़े। तो चलिए शुरू करते है:-

विभावना अलंकार की परिभाषा : Vibhavana Alankar in Hindi

‘विभावना’ का अर्थ ‘विशेष कल्पना’ होता है। जहाँ पर कारण नहीं होने पर भी कार्य का होना पाया जाता है, तो वहाँ पर विभावना अलंकार होता है।

जहाँ पर कारण के न होते हुए भी कार्य का हुआ जाना पाया जाए, तो वहाँ पर ‘विभावना अलंकार’ होता है। अर्थात हेतु क्रिया (कारण) का निषेध होने पर भी फल की उत्पत्ति ‘विभावना अलंकार’ है।

विभावना अलंकार के उदाहरण

विभावना अलंकार के उदाहरण निम्न प्रकार है:-

उदाहरण 1

बिनु पग चलै सुनै बिनु काना।
कर बिनु कर्म करै विधि नाना।।
आनन रहित सकल रस भोगी।
बिनु वाणी वक्ता बड़ जोगी।।

स्पष्टीकरण:- उपर्युक्त पंक्तियों में पैर (कारण) के अभाव अर्थात कमी में चलना (कार्य), हाथ (कारण) के अभाव में करना (कार्य) तथा मुख (कारण) के अभाव में रस भोग (कार्य), आदि वर्णित किये गए है। अतः यहाँ पर ‘विभावना अलंकार’ है।

उदाहरण 2

राजभवन को छोड़ कृष्ण थे चले गये।
तेज चमकता था उनका फिर भी भास्वर।।

स्पष्टीकरण:- उपर्युक्त पंक्तियों में श्री कृष्ण (कारण रूप) के राजभवन को छोड़कर चले जाने पर भी उनके भास्वर तेज के चमकते रहने का वर्णन किया गया है। अतः यहाँ पर ‘विभावना अलंकार’ है।

उदाहरण 3

मूक होय वाचाल पंगु चढ़ै गिरिवर गहन।
जासु कृपा सु दयाल द्रबहु सकल कलिमलि दहन।।

स्पष्टीकरण:- उपर्युक्त पंक्तियों में बताया जा रहा है कि जो गूंगा है, वह भी बहुत अधिक बोलता है, जो लंगड़ा है, वह पर्वत चढ़ जाता है, जब प्रभु की कृपा होती है। तो यहाँ पर कारण नहीं है फिर भी कार्य पूर्ण हो रहा है। अतः यहाँ पर ‘विभावना अलंकार’ है।

विभावना अलंकार से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न

  1. विभावना अलंकार की परिभाषा क्या है?

    ‘विभावना’ का अर्थ ‘विशेष कल्पना’ होता है। जहाँ पर कारण नहीं होने पर भी कार्य का होना पाया जाता है, तो वहाँ पर विभावना अलंकार होता है।
    जहाँ पर कारण के न होते हुए भी कार्य का हुआ जाना पाया जाए, तो वहाँ पर ‘विभावना अलंकार’ होता है। अर्थात हेतु क्रिया (कारण) का निषेध होने पर भी फल की उत्पत्ति ‘विभावना अलंकार’ है।

अंतिम शब्द

अंत में आशा करता हूँ कि यह लेख आपको पसंद आया होगा और आपको हमारे द्वारा इस लेख में प्रदान की गई अमूल्य जानकारी फायदेमंद साबित हुई होगी।

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