महिला सशक्तिकरण पर भाषण

महिला सशक्तिकरण पर भाषण : Women Empowerment Speech in Hindi:- आज के इस लेख में हमनें ‘महिला सशक्तिकरण पर भाषण’ से सम्बंधित जानकारी प्रदान की है।
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महिला सशक्तिकरण पर भाषण : Women Empowerment Speech in Hindi
आदरणीय प्रधानाचार्य जी, माननीय अतिथिगण, सभी शिक्षकगण और मेरे सभी साथियों को मेरा प्यारभरा नमस्कार।
मेरा नाम — है और मैं इस विद्यालय में 12वीं कक्षा का विद्यार्थी हूँ। आज मैं आप सभी के सामने महिला सशक्तिकरण पर एक भाषण देने जा रहा हूँ।
मैं इसके लिए आपका शुक्रगुजार हूँ कि आपने मुझे इस गंभीर विषय पर दो शब्द कहने का अवसर प्रदान किया।
महिला एक परिवार का वह हिस्सा होती है, जिसके बिना किसी भी परिवार की कल्पना नहीं की जा सकती।
एक महिला ने हमेशा से एक पुरूष की कभी माँ बनकर, कभी बहन बनकर, कभी मित्र बनकर तो कभी जीवनसाथी बनकर उसका साथ दिया है।
एक पुरूष एक महिला के बिना हमेशा से ही अधूरा रहा है और आगे भी रहेगा। हमारी सभ्यता में एक महिला को हमेशा से ही घर की लक्ष्मी माना जाता है।
आदिकाल से ही हमारा समाज पुरूष प्रधान समाज रहा है। यहाँ महिलाओं को कभी भी पुरूष के समान अधिकार नहीं दिए जाते है।
उन्हें हमेशा से ही चारदिवारी मे बंद करके रखा जाता है। हमारें देश में पहले महिलाओं को उचित सम्मान दिया जाता था।
लेकिन, बाहरी आक्रमणों के कारण उनकी स्थिति में काफ़ी अधिक गिरावट आने लगी। महिलाओं को पर्दा प्रथा व बुरखा प्रथा से गुजरना पड़ा।
समय गुजरने के साथ-साथ शादी के समय दहेज प्रथा काफ़ी अधिक बढ़ने लगी। जिससे एक लड़की के विवाह मे बहुत अधिक धनराशि खर्च होती थी।
इस कारण लोग लड़कियों को पैदा होते ही मारने लगे। जैसे-जैसे तकनीक का विकास हुआ, वैसे-वैसे गर्भ में ही लड़कियों को मार दिया जाता था।
जिससे लिंगानुपात में भी गिरावट आने लगी। हमारें देश का हरियाणा राज्य इसका सबसे बड़ा उदाहरण है।
महिलाओं को सती-प्रथा, बाल-विवाह, पर्दा-प्रथा जैसी प्रथाओं का सामना करना पड़ा। आज के समय में भी महिलाओं को विद्यालयों व कार्यालयों में लगातार अनेकों समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
आज के समय में भी यह समाज महिलाओं को पूर्ण अधिकार प्रदान करने में असमर्थ रहा है। आज के समय में भी कईं ऐसी जगहें है, जहाँ पर लड़कियों के पैदा होने पर निराशा व्यक्त की जाती है।
महिलाओं की लगातार घटती स्थिति को देखकर भारत के कुछ शिक्षित लोगों ने इस मुद्दे पर ध्यान देना शुरू किया।
इसकी शुरुआत भारत की आजादी से पहले ही हो गई थी। सर्वप्रथम राजा राममोहन राय के प्रयासों से सती निरोधक अधिनियम 1829 लागु किया गया।
जिससे सती-प्रथा पर रोक लगाई गई। ऐसे बहुत से लोगों ने महिलाओं की स्थिति को सुधारने पर बल दिया। इस मुद्दे पर सरकार भी लगातार विभिन्न कदम उठा रही है।
आज लड़कियों की गर्भ में हत्या करने पर कड़ी से कड़ी सजा का प्रावधान है। दहेज़ लेने पर 7 वर्ष का कारावास व 10 हज़ार रूपये का जुर्माना देने का प्रावधान है।
महिलाओं को चुनाव में वोट देने व चुनाव लड़ने का भी अधिकार दिया गया है। महिलाओं की शिक्षा पर भी लगातार जोर दिया जा रहा है।
महिलाओं के विकास के लिए भारत सरकार द्वारा कईं योजनाएं भी चलाई जा रही है। जैसे:- सुकन्या समृद्धि योजना, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना, मुफ़्त सिलाई मशीन योजना, समर्थ योजना व प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना। इन सभी माध्यमों से महिलाओ के विकास पर पूरा जोर दिया जा रहा है।
आज के समय में यदि हमारे देश को तरक्की की नईं उचाईयों को छूना है, तो पुरूष के साथ-साथ महिला का साथ भी काफ़ी अधिक आवश्यक है।
आज महिलाएं कईं क्षेत्रों मे बहुत अच्छा कार्य कर रही है। आज शिक्षा के क्षेत्र में महिलाओं के अंक पुरुषो से अधिक आने लगे है।
शिक्षा के साथ-साथ खेलों में भी महिलाएं लगातार पदक अर्जित कर रही है। इन सभी को और अधिक बढ़ाने के लिए हमें महिलाओं का विकास निम्न स्तर से करना पड़ेगा।
हमें अपने परिवारों मे महिलाओ को उचित सम्मान प्रदान करना होगा। कहा जाता है कि यदि एक पुरूष को शिक्षा प्रदान की जाए, तो वह उसके खुद के ही काम आएगी।
लेकिन, यदि एक स्त्री को शिक्षा प्रदान की जाए, तो उसके साथ-साथ तीन परिवारों को शिक्षा प्रदान की जा सकती है।
हमारें वेदों मे भी लिखा है कि जहाँ स्त्री की पूजा की जाती है, वहाँ देवताओं का निवास होता है। इतना कहकर मैं अपने भाषण को विराम देने जा रहा हूँ।
आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद!
अंतिम शब्द
अंत में आशा करता हूँ कि यह लेख आपको पसंद आया होगा और आपको हमारे द्वारा इस लेख में प्रदान की गई अमूल्य जानकारी फायदेमंद साबित हुई होगी।
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