1000+ हिंदी की प्रसिद्ध कहावतें और उनके अर्थ

Kahawat in Hindi

हिंदी की प्रसिद्ध कहावतें : Kahawat in Hindi:- आज के इस लेख में हमनें ‘हिन्दी की प्रसिद्ध कहावतों’ से सम्बंधित जानकारी प्रदान की है।

यदि आप हिन्दी की प्रसिद्ध कहावतों से सम्बंधित जानकारी खोज रहे है? तो इस लेख को शुरुआत से अंत तक अवश्य पढ़े। तो चलिए शुरू करते है:-

कहावत की परिभाषा : Kahawat in Hindi

‘कहावत’ का अर्थ:- ‘कही हुई बात’ होता है। जिस पद समूह में अनुभव की गई कोई बात सुंदर और प्रभावशाली ढंग से कही जाती है, उसे ‘कहावत’ कहते है।

कहावतों की मुख्य विशेषताएँ

कहावतों की सभी विशेषताएँ निम्न प्रकार है:-

  • कहावतों में छोटी बात में काफी कुछ कह दिया जाता है।
  • कहावत किसी भी भाषा के स्वरूप को निखारती है।
  • कहावतों का प्रयोग करने से भाषा आसान, प्रभावी और कलात्मक बनती है।
  • कहावतों का आधार ‘घटना’ और ‘परिस्थिति’ होती है।

हिंदी की प्रसिद्ध कहावतें और उनके अर्थ

सभी कहावतें निम्न प्रकार है:-

कहावतअर्थ
अधजल गगरी छलकत जाएथोड़ी जानकारी वाला बढ़ चढ़कर बोलता है।
घर की मुर्गी दाल बराबरअपने पास की चीज का महत्व नहीं होता।
ऊंची दुकान फीके पकवानसिर्फ बाहरी दिखावा करना।
चोर-चोर मौसेरे भाईबुरे आदमियों का परस्पर संबंध हो जाता है।
डूबते को तिनके का सहाराअसहाय को थोड़ा भी सहारा काफी होता है।
आगे नाथ न पीछे पगहाबिना जिम्मेवारी का होना।
खोदा पहाड़ निकली चुहियापरिश्रम बहुत करना, लेकिन लाभ कम पाना।
एक पंथ दो काजएक बार में दो काम होना।
अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकताअकेला आदमी कोई बड़ा काम नहीं कर सकता।
आंख का अंधा गांठ का पूरामूर्ख धनवान होना।
जिसकी लाठी उसकी भैंसबलवानों का बोलबाला।
काला अक्षर भैंस बराबरअक्षर ज्ञान से बिल्कुल शून्य होना।
खाली दिमाग शैतान का घरजो मनुष्य बेकार होता है उसे तरह-तरह के खुराफात सूझते है।
एक आवे के बर्तनसबका एक जैसा होना।
ऊंट घोड़े बहे जाए गधा कहे कितना पानीजब किसी काम को शक्तिशाली लोग ना कर सके और कोई कमजोर आदमी उसे करना चाहे।
एक और एक ग्यारह होते हैएकता में बहुत शक्ति होती है।
अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारनाऐसा काम करना जिसे खुद को बहुत हानि हो।
अंडे सेनाघर में बेकार बैठे रहना।
गिरगिट की तरह रंग बदलनाअपना व्यवहार बदलते रहना।
अपना अहित स्वयं करनाउंगली उठाना।
एक लख पूत सवा लख नाती, ता रावण घर दिया न बातीधनी व्यक्ति का पूरी तरह विनाश हो जाना।
समय पाय तरुवर फले, कतवो सीचे नीरप्रत्येक काम एक निश्चित समय पर पूरा होता है।
अपना रख पराया चखअपनी चीज संभालकर रखना और दूसरों की चीज को इस्तेमाल करना।
गए थे रोजा छुड़ाने नमाज गले पड़ीकोई व्यक्ति छोटा कष्ट दूर करने की कोशिश करता है और बड़े कष्ट में फंस जाता है।
सौ सुनार की एक लोहार कीमहत्वपूर्ण कार्य कईं बेकार कार्यों से अच्छे होते है।
आंखों का पानी ढलनाबेशर्म होना।
सौ चूहे खाकर बिल्ली चली हज को चलीधूर्त व्यक्ति द्वारा दिखावे के लिए किया गया अच्छा काम।
बंदर क्या जाने अदरक का स्वादमूर्ख व्यक्ति अच्छी और मूल्यवान वस्तु का मोल नहीं जान सकता।
अपनी नाक कटे तो कटे दूसरों का शगुन तो बिगड़ेदुष्ट लोग दूसरों का नुकसान करते है, भले ही उनका अपना कितना ही नुकसान हो जाए।
अंगारों पर पैर रखनाजोखिम लेना।
गुड़ होगा तो मक्खियाँ भी आएंगीयदि पास में धन होगा तो खाने वाले भी पास आएंगे।
चूं-चूं का मुरब्बाबेमेल चीजों का योग।
सौ सयाने एक मतबुद्धिमान लोग एकमत होकर काम करते है।
अपनी नींद सोना, अपनी नींद जागनास्वतंत्र होना।
आद्रा में जो बोवै साठी, दु:खै मारि निकारै लाठीजो किसान आद्रा में धान बोता है, वह दुख को लाठी मारकर भगा देता है।
फुकने से पहाड़ नहीं उड़तेबड़े काम छोटे उद्योग से नहीं होते।
आज का बनिया कल का सेठकाम करने से आदमी बड़ा हो जाता है।
आग लगने पर कुआं खोदनापहले से कोई उपाय न रखना।
आसमान के तारे तोड़नाअसंभव कार्य करना।
नदी नाव का संयोगदुर्लभ मिलाप।
अंतड़ियां कुलबुलानाबहुत भूख लगना।
आसमान से गिरा खजूर पर अटकाएक मुसीबत से निकले तो दूसरी मुसीबत में फंस जाना।
ओने पौने करनाथोड़ा बहुत जितना भी लाभ हो बेच देना।
आंखों में धूल झोंकनाधोखा देना।
चट मंगनी पट ब्याहजल्दी से अपना काम पूरा कर देना।
उल्टे बांस बरेली कोअसंभव काम करने की कोशिश करना।
कबीर दास की उल्टी वाणी, बरसे कंबल भीगे पानीउल्टा काम।
आसपास बरसे दिल्ली पड़ी तरसेजिसे आवश्यकता हो उसे न मिलकर किसी और को मिलना।
अभी तो तुम्हारे दूध के दांत भी नहीं टूटेअभी तो तुम्हारी उम्र कम है और अभी तुम बच्चे हो।
उंगली पकड़कर पहुंचा पकड़नाजरा सा सहारा मिलते ही कुछ और पाने की इच्छा करना।
आगे कुआं पीछे खाईसभी और मुसीबत होना।
अढ़ाई हाथ की लकड़ी, नौ हाथ का बीजअनहोनी बात होना।
चूर रहनाडूबा रहना/मस्त रहना।
गैर का सिर कद्दू बराबरदूसरे की विपत्ति को कोई नहीं समझता है।
आई तो ईद, न आई तो जुम्मेरात/आई तो रोज़ी नहीं तो राजाआमदनी हुई तो मौज ही मौज नहीं तो फाका ही सही।
ऐसे बूढ़े बैल को कौन बांध भूसा देयएक समय में एक ही काम हाथ में लेना चाहिए।
आड़े हाथों लेनाबातों से लज्जित कर देना।
अन्न-जल उठ जानाकिसी जगह से चले जाना।
देसी मुर्गी विलायती बोलबिना मेल के।
अब सतवंती होकर बैठी लूट लिया सारा संसारसारी उम्र तो व्यक्ति बुरे काम करता रहा और बाद में संत बन कर बैठ जाए।
अब-तब करनाटाल देना।
अक्ल मारी जानासमय पर बुद्धि का काम ना करना।
आदमी जाने बसे, सोना जाने कसेव्यक्ति व्यवहार से और सोना कसौटी पर कसने से पहचाना जाता है।
थोथा चना बाजे घनादिखावा बहुत करना परन्तु सार न होना।
जंगल में मोर नाचा किसने देखाकोई ऐसे स्थान में अपना गुण दिखावे जहाँ कोई उसका समझने वाला न हो।
उपजति एक संग जल माही, जलज जोंक जिमि गुण विलगाहीएक पिता के बेटे भी एक जैसे नहीं होते।
खाइए मनभाता, पहनिये जगभाताअपने को अच्छा लगे वह खाना खाना चाहिए और जो दूसरों को अच्छा लगे वह कपड़ा पहनना चाहिए।
अंडा सीखावे बच्चे को चीं-चीं मत करछोटे का बड़े को उपदेश देना।
नक्कारखाने में तूती की आवाजकमजोर के प्रति उदासीनता।
आंखें चार होनाआमने-सामने होना।
इतिश्री होनाअंत होना।
चप्पा-चप्पा छान डालनाहर जगह देख आना।
अपनी दुनिया अलग बसानाअपनों से दूर जाकर गृहस्थी बसाकर रहना।
सांप भी मारा लाठी भी न टूटीबिना किसी नुकसान के काम बन जाना।
चंद्रमा बलवान होनाभाग्य अनुकूल होना।
अपनी जान से हाथ धोनाजान देना, मरना।
गुरु कीजै जान, पानी पीजे छानकोई भी चीज अच्छी तरह जांचकर लेनी चाहिए।
उड़ती चिड़िया पहचाननामन की बात जान जाना।
आंख बची और मालदोस्तों का पलक झपकने से माल गायब हो सकता है।
आंच न आने देनाजरा सा भी कष्ट नहीं आने देना।
कभी नाव गाड़ी पर, कभी गाड़ी नाव पर समय परएक-दूसरे की सहायता की आवश्यकता पड़ती है।
चलता करना भगा देनाआकाश से बातें करना बहुत ऊंचा होना।
मुख में राम बगल में छुरीकपटी अथवा धोखेबाज आदमी।
अंजर पंजर ढीला होनाअंग-अंग ढीला होना।
उसी की जूती उसी का सरकिसी को उसी की युक्ति से बेवकूफ बनाना।
घी-खिचड़ी होनाआपस में अत्यधिक मेल होना।
ऐरा-गैरा नत्थू खैरामामूली आदमी।
अंग-अंग खिल उठनाप्रसन्न हो जाना।
घर में भूंजी भांग न होनाघर में कुछ धन दौलत न होना।
खेलने खाने के दिनबचपन अथवा जवानी का समय जब मनुष्य चिंता मुक्त जीवन व्यतीत करता है।
भैंस के आगे बीन बजाए भैंस बैठ पगुरायमूर्ख पर उपदेश का कोई असर नहीं होता है।
आठ-आठ आंसू रोनाबहुत पछतावा होना।
उतर गई लोई तो क्या करेगा कोईजब इज्जत ही नहीं है तो डर किसका?
अपना-अपना राग अलापनाअपनी ही बातें कहना।
उल्टी गंगा पहाड़ चलीअसंभव काम करने की कोशिश करना।
अपना गांठ पैसा तो, पराया आसरा कैसाआदमी स्वयं समर्थ हो तो किसी दूसरे पर आश्रित क्यों रहेगा?
जंगल में मंगलहर परिस्थिति में प्रसन्न रहना।
अंटी मारनाचाल चलना।
नदी में रहकर मगरमच्छ से बैरअपने को आश्रय देने वाले से ही शत्रुता करना।
गेहूं के साथ घुन भी पिसता हैअपराधियों के साथ निरपराध व्यक्ति भी दंड पाते है।
छूछा कोई न पूछागरीब आदमी का आदर-सत्कार कोई नहीं करता।
इधर ना उधर यह बला किधरकोई न मरे न उसे आराम हो।
गुड़ खाएं गुलगुले से परहेजकोई बड़ी बुराई करना और छोटी से बचना।
चाक चौबंदहर दृष्टि से होशियार और चतुर होना।
अपने मुंह मियां मिट्ठू होनाअपने मुंह से अपनी प्रशंसा करना।
आकाश कुसुमअनहोनी बात।
आंख खुलनासावधान होना।
घोड़ा बेचकर सोनाखूब निश्चिंत होकर सोना।
जैसा देश वैसा वेशजहाँ रहना हो वही की रीतियों के अनुसार व्यवहार करना चाहिए।
पांचों अंगुलियां बराबर नहीं होतीसभी आदमी एक जैसे नहीं होते।
अक्ल का दुश्मनमूर्ख।
गोता खानाधोखा खाना।
फल से लदी डाली नीचे झुक जाती हैगुरु मान व्यक्ति विनम्र होते है।
अकल बड़ी या भैंसबुद्धि बल से बड़ी होती है।
आंखों में गड़ जानापाने की इच्छा होना, बुरा लगना।
अच्छे आनाशुभ अवसर पर किसी के यहां पहुंचना।
घी खाया बाप ने सूंघो मेरा हाथदूसरों की कीर्ति पर डींग मारने वाले।
गुड़-गोबर कर देनाबना बनाया काम बिगाड़ देना।
आंख के अंधे नाम नयनसुखनाम बड़ा होना और व्यक्ति का व्यवहार उसके विपरीत होना।
अपनी गरज बावलीस्वार्थ में आदमी दूसरों की चिंता नहीं करता।
जीभ और थैली को बंद ही रखना अच्छा हैकम बोलने और कम खर्च करने से बड़ा लाभ होता है।
अपनी-अपनी खाल में सब मस्तव्यक्ति अपनी परिस्थिति से संतुष्ट रहे, शिकायत ना करें।
अंधेर नगरीजहाँ धांधली हो।
करनी ना करतूत, लड़ने को मजबूतजो व्यक्ति काम तो कुछ ना करें पर लड़ने झगड़ने में तेज हो।
आंख एक नहीं कजरौटा दस-दसबेकार का नाटक करना।
आठ कनौजिया नौ चूल्हेअलगाव की स्थिति होना।
अब की अब के साथ, जब की जब के साथसदा वर्तमान में रहना चाहिए और आज की ही चिंता करनी चाहिए।
अढ़ाई चावल की खिचड़ी अलग पकानासबसे अलग सोच विचार रखना।
अपना-अपना कमाना, अपना-अपना खानाकिसी के साथ साझा करना अच्छा नहीं होता।
चांदी कटनाखूब लाभ होना।
आदमी पानी का बुलबुला हैमनुष्य का जीवन नाशवान है, इसलिए यह जीवन अनमोल है।
घर का भेदी लंका ढाएराजदार ही विनाश का कारण बनता है।
जिसकी बिल्ली उसी से म्याऊं करेंजब किसी के द्वारा पाला हुआ व्यक्ति उसी से गुर्राए।
आंख का ताराबहुत प्यारा।
एक अंडा वह भी गंदाचीज भी थोड़ी है और जितनी है, वह भी बेकार है।
आग बबूला होनाबहुत गुस्सा होना।
हाथ सुमिरनी, बगल कतरनीऊपर से सज्जन, भीतर से कपटी।
आंख आनाआंख दुखना।
आप भला तो जग भलाभले आदमी को सब लोग भले ही मिलते है।
गाड़ी अटकनाचलते-चलते काम बंद होना।
चना चबानारुखा-सुखा भोजन करना।
अपनी हांकनाअपनी ही बात कहते जाना।
आग का जला आग ही से अच्छा होता हैकष्ट देने वाली वस्तु से भी कभी-कभी कष्ट का निवारण हो जाता है।
इतनी सी जान, गज भर की जबानछोटे आदमी का बहुत बढ़-चढ़कर बातें करना।
आंखें मूंदनामर जाना।
अंधों में काना राजामूर्खों में कम ज्ञान रखने वाले की प्रतिष्ठा होना।
आ बैल मुझे मारबिना बात मुसीबत मोल लेना।
अपनी छाछ को कोई खट्टा नहीं कहताअपनी चीज को कोई बुरा नहीं बताता।
ओखली में सर दिया, तो मूसलो से क्या डरनाजब आफत को निमंत्रण दे ही दिया है तो फिर डरने से क्या फायदा।
बाजू में छोरा नगर में ढिंढोराजो पास में ही मौजूद हो उसे दूर-दूर खोजना।
गगरी दाना सूत उतानाओछा आदमी थोड़ा धन पाकर इतराने लगता है।
अब के बनिया देय उधारअपनी जरूरत पड़ती है, तो आदमी सब कुछ मान जाता है।
ऊंट के मुंह में जीरा होनाआवश्यकता से बहुत कम होना।
आई है जान के साथ, जाएगी जनाजे के साथलाइलाज बीमारी।
आंख एक नहीं, कलेजा टूक-टूकबनावटी दु:ख प्रकट करना।
अड्डे पर चहकनाअपने घर पर रोब दिखाना।
उबल पड़नाएकदम गुस्सा हो जाना।
चादर देखकर पाव फैलानाआय के अनुसार खर्च करना।
उल्टी पट्टी पढ़ानागलत कहकर बहकाना।
आवाज उठानाविरोध प्रकट करना।
आग पर पानी डालनाझगड़ा मिटाना।
अति ऊंचे भू-धारन पर भुजगन के स्थान, तुलसी अति नीचे सुखद उंख अन्न असपानतुलसीदास जी कहते है कि खेती ऐसे ऊंचे स्थानों पर करनी चाहिए जहां पर सांप रहते हो, पहाड़ों के ढाल पर उंख हो, वहीं पर अन्न और पान की अच्छी फसल होती है।
ईंट से ईंट बजानाविनाश करना।
घर में दीया जलाकर मस्जिद में जलाया जाता हैदूसरों को सुधारने से पहले स्वयं को सुधारा जाता है।
असर्फियो की लूट कोयले पर छापमूल्यवान वस्तु को छोड़कर तुच्छ वस्तु पर ध्यान देना।
आप पड़ोसन लड़ेबिना बात ही झगड़ा करना।
अढ़ाई दिन की बादशाहतथोड़े दिन की शान-शौकत।
चित्त चुरानामन मोह लेना।
गांव के जोगी जोगना आन गांव के सिद्धअपनी जन्मभूमि में किसी विद्वान की इतनी इज्जत नहीं होती जितनी दूसरे स्थानों में होती है।
चिकना घड़ाबेहया व्यक्ति।
आव न देखा तावबिना कारण।
खूब मिलाई जोड़ी, एक अंधा एक कोढ़ीदो मूर्खों का साथ।
तेते पांव पसारियो, जेती लंबी ठौरहैसियत के बाहर काम नहीं करना चाहिए।
आसमान पर चढ़ा देनाबहुत तारीफ करना।
काबुल में भी गधे होते हैमूर्ख हर जगह होते है।
आधी छोड़ पूरी को धावे, आधी रहे ना पूरी पावेअधिक लालच करने से हानि ही होती है।
अपनी चिलम भरने को मेरा झोपड़ा जलाते होअपने जरा से लाभ के लिए किसी दूसरे की बड़ी हानि करना।
अंधेरखाताअन्याय।
घी का लड्डू टेढ़ा भी भलागुणवान की शक्ल नहीं देखी जाती।
जीभ भी जली और स्वाद भी न पायायदि किसी को बहुत थोड़ी सी चीज खाने को दी जाएं और उसका मन भी नहीं भरे।
घर-घर मटियारे चूल्हेसब लोगों में कुछ न कुछ बुराइयां होती है, सब लोगों को कुछ न कुछ कष्ट होता है।
आंख सुख कलेजे ठंडकपरम शांति का होना।
बेवकूफ मर गए, औलाद छोड़ गएजब कोई बहुत मूर्खता का काम करता है।
नेकी और पूछ-पूछभलाई करने के लिए किसी की अनुमति की आवश्यकता नहीं होती है।
आए थे हरि भजन को ओटन लगे कपासउच्च लक्ष्य लेकर चलना पर कोई घटिया सा काम करने लगना।
अर्थ खुलनाआशय स्पष्ट होना।
अपनी खाल में मस्त रहनाअपनी दशा से संतुष्ट रहना।
अपनी-अपनी डफली, अपना-अपना रागसबका अलग-अलग अपना मनमाना काम करना।
अंग टूटनाथकावट से शरीर में दर्द होना।
जेठ के भरोसे पेटजब कोई मनुष्य बहुत निर्धन होता है और उसकी स्त्री का पालन-पोषण उसका बड़ा भाई करता है।
मरता क्या नहीं करतानिराश व्यक्ति सब कुछ कर सकता है।
आगे जाए घुटने टूटे, पीछे देखे आंख फूटेजिधर जाए उधर ही मुसीबत आना।
एक ही थाली के चट्टे-बट्टे होनाएक ही जैसे दुर्गुण होना।
गाय गुण बछड़ा, पिता गुण घोड़, बहुत नहीं तो थोड़े-थोड़बच्चों पर माता-पिता का प्रभाव थोड़ा बहुत अवश्य पड़ता है।
अक्ल से मतलब न होनामूर्खतापूर्ण व्यवहार करना।
उत्तम खेती मध्यम बान, निकृष्ट चाकरी भीख निदानखेती सबसे श्रेष्ठ व्यवसाय है, व्यापार मध्यम है, नौकरी निकृष्ट है और भीख मांगना सबसे बुरा है।
उल्टे छुरे से मूंड़नामूर्ख बनाकर ठगना।
चार-सौ बीसबहुत बड़ा धूर्त।
काठ की हांडी एक बार ही चढ़ती हैछल से एक बार तो काम बन जाता है पर हमेशा नहीं।

कहावत से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न

  1. कहावत की परिभाषा क्या है?

    ‘कहावत’ का अर्थ:- ‘कही हुई बात’ होता है। जिस पद समूह में अनुभव की गई कोई बात सुंदर और प्रभावशाली ढंग से कही जाती है, उसे ‘कहावत’ कहते है।

अंतिम शब्द

अंत में आशा करता हूँ कि यह लेख आपको पसंद आया होगा और आपको हमारे द्वारा इस लेख में प्रदान की गई अमूल्य जानकारी फायदेमंद साबित हुई होगी।

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