वाच्य की परिभाषा, भेद और उदाहरण

Vachya Ki Paribhasha in Hindi

वाच्य की परिभाषा : Vachya in Hindi:- आज के इस लेख में हमनें ‘वाच्य की परिभाषा’ से सम्बंधित जानकारी प्रदान की है।

यदि आप वाच्य से सम्बंधित जानकारी खोज रहे है? तो इस लेख को शुरुआत से अंत तक अवश्य पढ़े। तो चलिए शुरू करते है:-

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वाच्य की परिभाषा : Vachya in Hindi

वाच्य शब्द का अर्थ ‘बोलने का विषय’ है। क्रिया का वह रूप जिससे यह बोध होता है कि क्रिया का मुख्य विषय ‘कर्ता’ है, ‘कर्म’ है अथवा ‘भाव’ है, उसे ‘वाच्य’ कहते है।

साधारण शब्दों में:- क्रिया के जिस रूपांतर से यह ज्ञात होता है कि वाक्य में प्रयुक्त क्रिया का प्रधान विषय ‘कर्ता’, ‘कर्म’ अथवा ‘भाव’ है, उसे वाच्य कहते है।

वाच्य के उदाहरण

वाच्य के उदाहरण निम्न प्रकार है:-

वाच्य के उदाहरण
मैं पुस्तक पढ़ता हूँ।
लड़के खेलते है।

वाच्य के भेद

वाच्य के कुल 3 भेद है, जो कि निम्नलिखित है:-

वाच्य के भेद
कर्तृवाच्य
कर्मवाच्य
भाववाच्य

1. कर्तृवाच्य

क्रिया का वह रूप जिससे वाक्य में कर्ता की प्रधानता का बोध होता है, उसे ‘कर्तृवाच्य’ कहते है।

साधारण शब्दों में:- क्रिया के जिस रूप से कर्ता के प्रधान होने का पता बोध हो और वाक्य में सकर्मक क्रिया और अकर्मक क्रिया दोनों हो, उसे ‘कर्तृवाच्य’ कहते है।

कर्तृवाच्य के उदाहरण

कर्तृवाच्य के उदाहरण निम्न प्रकार है:-

कर्तृवाच्य के उदाहरण
राम विद्यालय जाता है।
कविता गाना गाती है।
सविता पढ़ाई करती है।
श्याम टेलीविज़न देखता है।

उपर्युक्त उदाहरणों में ‘कर्ता’ प्रधान है और उन्हीं के लिए ‘जाता है’, ‘गाती है’, ‘करती है’ तथा ‘देखता है’ क्रियाओं का विधान हुआ है। अतः यह ‘कर्तृवाच्य’ के उदाहरण है।

2. कर्मवाच्य

क्रिया का वह रूप जिससे वाक्य में कर्म की प्रधानता का बोध होता है, उसे ‘कर्मवाच्य’ कहते है। साधारण शब्दों में:- क्रिया के जिस रूप से वाक्य में कर्म की प्रधानता का बोध होता है और उसमें सिर्फ सकर्मक क्रिया होती है, तो वह ‘कर्मवाच्य’ कहलाता है।

कर्मवाच्य के उदाहरण

कर्मवाच्य के उदाहरण निम्न प्रकार है:-

कर्मवाच्य के उदाहरण
राम के द्वारा कार्य किया गया।
कवियों द्वारा कविताएँ लिखी गई।
रोगी को दवा दी गई।
उससे पुस्तक पढ़ी गई।

उपर्युक्त उदाहरणों में ‘कर्म’ प्रधान हैं तथा उन्हीं के लिए ‘किया गया’, ‘लिखी गई’, ‘दी गई’ तथा ‘पढ़ी गई’ क्रियाओं का विधान हुआ है। अतः यह कर्मवाच्य के उदाहरण है।

यहाँ क्रियाएँ कर्ता के अनुसार परिवर्तित न होकर कर्म के अनुसार परिवर्तित हुई है। यहाँ ध्यान देने योग्य बात यह है कि अंग्रेजी की भांति हिन्दी में कर्ता के रहते हुए कर्मवाच्य का प्रयोग नहीं किया जाता है।

जैसे:- ‘मैं दूध पीता हूँ।’ वाक्य के स्थान पर ‘मुझसे दूध पीया जाता है।’ वाक्य का प्रयोग युक्तिसंगत नहीं है। हाँ, निषेध के अर्थ में यह प्रयोग किया जा सकता है:- मुझसे दूध नहीं पीया जाता।

3. भाववाच्य

क्रिया का वह रूप जिससे क्रिया अथवा भाव की प्रधानता का बोध होता है, उसे ‘भाववाच्य’ कहते है। साधारण शब्दों में:- जिन वाक्य में कर्ता व कर्म की प्रधानता का बोध न होकर ‘क्रिया’ की प्रधानता का बोध होता है, उसे ‘भाववाच्य’ कहते है।

भाववाच्य के उदाहरण

भाववाच्य के उदाहरण निम्न प्रकार है:-

भाववाच्य के उदाहरण
राम से टहला भी नहीं जाता।
मुझसे उठा नहीं जाता।
धूप में चला नहीं जाता।
मुझसे खाया नहीं जाता।

उपर्युक्त उदाहरणों में ‘कर्ता’ अथवा ‘कर्म’ प्रधान न होकर ‘भाव’ प्रधान है। अतः यह ‘भाववाच्य’ के उदाहरण है।

नोट:- यहाँ यह स्पष्ट है कि कर्तृवाच्य में ‘सकर्मक क्रिया’ और ‘अकर्मक क्रिया’ दोनों हो सकती है, लेकिन कर्मवाच्य में सिर्फ ‘सकर्मक क्रिया’ होती है और भाववाच्य में सिर्फ ‘अकर्मक क्रिया’ होती है।

वाच्य परिवर्तन

वाच्य परिवर्तन निम्न प्रकार है:-

कर्तृवाच्य से कर्मवाच्य
कर्मवाच्य से कर्तृवाच्य
कर्तृवाच्य से भाववाच्य

1. कर्तृवाच्य से कर्मवाच्य

कर्तृवाच्य से कर्मवाच्य में परिवर्तन निम्न प्रकार से किया जाता है:-

  1. ‘कर्ता कारक’ में ‘करण कारक’ के चिह्न ‘से/द्वारा’ का प्रयोग करना चाहिए।
  2. कर्म को चिह्न-रहित करना चाहिए।
  3. क्रिया को कर्म के लिंग, वचन तथा पुरुष के अनुसार रखना चाहिए अर्थात ‘कर्म प्रधान’ बनाना चाहिए।

कर्तृवाच्य से कर्मवाच्य के उदाहरण

कर्तृवाच्य से कर्मवाच्य के उदाहरण निम्नलिखित है:-

कर्तृवाच्यकर्मवाच्य
सचिन मैच खेलने चेन्नई जायेंगे।सचिन के द्वारा मैच खेलने चेन्नई जाया जाएगा।
राकेश पुस्तक पढ़ रहा है।राकेश के द्वारा पुस्तक पढ़ी जा रही है।
मित्र विपत्ति में मदद करते है।मित्रों के द्वारा विपत्ति में मदद की जाती है।
महेश पत्र लिखता है।महेश के द्वारा पत्र लिखा जाता है।
फैक्टरी बंद कर दी।फैक्टरी बंद करा दी गई।
बुढ़िया खाना नहीं खा सकती।बुढ़िया के द्वारा खाना नहीं खाया जाता है।
भारतवासी महात्मा गाँधी को नहीं भूल सकते है।भारतवासियों के द्वारा महात्मा गाँधी नहीं भुलाए जा सकते।
बच्चे शोर मचाएंगे।बच्चों के द्वारा शोर मचाया जाएगा।
माला ने खाना खाया।माला के द्वारा खाना खाया गया।
आप गाना गाइए।आपके द्वारा गाना गया जाए।
मुझ पर भारी दबाव पड़ रहा था।मुझ पर भारी दबाव डाला जा रहा था।

2. कर्मवाच्य से कर्तृवाच्य

कर्मवाच्य से कर्तृवाच्य में परिवर्तन निम्न प्रकार से किया जाता है:-

  1. कर्ता के अपने चिह्न (०, ने) का आवश्यकता के अनुसार प्रयोग करना चाहिए।
  2. यदि वाक्य की क्रिया वर्तमान काल एवं भविष्यत् काल की है, तो कर्ता के अनुसार क्रिया की रूप-रचना रखनी चाहिए।
  3. भूतकाल की सकर्मक क्रिया रहने पर कर्म के लिंग व वचन के अनुसार क्रिया को रखना चाहिए।

कर्मवाच्य से कर्तृवाच्य के उदाहरण

कर्मवाच्य से कर्तृवाच्य के उदाहरण निम्नलिखित है:-

कर्तृवाच्यकर्मवाच्य
गोपाल पत्र लिखता है।गोपाल से पत्र लिखा जाता है।
मैं अख़बार नहीं पढ़ सकता।मुझसे अख़बार पढ़ा नहीं जाता।
लड़कियां गीत गा रही है।लड़कियों द्वारा गीत गाये जा रहे है।
मैं यह वजन उठा नहीं पाऊँगा।मुझसे यह वजन नहीं उठाया जाएगा।
मैं यह दृश्य नहीं देख सका।मुझसे यह दृश्य नहीं देखा गया।
मजदूर पत्थर नहीं तोड़ रहे।मजदूरों से पत्थर नहीं तोड़े जा रहे।
यह छात्रा भावभीनी श्रद्धांजलि दे रही है।इस छात्रा द्वारा भावभीनी श्रद्धांजलि दी जा रही है।

3. कर्तृवाच्य से भाववाच्य

कर्तृवाच्य से भाववाच्य में परिवर्तन निम्न प्रकार से किया जाता है:-

  1. कर्ता के साथ ‘से/द्वारा’ चिह्न लगाकर उसे गौण किया जाता है।
  2. मुख्य क्रिया को सामान्य क्रिया एवं अन्य पुरुष पुल्लिंग एकवचन में स्वतंत्र रूप में रखा जाता है।
  3. भाववाच्य में प्रायः अकर्मक क्रियाओं का ही प्रयोग किया जाता है।

कर्तृवाच्य से भाववाच्य के उदाहरण

कर्तृवाच्य से भाववाच्य के उदाहरण निम्नलिखित है:-

कर्तृवाच्यभाववाच्य
गरमियों में लोग खूब नहाते है।गर्मियों में लोगों से खूब नहाया जाता है।
पक्षी रात में सोते है।पक्षियों से रात में सोया जाता है।
वह तख्त पर सोता है।उससे तख्त पर सोया जाता है।
सलोनी नहीं हँसती।सलोनी से हँसा नहीं जाता।
बच्चे शांत नहीं रह सकते।बच्चों से शांत नहीं रहा जाता।
हम नहीं हँस सकते।हमसे हँसा नहीं जाता।
वे गा नहीं सकते।उनसे गाया नहीं जाता।
आइए, चलें।आए, चला जाए।
वह बेचारी रो भी नहीं सकती।उस बेचारी से रोया भी नहीं जाता।
चलो, अब सोते है।चलो, अब सोया जाए।
अब चलते है।अब चला जाए।

वाच्य के प्रयोग

वाक्य में क्रिया का लिंग, वचन एवं पुरुष कभी ‘कर्ता के अनुसार,’ तो कभी ‘कर्म के अनुसार’ होता है। लेकिन कभी-कभी वाक्य की क्रिया कर्ता तथा कर्म के अनुसार न होकर एकवचन, पुल्लिंग तथा अन्यपुरुष के अनुसार होती है, इसे ही ‘प्रयोग’ कहते है।

वाच्य के प्रयोग मुख्य रूप से 3 प्रकार से किये जाते है, जो कि निम्नलिखित है:-

वाच्य के प्रयोग के प्रकार
कर्तरि प्रयोग
कर्मणि प्रयोग
भावे प्रयोग

1. कर्तरि प्रयोग

जब वाक्य में ‘क्रिया के लिंग, वचन व पुरुष’ ‘कर्ता के लिंग, वचन व पुरुष’ के अनुसार होते है, तो वहाँ पर ‘कर्तरि प्रयोग’ किया जाता है।

साधारण शब्दों में:- क्रिया का वह रूप जिसमें पुरुष, लिंग व वचन ‘कर्ता के अनुसार’ होते है, तो उसे ‘कर्तरि प्रयोग’ कहते है।

कर्तरि प्रयोग के उदाहरण

कर्तरि प्रयोग के उदाहरण निम्न प्रकार है:-

कर्तरि प्रयोग के उदाहरण
राम खाना खाता है।
लड़कियां पुस्तकें पढेंगी।

स्पष्टीकरण:- पहले उदाहरण में ‘खाता’ क्रिया, कर्ता ‘राम’ के अनुकूल अन्य पुरुष, पुल्लिंग और एकवचन है। जबकि, दूसरे उदाहरण में ‘पढ़ेंगी’ क्रिया, कर्ता ‘लड़कियां’ के अनुसार अन्य पुरुष, स्त्रीलिंग और बहुवचन है। अतः यह दोनों ‘कर्तरि प्रयोग’ के उदाहरण है।

2. कर्मणि प्रयोग

जब वाक्य में ‘क्रिया के लिंग, वचन व पुरुष’ ‘कर्म के लिंग, वचन व पुरुष’ के अनुसार होते है, तो वहाँ पर ‘कर्मणि प्रयोग’ किया जाता है।

साधारण शब्दों में:- क्रिया का वह रूप जिसमें पुरुष, लिंग व वचन कर्म के अनुसार होते है, तो उसे ‘कर्मणि प्रयोग’ कहते है।

कर्मणि प्रयोग के उदाहरण

कर्मणि प्रयोग के उदाहरण निम्न प्रकार है:-

कर्मणि प्रयोग के उदाहरण
राम ने पुस्तक लिखी।
श्याम ने कईं पत्र लिखे।

स्पष्टीकरण:- उपर्युक्त उदाहरणों में क्रियाएँ ‘लिखी’ तथा ‘लिखे’ क्रमशः कर्म ‘पुस्तक’ तथा ‘कईं पत्र’ के अनुसार है। अतः ये दोनों ‘कर्मणि प्रयोग’ के उदाहरण है।

3. भावे प्रयोग

जब वाक्य में ‘क्रिया के लिंग, वचन व पुरुष’ कर्ता अथवा ‘कर्म के लिंग, वचन व पुरुष’ के अनुसार न होकर एकवचन, पुल्लिंग व अन्य पुरुष होते है, तो वहाँ पर ‘भावे प्रयोग’ किया जाता है।

साधारण शब्दों में:- क्रिया का वह रूप, जिसमें सदैव अन्य पुरुष, पुल्लिंग और एकवचन में रहता है, वह कर्ता अथवा कर्म के अनुसार नहीं होता है, उसे ‘भावे प्रयोग’ कहते है। ध्यान रखें कि तीनों वाच्यों में भावे प्रयोग देखा जा सकता है।

भावे प्रयोग के उदाहरण

भावे प्रयोग के उदाहरण निम्न प्रकार है:-

1. कर्तृवाच्य में भावे प्रयोग के उदाहरण

कर्तृवाच्य में भावे प्रयोग के उदाहरण निम्न प्रकार है:-

कर्तृवाच्य में भावे प्रयोग के उदाहरण
राम ने लड़के को पीटा।
राम ने लड़कों को पीटा।
राम ने लड़कों को पीटा।

2. कर्मवाच्य में भावे प्रयोग के उदाहरण

कर्मवाच्य में भावे प्रयोग के उदाहरण निम्न प्रकार है:-

कर्मवाच्य में भावे प्रयोग के उदाहरण
माँ द्वारा पुत्र के लिए खाना परोसा गया।
माँ द्वारा पुत्री के लिए खाना परोसा गया।
माँ द्वारा सबके लिए खाना परोसा गया।

3. भाववाच्य में भावे प्रयोग के उदाहरण

भाववाच्य में भावे प्रयोग के उदाहरण निम्न प्रकार है:-

भाववाच्य में भावे प्रयोग के उदाहरण
उससे खड़ा नहीं हुआ गया।
उनसे खड़ा नहीं हुआ गया।
हमसे खड़ा नहीं हुआ गया।

वाच्य-संबंधी ध्यान रखने योग्य महत्वपूर्ण बातें

वाच्य-संबंधी ध्यान रखने योग्य सभी महत्वपूर्ण बातें निम्न प्रकार है:-

1. कर्तृवाच्य के सकरात्मक वाक्यों में इसी सामर्थ्य को सूचित करने के लिए क्रिया के साथ ‘सकना’ का प्रयोग किया जाता है।

जैसे:-

हम पुस्तक पढ़ सकते है।
वे गीत गा सकते है।

2. असमर्थता सूचक में भी ‘सकना’ का प्रयोग किया जाता है।

जैसे:-

वह काम नहीं कर सकता।
अंशु गाना नहीं गा सकती।

3. कर्मवाच्य के वाक्यों में सदैव क्रिया में + ‘जा’ रूप जोड़ा जाता है।

जैसे:-

किया जाता है। किया गया। किया जाएगा।
खाया जाता है। खाया गया। खाया जाएगा।

4. कुछ व्युत्पन्न अकर्मक क्रियाओं का प्रयोग भी देखा जाता है।

जैसे:-

बढ़ई पेड़ नहीं काट रहे।
बढ़ई से पेड़ काटा नहीं जाता।
बढ़ई से पेड़ कट नहीं रहा।

5. अकर्तृवाच्य (कर्मवाच्य और भाववाच्य) के वाक्यों में कहीं-कहीं कर्ता का लोप कर दिया जाता है।

जैसे:-

पेड़ नहीं काटा जा रहा।
पेड़ नहीं कट रहा।

6. हिन्दी में क्रिया का एक ऐसा रूप भी है, जो कर्मवाच्य की भांति प्रयुक्त होता है।

जैसे:-

कुर्सी टूट गई। (‘तोड़ना’ से ‘टूटना’)
दरवाजा खुल गया। (‘खोलना’ से ‘खुलना’)

7. क्रिया के अचानक तथा स्वतः होने की स्थिति में ‘कर्मवाच्य’ का प्रयोग होता है।

जैसे:-

बस पलट गई और कईं यात्री मारे गए।
कईं लाशें बहा दी गई।

8. कार्यालयी भाषा प्रायः ‘कर्मवाच्य’ में देखी जाती है।

जैसे:-

आप पर क्यों नहीं अनुशासनात्मक कार्यवाई की जाए?
आपको इस वर्ष का बोनस दिया जाता है।
आपको सूचित किया जाता है।

9. अधिकार, अभिमान और अहंभाव प्रकट करने के लिए कर्मवाच्य की क्रिया का प्रयोग होता है।

जैसे:-

नर्तकियों को नचाया जाए।
कर्मचारियों से सफाई कराई जाए।

10. सूचना, विज्ञप्ति, आदि में जहाँ कर्ता निश्चित होता है, वहाँ पर कर्मवाच्य की क्रिया देखी जाती है।

जैसे:-

बैरियर के गिरे रहने पर रेलवे लाईन को पार करनेवालों को सजा दी जाएगी।
कन्या-भ्रूण हत्या करनेवालों को जेल दी जाए।

11. भाववाच्य में जब ‘नहीं’ का प्रयोग नहीं होता है, तो मूल कर्ता जन सामान्य होता है।

जैसे:-

गर्मियों में छत पर सोया जाता है।

12. अनुमति अथवा आदेश प्राप्त करने की स्थिति में भाववाच्य की क्रिया का प्रयोग होता है।

जैसे:-

अब यहाँ से चला जाए।
यात्रा पर निकला जाए।

13. भाववाच्य की क्रिया सदैव पुल्लिंग, एकवचन तथा अन्य पुरुष में ही होती है। उस पर कर्ता के लिंग, वचन व पुरुष का कोई असर नहीं पड़ता है।

वाच्य से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न

  1. वाच्य की परिभाषा क्या है?

    वाच्य शब्द का अर्थ ‘बोलने का विषय’ है। क्रिया का वह रूप जिससे यह बोध होता है कि क्रिया का मुख्य विषय ‘कर्ता’ है, ‘कर्म’ है अथवा ‘भाव’ है, उसे ‘वाच्य’ कहते है।
    साधारण शब्दों में:- क्रिया के जिस रूपांतर से यह ज्ञात होता है कि वाक्य में प्रयुक्त क्रिया का प्रधान विषय ‘कर्ता’, ‘कर्म’ अथवा ‘भाव’ है, उसे वाच्य कहते है।

  2. वाच्य के कितने भेद है?

    वाच्य के कुल 3 भेद है, जो कि निम्नलिखित है:-
    1. कर्तृवाच्य
    2. कर्मवाच्य
    3. भाववाच्य

  3. कर्तृवाच्य की परिभाषा क्या है?

    क्रिया का वह रूप जिससे वाक्य में कर्ता की प्रधानता का बोध होता है, उसे ‘कर्तृवाच्य’ कहते है।
    साधारण शब्दों में:- क्रिया के जिस रूप से कर्ता के प्रधान होने का पता बोध हो और वाक्य में सकर्मक क्रिया और अकर्मक क्रिया दोनों हो, उसे ‘कर्तृवाच्य’ कहते है।

  4. कर्मवाच्य की परिभाषा क्या है?

    क्रिया का वह रूप जिससे वाक्य में कर्म की प्रधानता का बोध होता है, उसे ‘कर्मवाच्य’ कहते है। साधारण शब्दों में:- क्रिया के जिस रूप से वाक्य में कर्म की प्रधानता का बोध होता है और उसमें सिर्फ सकर्मक क्रिया होती है, तो वह ‘कर्मवाच्य’ कहलाता है।

  5. भाववाच्य की परिभाषा क्या है?

    क्रिया का वह रूप जिससे क्रिया अथवा भाव की प्रधानता का बोध होता है, उसे ‘भाववाच्य’ कहते है। साधारण शब्दों में:- जिन वाक्य में कर्ता व कर्म की प्रधानता का बोध न होकर ‘क्रिया’ की प्रधानता का बोध होता है, उसे ‘भाववाच्य’ कहते है।

अंतिम शब्द

अंत में आशा करता हूँ कि यह लेख आपको पसंद आया होगा और आपको हमारे द्वारा इस लेख में प्रदान की गई अमूल्य जानकारी फायदेमंद साबित हुई होगी।

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