असंगति अलंकार की परिभाषा, भेद और उदाहरण

असंगति अलंकार की परिभाषा : Asangati Alankar in Hindi:- आज के इस लेख में हमनें ‘असंगति अलंकार की परिभाषा’ से सम्बंधित जानकारी प्रदान की है।
यदि आप असंगति अलंकार से सम्बंधित जानकारी खोज रहे है? तो इस लेख को शुरुआत से अंत तक अवश्य पढ़े। तो चलिए शुरू करते है:-
असंगति अलंकार की परिभाषा : Asangati Alankar in Hindi
जहाँ पर आपतात: विरोध दृष्टिगत होते हुए कार्य तथा कारण का वैयाधिकरन्य रणित होता है, तो वहाँ पर ‘असंगति अलंकार’ होता है। असंगति’ का अर्थ ‘संगति का न होना’ होता है।
साधारण शब्दों में:- जहाँ पर जो कारण होता है, कार्य भी वहीं होना चाहिए। चोट पाँव में लगे, तो दर्द भी पांव में ही होना चाहिए। लेकिन जहाँ कारण कहीं और कार्य कहीं और होने का वर्णन होता है, तो वहाँ ‘असंगति अलंकार’ होता है।
असंगति अलंकार के उदाहरण
असंगति अलंकार के उदाहरण निम्न प्रकार है:-
उदाहरण 1
तुमने पैरों में लगाई मेंहदी,
मेरी आँखों में समाई मेंहदी।
स्पष्टीकरण:- उपर्युक्त पंक्तियों में मेंहदी लगाने का कार्य पाँव में हुआ, लेकिन उसका परिणाम आँखों में दिखाई पड़ रहा है। अतः यहाँ ‘असंगति’ अलंकार’ है।
उदाहरण 2
पिचका चलाइ और जुवती भिजाइ नेह,
लोचन नचाइ मेरे अंगहि नचाइ गौ।।
स्पष्टीकरण:- उपर्युक्त पंक्तियों में क्रिया कृष्ण के नेत्रों में होती है, लेकिन प्रभाव गोपी के अंग पर होता है। उसका अंग-अंग उसके लोल-लोचनों के कटाक्ष में नाच उठता है। अतः यहाँ ‘असंगति’ अलंकार’ है।
उदाहरण 3
दृग उरझत टूटत कुटुम,
जुरत चतुर चित प्रीति।
परत गाँठ दुरजन हिये,
दई नई यह रीति।।
असंगति अलंकार से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न
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असंगति अलंकार की परिभाषा क्या है?
जहाँ पर आपतात: विरोध दृष्टिगत होते हुए कार्य तथा कारण का वैयाधिकरन्य रणित होता है, तो वहाँ पर ‘असंगति अलंकार’ होता है। असंगति’ का अर्थ ‘संगति का न होना’ होता है।
साधारण शब्दों में:- जहाँ पर जो कारण होता है, कार्य भी वहीं होना चाहिए। चोट पाँव में लगे, तो दर्द भी पांव में ही होना चाहिए। लेकिन जहाँ कारण कहीं और कार्य कहीं और होने का वर्णन होता है, तो वहाँ ‘असंगति अलंकार’ होता है।
अंतिम शब्द
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