व्यंजन संधि की परिभाषा, नियम और उदाहरण

Vyanjan Sandhi Ki Paribhahsa in Hindi

व्यंजन संधि की परिभाषा : Vyanjan Sandhi in Hindi:- आज के इस लेख में हमनें ‘व्यंजन संधि की परिभाषा’ से सम्बंधित जानकारी प्रदान की है।

यदि आप व्यंजन संधि की परिभाषा से सम्बंधित जानकारी खोज रहे है? तो इस लेख को शुरुआत से अंत तक अवश्य पढ़े। तो चलिए शुरू करते है:-

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व्यंजन संधि की परिभाषा : Vyanjan Sandhi in Hindi

जब एक व्यंजन का मेल किसी स्वर अथवा व्यंजन से होता है, तो उस व्यंजन में होने वाले परिवर्तन को ‘व्यंजन संधि’ कहते है।

व्यंजन संधि के उदाहरण

व्यंजन संधि के उदाहरण निम्नलिखित है:-

संधि विच्छेदसंधिव्यंजन
जगत् + नाथजगन्नाथत् + न = न्न
सत् + जनसज्जनत् + ज = ज्ज
उत् + हारउद्धारत् + ह = द्ध
सत् + धर्मसद्धर्मत् + ध = द्ध
आ + छादनआच्छादनआ + छा = च्छा

व्यंजन संधि के नियम

व्यंजन संधि के सभी नियम निम्न प्रकार है:-

नियम 1:- वर्ग के पहले वर्ण का तीसरे वर्ण में परिवर्तन

जब किसी वर्ग के पहले वर्ण ‘क्, च्, ट्, त्, प्’ का मिलन किसी वर्ग के तीसरे अथवा चौथे वर्ण ‘य्, र्, ल्, व्, ह’ से या फिर किसी स्वर से हो जाता है, तो ‘क्’ को ‘ग्’, ‘च्’ को ‘ज्’, ‘ट्’ को ‘ड्’, ‘त्’ को ‘द्’, तथा ‘प्’ को ‘ब्’ में परिवर्तित कर दिया जाता है।

यदि स्वर मिलता है, तो जो स्वर की मात्रा होगी, वह हलन्त वर्ण में लग जाएगी, लेकिन यदि व्यंजन का मिलन होता है, तो वह हलन्त ही रहेंगे। इसके उदाहरण निम्नलिखित है:-

‘क्’ के ‘ग्’ में परिवर्तन के उदाहरण

‘क्’ के ‘ग्’ में परिवर्तन के उदाहरण निम्नलिखित है:-

संधि विच्छेदसंधिव्यंजन
दिक् + गजदिग्गजक् + ग = ग्ग
वाक् + ईशवागीशक् + ई = गी
अच् + अंतअजंतच् + अ = ज्
षट् + आननषडाननट् + आ = डा
अप् + जअब्जप + ज + ब्ज

‘च्’ के ‘ज्’ में परिवर्तन के उदाहरण

‘च्’ के ‘ज्’ में परिवर्तन के उदाहरण निम्नलिखित है:-

संधि विच्छेदसंधिव्यंजन
अच् + अन्तअजन्तच् + अ = ज
अच् + आदि = अजादीअजादीच् + आ = जा

‘ट्’ के ‘ड्’ में परिवर्तन के उदाहरण

‘ट्’ के ‘ड्’ में परिवर्तन के उदाहरण निम्नलिखित है:-

संधि विच्छेदसंधिव्यंजन
षट् + आननषडाननट् + आ = डा
षट् + यन्त्रषड्यन्त्रट् + य = ड्य
षट् + दर्शनषड्दर्शनट् + द = ड्द
षट् + विकारषड्विकारट् + वि = ड्वि
षट् + अंगषडंगट् + अ = ड

‘त्’ के ‘द्’ में परिवर्तन के उदाहरण

‘त्’ के ‘द्’ में परिवर्तन के उदाहरण निम्नलिखित है:-

संधि विच्छेदसंधिव्यंजन
तत् + उपरान्ततदुपरान्तत् + उ = दु
सत् + आशयसदाशयत् + आ = दा
तत् + अनन्तरतदनन्तरत् + अ = द
उत् + घाटनउद्घाटनत् + घा = द्घा
जगत् + अम्बाजगदम्बात् + अ = द

‘प्’ के ‘ब्’ में परिवर्तन के उदाहरण

‘प्’ के ‘ब्’ में परिवर्तन के उदाहरण निम्नलिखित है:-

संधि विच्छेदसंधिव्यंजन
अप् + दअब्दप् + द = ब्द
अप् + जअब्जप् + ज = ब्ज

नियम 2:- वर्ग के पहले वर्ण का पाँचवें वर्ण में परिवर्तन

यदि किसी वर्ग के पहले वर्ण ‘क्, च्, ट्, त्, प्’ का मिलन ‘न’ अथवा ‘म’ वर्ण ‘ङ,ञ ज, ण, न, म’ के साथ होता है, तो ‘क्’ वर्ण को ‘ङ्’, ‘च्’ वर्ण को ‘ज्’, ‘ट्’ वर्ण को ‘ण्’, ‘त्’ वर्ण को ‘न्’, तथा ‘प्’ वर्ण को ‘म्’ में परिवर्तित कर दिया जाता है। जिसके उदाहरण निम्न लिखित है:-

‘क्’ के ‘ङ्’ में परिवर्तन के उदाहरण

‘क्’ के ‘ङ्’ में परिवर्तन के उदाहरण निम्नलिखित है:-

‘क्’ के ‘ङ्’ में परिवर्तन के उदाहरणसंधिव्यंजन
वाक् + मयवाङ्मयक् + म = ङ्म
दिक् + मण्डलदिङ्मण्डलक् + म = दङ्म
प्राक् + मुखप्राङ्मुखक् + मु = ङ्म

‘ट्’ के ‘ण्’ में परिवर्तन के उदाहरण

‘ट्’ के ‘ण्’ में परिवर्तन के उदाहरण निम्नलिखित है:-

संधि विच्छेदसंधिव्यंजन
षट् + मासषण्मासट् + मा = ण्मा
षट् + मूर्तिषण्मूर्तिट् + मू = ण्मू
षट् + मुखषण्मुखट् + मु = ण्मु

‘त्’ के ‘न्’ में परिवर्तन के उदाहरण

‘त्’ के ‘न्’ में परिवर्तन के उदाहरण निम्नलिखित है:-

संधि विच्छेदसंधिव्यंजन
उत् + नतिउन्नतित् + न = न्न
जगत् + नाथजगन्नाथत् + ना = न्ना
उत् + मूलनउन्मूलनत् + मू = न्मू

‘प्’ के ‘म्’ में परिवर्तन के उदाहरण

‘प्’ के ‘म्’ में परिवर्तन के उदाहरण निम्नलिखित है:-

संधि विच्छेदसंधिव्यंजन
अप् + मयअम्मयप् + म = म्म

नियम 3

जब ‘त्’ वर्ण का मिलन ‘ग, घ, द, ध, ब, भ, य, र, व’ से अथवा किसी स्वर से होता है, तो ‘द्’ वर्ण बन जाता है।

‘म’ वर्ण के साथ ‘क’ से ‘म’ तक के किसी भी वर्ण के मिलन पर ‘म’ वर्ण के स्थान पर मिलन वाले वर्ण का अंतिम नासिक वर्ण बन जाएगा। इसके उदाहरण निम्नलिखित है:-

‘म्’ + ‘क, ख, ग, घ, ङ’ के उदाहरण

‘म्’ + ‘क, ख, ग, घ, ङ’ के उदाहरण निम्नलिखित है:-

संधि विच्छेदसंधिव्यंजन
सम् + कल्पसंकल्पसम् + क = संक
सम् + ख्यासंख्यासम् + ख् = संख्
सम् + गमसंगमसम् + ग = संग
शम् + करशंकरशम् + क = शंक

‘म्’ + ‘च, छ, ज, झ, ञ’ के उदाहरण

‘म्’ + ‘च, छ, ज, झ, ञ’ के उदाहरण निम्नलिखित है:-

संधि विच्छेदसंधिव्यंजन
सम् + चयसंचयसम् + चय = संच
किम् + चित्किंचितकिम् + चि = किंचि
सम् + जीवनसंजीवनसम् + जी = संजी

‘म्’ + ‘ट, ठ, ड, ढ, ण’ के उदाहरण

‘म्’ + ‘ट, ठ, ड, ढ, ण’ के उदाहरण निम्नलिखित है:-

संधि विच्छेदसंधिव्यंजन
दम् + डदंडदम् + ड = दंड
खम् + डखंडखम् + ड = खंड

‘म्’ + ‘त, थ, द, ध, न’ के उदाहरण

‘म्’ + ‘त, थ, द, ध, न’ के उदाहरण निम्नलिखित है:-

संधि विच्छेदसंधिव्यंजन
सम् + तोषसन्तोषम् + तो = न्तो
किम् + नरकिन्नरम् + न = न्न
सम् + देहसन्देहम् + दे = न्दे

‘म्’ + ‘प, फ, ब, भ, म’ के उदाहरण

‘म्’ + ‘प, फ, ब, भ, म’ के उदाहरण निम्नलिखित है:-

संधि विच्छेदसंधिव्यंजन
सम् + पूर्णसम्पूर्णम् + पू = म्पू
सम् + भवसम्भवम् + भ = म्भ

‘त्’ + ‘ग, घ, ध, द, ब, भ, य, र, व’ के उदाहरण

‘त्’ + ‘ग, घ, ध, द, ब, भ, य, र, व’ के उदाहरण निम्नलिखित है:-

संधि विच्छेदसंधिव्यंजन
सत् + भावनासद्भावनात् + भा = द्भा
जगत् + ईशजगदीशत् + ई = दी
भगवत् + भक्तिभगवद्भक्तित् + त = द
तत् + रूपतद्रूपत् + रू = द्रू
सत् + धर्मसद्धर्मत् + ध = द्ध

नियम 4

‘त्’ से परे ‘च्’ अथवा ‘छ्’ होने पर ‘च, ज् एवं झ्’ होने पर ‘ज्, ट् एवं ठ्’ होने पर ‘ट्, ड् एवं ढ्’ होने पर ‘ड्’ और ‘ल’ होने पर ‘ल्’ बन जाता है।

‘म्’ के साथ ‘य, र, ल, व, श, ष, स, ह’ में से किसी भी वर्ण का मिलन होने पर ‘म्’ की जगह पर अनुस्वार ही लगता है। इसके उदाहरण निम्नलिखित है:-

‘म्’ + ‘य, र, ल, व, श, ष, स, ह’ के उदाहरण

‘म्’ + ‘य, र, ल, व, श, ष, स, ह’ के उदाहरण निम्नलिखित है:-

संधि विच्छेदसंधिव्यंजन
सम् + रचनासंरचनासम् + र = संर
सम् + लग्नसंलग्नसम् + ल = संल
सम् + वत्संवत्सम् + व = संव
सम् + शयसंशयसम् + श = संश

‘त्’ + ‘च, ज, झ, ट, ड, ल’ के उदाहरण

‘त्’ + ‘च, ज, झ, ट, ड, ल’ के उदाहरण निम्नलिखित है:-

संधि विच्छेदसंधिव्यंजन
उत् + चारणउच्चारणत् + चा = च्चा
सत् + जनसज्जनत् + ज = ज्ज
उत् + झटिकाउज्झटिकाउत् + झ = ज्झ
तत् + टीकातट्टीकात् + टी = ट्टी
उत् + डयनउड्डयनत् + ड = ड्ड
उत् +लासउल्लासत् +ला = ल्ला

नियम 5

जब ‘त्’ वर्ण का मिलन यदि ‘श्’ वर्ण से होता है, तो ‘त्’ वर्ण को ‘च्’ और ‘श्’ वर्ण को ‘छ्’ में परिवर्तित कर दिया जाता है।

जब ‘त्’ वर्ण अथवा ‘द्’ वर्ण के साथ ‘च’ वर्ण अथवा ‘छ’ वर्ण का मिलन होता है, तो ‘त्’ वर्ण अथवा ‘द्’ वर्ण के स्थान पर पर ‘च्’ वर्ण बन जाता है। इसके उदाहरण निम्नलिखित है:-

संधि विच्छेदसंधिव्यंजन
उत् + चारणउच्चारणत् + चा = च्चा
शरत् + चन्द्रशरच्चन्द्रत् + च = च्च
उत् + छिन्नउच्छिन्नत् + छि = च्छि

‘त्’ + ‘श्’ के उदाहरण

‘त्’ + ‘श्’ के उदाहरण निम्नलिखित है:-

संधि विच्छेदसंधिव्यंजन
उत् + श्वासउच्छ्वासत् + श्वा = च्छ्वा
उत् + शिष्टउच्छिष्टत् + शि = च्छि
सत् + शास्त्रसच्छास्त्रत् + शा = च्छा

नियम 6

जब ‘त्’ वर्ण का मिलन ‘ह्’ वर्ण से होता है, तो ‘त्’ वर्ण को ‘द्’ वर्ण और ‘ह्’ वर्ण को ‘ध्’ वर्ण में परिवर्तित कर दिया जाता है। ‘त्’ वर्ण अथवा ‘द्’ वर्ण के साथ ‘ज’ वर्ण या ‘झ’ वर्ण का मिलन होता है, तो ‘त्’ वर्ण अथवा ‘द्’ वर्ण के स्थान पर ‘ज्’ वर्ण बन जाता है। इसके उदाहरण निम्नलिखित है:-

संधि विच्छेदसंधिव्यंजन
सत् + जनसज्जनत् + ज = ज्ज
जगत् + जीवनजगज्जीवनत् + जी = ज्जी
वृहत् + झंकारवृहज्झंकारत् + झ = ज्झ

‘त्’ + ‘ह’ के उदाहरण

‘त्’ + ‘ह’ के उदाहरण निम्नलिखित है:-

संधि विच्छेदसंधिव्यंजन
उत् + हारउद्धारत् + हा = द्धा
उत् + हरणउद्धरणत् + ह = द्ध
तत् + हिततद्धितत् + हि = द्धि

नियम 7

जब स्वर के बाद यदि ‘छ्’ वर्ण आता है, तो ‘छ्’ वर्ण से पहले ‘च्’ वर्ण बढ़ा दिया जाता है। ‘त्’ वर्ण अथवा ‘द्’ वर्ण के साथ ‘ट’ वर्ण अथवा ‘ठ’ वर्ण का मिलन होने पर ‘त्’ वर्ण अथवा ‘द्’ वर्ण के स्थान पर ‘ट्’ वर्ण बन जाता है।

जब ‘त्’ वर्ण अथवा ‘द्’ वर्ण के साथ ‘ड’ वर्ण अथवा ‘ढ’ वर्ण का मिलन होने पर ‘त्’ वर्ण अथवा ‘द्’ वर्ण के स्थान पर पर ‘ड्’ वर्ण बन जाता है। इसके उदाहरण निम्नलिखित है:-

संधि विच्छेदसंधिव्यंजन
तत् + टीकातट्टीकात् + टी = ट्टी
वृहत् + टीकावृहट्टीकात् + टी = ट्टी
भवत् + डमरूभवड्डमरूत् + ड = ड्ड

‘अ, आ, इ, ई, उ, ऊ’ + ‘छ’ के उदाहरण

‘अ, आ, इ, ई, उ, ऊ’ + ‘छ’ के उदाहरण निम्नलिखित है:-

संधि विच्छेदसंधिव्यंजन
स्व + छंदस्वच्छंदव + छ = च्छ
आ + छादनआच्छादनआ + छा = च्छा
संधि + छेदसंधिच्छेदइ + छे = च्छे
अनु + छेदअनुच्छेदउ + छे = च्छे

नियम 8

यदि ‘म्’ वर्ण के बाद ‘क्’ वर्ण से लेकर ‘म्’ वर्ण तक कोई व्यंजन होता है, तो ‘म्’ वर्ण अनुस्वार में बदल जाता है।

‘त्’ वर्ण अथवा ‘द्’ वर्ण के साथ जब ‘ल’ वर्ण का मिलन होता है, तो ‘त्’ वर्ण अथवा ‘द्’ वर्ण के स्थान पर ‘ल्’ वर्ण बन जाता है। इसके उदाहरण निम्नलिखित है:-

संधि विच्छेदसंधिव्यंजन
उत् + लासउल्लासत् + ला = ल्ला
तत् + लीनतल्लीनत् + ली = ल्ली
विद्युत् + लेखाविद्युल्लेखात् + ले = ल्ले

‘म्’ + ‘च्, क, त, ब, प’ के उदाहरण

‘म्’ + ‘च्, क, त, ब, प’ के उदाहरण निम्नलिखित है:-

संधि विच्छेदसंधिव्यंजन
किम् + चितकिंचितकिम् + चित = किंचि
किम् + करकिंकरकिम् + क = किंक
सम् + कल्पसंकल्पसम् + क = संक
सम् + चयसंचयसम् + चय = संच
सम् + तोषसंतोषसम् +तो = संतो
सम् + बंधसंबंधसम् + ब = संब
सम् + पूर्णसंपूर्णसम् + पू = संपू

नियम 9

‘म्’ वर्ण के बाद ‘म’ वर्ण का द्वित्व हो जाता है। ‘त्’ वर्ण अथवा ‘द्’ वर्ण के साथ ‘ह’ वर्ण के मिलन पर ‘त्’ वर्ण अथवा ‘द्’ के स्थान पर ‘द्’ वर्ण तथा ‘ह’ वर्ण के स्थान पर ‘ध’ वर्ण बन जाता है। इसके उदाहरण निम्नलिखित है:-

संधि विच्छेदसंधिव्यंजन
उत् + हारउद्धारत् + हा = द्धा
उत् + हृतउद्धृतत् + ह = द्ध
पद् + हतिपद्धतिद् + ह = द्ध

‘म्’ + ‘म’ के उदाहरण

‘म्’ + ‘म’ के उदाहरण निम्नलिखित है:-

संधि विच्छेदसंधिव्यंजन
सम् + मतिसम्मतिम् + म = म्म
सम् + मानसम्मानसम् + मा = म्मा

नियम 10

‘म्’ वर्ण के बाद ‘य्, र्, ल्, व्, श्, ष्, स्, ह्’ वर्ण में से कोई व्यंजन आने पर ‘म्’ वर्ण का अनुस्वार हो जाता है।

‘त्’ वर्ण अथवा ‘द्’ वर्ण के साथ ‘श’ वर्ण के मिलन पर ‘त्’ वर्ण अथवा ‘द्’ वर्ण के स्थान पर ‘च्’ वर्ण तथा ‘श’ वर्ण के स्थान पर ‘छ’ वर्ण बन जाता है। इसके उदाहरण निम्नलिखित है:-

संधि विच्छेदसंधिव्यंजन
उत् + श्वासउच्छ्वासत् + श्वा = च्छ्वा
उत् + शृंखलउच्छृंखलत् + शृं = उच्छृं
शरत् + शशिशरच्छशिशरत् + शशि = च्छश

‘म्’ + ‘य, र, व, श, ल, स’ के उदाहरण

‘म्’ + ‘य, र, व, श, ल, स’ के उदाहरण निम्नलिखित है:-

संधि विच्छेदसंधिव्यंजन
सम् + योगसंयोगसम् + यो = संयो
सम् + रक्षणसंरक्षणसम् + र = संर
सम् + विधानसंविधानसम् + वि = संवि
सम् + शय = संशयसंशयसम् + श = संश
सम् + लग्नसंलग्नसम् + ल = संल
सम् + सारसंसारसम् + सा = संसा

नियम 11

‘ऋ, र्, ष्’ वर्ण से परे ‘न्’ वर्ण का ‘ण्’ वर्ण हो जाता है। लेकिन ‘च’ वर्ग, ‘ट’ वर्ग, ‘त’ वर्ग, ‘श’ वर्ण और ‘स’ वर्ण का व्यवधान हो जाने पर ‘न्’ वर्ण का ‘ण्’ वर्ण नहीं होता है। किसी भी स्वर के साथ ‘छ’ वर्ण के मिलन पर स्वर तथा ‘छ’ वर्ण के बीच ‘च्’ वर्ण आ जाता है। इसके उदाहरण निम्नलिखित है:-

संधि विच्छेदसंधिव्यंजन
आ + छादनआच्छादनआ + छा = च्छा
अनु + छेद = अनुच्छेदअनुच्छेदउ + छे = च्छे
शाला + छादनशालाच्छादनआ + छा = च्छा
स्व + छन्द = स्वच्छन्दृंखलस्वच्छन्दृंखलअ + छ = च्छ

‘र्’ + ‘न, म’ के उदाहरण

‘र्’ + ‘न, म’ के उदाहरण निम्नलिखित है:-

संधि विच्छेदसंधिव्यंजन
परि + नामपरिणामरि + ना = रिणा
प्र + मानप्रमाणप्र + मा = प्रमा

नियम 12

‘स्’ वर्ण से पहले ‘अ, आ’ से भिन्न कोई स्वर आ जाए, तो ‘स्’ वर्ण को ‘ष’ वर्ण बना दिया जाता है। इसके उदाहरण निम्नलिखित है:-

संधि विच्छेदसंधिव्यंजन
वि + समविषमवि + स = विष
अभि + सिक्तअभिषिक्तभि + सि = भिषि
अनु + संगअनुषंगनु + स = नुष

‘भ्’ + ‘स्’ के उदाहरण

‘भ्’ + ‘स्’ के उदाहरण निम्नलिखित है:-

संधि विच्छेदसंधिव्यंजन
अभि + सेकअभिषेकभि + से = भिषे
नि + सिद्धनिषिद्धनि + सि = निषि
वि + समविषमवि + स = विष

नियम 13

यदि किसी शब्द में कहीं भी ‘ऋ, र, ष’ वर्ण हो एवं उसके साथ मिलने वाले शब्द में कहीं भी ‘न’ वर्ण होता है तथा उन दोनों के बीच कोई भी स्वर ‘क, ख, ग, घ, प, फ, ब, भ, म, य, र, ल, व’ वर्ण में से कोई भी वर्ण होता है, तो सन्धि होने पर ‘न’ वर्ण के स्थान पर ‘ण’ वर्ण हो जाता है।

जब ‘द्’ वर्ण के साथ ‘क, ख, त, थ, प, फ, श, ष, स, ह’ वर्ण का मिलन होता है, तो ‘द’ के स्थान पर ‘त्’ वर्ण बन जाता है। इसके उदाहरण निम्नलिखित है:-

संधि विच्छेदसंधिव्यंजन
राम + अयनरामायणम + अ = मा
परि + नामपरिणामरि + ना = रिणा
नार + अयननारायणर + अ = रा
संसद् + सदस्यसंसत्सदस्यद् + स = त्स
तद् + परतत्परद् + प = त्प
सद् + कारसत्कारद् + का = त्का

व्यंजन संधि से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न

  1. व्यंजन संधि की परिभाषा क्या है?

    जब एक व्यंजन का मेल किसी स्वर अथवा व्यंजन से होता है, तो उस व्यंजन में होने वाले परिवर्तन को ‘व्यंजन संधि’ कहते है।

अंतिम शब्द

अंत में आशा करता हूँ कि यह लेख आपको पसंद आया होगा और आपको हमारे द्वारा इस लेख में प्रदान की गई अमूल्य जानकारी फायदेमंद साबित हुई होगी।

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