व्यंजन संधि की परिभाषा, नियम और उदाहरण

व्यंजन संधि की परिभाषा : Vyanjan Sandhi in Hindi:- आज के इस लेख में हमनें ‘व्यंजन संधि की परिभाषा’ से सम्बंधित जानकारी प्रदान की है।
यदि आप व्यंजन संधि की परिभाषा से सम्बंधित जानकारी खोज रहे है? तो इस लेख को शुरुआत से अंत तक अवश्य पढ़े। तो चलिए शुरू करते है:-
व्यंजन संधि की परिभाषा : Vyanjan Sandhi in Hindi
जब एक व्यंजन का मेल किसी स्वर अथवा व्यंजन से होता है, तो उस व्यंजन में होने वाले परिवर्तन को ‘व्यंजन संधि’ कहते है।
व्यंजन संधि के उदाहरण
व्यंजन संधि के उदाहरण निम्नलिखित है:-
संधि विच्छेद | संधि | व्यंजन |
---|---|---|
जगत् + नाथ | जगन्नाथ | त् + न = न्न |
सत् + जन | सज्जन | त् + ज = ज्ज |
उत् + हार | उद्धार | त् + ह = द्ध |
सत् + धर्म | सद्धर्म | त् + ध = द्ध |
आ + छादन | आच्छादन | आ + छा = च्छा |
व्यंजन संधि के नियम
व्यंजन संधि के सभी नियम निम्न प्रकार है:-
नियम 1:- वर्ग के पहले वर्ण का तीसरे वर्ण में परिवर्तन
जब किसी वर्ग के पहले वर्ण ‘क्, च्, ट्, त्, प्’ का मिलन किसी वर्ग के तीसरे अथवा चौथे वर्ण ‘य्, र्, ल्, व्, ह’ से या फिर किसी स्वर से हो जाता है, तो ‘क्’ को ‘ग्’, ‘च्’ को ‘ज्’, ‘ट्’ को ‘ड्’, ‘त्’ को ‘द्’, तथा ‘प्’ को ‘ब्’ में परिवर्तित कर दिया जाता है।
यदि स्वर मिलता है, तो जो स्वर की मात्रा होगी, वह हलन्त वर्ण में लग जाएगी, लेकिन यदि व्यंजन का मिलन होता है, तो वह हलन्त ही रहेंगे। इसके उदाहरण निम्नलिखित है:-
‘क्’ के ‘ग्’ में परिवर्तन के उदाहरण
‘क्’ के ‘ग्’ में परिवर्तन के उदाहरण निम्नलिखित है:-
संधि विच्छेद | संधि | व्यंजन |
---|---|---|
दिक् + गज | दिग्गज | क् + ग = ग्ग |
वाक् + ईश | वागीश | क् + ई = गी |
अच् + अंत | अजंत | च् + अ = ज् |
षट् + आनन | षडानन | ट् + आ = डा |
अप् + ज | अब्ज | प + ज + ब्ज |
‘च्’ के ‘ज्’ में परिवर्तन के उदाहरण
‘च्’ के ‘ज्’ में परिवर्तन के उदाहरण निम्नलिखित है:-
संधि विच्छेद | संधि | व्यंजन |
---|---|---|
अच् + अन्त | अजन्त | च् + अ = ज |
अच् + आदि = अजादी | अजादी | च् + आ = जा |
‘ट्’ के ‘ड्’ में परिवर्तन के उदाहरण
‘ट्’ के ‘ड्’ में परिवर्तन के उदाहरण निम्नलिखित है:-
संधि विच्छेद | संधि | व्यंजन |
---|---|---|
षट् + आनन | षडानन | ट् + आ = डा |
षट् + यन्त्र | षड्यन्त्र | ट् + य = ड्य |
षट् + दर्शन | षड्दर्शन | ट् + द = ड्द |
षट् + विकार | षड्विकार | ट् + वि = ड्वि |
षट् + अंग | षडंग | ट् + अ = ड |
‘त्’ के ‘द्’ में परिवर्तन के उदाहरण
‘त्’ के ‘द्’ में परिवर्तन के उदाहरण निम्नलिखित है:-
संधि विच्छेद | संधि | व्यंजन |
---|---|---|
तत् + उपरान्त | तदुपरान्त | त् + उ = दु |
सत् + आशय | सदाशय | त् + आ = दा |
तत् + अनन्तर | तदनन्तर | त् + अ = द |
उत् + घाटन | उद्घाटन | त् + घा = द्घा |
जगत् + अम्बा | जगदम्बा | त् + अ = द |
‘प्’ के ‘ब्’ में परिवर्तन के उदाहरण
‘प्’ के ‘ब्’ में परिवर्तन के उदाहरण निम्नलिखित है:-
संधि विच्छेद | संधि | व्यंजन |
---|---|---|
अप् + द | अब्द | प् + द = ब्द |
अप् + ज | अब्ज | प् + ज = ब्ज |
नियम 2:- वर्ग के पहले वर्ण का पाँचवें वर्ण में परिवर्तन
यदि किसी वर्ग के पहले वर्ण ‘क्, च्, ट्, त्, प्’ का मिलन ‘न’ अथवा ‘म’ वर्ण ‘ङ,ञ ज, ण, न, म’ के साथ होता है, तो ‘क्’ वर्ण को ‘ङ्’, ‘च्’ वर्ण को ‘ज्’, ‘ट्’ वर्ण को ‘ण्’, ‘त्’ वर्ण को ‘न्’, तथा ‘प्’ वर्ण को ‘म्’ में परिवर्तित कर दिया जाता है। जिसके उदाहरण निम्न लिखित है:-
‘क्’ के ‘ङ्’ में परिवर्तन के उदाहरण
‘क्’ के ‘ङ्’ में परिवर्तन के उदाहरण निम्नलिखित है:-
‘क्’ के ‘ङ्’ में परिवर्तन के उदाहरण | संधि | व्यंजन |
---|---|---|
वाक् + मय | वाङ्मय | क् + म = ङ्म |
दिक् + मण्डल | दिङ्मण्डल | क् + म = दङ्म |
प्राक् + मुख | प्राङ्मुख | क् + मु = ङ्म |
‘ट्’ के ‘ण्’ में परिवर्तन के उदाहरण
‘ट्’ के ‘ण्’ में परिवर्तन के उदाहरण निम्नलिखित है:-
संधि विच्छेद | संधि | व्यंजन |
---|---|---|
षट् + मास | षण्मास | ट् + मा = ण्मा |
षट् + मूर्ति | षण्मूर्ति | ट् + मू = ण्मू |
षट् + मुख | षण्मुख | ट् + मु = ण्मु |
‘त्’ के ‘न्’ में परिवर्तन के उदाहरण
‘त्’ के ‘न्’ में परिवर्तन के उदाहरण निम्नलिखित है:-
संधि विच्छेद | संधि | व्यंजन |
---|---|---|
उत् + नति | उन्नति | त् + न = न्न |
जगत् + नाथ | जगन्नाथ | त् + ना = न्ना |
उत् + मूलन | उन्मूलन | त् + मू = न्मू |
‘प्’ के ‘म्’ में परिवर्तन के उदाहरण
‘प्’ के ‘म्’ में परिवर्तन के उदाहरण निम्नलिखित है:-
संधि विच्छेद | संधि | व्यंजन |
---|---|---|
अप् + मय | अम्मय | प् + म = म्म |
नियम 3
जब ‘त्’ वर्ण का मिलन ‘ग, घ, द, ध, ब, भ, य, र, व’ से अथवा किसी स्वर से होता है, तो ‘द्’ वर्ण बन जाता है।
‘म’ वर्ण के साथ ‘क’ से ‘म’ तक के किसी भी वर्ण के मिलन पर ‘म’ वर्ण के स्थान पर मिलन वाले वर्ण का अंतिम नासिक वर्ण बन जाएगा। इसके उदाहरण निम्नलिखित है:-
‘म्’ + ‘क, ख, ग, घ, ङ’ के उदाहरण
‘म्’ + ‘क, ख, ग, घ, ङ’ के उदाहरण निम्नलिखित है:-
संधि विच्छेद | संधि | व्यंजन |
---|---|---|
सम् + कल्प | संकल्प | सम् + क = संक |
सम् + ख्या | संख्या | सम् + ख् = संख् |
सम् + गम | संगम | सम् + ग = संग |
शम् + कर | शंकर | शम् + क = शंक |
‘म्’ + ‘च, छ, ज, झ, ञ’ के उदाहरण
‘म्’ + ‘च, छ, ज, झ, ञ’ के उदाहरण निम्नलिखित है:-
संधि विच्छेद | संधि | व्यंजन |
---|---|---|
सम् + चय | संचय | सम् + चय = संच |
किम् + चित् | किंचित | किम् + चि = किंचि |
सम् + जीवन | संजीवन | सम् + जी = संजी |
‘म्’ + ‘ट, ठ, ड, ढ, ण’ के उदाहरण
‘म्’ + ‘ट, ठ, ड, ढ, ण’ के उदाहरण निम्नलिखित है:-
संधि विच्छेद | संधि | व्यंजन |
---|---|---|
दम् + ड | दंड | दम् + ड = दंड |
खम् + ड | खंड | खम् + ड = खंड |
‘म्’ + ‘त, थ, द, ध, न’ के उदाहरण
‘म्’ + ‘त, थ, द, ध, न’ के उदाहरण निम्नलिखित है:-
संधि विच्छेद | संधि | व्यंजन |
---|---|---|
सम् + तोष | सन्तोष | म् + तो = न्तो |
किम् + नर | किन्नर | म् + न = न्न |
सम् + देह | सन्देह | म् + दे = न्दे |
‘म्’ + ‘प, फ, ब, भ, म’ के उदाहरण
‘म्’ + ‘प, फ, ब, भ, म’ के उदाहरण निम्नलिखित है:-
संधि विच्छेद | संधि | व्यंजन |
---|---|---|
सम् + पूर्ण | सम्पूर्ण | म् + पू = म्पू |
सम् + भव | सम्भव | म् + भ = म्भ |
‘त्’ + ‘ग, घ, ध, द, ब, भ, य, र, व’ के उदाहरण
‘त्’ + ‘ग, घ, ध, द, ब, भ, य, र, व’ के उदाहरण निम्नलिखित है:-
संधि विच्छेद | संधि | व्यंजन |
---|---|---|
सत् + भावना | सद्भावना | त् + भा = द्भा |
जगत् + ईश | जगदीश | त् + ई = दी |
भगवत् + भक्ति | भगवद्भक्ति | त् + त = द |
तत् + रूप | तद्रूप | त् + रू = द्रू |
सत् + धर्म | सद्धर्म | त् + ध = द्ध |
नियम 4
‘त्’ से परे ‘च्’ अथवा ‘छ्’ होने पर ‘च, ज् एवं झ्’ होने पर ‘ज्, ट् एवं ठ्’ होने पर ‘ट्, ड् एवं ढ्’ होने पर ‘ड्’ और ‘ल’ होने पर ‘ल्’ बन जाता है।
‘म्’ के साथ ‘य, र, ल, व, श, ष, स, ह’ में से किसी भी वर्ण का मिलन होने पर ‘म्’ की जगह पर अनुस्वार ही लगता है। इसके उदाहरण निम्नलिखित है:-
‘म्’ + ‘य, र, ल, व, श, ष, स, ह’ के उदाहरण
‘म्’ + ‘य, र, ल, व, श, ष, स, ह’ के उदाहरण निम्नलिखित है:-
संधि विच्छेद | संधि | व्यंजन |
---|---|---|
सम् + रचना | संरचना | सम् + र = संर |
सम् + लग्न | संलग्न | सम् + ल = संल |
सम् + वत् | संवत् | सम् + व = संव |
सम् + शय | संशय | सम् + श = संश |
‘त्’ + ‘च, ज, झ, ट, ड, ल’ के उदाहरण
‘त्’ + ‘च, ज, झ, ट, ड, ल’ के उदाहरण निम्नलिखित है:-
संधि विच्छेद | संधि | व्यंजन |
---|---|---|
उत् + चारण | उच्चारण | त् + चा = च्चा |
सत् + जन | सज्जन | त् + ज = ज्ज |
उत् + झटिका | उज्झटिका | उत् + झ = ज्झ |
तत् + टीका | तट्टीका | त् + टी = ट्टी |
उत् + डयन | उड्डयन | त् + ड = ड्ड |
उत् +लास | उल्लास | त् +ला = ल्ला |
नियम 5
जब ‘त्’ वर्ण का मिलन यदि ‘श्’ वर्ण से होता है, तो ‘त्’ वर्ण को ‘च्’ और ‘श्’ वर्ण को ‘छ्’ में परिवर्तित कर दिया जाता है।
जब ‘त्’ वर्ण अथवा ‘द्’ वर्ण के साथ ‘च’ वर्ण अथवा ‘छ’ वर्ण का मिलन होता है, तो ‘त्’ वर्ण अथवा ‘द्’ वर्ण के स्थान पर पर ‘च्’ वर्ण बन जाता है। इसके उदाहरण निम्नलिखित है:-
संधि विच्छेद | संधि | व्यंजन |
---|---|---|
उत् + चारण | उच्चारण | त् + चा = च्चा |
शरत् + चन्द्र | शरच्चन्द्र | त् + च = च्च |
उत् + छिन्न | उच्छिन्न | त् + छि = च्छि |
‘त्’ + ‘श्’ के उदाहरण
‘त्’ + ‘श्’ के उदाहरण निम्नलिखित है:-
संधि विच्छेद | संधि | व्यंजन |
---|---|---|
उत् + श्वास | उच्छ्वास | त् + श्वा = च्छ्वा |
उत् + शिष्ट | उच्छिष्ट | त् + शि = च्छि |
सत् + शास्त्र | सच्छास्त्र | त् + शा = च्छा |
नियम 6
जब ‘त्’ वर्ण का मिलन ‘ह्’ वर्ण से होता है, तो ‘त्’ वर्ण को ‘द्’ वर्ण और ‘ह्’ वर्ण को ‘ध्’ वर्ण में परिवर्तित कर दिया जाता है। ‘त्’ वर्ण अथवा ‘द्’ वर्ण के साथ ‘ज’ वर्ण या ‘झ’ वर्ण का मिलन होता है, तो ‘त्’ वर्ण अथवा ‘द्’ वर्ण के स्थान पर ‘ज्’ वर्ण बन जाता है। इसके उदाहरण निम्नलिखित है:-
संधि विच्छेद | संधि | व्यंजन |
---|---|---|
सत् + जन | सज्जन | त् + ज = ज्ज |
जगत् + जीवन | जगज्जीवन | त् + जी = ज्जी |
वृहत् + झंकार | वृहज्झंकार | त् + झ = ज्झ |
‘त्’ + ‘ह’ के उदाहरण
‘त्’ + ‘ह’ के उदाहरण निम्नलिखित है:-
संधि विच्छेद | संधि | व्यंजन |
---|---|---|
उत् + हार | उद्धार | त् + हा = द्धा |
उत् + हरण | उद्धरण | त् + ह = द्ध |
तत् + हित | तद्धित | त् + हि = द्धि |
नियम 7
जब स्वर के बाद यदि ‘छ्’ वर्ण आता है, तो ‘छ्’ वर्ण से पहले ‘च्’ वर्ण बढ़ा दिया जाता है। ‘त्’ वर्ण अथवा ‘द्’ वर्ण के साथ ‘ट’ वर्ण अथवा ‘ठ’ वर्ण का मिलन होने पर ‘त्’ वर्ण अथवा ‘द्’ वर्ण के स्थान पर ‘ट्’ वर्ण बन जाता है।
जब ‘त्’ वर्ण अथवा ‘द्’ वर्ण के साथ ‘ड’ वर्ण अथवा ‘ढ’ वर्ण का मिलन होने पर ‘त्’ वर्ण अथवा ‘द्’ वर्ण के स्थान पर पर ‘ड्’ वर्ण बन जाता है। इसके उदाहरण निम्नलिखित है:-
संधि विच्छेद | संधि | व्यंजन |
---|---|---|
तत् + टीका | तट्टीका | त् + टी = ट्टी |
वृहत् + टीका | वृहट्टीका | त् + टी = ट्टी |
भवत् + डमरू | भवड्डमरू | त् + ड = ड्ड |
‘अ, आ, इ, ई, उ, ऊ’ + ‘छ’ के उदाहरण
‘अ, आ, इ, ई, उ, ऊ’ + ‘छ’ के उदाहरण निम्नलिखित है:-
संधि विच्छेद | संधि | व्यंजन |
---|---|---|
स्व + छंद | स्वच्छंद | व + छ = च्छ |
आ + छादन | आच्छादन | आ + छा = च्छा |
संधि + छेद | संधिच्छेद | इ + छे = च्छे |
अनु + छेद | अनुच्छेद | उ + छे = च्छे |
नियम 8
यदि ‘म्’ वर्ण के बाद ‘क्’ वर्ण से लेकर ‘म्’ वर्ण तक कोई व्यंजन होता है, तो ‘म्’ वर्ण अनुस्वार में बदल जाता है।
‘त्’ वर्ण अथवा ‘द्’ वर्ण के साथ जब ‘ल’ वर्ण का मिलन होता है, तो ‘त्’ वर्ण अथवा ‘द्’ वर्ण के स्थान पर ‘ल्’ वर्ण बन जाता है। इसके उदाहरण निम्नलिखित है:-
संधि विच्छेद | संधि | व्यंजन |
---|---|---|
उत् + लास | उल्लास | त् + ला = ल्ला |
तत् + लीन | तल्लीन | त् + ली = ल्ली |
विद्युत् + लेखा | विद्युल्लेखा | त् + ले = ल्ले |
‘म्’ + ‘च्, क, त, ब, प’ के उदाहरण
‘म्’ + ‘च्, क, त, ब, प’ के उदाहरण निम्नलिखित है:-
संधि विच्छेद | संधि | व्यंजन |
---|---|---|
किम् + चित | किंचित | किम् + चित = किंचि |
किम् + कर | किंकर | किम् + क = किंक |
सम् + कल्प | संकल्प | सम् + क = संक |
सम् + चय | संचय | सम् + चय = संच |
सम् + तोष | संतोष | सम् +तो = संतो |
सम् + बंध | संबंध | सम् + ब = संब |
सम् + पूर्ण | संपूर्ण | सम् + पू = संपू |
नियम 9
‘म्’ वर्ण के बाद ‘म’ वर्ण का द्वित्व हो जाता है। ‘त्’ वर्ण अथवा ‘द्’ वर्ण के साथ ‘ह’ वर्ण के मिलन पर ‘त्’ वर्ण अथवा ‘द्’ के स्थान पर ‘द्’ वर्ण तथा ‘ह’ वर्ण के स्थान पर ‘ध’ वर्ण बन जाता है। इसके उदाहरण निम्नलिखित है:-
संधि विच्छेद | संधि | व्यंजन |
---|---|---|
उत् + हार | उद्धार | त् + हा = द्धा |
उत् + हृत | उद्धृत | त् + ह = द्ध |
पद् + हति | पद्धति | द् + ह = द्ध |
‘म्’ + ‘म’ के उदाहरण
‘म्’ + ‘म’ के उदाहरण निम्नलिखित है:-
संधि विच्छेद | संधि | व्यंजन |
---|---|---|
सम् + मति | सम्मति | म् + म = म्म |
सम् + मान | सम्मान | सम् + मा = म्मा |
नियम 10
‘म्’ वर्ण के बाद ‘य्, र्, ल्, व्, श्, ष्, स्, ह्’ वर्ण में से कोई व्यंजन आने पर ‘म्’ वर्ण का अनुस्वार हो जाता है।
‘त्’ वर्ण अथवा ‘द्’ वर्ण के साथ ‘श’ वर्ण के मिलन पर ‘त्’ वर्ण अथवा ‘द्’ वर्ण के स्थान पर ‘च्’ वर्ण तथा ‘श’ वर्ण के स्थान पर ‘छ’ वर्ण बन जाता है। इसके उदाहरण निम्नलिखित है:-
संधि विच्छेद | संधि | व्यंजन |
---|---|---|
उत् + श्वास | उच्छ्वास | त् + श्वा = च्छ्वा |
उत् + शृंखल | उच्छृंखल | त् + शृं = उच्छृं |
शरत् + शशि | शरच्छशि | शरत् + शशि = च्छश |
‘म्’ + ‘य, र, व, श, ल, स’ के उदाहरण
‘म्’ + ‘य, र, व, श, ल, स’ के उदाहरण निम्नलिखित है:-
संधि विच्छेद | संधि | व्यंजन |
---|---|---|
सम् + योग | संयोग | सम् + यो = संयो |
सम् + रक्षण | संरक्षण | सम् + र = संर |
सम् + विधान | संविधान | सम् + वि = संवि |
सम् + शय = संशय | संशय | सम् + श = संश |
सम् + लग्न | संलग्न | सम् + ल = संल |
सम् + सार | संसार | सम् + सा = संसा |
नियम 11
‘ऋ, र्, ष्’ वर्ण से परे ‘न्’ वर्ण का ‘ण्’ वर्ण हो जाता है। लेकिन ‘च’ वर्ग, ‘ट’ वर्ग, ‘त’ वर्ग, ‘श’ वर्ण और ‘स’ वर्ण का व्यवधान हो जाने पर ‘न्’ वर्ण का ‘ण्’ वर्ण नहीं होता है। किसी भी स्वर के साथ ‘छ’ वर्ण के मिलन पर स्वर तथा ‘छ’ वर्ण के बीच ‘च्’ वर्ण आ जाता है। इसके उदाहरण निम्नलिखित है:-
संधि विच्छेद | संधि | व्यंजन |
---|---|---|
आ + छादन | आच्छादन | आ + छा = च्छा |
अनु + छेद = अनुच्छेद | अनुच्छेद | उ + छे = च्छे |
शाला + छादन | शालाच्छादन | आ + छा = च्छा |
स्व + छन्द = स्वच्छन्दृंखल | स्वच्छन्दृंखल | अ + छ = च्छ |
‘र्’ + ‘न, म’ के उदाहरण
‘र्’ + ‘न, म’ के उदाहरण निम्नलिखित है:-
संधि विच्छेद | संधि | व्यंजन |
---|---|---|
परि + नाम | परिणाम | रि + ना = रिणा |
प्र + मान | प्रमाण | प्र + मा = प्रमा |
नियम 12
‘स्’ वर्ण से पहले ‘अ, आ’ से भिन्न कोई स्वर आ जाए, तो ‘स्’ वर्ण को ‘ष’ वर्ण बना दिया जाता है। इसके उदाहरण निम्नलिखित है:-
संधि विच्छेद | संधि | व्यंजन |
---|---|---|
वि + सम | विषम | वि + स = विष |
अभि + सिक्त | अभिषिक्त | भि + सि = भिषि |
अनु + संग | अनुषंग | नु + स = नुष |
‘भ्’ + ‘स्’ के उदाहरण
‘भ्’ + ‘स्’ के उदाहरण निम्नलिखित है:-
संधि विच्छेद | संधि | व्यंजन |
---|---|---|
अभि + सेक | अभिषेक | भि + से = भिषे |
नि + सिद्ध | निषिद्ध | नि + सि = निषि |
वि + सम | विषम | वि + स = विष |
नियम 13
यदि किसी शब्द में कहीं भी ‘ऋ, र, ष’ वर्ण हो एवं उसके साथ मिलने वाले शब्द में कहीं भी ‘न’ वर्ण होता है तथा उन दोनों के बीच कोई भी स्वर ‘क, ख, ग, घ, प, फ, ब, भ, म, य, र, ल, व’ वर्ण में से कोई भी वर्ण होता है, तो सन्धि होने पर ‘न’ वर्ण के स्थान पर ‘ण’ वर्ण हो जाता है।
जब ‘द्’ वर्ण के साथ ‘क, ख, त, थ, प, फ, श, ष, स, ह’ वर्ण का मिलन होता है, तो ‘द’ के स्थान पर ‘त्’ वर्ण बन जाता है। इसके उदाहरण निम्नलिखित है:-
संधि विच्छेद | संधि | व्यंजन |
---|---|---|
राम + अयन | रामायण | म + अ = मा |
परि + नाम | परिणाम | रि + ना = रिणा |
नार + अयन | नारायण | र + अ = रा |
संसद् + सदस्य | संसत्सदस्य | द् + स = त्स |
तद् + पर | तत्पर | द् + प = त्प |
सद् + कार | सत्कार | द् + का = त्का |
व्यंजन संधि से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न
-
व्यंजन संधि की परिभाषा क्या है?
जब एक व्यंजन का मेल किसी स्वर अथवा व्यंजन से होता है, तो उस व्यंजन में होने वाले परिवर्तन को ‘व्यंजन संधि’ कहते है।
अंतिम शब्द
अंत में आशा करता हूँ कि यह लेख आपको पसंद आया होगा और आपको हमारे द्वारा इस लेख में प्रदान की गई अमूल्य जानकारी फायदेमंद साबित हुई होगी।
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नमस्कार, मेरा नाम सूरज सिंह रावत है। मैं जयपुर, राजस्थान में रहता हूँ। मैंने बी.ए. में स्न्नातक की डिग्री प्राप्त की है। इसके अलावा मैं एक सर्वर विशेषज्ञ हूँ। मुझे लिखने का बहुत शौक है। इसलिए, मैंने सोचदुनिया पर लिखना शुरू किया। आशा करता हूँ कि आपको भी मेरे लेख जरुर पसंद आएंगे।