विश्व रंगमंच दिवस कब मनाया जाता है? पूरी जानकारी

विश्व रंगमंच दिवस : World Theatre Day in Hindi:- आज के इस लेख में हमनें ‘विश्व रंगमंच दिवस’ से सम्बंधित जानकारी प्रदान की है।
यदि आप विश्व रंगमंच दिवस से सम्बंधित जानकारी खोज रहे है? तो इस लेख को शुरुआत से अंत तक अवश्य पढ़े। तो चलिए शुरू करते है:-
विश्व रंगमंच दिवस : World Theatre Day in Hindi
कला मनुष्य को हमेशा ही अपनी और आकर्षित करती है। कला के माध्यम से आप अपने मन की बात सभी के सामने आसानी से रख सकते है।
कला के द्वारा मनोरंजन के साथ-साथ समाज मे अच्छा संदेश भी भेजा जाता है। रंगमंच दुनिया को अपनी और आकर्षित करता है।
विश्व रंगमंच दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य क्या है?
विश्व रंगमंच दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य:- दुनिया मे कला को विकसित करना, फैलाना तथा रंगकर्मियों को सम्मान दिलाना है।
विश्व रंगमंच दिवस कब मनाया जाता है?
विश्व रंगमंच दिवस प्रतिवर्ष 27 मार्च के दिन मनाया जाता है।
विश्व रंगमंच दिवस क्यों मनाया जाता है?
विश्व रंगमंच दिवस मनाने के पीछे का कारण यह है कि 27 मार्च 1961 के दिन अंतर्राष्ट्रीय रंगमंच संस्थान की स्थापना की गई थी।
इस दिन राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर रंगमंच के विभिन्न समारोहों का आयोजन किया जाता है। इस दिन का सबसे प्रमुख आयोजन अंतर्राष्ट्रीय रंगमंच सन्देश है।
यह संदेश अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर दिया जाता है। इसे देने के लिए विश्व के किसी भी देश के रंगकर्मी को चुना जाता है। इस रंगकर्मी द्वारा विश्व रंगमंच के लिए एक अधिकारिक संदेश जारी किया जाता है।
इसे अंतर्राष्ट्रीय रंगमंच संस्थान के द्वारा चुना जाता है। इस खास संदेश का अनुवाद 50 भाषाओं में किया जाता है तथा इस संदेश को अखबारों में भी छापा जाता है।
सबसे पहले संदेश के लिए फ्रांस के एक रंगकर्मी को चुना गया था, जिसका नाम जीन काक्टे था। उसने सन 1962 में पहला अंतर्राष्ट्रीय संदेश दिया था।
इस संदेश को देने का मौका भारत को भी दिया गया था। भारत के मशहूर रंगकर्मी रह चुके गिरीश कर्नाड द्वारा सन 2002 में यह संदेश दिया गया।
विश्व रंगमंच दिवस की क्या भूमिका है?
विश्व रंगमंच दिवस मनाने का प्रमुख उद्देश्य लोगों के मध्य खत्म हो रहे रंगमंच के उत्साह को फिर से जगाना, उन्हें इसकी तरफ आकर्षित करना तथा इसके प्रति जागरूक करना है।
भारत में विश्व रंगमंच दिवस की क्या भूमिका है?
पहले के समय में भारत मे रंगमंच बहुत प्रसिद्ध था। रंगमंच में हजारों की भीड़ नाटक देखने आया करती थी। लेकिन, पिछले कुछ समय में यह झुकाव कम हुआ है।
इसके पीछे का मुख्य कारण फ़िल्में है। अब लोग अपने मनोरंजन के लिए फ़िल्में देखने जाना पसन्द करते है। अभी भी कईं विद्यालयों व विश्वविद्यालयों में नाटक, नुक्कड़-नाटक प्रसिद्ध है।
आज भी इन्हें चौराहों पर आयोजित किया जाता है। भारत की सबसे पुरानी नाट्यशाला छत्तीसगढ़ में रामगढ़ के पहाड़ पर स्थित है। यह बहुत ही प्राचीन नाट्यशाला हैं।
अंतिम शब्द
अंत में आशा करता हूँ कि यह लेख आपको पसंद आया होगा और आपको हमारे द्वारा इस लेख में प्रदान की गई अमूल्य जानकारी फायदेमंद साबित हुई होगी।
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