मौलिक अधिकारों पर निबंध

Essay on Fundamental Rights in Hindi

मौलिक अधिकारों पर निबंध : Essay on Fundamental Rights in Hindi:- आज के इस लेख में हमनें ‘मौलिक अधिकारों पर निबंध’ से सम्बंधित जानकारी प्रदान की है।

यदि आप मौलिक अधिकारों पर निबंध से सम्बंधित जानकारी खोज रहे है? तो इस लेख को शुरुआत से अंत तक अवश्य पढ़े। तो चलिए शुरू करते है:-

मौलिक अधिकारों पर निबंध : Essay on Fundamental Rights in Hindi

प्रस्तावना:-

मौलिक अधिकार वह अधिकार होते है, जो किसी भी देश के संविधान द्वारा उस देश के नागरिकों को दिए जाते है। जिनके अनुसार ही वहाँ के नागरिक अपना जीवनयापन करते है।

यें अधिकार एक व्यक्ति के बुनियादी अधिकार होते है। भारत के नागरिकों को भी संविधान द्वारा मौलिक अधिकार प्रदान किये गए है, जिनके बलबूते पर यहाँ के नागरिक पूरी आजादी के साथ अपना जीवनयापन करते है।

यें अधिकार आपके समाजिक जीवन में आपकी सहायता के लिए होते है, ताकि आपके साथ कुछ भी गलत न हो सके। यें अधिकार संविधान का एक अभिन्न अंग है।

मौलिक अधिकार का अर्थ:-

वह अधिकार जो संविधान द्वारा प्रत्येक नागरिक को लिखित रूप से प्रदान किये गए है। जिससे उनके साथ देश में किसी भी तरह का भेदभाव या अन्याय न हो सके।

मौलिक अधिकार के प्रकार:-

भारतीय संविधान के अंतर्गत एक नागरिक को कुल 6 मौलिक अधिकार प्रदान किये है, जो कि निम्नलिखित है:-

  1. समानता का अधिकार:- भारत के प्रत्येक नागरिक को समानता का अधिकार प्राप्त है अर्थात उनके साथ वैसा ही व्यवहार किया जाए, जैसा समाज के अन्य व्यक्तियों के साथ हो रहा है। उनके साथ किसी भी तरह का भेदभाव नहीं किया जा सकता है।
  2. स्वतंत्रता का अधिकार:- भारत में प्रत्येक व्यक्ति को संविधान द्वारा स्वतंत्रता का अधिकार दिया गया है। कोई भी व्यक्ति स्वतंत्रता के साथ अपनी बात रख सकता है या कोई भी कार्य कर सकता है। वह अपना जीवन स्वतंत्रतापूर्वक जी सकता है।
  3. धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार:- भारत में प्रत्येक व्यक्ति को यह अधिकार प्राप्त है कि वह अपने धर्म के अनुसार अपने कार्य कर सकता है और अपने त्यौहार मना सकता है। उसे किसी भी अन्य धर्म के अनुसार रहने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है। उसे अपने धर्म के अनुसार अपना जीवन जीने की पूर्ण स्वतंत्रता प्राप्त है।
  4. शोषण के विरुद्ध अधिकार:- यदि कोई व्यक्ति शोषण का शिकार हो रहा है, तो उस व्यक्ति को देश के संविधान द्वारा उस पर हो रहे शोषण के खिलाफ लड़ने का पूरा अधिकार है। वह अपने साथ हो रहे शोषण के खिलाफ न्यायालय में जाकर न्याय प्राप्त कर सकता है।
  5. सांस्कृतिक एवं शैक्षणिक अधिकार:- भारत के प्रत्येक धर्म को यह अधिकार प्राप्त है कि वें शैक्षिणिक संस्थानों की स्थापना व प्रशासन कर सकता है। उनके साथ दूसरे संस्थानों जैसा ही व्यवहार किया जाना चाहिए। प्रत्येक व्यक्ति को यह अधिकार प्राप्त है कि वह शिक्षा प्राप्त कर सके, इसके लिए उसे यह अधिकार प्रदान किया गया है। इस अधिकार के अंतर्गत वह पूरी स्वतंत्रता के साथ शिक्षा प्राप्त कर सकता है।
  6. संवैधानिक उपचारों का अधिकार:- यदि किसी व्यक्ति के मौलिक अधिकारों का अतिक्रमण होता है या इन अधिकारों का उल्लंघन होता है, तो उस व्यक्ति को यह पूरा अधिकार है कि वह न्यायालय में जाकर न्याय प्राप्त कर सकता है। वह ऐसा करने वाले लोगों के खिलाफ न्यायालय में वाद प्रस्तुत कर सकता है और न्याय की मांग सकता है।

मौलिक अधिकारों की विशेषता:-

मौलिक अधिकार सभी विशेषताओं का विस्तारपूर्वक वर्णन निम्नलिखित है:-

  • मौलिक अधिकारों के द्वारा प्रत्येक व्यक्ति पूरी स्वतंत्रता एवं सम्मान के साथ अपना जीवन जी सकता है।
  • मौलिक अधिकार प्रत्येक व्यक्ति की सांस्कृतिक एवं धार्मिक हितों की रक्षा करते है।
  • मौलिक अधिकारों का हनन नहीं किया जा सकता है, लेकिन समय की परिस्थिति के अनुसार इनमें संशोधन किया जा सकता है।
  • यदि कोई व्यक्ति आपके मौलिक अधिकारों का हनन करता है, तो आपको पूरा अधिकार प्राप्त है कि आप न्यायालय में जाकर न्याय प्राप्त कर सकते है।
  • कुछ मौलिक अधिकारों का लाभ गैर-भारतीय नागरिक भी प्राप्त कर सकते है।
  • मौलिक अधिकार प्रत्येक व्यक्ति को सुरक्षित महसूस करवाते है।

मौलिक अधिकारों का महत्व:-

मौलिक अधिकार प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में काफी महत्व रखते है। इन्हीं मौलिक अधिकारों की सहायता से हर व्यक्ति स्वतंत्रता के साथ अपने कार्य कर सकता है और अपना जीवन अपनी इच्छानुसार जी सकता है।

यें मौलिक अधिकार यदि हमें नहीं दिए जायेंगे, तो हमें अपनी अपनी बात रखने का अधिकार भी प्राप्त नहीं होगा और कोई भी व्यक्ति स्वतंत्रता के साथ जीवन नहीं जी पाएगा।

हमारा जीवन एक कैदी की तरह हो जाएगा, जिसके पास कोई अधिकार नहीं होता है और न ही वह कोई कार्य अपनी मर्जी से कर सकता है। इसलिए यें मौलिक अधिकार हम सभी के जीवन में काफी अधिक महत्व रखते है।

हमें यें अधिकार संविधान द्वारा इसलिए ही दिए गए है कि हम किसी भी स्थान पर किसी भी मामले में अपना मत रख सके और हमारे साथ कुछ गलत होने पर हम उसके खिलाफ आवाज उठा सके।

यें मौलिक अधिकार हमारी नींव का कार्य करते है, जिन पर खड़े होकर ही हम किसी भी अन्याय के खिलाफ अपनी आवाज उठा सकते है।

उपसंहार:-

भारत के संविधान द्वारा प्रत्येक नागरिक को मौलिक अधिकार प्रदान किये गए है, जिससे वह व्यक्ति अपना जीवन पूरी आजादी के साथ जी सके।

यें मौलिक अधिकार प्रत्येक नागरिक के जीवन को सरल बनाने के लिए प्रदान किये गए है, जिससे व्यक्ति को अपना जीवन जीने में कठिनाईयों का सामना न करना पड़े।

यें मौलिक अधिकार अधिकतर लोकतान्त्रिक देशों में ही प्रदान किये जाते है, जो कि स्वतंत्रता का प्रतीक है।

अंतिम शब्द

अंत में आशा करता हूँ कि यह लेख आपको पसंद आया होगा और आपको हमारे द्वारा इस लेख में प्रदान की गई अमूल्य जानकारी फायदेमंद साबित हुई होगी।

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